अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा
दिल के कारनामें
ख्वाहिशे बहूत थी इस दिल की जिसकी हमने क़ब्र खोद रखी है
दफना दिए वो सारी खुशियाँ जो हमारे तकदीर में नहीं है
यूँ तो हज़ारो जख्म खाये है इस कम्बक़्त दिल ने
फिर भी मुस्कुराते रहा जैसे कुछ हुआ ही नहीं है