Download App
87.09% RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 27: दादा जी आप चलिए अंदर grandpa you go inside

Chapter 27: दादा जी आप चलिए अंदर grandpa you go inside

रजनीचर के श्रद्धांजलि के बाद रात को तकरीबन नौ बजे महाराजा अपने राज तिलक कुर्सी पे बैठे थे और सारे सैनिक यों योद्धा बैठे थे, मगर कोई कुछ नही बोल रहा था सब कोई चुप चाप शांत हो कर बैठे थे, लेकिन महाराजा को ये बात खाई जा रही थी," की उस बालक के पास इतना शक्ति कहां से आ गई, जो हमारे दो भाइयों को मार दिया!." इसी बात को सोचते सोचते महाराजा वहा से उठे और अपने कक्ष की तरफ जाने लगे, जैसे महाराजा अपने राज तिलक कुर्सी से उठे तो सारे सैनिक यों ज्ञानी पुरुष देख कर दंग रह गय," क्या हुआ जो महराज हम लोग के बीच समाज से आज हट रहे है!." ये बात सब कोई सोच रहा था की आखिर क्या गलती हुआ, तभी एक सैनिक खड़ा होकर पूछ दिया," महाराज आप ऐसे समझ छोड़ कर क्यू जा रहे है, यहां हम सब लोग बैठे है बात करने के लिए अर्थात आपकी भाई की मृत्यु का बदला नही लेना है!." महाराजा अपने राज तिलक कुर्सी से उठ कर कुछ ही दूर पे गय थे तभी उस सैनिक की आवाज सुन कर महाराज रुक तो गाय परंतु अपना सर घुमा कर कुछ बोलने को चाहा तभी महाराज के पीछे से एक आवाज आई," पुत्र तुम जाओ इन सैनिकों की बात मत सुनो, अर्थात जिंदगी में सोचना अति आवश्यक है यदि हम जिंदगी में कभी नहीं सोचेंगे तो फिर हमे कैसे पता चलेगा की क्या गलत है और क्या सही है!." महाराजा इस आवाज को सुन कर पीछे घुमा तो शकुन खड़ा होकर कह रहे थे, ये बात सुन कर महाराजा बहुत आक्रोश में आ गया, फिर महाराजा अपने पिता शकुन को देखते हुए इतमीनान से पूछा," पिता श्री मानता हूं की जलेदी को हमने भेजा था उस बालक को उठाने के लिए परंतु रजनीचर की क्या गलती थी, अर्थात मांदरी को भी उस हरिदास गुरु जी ने अपने आश्रम से निकल दिया क्यू, क्यू की ये राक्षस प्रजाति का है इसलिए या फिर इसकी कोई मर्यादा नही है!." ये बात सुन कर शकुन इतमीनान से कहा," पुत्र इसमें न तुम्हारा दोष है और नही हरिदास जी का क्यू की तुम्हारा मांदरी हर ज्ञान से मुक्त है हरिदास जी ने इस परीक्षण लिया प्रांतु ये पास नही हो पाया इस क्रोध में उन्होंने ने अपने आश्रम से निकल दिया, अर्थात रही बात रजनीचर की तो उस बालक ने जान से अपनी बाण को रजनीचर पे नही छोड़ा था!." ये बात सुन कर महाराजा क्रोध में कहे," अच्छा तो आपको भी सुमाली अपनी जाल में फसा ली है, परंतु मैं उस बालक से असिद्धि नही हो सकते है!." महाराजा की वाक्य सुन कर शकुन कुछ बोल पाते उसे पहले बिभष बोल उठा," भईया आप इतना आक्रोश क्यू करते है, युद्ध के लिए स्वयं जाना अभी उचित नहीं है, अर्थात हम पहले सैनिकों को भेजते है!." बिभष इतना कहा ही था की तभी शकुन कहे," पुत्र तुम इतना ज्ञानी हो कर अपने भाई को समझना चाहिए तो तुम उसे बढ़ावा दे रहे हो!." शकुन की वाक्य सुन कर महराज आक्रोश में बोल उठे," पिता श्री आपको यदि मेरे इस युद्ध से यंत्रणा है तो आप अपने कक्ष में जा सकते है, लेकिन इस जले हुए व्रण पे रामरस अवलेपन का आजीविका मत करिए!." शकुन महाराजा की वाक्य सुन कर कुछ नही बोल पा रहे थे, तभी शकुन के पीछे से एक आवाज आई," दादा जी आप चिंतन मत करिए, पिता श्री अभी बहुत आक्रोश में है!." महाराजा और सब लोग जब शकुन के पीछे देखा तो सेनवाज़ खड़ा था, सेनवाज़ अपने कुर्सी छोड़ कर तेजी से आया और शकुन का हाथ पकड़ लिया और इतमीनान से कहा," दादा जी आप चलिए अंदर!." शकुन सेनवाज़ को गौर से देखने लगे और आंख में नम भर आए थे, सेनवाज़ अपने दादा जी को धीरे धीरे हाथ पकड़ कर उनके कक्ष में जानने लगे, दृढ़ सैनिक और शकुन की पुत्र चुप चाप देखने लगे, सेनवाज़ अपने दादा जी को उनके कक्ष में ले जा कर बिस्तर पे सोला दिए और खुद गोल्थारी बैठ कर शकुन की पैर दबाने लगे,

महाराजा वहा से अपने कक्ष में जाने के लिए चले तभी मांदरी खड़ा होकर आक्रोश में कहा जिसका उम्र लगभग सताइश साल होगा," पिता श्री आप को चिंता करने की कोई जरूरत नही है हम जानते है की राम्या कहा रहता है, अर्थात यदि आप त्रुटि न माने तो हम अपनी सैनिकों के साथ उसे एक बार मिल कर आते है!." महाराजा मांदरी की वाक्य सुन कर आश्चर्य से पूछा," तुम मिलने की वाक्य कर रहे हो, परंतु मिल कर क्या करोगे, उसकी बहन काम्या को उठा कर लाओ, क्या ला सकते हो!." मांदरी महाराजा की वाक्य सुन कर इतमीनान से डरते हुए कहा," परंतु पिता श्री राम्या की कोई बहन नही है, क्यू की वो आज तक अपने भाई राम्या से मिलने नही आई है तथा न कभी राम्या अपने बहन के बारे में जिक्र किया है, फिर कैसे कोई जान सकेगा की राम्या की बहन भी है!." महाराजा मांदरी की वाक्य सुन कर आक्रोश में कहा," तुमसे ये नही हो पाएगा हम खुद जायेंगे कल!." इतना कह कर महाराजा वहा से अपने कक्ष की तरफ चल दिए,

सेनवाज़ अपने दादी जी की पैर दबा रहा था और शकुन सो रहे थे लेकिन नींद से नही सोए थे, शकुन सेनवाज़ से कहे," सेनवाज़ बेटा, तुम अपने पिता जी का कद्र करना चाहे वो बुरा करे या चाहे अच्छा कर्म करे, जो महराज कहेगा वही तुम करना, उसके जैसे तुम अपने पिता जी की कभी बात को मत टालना अर्थात कभी बुरा शब्द मत कहना!." ये शकुन की बात सुन कर सेनवाज़ इतमीनान से कहा," परंतु दादा जी पिता जी तो आपकी आज्ञा का पालन नहीं करते है अर्थात वो आपका अपमान भी करते है फिर भी आप चुप चाप सुनते रहते है!." शकुन सेनवाज़ की वाक्य सुन कर इतमीनान से उठ कर बैठ गया और इतमीनान से कहे," पुत्र तुम्हारे पिता जी की कोई त्रुटि नही है वो मेरी दुष्कर्म है जो मैं उसे अच्छा शब्द का निवाला नही दिया, परंतु तुम कभी ऐसा मत करना, अब तुम जाओ बहुत रात हो गई है!." इतना कह कर शकुन वहा बिस्तर पे सो गया और सेनवाज़ वहा से उठ कर अपने कक्ष में चला गया,

सेनवाज़ भले ही राक्षस प्रजाति था परंतु सेनवाज़ बहुत समझदार था, सेनवाज़ के चाचा भी बिभष बहुत ज्ञानी और समझदार था इसी लिए तो अपने भाई महाराजा की हर आज्ञा को मानता था, बिभष इतना ज्ञानी था की बिभष को पता चल गया था कल हमारे भईया महाराज राम्या के घर जायेंगे और युद्ध का पैगाम लेकर आएंगे,

to be continued....

क्या होगा कहानी का अंजाम क्या महाराजा सच में कल राम्या के घर जायेंगे, क्या राम्या की बहन काम्या सच में है तो फिर कहा है जानने के लिए पढ़े "RAMYA YUDDH"


CREATORS' THOUGHTS
Alokks Alokks

सेनवाज़ भले ही राक्षस प्रजाति था परंतु सेनवाज़ बहुत समझदार था, सेनवाज़ के चाचा भी बिभष बहुत ज्ञानी और समझदार था इसी लिए तो अपने भाई महाराजा की हर आज्ञा को मानता था, बिभष इतना ज्ञानी था की बिभष को पता चल गया था कल हमारे भईया महाराज राम्या के घर जायेंगे और युद्ध का पैगाम लेकर आएंगे,Your gift is the motivation for my creation. Give me more motivation!

Creation is hard, cheer me up! VOTE for me!

Have some idea about my story? Comment it and let me know.

Have some idea about my story? Comment it and

next chapter
Load failed, please RETRY

Weekly Power Status

Rank -- Power Ranking
Stone -- Power stone

Batch unlock chapters

Table of Contents

Display Options

Background

Font

Size

Chapter comments

Write a review Reading Status: C27
Fail to post. Please try again
  • Writing Quality
  • Stability of Updates
  • Story Development
  • Character Design
  • World Background

The total score 0.0

Review posted successfully! Read more reviews
Vote with Power Stone
Rank NO.-- Power Ranking
Stone -- Power Stone
Report inappropriate content
error Tip

Report abuse

Paragraph comments

Login