निंग क्षी पूरी तरीके से अचंभित थी| लू टिंग बोला, "मज़ाक था ये, चिंता न करो|"
ऐसा लग रहा था लू टिंग का चाभी देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था| लू टिंग ने उसे एक और चाबी देते हुए कहा, "इस एरिया में टैक्सी जल्दी से नहीं मिलती| इसलिए ये कार की चाबी रखो| कहीं जाना हो तो कार ले जाना।"
निंग क्षी अब खीज गयी थी| उसे यहाँ केवल कुछ दिनो के लिए ही तो रहना था| फिर क्यूँ ये सब कुछ? मै यहाँ लिटिल की लिए रुकी हूँ| मेहमान हूँ या इसकी "रखैल?"
फिर दूसरे ही क्षण उसने सोचा, "नहीं ऐसा नहीं है| रखैल होती तो दुनिया से छुपाई जाती, पीछे के दरवाजे से लायी जाती, न कि मुख्य दरवाजे की चाबियाँ दी जाती| न ही बच्चे की ज़िम्मेदारी दी जाती।"
वाह! नई नवेली दुल्हन वाला अहसास।
अचानक ही उसे याद आया कि कैसे पहली ही मुलाक़ात में लू टिंग ने उसे शादी के लिए प्रपोज कर दिया था। उसे लगता था कि वह आदमियों की मानसिकता को अच्छे से जानती है पर यह जो आदमी सामने खड़ा था इसको समझना थोड़ा मुश्किल ही था। यहाँ रुकने का फैसला सही है या गलत वह तय नहीं कर पा रही थी।
निंग क्षी लिटिल के पास ही सो गई| आधी रात को कमरे का दरवाजा बिना आहट के खुला, कोई धीरे धीरे पलंग की तरफ बढ़ रहा था।
लू टिंग बच्चे के पास निंग क्षी को लेटा देखकर समझ गया कि वह बच्चे को थपथपाकर सुलाते हुए सो गयी थीं। खूबसूरत से गुलाब की पंखुरियों से अधखुले होंठ मानो न्यौता दे रहे थे। लू टिंग इस अद्भुत युवती को बस निहारता ही जा रहा था, उसे अपने दिल पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था|
धीरे-धीरे वो निंग क्षी के थोड़ा करीब गया... और करीब... और करीब| होंठ से होंठ मिलने ही वाले थे कि लू टिंग ने कुछ सोचकर अपनी इस स्वप्न सुंदरी के माथे को प्यार से चूमकर कहा, "सो जाओ निंग क्षी, हमें एक साथ बहुत सारे लंबे दिन बिताएंगे।"
अगले दिन निंग क्षी सोकर उठी तो देखा कि लिटिल ट्रैजर उससे पहले ही उठ चुका था और उसके पास बैठकर कोई किताब पढ़ रहा था। वह अपनी किताब बड़ी तन्मयता से पढ़ रहा था| निंग क्षी ने कहा, "गुड मॉर्निंग मेरे प्यारे से दोस्त!"
लिटिल ने किताब में से सिर उठाकर देखा और हल्का सा मुस्कुरा दिया| वह मुँह से तो कुछ नहीं कहता पर उसकी आँखें दिखा रही थी कि वह कितना खुश था। निंग क्षी ने कहा, "आज मुझे कुछ खास काम नहीं है तो आज पूरा दिन हम साथ में मस्ती कर सकते है।"
निंग क्षी की यह बात सुनकर लिटिल इतना खुश हुआ कि मुस्कुरा दिया, जो कि वह बहुत ही कम करता था।
"निंग क्षी ने कहा, "तुम कितना प्यारा हँसते हो| ऐसे ही हँसते-मुस्कुराते रहा करो|"
नहाने के बाद निंग क्षी अपने कमरे से बाहर आई तो नाश्ता टेबल पर लग चुका था| लू टिंग उसे सुबह से कहीं दिखाई नहीं दे रहा था, वह समझ गई कि वह ऑफिस के लिए निकल गया होगा क्योंकि किसी भी नौकर ने उसे लू टिंग के नाश्ता करने आने की जानकारी नहीं दी तो उसने अकेले ही नाश्ता कर लिया।
निंग क्षी को चिंता हुईं कि वह लिटिल को कैसे संभालेगी। उसने इससे पहले किसी बच्चे को नहीं संभाला था पर उसकी चिंता व्यर्थ साबित हुई, क्योंकि पूरी दोपहर निंग क्षी सोफ़े पर बैठकर अपनी स्क्रिप्ट पढ़ती रही और लिटिल अपनी किताब पढ़ता रहा| दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की, बस एक कमरे में बैठने का सुकून था। नौकर पूरे दिन में एक या दो बार ही आए पानी या फल देने| जब भी आते इतने दबे कदमों से कि सुई की भी आवाज नहीं हो पाये । शायद लिटिल को थोड़ी सी भी आवाज पसंद नहीं ।