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Chapter 11: 11

मधु अपने लोअर को तुरंत ऊपर करके वहां से भाग लेती है ! उसकी सांसे तेज से चल रही होती है ! उसके मन में चल रही बेचैनी उसकी सांसें और कदमों से तेज थी ! उसके साथ आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ ना जाने मैं ना अनजाने में !

मधु की योनि कामवासना में बिल्कुल नमी युक्त हो चुकी थी ! मधु धम धम करते हुए सीधा अपने बेड पर आ कर लेट जाती है तभी उसको एहसास होता है कि उसकी योनि कि तड़प और बढ़ती जा रही है ! उसने अपना एक हाथ लोअर के अंदर डाला और प्यार से अपनी मखमली योनि द्वार कि थोड़ा सा ऊपर भगनासे को प्यार से सहलाने लगी ! कुछ ही देर में उसे संपूर्ण तृप्ति की प्राप्ति हुई  ! ऐसा उसने पहली बार किया था  ! उसके चेहरे पर खुशी के भाव थे ! ऐसा लग रहा था ! जिस सुनने की प्राप्ति के लिए वह तड़प रही है उसने उसे प्राप्त कर लिया हो !

बार-बार उसका ध्यान वीर के ऊपर ही जा रहा था ! कब सोचते सोचते रात के 2:00 बज गए उसको पता ही नहीं चला ! नींद है कि आने का नाम ही नहीं ले रही थी ! उसने अपना मोबाइल उठाया और लगी टाइमपास करने ! तभी उसने अपनी एक खास सहेली जिसको उमेश भी जानते हैं उसका मैसेज आ रखा था कि कल उसकी मैरिज एनिवर्सरी है और एक फार्म हाउस जो कि शहर से बाहर है उसमें दिन में 3:00 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत है और जो कि रात 11:00 बजे तक चलेगा !

उसकी सहेली का नाम डॉ ज्योति है और दोनों साथ में ही पढ़ती थी और उसकी शादी भी इसी शहर में हुई है और उसके पति भी पेशे से डॉक्टर हैं और उसके पति का नाम डॉ विक्रांत है

मधु ने ज्योति को अभी मैसेज लिखना शुरू किया कि "यार मैं पहुंच तो जाऊंगी कैसे-कैसे करके पर मैं वहां से जल्दी ही लौट आऊंगी क्योंकि तूने इंतजाम भी शहर से बाहर किया है ! "

2 मिनट बाद ही ज्योति का रिप्लाई आया " देख तू यहां से जाने की टेंशन मत ले मैं तुझे छुड़वा दूंगी लेकिन रुकना तो पड़ेगा तुझे बिल्कुल लास्ट तक"

अब मधु ने थोड़ी सी राहत की सांस ली ! लेकिन मैसेज करने के तुरंत बाद ही उसके मन मैं उधेड़बुन फिर से शुरू हो गई ! काफी मशक्कत करने के बाद भी मधु को जब नींद नहीं आई तो मधु ने उल्टे लेटने का फैसला किया !

नींद आने वाली थी ! तभी अचानक उसके दिमाग मे खुराफाती सोच ने जन्म लिया उसे एहसास हुआ कि पंखे की हवा सीधे उसके नितंबों पर पड़ रही है जैसे वीर फिर से अपनी जीभ से उसके नितंबों के बीच में चाट रहा है ! वह  सोच विचार में इतनी सुध बुध खो चुकी थी कि उसको  यह भी नहीं पता चल रहा है कि वह लोवर पहन कर लेटी हुई है उसने उल्टे लेटे लेटे ही अपना एक हाथ अपने नितंबों पर रखकर कंफर्म किया की लोअर है या नहीं और अपने गद्देदार नितंबों पर थपकी लगाते हुए अपने आप से कहा पागल हूं  !मैं क्या-क्या सोच लेती हूं और धीरे-धीरे मधु को नींद आ जाती है !

सुबह उमेश पहले उठ गए और अपनी दैनिक दिनचर्या में लग गई ! उस कदमों की आवाज से मधु की नींद खुली !

उमेश एकदम से गुस्से में "टाइम तो देखो क्या हो रखा है मुझे ऑफिस जाना है लेकिन महारानी को पता ही नहीं चलता कि कब उठना है कब बैठना है ?"

मधु जवाब में कुछ कहने वाली थी उससे पहले ही उमेश अपने हाथ में टावर लिए सीधा बाथरूम की तरफ चल पड़े !

मधु भागकर सीधा किचन में आ गई रमेश के लिए ब्रेकफास्ट और लंच का टिफिन रेडी कर दिया उमेश ने उसे पल भर के लिए भी नहीं देखा और सीधा ब्रेकफास्ट किया और अपना टिफिन और बैग उठाकर सीधा निकल पड़ा अपने ऑफिस के लिए !

जैसे ही उमेश दरवाजे पर पहुंचा था अचानक वापस मुड़कर मधु से कहने लगता है  !"अरे वह तुम्हारी दोस्त क्या नाम है उसका डॉ ज्योति उसका कोई प्रोग्राम है ! आज का ही हम दोनों को बुलाया है ! मैं नहीं चल पाऊंगा तुम चले जाना आते वक्त कोई टैक्सीवैक्सी कर लेना क्योंकि मैं भी ऑफिस से आज लेट ही आऊंगा" !

मधु उमेश को देख कर मन में सोचती है हे भगवान यही आदमी बचा था क्या मेरे हिस्से का कोई दूसरा पीस भी  नहीं था क्या यह आदमी 1 मिनट के लिए नॉर्मल नहीं होता पता नहीं इसके अंडरवियर में कौन सी लाल मिर्ची सीधी खड़ी हुई है जिसको नॉर्मल होने ही नहीं देती !

मधु का स्वभाव सुबह से ही चिड़चिड़ा हो जाता है और अब खोलकर  अलमारी लग गई ड्रेस ढूंढने जो अक्सर सारी औरतें करती हैं कहीं भी जाने से पहले लास्ट मिनट तक इनका कुछ भी फाइनल नहीं होता !

एक-एक करके उसने अपनी सारी साड़ी और ब्लाउज बेड पर फैला दिया यह मैंने तब पहना था इसका ब्लाउज अब मुझे आएगा नहीं इस वाली साड़ी का अब फैशन चला गया ऐसे कितने ही ख्यालात हर ड्रेस के साथ उसके आ रहे थे !

फाइनली उसने एक डिजाइनर लहंगा  चुन्नी जिसके ऊपर काफी कढ़ाई हो रखी थी और उसके पीछे लेसिस के साथ में कुछ घुंघरू और मोती लगे हुए थे जो एक शानदार लड़ी में पिरो रखे थे !

देखते ही देखते कब 12:00 बज गए पता ही नहीं चला  !तुरंत बाथरूम में नहाने के लिए निकल पड़ी जैसे ही वह नहा कर अपनी पेंटी बदल रही थी ! उसके मन में पता नहीं क्या आया उसने अपने नितंबों को पीछे मुड़ कर देखना शुरू किया तो उसने देखा उसके पेट के मुलायम त्वचा पर कल हुए हमले के कारण तागड़ी वाली जगह पर बदाम छिल  गया है ! अब उसने और पीछे अपने गुलशन कुमार उड़ते हुए झांकने की कोशिश की तो उसने देखा जहां पर वीर का मुंह था वहां पर काटने के निशान साफ साफ नजर आ रहे थे !

उसे तुरंत और गौर से देखा तो पता चला यह सच में ही दांतों के निशान थे !

लेकिन वीर ने यह कब किया मधु को  यह समझ में नहीं आ रहा था ! हादसे के बारे में सोचते हुए उसके पूरे शरीर के रोंगटे रोंगटे खड़े हो गए पूरे शरीर में थम तनी सी फैल गई !

अचानक मधु ने अपने आप को रोकते हुए कहा "यह लड़का मुझे कहीं का नहीं छोड़ेगा" ! इससे तो दूर ही रहना पड़ेगा जब से आया है कुछ ना कुछ तो रोज हो रहा है ! मैं बार-बार क्यों इसके बारे में सोच रही हूं !


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