एक लड़का जो जख्मी हालत में जंगल में बेहोश पड़ा था। लग रहा था वह ऊपर पहाड़ी से इस खाई में गिरा है। शरीर पर चोट के निशान और खरोच ये साफ़ साफ़ बता रही थी कि इतनी ऊपर से गिरने की वजह से ये चोट आई है। खून से लथपथ वो कमजोर हालत में बेहोश पड़ा था।
उसकी पीठ पर दो गहरे गहरे घाव के निशान थे। जिन से साफ़ पता चल रहा था कि इस जगह जरूर कोई चीज़ शरीर के अन्दर तक घुसी है।
लड़का अभी छोटा और इसका शरीर कोमल था। मगर बेहोशी की हालत में उसके यह घाव धीरे धीरे अपने आप भरते जा रहे थे।
मानो किसी जादू का असर हो।
सूरज धीरे धीरे सिर पर चढ़ आया था। ओर लड़के को होश आया। वह कराते हुए खड़ा हुआ। ओर उसने अपने आप को देखा। पास ही में झरने के बहने की आवाज़ आ रही थी। वह प्यासा झरने के पास गया। ओर वह सीधा उस साफ़ पानी के झरने में कूद गया। उसने अपने आप को इस साफ़ पानी में देखा।
शरीर पर लगे सारे जख्म भर चूके थे। ओर बस कपड़ो के फटने के निशान उसके शरीर पर रह गए थे। तभी उसे धुंधला धुंधला कुछ याद आया और डर के मारे वह पानी में घुसा जा रहा था। उसने अपना मुंह पानी में दे लिया। मानो किसी से छुप रहा हो।
उसे एक साथ बहुत कुछ याद आ रहा था। तभी वह पानी में खड़ा खडा पसीने से लथ पथ हो गया। वह जैसे तैसे खुद को संभालते हुए पानी से बाहर आया और नदी के किनारे ही एक पेड़ की छांव में पत्थर पर लेट गया। ओर उसकी वहीं आंख लग गई।
तभी झरने में बहाव थोडा तेज हुआ। ओर लड़का पानी के सहारे बह कर बहुत दूर आ गया। अब वह रेत पर एक गांव की नदी के किनारे लेटा हुआ था। लड़के को कोई होश न था। उसके सिर पर चोट लगी थी। जो गहरी होने की वजह से अब तक न भर पाई थी।
तभी एक औरत जो पानी भरने के लिए नदी के किनारे आई थी। उसे यह लड़का नदी किनारे पड़ा हुआ दिखता है। ममता से भरी हुई वह औरत इस लगभग बारह साल के इस बालक को देख कर उसके पास आ गई और बच्चे को उठाने की कोशिश करने लगीं। उसकी सिर की चोट से खून अभी भी रिस रहा था।
लग रहा था। वह रास्ते में किसी चट्टान से बहुत जोर से टकराया हो। वह भागी भागी गई और अपने बेटे "तेज" को बुला कर लाई। उसका बेटा करीब सोलह साल का था। जो कि बेहोश पड़े इस बालक को अपने कंधो पर उठा कर घर ले गया।
उस औरत का लड़का बड़ी ही अचरज भरी निगाहों से उस लड़के को देख रहा था। मगर किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। धीरे धीरे उसके सिर का भी घाव पुरी तरह से भर गया। ओर उसको भी होश आने लगा।
जैसे ही वह उठा उसे कुछ पता न था वो कहा है। मगर उसके चारों तरफ़ एक तरफ वो औरत और तेज और तेज के बापू खड़े थे।
बच्चा: में कहा हूं।
औरत: वह सब कुछ समझ चुकी थी। कि चोट की वजह से इसकी सारी यादें मिट चुकी है। मगर यह बच्चा बाकी बच्चों से अलग और अनोखा था। इस लिए इस पर आगे कोई खतरा ना आए। वो झूट बोलती है। की "बेटा तुम अब अपने घर हो।"
बच्चा: मगर में कोन हूं मेरा नाम क्या है।
तेज: अरे भाई तुम मेरे छोटे भाई हो। ओर तुम्हारा नाम "श्रेयांश" है।
औरत: अच्छा बच्चों अब जो हुआ सो हुआ। चलो खाना खा लो। वैसे भी तुमको भूख लगी होगी।
मां खाना लगा देती है। ओर तेज और श्रेयांश के बापू जी दोनों को खाने का बोल देते है। ओर उस परिवार ने बच्चे को बिल्कुल अपने बच्चे की भांति अपना लिया था।
सभी बाते करते करते खाना खा रहे थे। ओर श्रेयाश को भी उसके माता पिता थोडा बहुत समझ बुझा देते है। वह इतनी चिंता न करे। धीरे धीरे उसे सब याद आ जायेगा। तब तक वह मां पापा के साथ उनकी काम में मदत करे।
यह गांव जंगल के बीच में था। बाहर की दुनिया से कोई संपर्क नहीं। जिनको पैसे का लालच था। वो गांव छौड़ कर रियासत में चले जाते। ओर जिनको अपना जीवन शांति प्रिय व्यतीत करना था। वो यहां खेती करते और खुशी से अपना जीवन बिता रहे थे। अपनी सारी आवश्यकता की चीजों को वह उगा लेते थे। ओर जिन k वह उगा नही पाते उन चीजों की कमी वह जंगल से पुरी करते।
सारी जड़ी बूटी। दवाई या किसी भी रोग या विश का उपचार जंगल में मिलने वाली जड़ी बूटी और कुछ जादू से कर लिया जाता। ये पूरा का पूरा जंगल ही रहस्य से भरा हुआ था।
इस जंगल और गांव की हवा इतनी पवित्र और पानी में आसमान बिल्कुल चमक रहा था। नीला शीशे जैसा साफ।
शाम के समय श्रेयांश उसी तालाब के किनारे आ जाता जहां वह उसकी मां को पड़ा हुआ मिला था। ओर एक चट्टान पर घंटों बैठा रहता। ओर पानी में आसमान को देखता रहता। मानो उसे ये सब एक तरह से ठंडक दे रहा हो ओ।
एक दिन उसे पानी में कुछ नीली हरी सी रोशनी सी दिखाई दे रही थी। जो बार बार ऊपर आती और पानी में वापस लोट जाती। पहले उसने इस रोशनी पर ध्यान नहीं दिया। मगर जब उसे अहसास हुआ कि ये सिर्फ रोशनी नहीं है। वह बिना कुछ सोचे समझे पहाड़ी से पानी में कूद गया।
ओर हां उसे अब यकीन आया ये सिर्फ़ रोशनी नहीं थी। यह एक जानवर था। जो बिल्कुल भेड़िया के बच्चे जैसा था। मगर उसके चारों तरफ़ एक चमत्कारी रुप से ये नीली और हरी सी रोशनी थी। जो उसके सोने के बाद भी कहीं नहीं जाती थी।
श्रेयांस उस बचे को अपने कपड़ों में छुपकाता हुआ घर ले जाता है। मगर जहां वह कोशिश कर रहा था उस बच्चे को छुपाने की उसकी रोशनी से सब को अंदाजा हो जाता है कि यह जरूर कुछ ना कुछ लाया है।
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