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70.96% RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 22: सूर्य... सूर्य जल्दी उठो Surya... Surya wake up early

Chapter 22: सूर्य... सूर्य जल्दी उठो Surya... Surya wake up early

सारे लोग उस मंदिर में खड़ा थे राम्या और सम्पूर्ण शिष्य सूर्य के पीछे खड़ा थे, सूर्य जैसे अपना दाहिनी हाथ उस दीपक के उप्पर ले गया तभी वो दीपक बुझ गया, ये सब देख कर दंग रह गय और गुरु जी भी आचार्य से सूर्य को देखने लगे, तभी गुरु जी सूर्य से कुछ बोल पाते उससे पहले कबीर बाबा सूर्य से कुछ पूछ बैठे," सूर्य तुम कुछ त्रुटी कर के आए हो!." सूर्य अंदर से डरने लगा था और अपना चेहरा जमीन पे झुका दिया था, सूर्य अपना नजर किसी से मिला नही पा रहा था तभी गुरु जी आक्रोश में आकर कहे," धोखेबाज तुम मुझसे इतना बड़ा धोका कर रहे हो!." इतना कह कर गुरु जी अपना हाथ में जल लिए, तभी कबीर बाबा कहे," नही हरिदास जी, हर शिष्य को श्राप से सजा मत दीजिए अर्थात ये अपना त्रुटि कबूल करेगा!." कबीर बाबा गुरु जी से इतना कह कर फिर से सूर्य के पास जाकर पुछे," सूर्य ऐसा क्यों किया क्या वजह थी तुम्हारा!." सूर्य कबीर बाबा की शब्द सुन कर हिम्मत कर के इतमीनान से बताने लगा," गुरु जी जब हम लोग जंगल में गय थे तो सारे शिष्य अलग अलग हो चुके थे परंतु हम भी अकेले ही थे, लेकिन कुछ दूर आगे जाने के बाद हम राम्या को देखे, फिर सोचे क्यू ना इसका जा फायदा उठाते है, राम्या के सामने एक शेर था वहीं दूसरी तरफ एक मनुष्य आ रहा था, राम्या जैसे उस शेर पे अपना बाण छोड़ा मैं भी उस इंसान पे बाण छोड़ दिया, वो मनुष्य का वहीं पे निधन हो गया, और इधर शेर सिंह का भी मृत्यु हो गई थी, वो मनुष्य जोर से चिला उठा," जय श्रीं राम !." ये देख कर अब मैं सोचने लगा था की राम्या किधर जायेगा परंतु राम्या उस इंसान के पास चला गया और मैं उस जंगल राजा का सर लेकर चलाया आया!." इतना कह कर सूर्य राम्या की तरफ देखा और राम्या के पास जाकर इतमीनान से आंख मैं आंसु लिए हुए कहा," राम्या तू विजेता हो गया, मुझे छम्मा कर देना!." राम्या सूर्य का हाथ पकड़ कर इतमीनान से समझाते हुए कहा," कोई बात नही, मैंने तो सिर्फ बाण चलाया था और तूने तो उसका सर उतर कर लाया है अर्थात विजय तो तुम्ही हुए, भले ही बाण मुझे दिया जा रहा है!." राम्या सूर्य का आंख का आंसू पोंछा तभी सूर्य कहा," मैं जा रहा हूं अब अपनी घर!." ये बात सुन कर राम्या सूर्य से कहा," परंतु क्यू तुमने गलती क्या किया है, अर्थात उस वक्त तो हम दोनो मैं से एक को तो जाना ही था वहा परंतु मैं वहा चला गया और तुम यहां चला आया!." ये बात गुरु जी सुन कर गुस्सा को दूर कर दिए और राम्या और सूर्य के पास आकर इतमीनान से कहे," हा सही कह रहा है राम्या, मुझे इतना गर्भ पहली बार किसी शिष्य पे हुआ है!." ये बात सुन कर सुदाहि और अंजन के साथ साथ सारे ऋषिमुनी प्रश्न हो गाय, और फिर कबीर बाबा राम्या को कहे," जाओ पुत्र नदी से नहा धो कर आओ तब तक हम लोग फिर से पूजा के तैयारी करते है!." राम्या वहा से चल दिया नदी नहाने के लिए, तभी सूर्य राम्या से कहां," राम्या मैं भी चलता हूं तुम्हारे साथ!." राम्या सूर्य की वाक्य सुन कर रुक गया और सूर्य की तरफ मुस्कुराते हुए देखा, और इतमीनान से कहा," अवश्य!." फिर वहा से सूर्य और राम्या दोनो साथ ही नहाने चला गया, जैसे दोनो नदी के किनारा पे गया तो सूर्य कहा," जाओ नहा कर आवो हम यहीं पे प्रतीक्षा कर रहे है!." सूर्य इतना कह कर वही पे बैठ गया, तभी राम्या चिंतित हो कर कहा," नही यहां पे बहुत ज्यादा धूप है , तुम उस पेड़ के पास चले जाओ और वहीं पे मेरा प्रतीक्षा करना मैं स्वयं वहा पे आ जाऊंगा!." सूर्य राम्या की वाक्य सुन कर वहा से कुछ दूर पे पीपल का पेड़ था वही पे चल दिए तभी राम्या फिर से कहे," सूर्य ये अपना पोषाक यही पे रख रहा हूं ध्यान देते रहना !." सूर्य राम्या की बात सुन कर वहा से पीपल के पेड़ के पास जाकर बैठ गया, राम्या राम्या अपना कपड़ा खोल कर नदी के अंदर टप गया और नहाने लगा, सूर्य बैठे बैठे सूर्य का आंख लगने लगा था और सूर्य वही पे सो गया था, राम्या जब नहा रहा था और अपना पीठ पे उंगली से रगड़ रहा था तभी पीछे से एक मगरमोच्छ आकर राम्या का हाथ पकड़ लिया, राम्या आश्चर्य से अपना हाथ छोड़ा कर पूछे देखा तो दंग रह गया, वहीं मगरमोच्छ था जो मांदरी से टकड़ाया हुआ था, और नदी भी वही था, राम्या उस मगरमोच्छ से लड़ने लगा, काफी देर लड़ने के बाद राम्या उस मगरमोच्छ का मूंह पकड़ कर चीर दिया और उठा कर बाहर फेक दिया तभी उस मगरमोच्छ से माता लक्ष्मी जी निकली राम्या लक्ष्मी जी को देख कर आश्चर्य से पूछा," माते आप!." फिर राम्या लक्ष्मी जी को दोनो हाथ जोड़ कर प्रणाम किया, तभी लक्ष्मी जी राम्या की आवाज सुन कर इतमीनान से कही," हा पुत्र मुझे तुम्हारे प्रभु श्री राम यों अंजनी पुत्र हनुमान ने भेजे है तुम्हारे परीक्षण लेने के लिए अर्थात तुम जाओ तुम्हारे गुरु जी तुम्हारे प्रतीक्षा कर रहे हैं!." ये बात सुन कर राम्या लक्ष्मी जी को प्रणाम किया और लक्ष्मी जी वहा से लुप्त हो गई, और राम्या भी वहा से निकला और अपना कपड़ा पहन कर सूर्य के पास गया तो देखा की," सूर्य तो सो गया है!." फिर राम्या सूर्य को उठाते हुए कहा," सूर्य... सूर्य जल्दी उठो पूजा का समय हो गया है!." सूर्य का आंख खुला तो दोनो जाने वहा से उठ कर चल दिए, जब रास्ता में आए तो सड़क के बगल में एक फुल का खेत था उसी में एक लड़की फूल तोड़ रही थी जिसका उम्र राम्या से दो साल छोटा था, राम्या उस लड़की को देख कर आकर्षित हो गया और फूल से छिप कर उस लड़की को देखने लगा,

to be continued..

क्या होगा अब कहानी का अंजाम क्या राम्या उस लड़की को देखते रह जायेगा या फिर पूजा और ब्रम्हा शास्त्र को पाने के लिए छोड़ कर चला जायेगा और फिर वो लड़की कौन थी जानने के लिए पढ़े " RAMYA YUDDH "


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