Download App
33.33% Wah Stree Thi Ya Zinn / Chapter 2: EPISODE 01

Chapter 2: EPISODE 01

जब से फैक्ट्री में मेरी दूसरी पाली की शिफ्ट ड्यूटी लगी थी, तब से रात्रि में घर जाने मे काफी देर हो जाया करता था। ऑफिस से घर की दूरी यही करीब एक किलोमीटर की रही होगी।

जब तक बहुत जरूरी न हो, रात मे घर आने-जाने के क्रम में रास्ते मे पड़ने वाली सुनसान और संकरी गलियां, जिनसे होते हुए घर जल्दी पहुँच तो सकता था, पर उन्हे पकड़ना मैं पसंद न करता था। क्युंकि एक तो वहाँ घात लगाकर बैठे चोर–उचक्कों का खतरा रहता, तो दूसरी तरफ कुत्ते बहुत भौंकते थे उधर – जिनसे मुझे बड़ा डर लगता। इसलिए, हमेशा पक्की सड़क वाली मुख्य मार्ग से ही घर लौटा करता।

उस रात हवा बहुत तेज़ चल रही थी मानो जोरों की बारिश होने वाली हो!

"रात के बारह बजने को आए हैं। बच्चे भी सो गए होंगे। पत्नी निर्मला भी मेरे बिना खाना नहीं खाती। खाली पेट वह भी मेरा राह देखती होगी!" - यही सब सोचते और टिफिन बॉक्स हाथ मे लटकाए मैं तेज़ कदमों से घर की तरफ निकल पड़ा।

कुछ दूर चलने के बाद आज उस संकरी और कच्ची गली की राह ले लिया ताकि जल्दी से घर पहुँच सकूँ।

इतनी रात और ऊपर से यह सुनसान और संकरी गली। मुझे डर भी लग रहा था क्यूंकि कुत्ते सतर्क होते दिखने लगे थे, मानो कोई अनजाना-अनचाहा मेहमान चला आ रहा हो उनकी तरफ।

वैसे मानव हो या ये कुत्ते – बिन-बुलाये मेहमान किसी को पसंद नहीं आते। अपने इलाके मे रात में आने-जाने वाले हरेक इंसान को पहचानते हैं ये जानवर। किसी तरह मैं डर–डर के आगे बढ़ता रहा।

चोरों का ख्याल मन मे आते ही शादी मे मिली वो कलाई घड़ी खोलकर जेब मे डाल ली। सासु माँ की अमानत वह घड़ी उनकी आन, बान और शान थी, जिसका कुशल-क्षेम वह अक्सर पूछ ही लिया करती थीं। सुनहरे रंग की उस घड़ी की उच्च गुणवत्ता से सभी को परिचित कराने में गौरवान्वित महसूस करते उनके चेहरे पर उठता वो चमक देखते ही बनता था। नहीं चाहता था कि मेरी पूज्यनीय सासु माँ के मन को तनिक भी ठेस पहुंचे।

इधर गली में भीतर की ओर बढ़ने पर अब वह और संकरी हो चली थी। दो से तीन आदमी एक साथ आ जाएँ तो आगे-पीछे होकर चलना पड़ता। फिर सड़क कच्ची भी थी और कहीं-कहीं से टूटी–फूटी सो अलग। बड़े धैर्यवान होंगे इस गली के निवासी, जो इन रास्तों से रोज आते-जाते होंगे।

मैं महसूस कर रहा था कि दो चीजें इस वक़्त तेज़ी से चल रही हैं– एक तो मेरे दिमाग में बिना सिर-पैर की बातें और दूज़े गली मे बढ़ते मेरे क़दम।

थोड़ा चलने के बाद एक मोड़ आया, जहां एक मस्जिद पड़ता था। मस्जिद के ऊपर लगे बड़े भोपू वाले लाउडस्पीकर के अलावा उस अँधियारे में और कुछ भी बड़े ही मुश्किल से दिख पा रहा था।

पर मैं महसूस कर पा रहा था कि अब बड़ी भीनी-सी खुशबू फैली थी वहां! साथ ही ठंड भी थोड़ी–थोड़ी बढ़ चुकी थी। अपनी धुन मे मैं अपने गंतव्य की ओर बढ़ता रहा।

थोड़ा ही आगे बढ़ा था कि पीछे से किसी के क़दमों की आहट सुनाई देने लगी।

अभी तक कोई तो न था मेरे आसपास! यकायक यह किधर से आ गया? कौन है ये? कोई कुत्ता, कोई चोर, या फिर मेरा भ्रम! डर भी लग रहा था...न लूटना चाहता था मैं, और न ही इंजेक्शन लेने का मन था। इसी संशय में मेरे क़दम और तेज़ होने लगे।

पर क़दमों की वो आहट अभी भी मेरा पीछा कर रही थी।

अभी तक डरावनी होती यह अंधेरी गली भी खत्म नहीं हुई थी...थोड़ा और समय लगता इसे पार करने में। पर अब मुझसे रहा न गया और बड़ी हिम्मत करके पलटकर देख ही लिया।

सफ़ेद साड़ी में लिपटी वह एक स्त्री थी, जो तेज़ क़दमों से मेरी तरफ बढ़ी चली आ रही थी।...


Load failed, please RETRY

Weekly Power Status

Rank -- Power Ranking
Stone -- Power stone

Batch unlock chapters

Table of Contents

Display Options

Background

Font

Size

Chapter comments

Write a review Reading Status: C2
Fail to post. Please try again
  • Writing Quality
  • Stability of Updates
  • Story Development
  • Character Design
  • World Background

The total score 0.0

Review posted successfully! Read more reviews
Vote with Power Stone
Rank NO.-- Power Ranking
Stone -- Power Stone
Report inappropriate content
error Tip

Report abuse

Paragraph comments

Login