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80% तू चाहिए / Chapter 4: बेबाक सी hazal

Chapter 4: बेबाक सी hazal

चाहे हमारा ओहदा कैसा भी क्यों न हो हमे हमारी इंसानियत कभी नही भूलना चाहिए।

लड़की तो मेने अपनी लाइफ में कई देखी थी लेकिन जो एक दम बेबाक सी थी तो वो सिर्फ hazal ही थी उसे किसी भी चीज का डर नही था ।

क्योंकि मिट्टी से बनाए हुए इंसान आखिर को मिट्टी में ही जाने वाले है फिर घमड़ की बात की?

स्पोर्ट्स डे का सीजन चल रहा था। हर स्कूल, कॉलेज और बड़े बड़े यूनिवर्सिटी में स्पोर्ट्स का ही बोलबाला था।

टीचर्स क्लास में सबको स्पोर्ट्स डे में पार्टिसिपेट लेने के लिए मोटिवेट कर रहे थे।

मुझे स्पोर्ट्स में काफी दिलचस्पी थी तो मेने भी कुछ इवेंट्स में पार्टिसिपेट किए।

Hazal की टीम ने baseball ⚾ में पार्टिसिपेट किया था और वहीं डेविड की टीम ने भी baseball ⚾ ही पार्टिसिपेट किया था।

इस गेम में डेविड ने मुझे भी सिलेक्ट किया था, मैं इस गेम में नही आना चाहता था लेकिन डेविड और डेविड की टीम ने मुझे बहुत फोर्स किया इसलिए मुझे इनकी टीम को गेम के लिए ज्वाइन करना पड़ा।

अब तो ये मेरे लिए काफी चुनौती वाला सफर बन गया था क्योंकि अब मैं भी hazal की दुश्मनों में शुमार(शामिल) हो गया था।

हमने अपनी प्रैक्टिस स्टार्ट कर दी थी, हमारे यूनिवर्सिटी का एक बड़ा सा प्लेग्राउंड था। हम सब उसी मे प्रैक्टिस कर रहे थे।

Hazal की टीम प्लेग्राउंग में आई और उनलोगो ने हमे प्लेग्राउंड खाली करने के लिए कहा,

डेविड ने सामने आकर प्लेग्राउंड खाली करने से इनकार कर दिया।

Hazal ने गुस्से में आकर डेविड को ⚾ बॉल से दे मारा,

डेविड ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी उसने hazal के हांथ को पकड़ कर मरोड़ दिया, hazal की टीम ने डेविड को धक्का देकर hazal के हांथ को छुड़वाया।

मेने ये सब कुछ पहली बार देखा था अपनी लाइफ में, डेविड जितना जिद्दी था उतना ही गुस्सैल hazal भी थी।

इन दोनो की तो लड़ाई में खूब बनती थी।

इतना कुछ होने के बाद प्लेग्राउंड में बंद कर दी गई, मुझे एक बात की बड़ी हैरत हुई की, प्लेग्राउंड में इतना बड़ा हंगामा हुआ जिस वजह से प्लेग्राउंड में भीड़ लग गई थी लेकिन फिर भी कोई एक भी ऐसा बंदा नही निकला की इस लड़ाई की खबर टीचर या प्रिंसिपल तक पहुंचा दे।

मुझे बहुत ही हैरानी हुई इस बात को लेकर, ऐसा नहीं है की मेने हिम्मत नही की, मेने भी हिम्मत जोड़ी थी की इस खबर को टीचर तक पहुचाऊं लेकिन मेरा किसीने भी साथ नहीं दिया इसलिए मेने भी चुप्पी साध ली, लेकिन ये बहुत ही गलत बात है की किसी का भी झगड़ा शांति से देखना और ये सब देखकर आवाज तक नहीं उठाना बहुत ही गलत बात है, किसका भी झगड़ा देखकर हमे उसे छुड़ाने की कोशिश करना चाहिए ना की सबके साथ मिलकर किसी के भी झगड़े का लुत्फ लेना चाहिए।

इससे समाज में एकता नही बल्कि एक दूसरे के लिए नफरत फैलेगी।

अब डिसाइड आपको करना है की, "आप एक दूसरे के लिए नफरत फेलाएंगे या एकता?

इस लड़ाई की तो अंत ही नही होने वाली है कभी, क्योंकि जब दो लोग एक दूसरे से अलग सोच रखते हो, तो परेशानियां होती ही होती है।

हमने अब तक hazal और डेविड के बारे में ही बात की है, तो चलिए जानते है उनके दोस्तों के बारे में।

डेविड की टीम को 5स्टार के नाम से जानते थे।

ये टीम काफी फेमस थी यूनिवर्सिटी में क्योंकि इनका खौफ स्टूडेंट के सर चढ़ कर बोलता था, इस टीम में 5 लोग थे, जिनका नाम, लीडर में, david था, उसके अलावा 

Micheal, peter, Rocky and Rohit था।

Micheal एक इंटेलिजेंट लड़का था क्योंकि वो कंप्यूटर में जीनियस था और उसके पेरेंट्स फॉरेन कंट्री में रहते थे लेकिन micheal friendship की वजह से यहां स्टडी करने का डिसीजन लिया था।

पीटर एक बड़े बिजनेसमैन का बेटा था, उसके पापा शेयर मार्केट में थे इसलिए वो भी रइस था

रॉकी एक पब्लिसर का बेटा था इसलिए वो अमीर घराने से था।

आखिर में रोहित की बारी आती है वो एक गरीब घराने से ताल्लुक रखता था और वो अपने सपने को पूरा करने के लिए 5 स्टार के टीम में शामिल हुआ था। उसके कुछ बड़े बड़े सपने थे जिसे वो पूरा करना जरूरी समझता था।

उस लड़ाई के बाद Hazal के हाथों में फ्रैक्चर्स आ गए थे जिस वजह से hazal अपनी टीम से बाहर हो गई थी। वो इसकी जिम्मेदार डेविड और उसके पूरे टीम को समझती थी।

Hazal ने भी ठान लिया था की " चाहे कुछ भी हो जाय "वो डेविड की टीम को जीतने नही देगी।

अगले दिन सब क्लास लेक्चर के लिए आए तो सबने देखा की hazal की हाथों में पट्टियां लगी है। लेकिन किसी की भी हिम्मत नही हुई की कोई भी hazal से जाकर इस बारे में पूछ सके।

क्लास में जब आसिफ आया तो सबकी नजर आसिफ पर जम गई सारे hazal को छोड़ कर की तरफ देखने लगे।

ये देख कर hazal को बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उठकर अपने दूसरे हाथ के सहारे बेंच को गिरा दी।

तभी सब अचानक से hazal की तरफ देखने लगे, hazal ने हस्ते हुए कहा, " अभी तो कुछ मिनट पहले कोई सीन चल रही थी ना?

हीरो की एंट्री हुई, लोगो ने उसे बहुत इंपोर्टेंस दिए, "अरे, ये क्या हुआ फिर अचानक से? तुम सबकी नजर मुझपर क्यों आकर रुक गई?

क्यों? हीरो की एंट्री पसंद नही आई क्या आप सबको? "अरे, सब अचानक से खामोश क्यों हो गए?

अब समझी! भला जब यहां हीरोइन मौजूद हो तो हीरो को क्यों देखेंगे सब!

सही कहा न मिस्टर? वैसे क्या नाम है तुम्हारा?

आसिफ ने hazal को गुस्से में घूरते हुए कहा, " मैं पाबंद( जरूरी नही समझना)

नही तुम्हे अपना नाम बताने का।

और अपनी सीट में जाकर बैठ जाता है।

ये देख कर सब लोग आहिस्ते से hazal का मजाक उड़ाते है।

Hazal को आसिफ की ये बात बहुत ही कड़वी लगती है और वो उसके bag के साथ उसके बुक्स भी फर्स (जमीन) गिरा देती है।

क्लास रूम में आसिफ और hazal के सिवाय और भी स्टूडेंट्स वहां मौजूद रहते है।

सबकी नजर hazal और आसिफ पर आकर टिक गई थी।


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