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71.42% जिंदगी 1 / Chapter 5: बीते लम्हे 5

Chapter 5: बीते लम्हे 5

मेरी दुनिया ही बदल गयी थी।इक अजीब सा पागलपन छा गया था।कुछ समझ नही आ रहा था।आखिर पहली पहली बार प्यार हुआ था मुझे। वो भी अधूरा ।क्यू प्यार इतना वदल देता है किसी को ,इक पागल पन का दौर छा गया था,मै कुछ नही देख पा रहा था।दिन बीतते गया ।मै और पागल होता गया ।बस इक ही चिज का होस था ।सिर्फ़ क्लास जॉइंन कर ने का ।जो की सिर्फ़ बहना था बस मेरी आँखे तो उसे देखने का इन्तज़ार कर ती थी ।बहुत मुस्किल हो जाता था अगर वो कभी सामने से गूजर जाती थी।अब समझ आ रहा था कैसे इस्क बेबस और मजबुर बना देती है लोगो को ।इतने दिनो मे मैने अपनी मंजिल तो निस्च्त कर ली थी ।पाना था उसे,बस और कुछ नही जिना था उसमे मुझे ,मेरी सांसे अब उसी की याद मे चल रही थी मै जी भी रहा था तो उसके आने के इन्तज़ार मे ।आखिर क्यू होती है इत्नी मुहब्बत ,और मुहब्बत उन से इतनी जबर्दस्त क्यू होती है जिनका मिलना बहुत मुस्किल होता है क्यू किसी को बफा के बदले बफा नही मिलती है अब तो बस ऐसा लगता था की उम्र कट रही है सिर्फ़ उसके इन्तजार मे ।अब तो हर पल एक बेगाना जैसे लग रहा था ।क्यू किसी को खुसी के बद्ले खुसी नही मिलती ।मै सोच रहा था ये सब आखिर प्यार मे क्यू होता है ।बहुत मुस्किल होता है प्यार मे इन्तजर कर ना ।ऐसा लगता था मेरी जिंदगी ही गैर हो गयी थी मेरे लिये,, लेकिन मेरे साथ थी उसकी परछाई जो मेरा हिम्मत बन गयी थी।बहुत कुछ सोच रहा था मै । बस इसी तरह समय बित रहा था ।मै अपनी मुह्हबत मे खुस था ।वो इन सब से बेखबर अपनी जिंदगी जी रही थी।

ऐसा नही था की हम कभी मिलते नही थे या हमारी बाते नहीं होती थी।हम सब साथ मिल ते थे क्लास वर्क कर ते थे पर इस से ज्यादा कुछ नही ।उसका एहसास ही मुझे रोमांचित कर देता था ।बस थोरी हसी मजाक हो जाया कर ती थी । इक बार सर ने एक प्रसन दिया था ,और वो उसे सोल्व कर रही थी ,बहुत ध्यान से कर ती थी वो किसी भी काम को और उसमे इक जुनून था किसी भी काम को कर ने मे।उसकी ये बाते मुझे और दिवाना बना दी थी ।इक बार वो इसी तरह कुछ कर रही थी और मै उसे देखे जा रहा था ।कित्नी हसीन लग रहो थी।अचानक वो अपनी सीर को उपर उठाई मैने तुरंत अपनी सीर को हटाया ।लेकिन सायद उसने मुझे देख लिया था ।इस तरह घुर्ते हुए ।मुझे बहुत बुरा लग रहा था जब उसने मुझे देख लिया था ।लेकिन मै तो बस उसके बारे मे सोच रहा था । इसमे मेरी क्या गलती ।इसी तरह कई दिन बित ग्ये ।

इक दिन ऐसे ही हमारे क्लास की छूटी थी ।मै अपने रुम मे ही बिस्तर पर लेटा था ,तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी । इक अपरिचित नम्बर से फ़ोन आ रहा था ।मैने नही रेसिब किया ।फिर कुछ देर बाद वही नम्बर से कॅल आया।इस बार मैने कॉल पिक किया ।उधर से इक धीमी आवज आयी। ओलिवर , मैने बोला हा कोन ?उधर से आवज आयी ,'तनिशा 'मैं थोरा सा सरप्राइज हुआ ।मैने बोला कैसी हो ,आज इस समय वो भी अचानक कोई बात है क्या,उधर से आवज आई,

नही कोई बात नही बस ऐसे ही फ़्री थी तो सोचा की कॉल करु ,मैने तुरंत जबाव दिया कोई बात नही ,और बताओ कैसी हो,

हा ठीक ही हू , बहुत धीमी आवाज थी उसकी , मैने बोला ,तनिशा ,कोई प्रोब्ल्म है तो बतओ ,उसने बोला नही ,और फिर वो बोली ठीक है कोई बात नही मै फ़ोन रख रही हू ,और मै कुछ बोलता उस से पहले ही उसने कॉल कट कर दिया । मुझे कुछ अजीब लगा । फिर भी मैने कुछ रिपलाय नही दिया।मै अपने काम मे फिर से लग गया ।अभी लगभग आधे हन्टे बीते होन्गे तभी मेरे फ़ोन की घंटी फिर से बजी । मैने फ़ोन देखा फिर से उसी का कॉल था ,इस बार उसने बिना कुछ पुछे ही बोला ,फ़्री हो क्या,मेरे मुह से भी बिना कुछ सोचे ही निकल गया,हाँ बिल्कुल बताओ क्या कर ना है ,उसने बोला मुझे कही चलना है । मैने उससे ये नही पुछा कहाँ जाना है ,मैने भी तुरंत ही बोला ,ठीक है बतओ कहाँ आना है ,उसने बोला पास वली जो शॉप है वही मिलते है ,मै भी

तुरंत तैयार हुआ और निकल परा ।लगभग मुझे वहाँ पहुचने मे 20मिंनट लग गये ।वो पहले से ही वहाँ आ गयी थी,मैने उस से बिना कुछ पुछे ही बोला बतओ कहाँ चलना है ? उसने कोई जवाब नही दिया। बस वो औटो को रुकने का इशारा कर रही थी ।कुछ देर बाद एक औटॉ आ के रकी ।हम दोनो उसमे बैठ गये ।लगभग आधे घन्टे चलने के बाद हम इक चौराहे पे पहुच्चे ।हमने वहाँ औटॉ छोरा,और उसने मुझे रुकने का इशारा किया और वो गिफ्ट शॉप के अंडर चले गयी ।कुछ देर बाद वो कुछ हाथ मे लिये वापस आयी । उसके हाथ मे कुछ बरा सा था ।मैने भी कुछ नही पुछा और उसने भी कुछ नही बतया। फिर उसने अपना फ़ोन निकला और कही बात की फिर उसने मुझेसे बोला की क्या तुम कुछ देर और वेट करो गे प्लीज । मैने बोला ओके नो प्रॉब्लम कोई बात नही ।फिर वो कही गयी,लगभग एक घन्टे तक मै वही वेट कर ता रहा लेकिन वो नही आयी ।मैने कॉल लगया उसे उसने कॉल रीसिब नही किया ।कुछ देर बाद मैने उसे देखा वो अपने हथो मे वही गिफ्त लिये वापस आ रही थी ,लेकिन इस बार उसके चेहरे पे उदासी साफ झलक रही थी ।मुझे वो कुछ लाचार सी लग रही थी । फिर भी मैने कुछ नही बोला । वो आयी और चुप चाप बैठ गयी ।मै उसे देखता रहा दोनो चुप रहे । मैने इन्तजार किया उसके कुछ बोलने का , कुछ देर बाद उसने खुद से बोला की ,अगर तुम्हारे पास टाईम हो तो हम कही चले क्या ? मैने बोला हाँ ।


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