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90% aawara ashiq / Chapter 9: मज़बूरीयां -4

Chapter 9: मज़बूरीयां -4

सुशीला आश्चर्य और रोमांच से भरी दोनों के देख रही थी उस के मन में कई सवाल उठ रहे थे माया की योनि में उठती उन्माद की तरंगे अब धीरे शांत होने लगी उसे अब दर्द होने लगा बाबूजी का लोड़ा उसके गर्भाशय में फंसा हुआ था दोनों अब शांत हो गए थे बाबूजी सुशीला के गालों को चूम रहे थे सुशीला ने आगे सरक कर अलग होना चाहा मगर हो ना सकी लोड़ा अभी भी योनि में फंसा हुआ था उसने लोड़ा बाहर निकालने के लिए कहा तो बाबू जी ने उठकर उसे बाहर की ओर खींचा फच्च की आवाज के साथ उनका विकराल लन्ड बाहर आ गया सुशीला का मुंह खुला रह गया उसकी आंखें आश्चर्य से फैल गई इतना प्रचंड और विकराल लंड देख कर उसके मन में उठे सवाल शांत हो गये थे वो मंत्रमुग्ध सी उसको निहार रही थी उस का रोम-रोम रोमांच से भर गया उत्तेजना और कामवासना उस पर हावी होने लगी बाबूजी बेड पर लेट गये उनका लोड़ा तना खड़ा था सुशीला कामोन्माद से भर कर उनके पास पहुंची और कांपते हाथों से उसको पकड़ा वो उसकी हथेली से भी ज्यादा मोटा था उसको छुते ही मानों करंट उसकी योनि में दौड़ गया लिंग को अपनी हथेली में लेकर वह रोमांचित हो रही थी उसकी घड़कन बढ़ गई और दिल उछलने लगा उत्तेजना से उसका बुरा हाल था उसकी सांसें बहुत तेज़ हो गई तभी माया उठ कर उसके पास आई और उसकी चूचियों को मसलते हुए उसके पतले होठों को अपने होठों में भर कर बेतहाशा चूमने लगी इधर बाबूजी ने अपने पैर को उसकी टांगों के बीच ले जाकर अपने अंगूठे से उसकी योनि को सहलाने लगे उसने चौक कर अपनी आंखें खोली बाबूजी ने सुशीला के हाथ पर हाथ रखकर अपने लोड़े को सहलाना शुरु किया अपनी हथेली में उस विशाल लंड की रगड़ को महसूस कर के उसकी योनि भीग गई फिर माया ने उसके ब्लाउज को खोल कर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया सुशीला की चूचियां देखकर बाबूजी के मुंह से लार टपकाने लगी उन्होंने आगे आ कर उसकी चूचियों को मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसकी धड़कने तेज हो गई और उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी वे बारी बारी से दोनों निप्पलों को चूस रहे थे सुशीला उनके लिंग को सहला रही थीं और माया उसके जिस्म को कपड़ों की कैद से मुक्त कर रही थी थोड़ी देर में ही तीनों निर्वस्त्र थे सुशीला के नंगे बदन को देख कर बाबूजी उत्तेजित हो गए उन्होंने सुशीला को बेड पर खींच लिया सुशीला उनके ऊपर गिर पड़ी बाबू जी ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूसने लगे सुशीला उत्तेजना के कारण अपने जिस्म को उनके जिस्म पर रगड़ने लगी बाबूजी ने उसके जिस्म के हर कोने में अपने होठों की मोहर लगा दी वह रोमांचित हो उठी उसने नीचे झुक कर लिंग को चूसना शुरू किया मगर वह कुछ ज्यादा ही मोटा होने कारण उसे अपने मुंह में नहीं ले सकी जब काफी कोशिशों के बाद भी वह सफल नहीं हुई तो बाबूजी ने उसके सिर को पकड़कर एक जोरदार धक्का लगाया तो लौड़ा उसके मुंह में घुस गया माया उठकर बाबूजी के मुंह पर आ कर बैठ गई और अपनी योनि को उनके होठों पर रख कर चटवाने लगी बाबूजी बेड पर लेटे-लेटे माया की योनि को चाट रहे थे और सुशीला उनकी टांगों पर बैठी लौड़े को चूस रही थी माया ने सुशीला के चूतड़ों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और झुक कर उसकी योनि को चाटने लगी तीनों एक दूसरे को बेतहाशा आनंदित कर रहे थे

सुशीला के चेहरे पर डर के भाव उत्पन्न होने लगे वो बिस्तर पर लेटे हुए थे और बाबूजी उसकी टांगों को फैला कर चूदाई के मूड में थे जैसे ही उन्होंने लिंग मुंड को उसके योनि द्वार पर सटाया उसके शरीर में सिरहन सी दौड़ गई उसे अब डर लगने लगा था और जल्दी उसका डर हकीकत में बदल गया बाबूजी का लोड़ा उसकी योनि को चीरता हुआ आगे बढ़ने लगा उसकी योनि फटने लगी थी वह दर्द से छटपटा रही थी बाबूजी ने उसके जिस्म को अपनी बाहों में भर कर एक जोरदार प्रहार किया सुशीला चिल्ला पड़ी दर्द से उसका बुरा हाल था उसकी योनि मैं बहुत दर्द हो रहा था वो चिल्लाने लगी और बाबूजी को छोड़ने के लिए कहने लगी बाबूजी ने रोककर उसे समझाया कि थोड़ा सब्र करो तो तुम्हें बहुत मजा आएगा और मुझे भी सुशीला का बुरा हाल था वह गिड़गिड़ा रही थी उसकी आंखों से आंसू निकल आए थे उसे देख कर बाबूजी का मन पसीज गया और उन्होंने अपना लोड़ा बाहर निकाल लिया सुशीला की योनि से खून बह रहा था और थोड़ा सा खून बाबूजी के लन्ड पर लगा हुआ था माया ने उसकी योनि को देख कर मुस्कुरा दी और अपनी एक आंख दबाकर बोली दीदी आपकी योनि का उद्घाटन हो गया अब ज्यादा दर्द नहीं होगा कसम से थोड़ा सा प्रयास कर लो तो जन्नत का मज़ा आने लगेगा सुशीला ने गुस्से में उसकी तरफ देखा माया ने तेल लेकर बाबूजी के लोड़े पर मलने लगी तेल मालिश के बाद उनका लोड़ा चमकने लगा बाबूजी ने सुशीला की योनि को चाटना शुरू किया तो वह मुस्कुरा कर बोली इस बार थोड़ा धीरे धीरे करो बाबू जी ने उसकी टांगों को फैला कर अपने कंधों पर रख लिया और दोनों हाथों से उसके कंधों को थाम कर अपना लिंग उसकी योनि में घुसाने लगे जैसे-जैसे लोड़ा अंदर जा रहा था सुशीला की आंखें फटी जा रही थी बाबू जी ने धीरे-धीरे करके धक्के लगाना शुरू किया लोड़े की रगड़ से उसे भी मज़ा आने लगा बाबूजी थोड़ा थोड़ा आगे बढ़ते हुए अपना लौड़ा उसकी योनि में घुसा दिया था सुशीला ने चिल्लाना शुरू किया तो बाबू जी ने उसके होठों पर अपने होंठ रख कर उसकी आवाजों को दबा दिया वो छटपटा रही थी मगर बाबूजी उसकी परवाह किए बिना अपने लिंग को योनि में पेल रहे थे थोड़ी देर बाद सुशीला ने विरोध करना बंद कर दिया उसे भी अब मजा आने लगा बाबूजी ने उसे बाहों में भर लिया और उठकर खड़े हो गए सुशीला उनकी गोद में किसी बच्चे की तरह थी जैसे ही उन्होंने अपना लौड़ा बाहर खींच कर अंदर डाला तो सुशीला चीख पड़ी बाबूजी का लोड़ा उसके गर्भाशय से जा टकराया था उन्होंने बिना रुके सुशीला को उछाल कर धक्के लगाना शुरू कर दिया उनके लोड़े का हर घक्का उसकी उत्तेजना को बढ़ाने लगा धीरे-धीरे सुशीला को भी मजा आने लगा उसका दर्द अब गायब हो चुका था और योनि का आकार फैल गया था ताबड़तोड़ चूदाई से सुशीला उत्तेजना के शिखर पर पहुंच गई थी और उसकी योनि में बरसना शुरू कर दिया उसकी योनि का रस बहकर लौड़े को भीगोकर बाहर टपकने लगा बाबूजी ने उसे वापस बिस्तर पर लेटा दिया और अपना लौड़ा निकाल कर उसकी योनि के रस को चाटने लगे थोड़ी देर चाटने के बाद उन्होंने सुशीला को घोड़ी बना दिया और उसके पीछे पहुंचकर दोनों हाथों से उसके कूल्हों को पकड़ कर अपने लोड़े को घुसा दिया सुशीला सिसकारियां भरते हुए अपने चूतड़ों को हिला हिला कर चोदने में सहयोग करने लगी बाबूजी उत्तेजना से भरी उसकी योनि को कुचलने लगे एक बेहतरीन चूदाई के बाद आखिरकार बाबूजी मंजिल के करीब पहुंच गए और एक जोरदार प्रहार के साथ उनका लिंग मुंड उसके गर्भाशय में समा गया सुशीला चिल्ला पड़ी उसकी टांगें कांपने लगी तभी बाबूजी के लोड़े ने वीर्य उगलना शुरू किया उनके गर्म वीर्य की पिचकारी ने सुशीला को चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया वह भी कांपने लगी दोनों एक साथ झड़ गए जैसे ही लौड़ा उसकी योनि से बाहर आया माया और सुशीला एक साथ उस पर टूट पड़ी दोनों अपनी जीभ से उसे चाट रही थी दोनों में होड़ मची हुई थी ज्यादा से ज्यादा चाटने की बाबूजी का लोड़ा अभी भी पूरी तरह अकड़ा हुआ था थोड़ी देर चाटने के बाद सुशीला लेट कर अपनी सांसो को संभाल रही थी इधर माया के दिल में एक क्रांतिकारी विचार जन्म ले चुका था उसने तेल की शीशी लेकर बाबूजी के लोड़े की मालिश शुरू की और ढेर सारा तेरा लगा दिया बाबू जी लेटे हुए मालिश का मजा ले रहे थे तभी माया ने ऊपर आकर लोड़े को अपनी गांड से सटा दिया और उछलकर एक ही बार में आधा निगल गई इस बार दोनों कि चीख एक साथ निकली थी उसकी गांड फटी जा रही थी मगर उत्तेजनातेजना की खुमारी उस पर हावी थी और उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया अब बाबूजी ने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए जैसी माया की गांड नीचे को आती बाबूजी नीचे से धक्का मार कर अपना लौड़ा अंदर धकेल देते दोनों एक साथ ताल से ताल मिला कर लगे हुए थे थोड़ी देर ऐसे ही चूदाई के बाद माया थकने लगी तो बाबू जी ने उसे बाहों में लेकर किसी बच्चे की तरह गोद में उठा लिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया माया की हालत बिगड़ने लगी इतना मोटा लौड़ा उससे सहन नहीं हो रहा था उसकी गांड फटी जा रही थी ऐसे लग रहा था मानो कोई मोटा सा डंडा उसकी गांड में डाल रहा हों वह गिड़गिड़ाने लगी और बाबूजी को रुकने के लिए बोलने लगी मगर बाबूजी अपनी मस्ती में डूबे उसकी गांड को ताबड़तोड़ चोद रहे थे माया की गांड में बहुत दर्द हो रहा था उसकी आंख से आंसू बहने लगे तो बाबूजी को उस पर दया आ गई और उन्होंने उसे नीचे उतार दिया उनका लिंग अभी भी पूरा तनाव में था अब बाबू जी ने सुशीला की और देखा और एक आंख दबाकर अपने लोड़े पर हाथ फेरते हुए उसके पास पहुंच गए लोड़े पर थोड़ा सा तेल लगाने के बाद उन्होंने माया की टांग पकड़कर अपने कंधे पर रख ली और झुक कर उसके निप्पल को मुंह में भर कर चूसने लगे थोड़ी देर चूसने के बाद उसके होठों पर अपने होंठ रख कर लौडा उसकी गांड से सटा दिया अरे जोरदार धक्के के साथ अंदर घुसा चीखना चाहती थी मगर उसकी चेक अंदर ही दब कर रह गई जैसे-जैसे बाबूजी का लोड़ा उसकी छोटी सी गांड को चोदता हुआ आगे बढ़ रहा था उसका दर्द उतना ही बढ़ता जा रहा था वह छटपटा रही थी मगर बाबूजी के मजबूत बाहों में कैद चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी आखिरकार उसने अपनी आंखें बंद कर ली और बाबूजी को सहयोग करने लगी थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और उसने अपने चूतड़ों को उछालना शुरू कर दिया यह देखकर बाबूजी जोश से भर गए और अपनी स्पीड बढ़ा दी सुशीला में कांपते हुए बोला बाबू जी थोड़ा रहम करो आज इसका उद्घाटन हुआ है यह सुनकर बाबू जी हंस पड़े कहने लगे मुझे पता नहीं था सॉरी गलती हो गई और उन्होंने तेल की शीशी लेकर थोड़ा सा तेल अपने लोड़े पर लगा लिया और धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू कर दिया अब सुशीला को और भी ज्यादा मजा आने लगा तो उसने थोड़ा तेल और लगाने को कहा अब तो उसकी गांड फैल कर गाजियाबाद बन चुकी थी उसे अब भरपूर मजा आ रहा था उसने बाबूजी को बाहों में भर कर करवट बदल ली आप ऊपर आ कर उछल उछल कर चोदना शुरू कर दिया आधे घंटे की पलंग तोड़ चूदाई के बाद आखिरकार बाबू जी मंजिल पर पहुंच गए और उसकी छोटी सी गांड को अपने वीर्य से भर दिया जो लोग पसीने से लथपथ बुरी तरह हाफ रहे थे

उस दिन तीनों ने पूरा दिन और पूरी रात जी भर कर अपनी वासना को शांत किया और उस दिन के बाद तो तीनों जब मन होता जी भर के चूदाई चूदाई खेलते थे

दोस्तों कृपया अपने सुझाव अवश्य दें अगर आपको कहीं त्रुटि नजर आए तो कृपया कर मुझे बताएं


Chapter 10: खामोशियां

इस कहानी के सभी पात्र एवं घटनाएं वास्तविक है बात उन दिनों की है जब मैं एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में बतोर सुपरवाइजर नौकरी करता था मैंने एक कमरे का फ्लैट किराए पर लिया हुआ था और घर के काम के लिए एक नौकरानी रखी हुई थी जिसका नाम रजिया था वह एक बिहारी मुस्लिम थी उसकी उम्र लगभग 40 के आसपास थी मैं उस समय 23 साल का भरपूर नौजवान एक औसत मगर कसरती बदन का लड़का था रजिया पतली दुबली थी मगर उसकी चूचियां और चूतड़ों की बनावट देखते ही बनती थी पतली छरहरी काया पर उसकी मोटी मोटी चूचियां और गोल मटोल चूतड़ों का अलग ही मजा था रजिया मेरे घर का झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाती थी और हफ्ते में दो बार मेरे कपड़े धोती थी वह मोहल्ले के और भी घरों में काम करती थी मगर मेरे यहां वह सुबह ही आ जाती थी अक्सर वही मुझे नींद से उठाती थी उसके आने के बाद मैं फ्रेश होकर उसके साथ चाय पीता था फिर मैं नहा धोकर तैयार होने चला जाता और वह नाश्ता और खाना बनाकर चली जाती थी शुरू में दो-तीन महीने सामान्य गुजरे फिर धीरे-धीरे वह मुझे अपने और परिवार के बारे में बताने लगी उसके परिवार में उसके पति के अलावा एक देवर और सास थे उसका पति और देवर सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे उनके कोई औलाद नहीं थी उसका पति रिजवान शराबी था और अक्सर उसे मारता पीटता था रजिया मुझे अपने घर की हर बात बताती थीं मेरे कपड़े धोने के लिए वह दोपहर में अपना काम निपटा कर आ जाती थी मैं सुबह निकल जाता था और शाम को वापस आता था जिस दिन उसे कपड़े धोने होते थे तो कमरे की चाबी उसे दे देता था एक दिन जब रजिया ने कपड़े धोने के लिए चाबी मांगी तो मैंने उसे दे दी संयोग से उसी दिन दोपहर में किसी काम से मैं कमरे पर आ गया कमरे का दरवाजा ढका हुआ था मगर कुंडी बंद नहीं थी मैं दरवाजा खोलकर अंदर पहुंचा तो रजिया के गुनगुनाने की आवाज बाथरूम से आ रही थी जैसे ही मैं बाथरूम के दरवाजे पर पहुंचा तो चौक पड़ा बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था रजिया मेरे कपड़े धोने के बाद बाथरूम में नहा रही थी शावर के नीचे खड़ी हुई वह कोई बिहारी लोकगीत गुनगुना रही और अपने जिस्म पर साबुन लगा रही थी वैसे तो कपड़ों के अंदर से उसके जिस्म की बनावट का अंदाजा मुझे पहले से ही था मगर उस दिन उसके बेपर्दा जिस्म को देखकर एक अलग ही मजा आया मैं तो आंखें फाड़ फाड़ कर उसके जिस्म की बनावट को निहार रहा था उसकी मोटी मोटी फूली हुई चूचियां और उन पर काले अंगूर के जैसे मोटे मोटे निप्पल और बोल मटके जैसे उसके गोल मटोल चूतड़ों को देखकर मेरा लौड़ा तन कर खड़ा हो गया था जजिया को मेरे आने का पता नहीं चला था वह अभी भी शावर के नीचे खड़ी हुई अपने जिस्म पर साबुन रगड़ रही थी जैसे ही उसकी नजर मुझ पर पड़ी तो कुछ देर के लिए वह भी सन्न रह गई और फिर जैसे ही उसे होश आया तो घूम कर अपने गोल मटोल चूतड़ों को मेरी तरफ घुमा दिया हमारी नजरें मिलते ही मुझे भी थोड़ी शर्म महसूस हुई तो मैं घबरा कर बोला मुझे लगा आप कपड़े धो रही होगी और आपने दरवाजा भी बंद नहीं किया था वह घबराते हुए बोली आप कभी आज से पहले दोपहर में नहीं आए इसलिए मैंने दरवाजा बंद करना जरूरी नहीं समझा मैंने कहा मुझे कुछ काम था इसलिए आना पड़ा यह कहकर मैं दरवाजे से हट गया और अपने कमरे में आ गया तभी रजिया की आवाज़ सुनाई पड़ी उसने मुझसे टॉवल मांगा उसके कपड़े भी कमरे में पड़े हुए थे वह कपड़े धोने के बाद नहाने चली गई थी मैंने उसे टॉवल देने के बहाने एक बार फिर से उसके नंगे जिस्म को जी भर के निहारा कुछ देर आंखें सेकने के बाद मैं वापस कमरे में आ गया रजिया अपने जिस्म पर टावल लपेटकर कमरे में आ गई टॉवल उसके जिस्म को ढकने में असफल था उसने जैसे ही झुक कर अपने कपड़े उठाएं तब टॉवल उसके जिस्म से सरक कर नीचे आ गिरा उसने अपना मुंह घुमा लिया और कपड़े पहनने लगी कपड़े पहनने के बाद उसने धुले हुए कपड़ों को छत पर फैलाया और चली गई उस दिन के बाद जब भी रजिया मुझे देखती तो शर्मा के अपनी आंखें नीचे झुका लेती थी धीरे-धीरे समय गुजरता गया और एक दिन जब रजिया बर्तन मांज रही थी तो मैं खाना खाकर बर्तन सिंक में रखने के लिए गया जैसे ही मैंने बर्तनों को सिंक मैं रखा तो मेरा लौड़ा उसके चूतड़ों से रगड़ गया वह अचानक चौंक पड़ी मैंने भी जानबूझकर नहीं किया था अचानक ही हो गया उसके मोटे और नरम चूतड़ों के एहसास में एक अलग ही नशा करा और मैं कुछ देर ऐसे ही खड़ा था उसके दिल की धड़कनें तेज हो गई हम दोनों कुछ देर ऐसे ही खड़े रहे फिर वह शर्मा कर एक तरफ हट गई और मेरे तने लोड़े को तिरछी नजरों से निहारने लगी मेरा तना हुआ लौड़ा साफ नजर आ रहा था अपना काम खत्म करके वो चली गईं उसके बाद अक्सर वह मेरे लोड़े को छुप छुप कर देखने लगी और मैं भी लोड़े का एहसास उसके मोटे और गुदाज़ चूतड़ों पर करवा देता था समय बीतता गया और एक दिन जब वह झाड़ू पोछा कर रही थी मैं आलस्य के मारे बिस्तर पर लेटा हुआ था तभी मेरा ध्यान उसके कुर्ते के अंदर से झांकते उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर गया उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे उसकी आजाद चूंचियां साफ नजर आ रही थी उन्हें देखकर उत्तेजना के कारण मेरा लौड़ा तन कर खड़ा हो गया मैंने भी सिर्फ नेकर पहना हुआ था उसने जब मुझे अपनी चुचियों को देखते हुए पाया तो वह भी और ज्यादा झुक कर मुझे उनका दीदार करने लगी वह भी अपने तिरछी नजरों से मेरे लोड़े को देख रही थी अपना काम खत्म करके मुस्कुराते हुए मुझसे बोली आज फ्रेश नहीं होना है क्या जल्दी फ्रेश हो लो मैं चाय बना रही हूं और जाते जाते तिरछी नजरों से मेरे तने हुए लोड़े को देख कर मुस्कुराई और किचन में जाकर चाय बनाने लगी मैं उठ कर सीधा किचन में पहुंच गया और अपना तना हुआ लौड़ा उसके चूतड़ों से सटा दिया उसने भी अपना जिस्म पीछे की तरफ सरका कर मेरे पास आ गई है मेरा लौड़ा उसके चूतड़ों के बीच जा धंसा और मैं उसको रगड़ने लगा रजिया भी उत्तेजित होने लगी उसके मुंह से हल्के सिसकारियां निकलने लगी मैंने अपना नेकर उतार कर अपने नंगे लोड़े को उसके चूतड़ों के बीच में रगड़ने लगा और उसे बाहों में भर कर उसके गालों को चूमने लगा उस पर भी मदहोशी छाने लगी और उसने अपने जिस्म को मेरे जिस्म से सटा दिया मैंने अपना एक हाथ उसके कुर्ते में डाल कर उसकी चूचियां दबाने लगा और दूसरा हाथ उसकी सलवार में डालकर उसकी योनि को सहलाने लगा उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और उसने अपने चूतड़ों को मेरे लोड़े पर रगड़ना शुरु कर दिया मुझे उसकी योनि को सहलाने में थोड़ी परेशानी महसूस हो रही थी क्योंकि उसका नाडा कुछ टाइट था मैंने दूसरे हाथ से उसका नाड़ा खोल दिया और उसकी योनि को सहलाने लगा लोड़ा खुलते ही उसकी सलवार सरक कर नीचे आ गिरी अब उसके नंगे चूतड़ों को मेरे तने हुए नंगे लोड़े का एहसास हो रहा था उत्तेजना से भर कर वह अपने चूतड़ों को मेरे लोड़े पर रगड़ने लगी मैंने भी अपनी दो उंगलियां उसकी योनि में डालकर हिलाने लगा वह उत्तेजना के शिखर पर पहुंचने लगी उसकी सिसकारियां इस बात की गवाही दे रही थी कि वह जल्दी ही संखलित होने वाली है मैंने भी अपनी उंगलियों को तेजी से उसकी योनि में अंदर बाहर करते हुए उसे उत्तेजना के चरम पर पहुंचा दिया उसकी योनि भीग चुकी थी और जल्दी ही वह किसी मछली की तरह तड़पती हुई मेरी बाहों में झड़ गई उसकी सांसे उखड़ी हुई थी चेहरे पर पसीना और सुकून का भाव था उसने अपने होठों को मेरे होठों से सटाकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया मैंने भी उसकी योनि को काफी देर तक सहलाया फिर जैसे ही वो अपनी सलवार उठाने के लिए झुकी तो मेरा लिंग मुंड घप्प से उसकी योनि में समा गया आईं मां की आवाज के साथ वह चौक कर सीधी खड़ी हो गई और मुड़कर मेरे लोड़े को देखने लगी उस पर उसकी योनि के रस की कुछ बूंदे लग गई थी उसने नीचे बैठकर मेरे लोड़े को छूकर देखने लगी उसकी आंखें आश्चर्य से फैल गई थी ऐसे लग रहा था मानो पहली बार इतना बड़ा लौड़ा देखा हो उसने उसे सहलाते हुए मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली यह तो बहुत बड़ा है मैंने भी अपनी एक आंख दबाकर मुस्कुराते हुए कहा तुम्हारे लिए ही है उसने शर्मा कर अपनी गर्दन झुकाए मेरे लोड़े को सहलाने लगी मैंने भी अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया वो एक बार फिर उत्तेजित होने लगी मैंने अपना लौड़ा उसके होठों से लगा दिया तो उसने अपना मुंह खोल कर मेरा लिंग मुंड अपने मुंह में भर लिया और अपनी जीभ से चाटने लगी मैं तो मानो हवा में उड़ने लगा इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊं मैंने अपना लौड़ा उसके मुंह में घुसा दिया और धक्के लगाने लगा तभी वह मेरा लौड़ा बाहर निकाल कर खांसने लगी उसे तकलीफ हो रही थी हाय अल्लाह कितना मोटा है तुम्हारा मेरे से तो मुंह में भी नहीं लिया जा रहा इसने तो मेरी सांसे ही थाम ली थीं मुझे भी हंसी आ गई उसने दोबारा से लिंग मुंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया काफी देर कोशिशों के बाद आखिरकार मैं भी अपनी मंजिल के करीब पहुंच गया और मैंने उत्तेजना में लड़खड़ाते अल्फाजों से कहा बस अब मैं झड़ने वाला हूं मगर उस पर कोई असर नहीं हुआ वह मेरा लौड़ा चूसने और सहलाने में मस्त थी तभी मेरी नसों में करंट सा दौड़ गया और मैं उसके मुंह में झड़ गया वह मेरा वीर्य मजे लेकर चाट रही थी मेरे लोड़े को जी भर के चाटने के बाद उसने मुझे बाहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगी थोड़ी देर बाद उसने कपड़े पहने और चली गई

अब तो हम दोनों अक्सर एक दूसरे की प्यास बुझाते रहते थे मगर जब भी मैं उसको चूदाई के लिए इस बोलता तो घबरा जाती थी और मना कर देती थी मैं इतने से ही संतुष्ट हो गया और जब भी मौका मिलता तो उसकी जवानी के मजे लूटता था फिर एक दिन मैं बाजार से वापस आ रहा था तो रास्ते में घर के पास मुझे वह मिल गई हल्की बारिश शुरू हो गई थी और वह अपना काम खत्म करके वापस घर जा रही थी दोपहर का समय था आसमान में काले बादल छाए हुए थे हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई थी मुझे देख कर वह रुक गई मैंने उसे पूछा काम निपट गया तो उसने मुस्कुराकर जवाब दिया हां बस घर जा रही हूं मैंने उसे चाय के लिए पूछा तो उसकी चेहरे पर शरारती हंसी दौड़ गई कहने लगी चाय ही पीनी है या कुछ और मैंने कहा जो आपकी मर्जी हम तो कुछ भी पी लेंगे वह बाइक पर मेरे पीछे बैठ गई और बोली ज्यादा देर नहीं रुक पायेगी मैंने बाइक आगे बढ़ा दी अचानक बहुत तेज बारिश शुरू हो गई घर तक पहुंचते-पहुंचते हम दोनों पूरी तरह भीग गए कमरे का पहुंचकर उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगी आज पहली बार उसने शुरुआत की थी नहीं तो हर बार मुझे शुरुआत करनी पड़ती थी हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसते हुए कमरे में दाखिल हुए और एक दूसरे के जिस्म को कपड़ों की कैद से आजाद करने लगे कुछ ही पलों में हम दोनों निर्वस्त्र एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए थे मेरे तने हुए लोड़े को देखकर उसने कहा क्या तुम्हारा हर समय खड़ा रहता है जब भी देखो सिपाही की तरह तना रहता है मैंने कहा इसमें इस बेचारे का कोई कसूर नहीं तुम्हारी जवानी इतनी मादक है कि तुम्हें देखते ही इसका मन तुम्हें चोदने को करने लगता है वो खिलखिला कर हंस पड़ी और मुझे अपनी बाहों में भर लिया जैसे ही उसने मुझे बांहों में भरा मेरा तना हुआ लोड़ा उसकी योनि से जा टकराया वह दर्द से कराह उठी और अपनी आंखें तरेर कर मेरे लोड़े को देखने लगी और बोली इसे ना इस से दूर ही रखा करो मेरी गांड फटती है जब यह मेरी चूत को छूता है हम दोनों हंसने लगे मैंने उसे बाहों में उठा लिया और बाथरूम में आ गया बाथरूम में आकर मैंने उसे शावर के नीचे खड़ा किया और शावर चला दिया हम दोनों के नंगे जिस्म पर गिरती वह पानी की बूंदे हम दोनों को वासना की आग में और ज्यादा जला रही थी उसने मेरे होंठों को अपने होठों में भर लिया और अपनी जीभ को अंदर डाल कर मेरी जीभ पर रगड़ने लगी मेरे लोड़े में करंट सा दौड़ गया और मैंने अपना लौड़ा उसकी टांगों के बीच में डालकर उसकी योनि से रगड़ने लगा मेरे हाथ उसकी चुचियों पर कहर ढा रहे थे मेरी उंगलियां उसके निपल्स को मसलते हुए उसकी उत्तेजना को भड़का रही थी हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से खेलते रहे फिर उसने मेरे होठों को आजाद कर दिया और मेरा सिर अपनी चुचियों पर ले जाकर अपने निप्पलों को चूसा ने लगीं उसके मुंह से बेहतरीन सिसकारियां निकलने लगी वह भी अपनी योनि मेरे लोड़े पर रगड़ने लगी उसकी योनि अब फूल कर ऊपर को उभर आई थी जी भर कर उसकी चुचियों को चूसने के बाद मैं अपने होठों को उसकी नाभि पर ले आया उसके सपाट पेट पर गहरी नाभि उसकी मादकता को और बढ़ा रही थी मैंने अपनी जीभ को उसकी नाभि में डालकर चाटने लगा वह उत्तेजना के चरम पर पहुंच चुकी थी और अनाप-शनाप बड़बड़ा रही थी वह बार-बार मेरा मुंह नीचे अपनी योनि पर ले जाना चाहती थी मगर मेरे दिमाग कुछ शैतानी चल रहा था मैं जानता था वह अपनी मंजिल के करीब है मगर मैं उसे इतनी आसानी से मंजिल पर नहीं पहुंचाना चाहता था आज मैं उसकी योनि का स्वाद अपने लोड़े को चखाना चाहता था इसलिए मैं जानबूझकर अपने होठों को उसकी योनि से दूर रखे हुए था उसकी योनि ने टपकना शुरू कर दिया था और वह गिड़गिड़ा रही थी और मुझे अपनी योनि को चाटने के लिए कह रही थी जब काफी देर के बाद भी मैंने उसकी योनि को नहीं चाटा तो उसने अपनी पंजों को मेरे पैर पर रखकर अपनी योनि को ऊपर उठा दिया और मेरा मुंह अपनी योनि से सटा दिया जैसे ही मेरी जीभ ने उसके योनि मुख्य में प्रवेश किया वह छटपटाने लगी उसकी टांगे कांपने लगे उसने दोनों हाथों से मेरे सर को थाम लिया और कांपते हुए उत्तेजना के चरम शिखर को पा लिया उसकी योनि टपक रही थी उसमें से योनि रस बूंद बूंद कर झड़ रहा था जिसे मैं अपनी जीभ से चटता हुआ मजे ले रहा था कुछ देर तक ऐसे ही खड़े रहने के बाद उसकी टांगे बेजान सी हो गई और वह फर्श पर बैठ गई मैंने उसे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया उसकी योनि मेरे खड़े हुए लन्ड को छू रही थी उसने मेरे होठों को चुम्मा और मेरे निप्पल को चूसने लगी फिर मेरे लोड़े को चूसना शुरू कर दिया मैं खड़ा हो गया और दोनों हाथों से उसका चेहरा थाम कर अपना लोड़ा उसके मुंह में भर कर धक्के लगाने लगा वह कभी मेरे लोड़े को चूसती तो कभी उसे जीभ से चाटने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा था मेरे धक्कों की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ने लगी मेरा लौड़ा उसके गले तक पहुंच रहा था बीच-बीच में उसे दिक्कत होती तो बाहर निकाल देती और जीभ से चाटने लगती आखिरकार मैं भी वासना के शिखर पर पहुंच गया और अपना वीर्य उसके मुंह में उड़ेल दिया मेरा लौड़ा झटके खाता हुआ उसके मुंह में झड़ रहा था और उसकी जी मेरे लोड़े के वीर्य को बड़े चाव से चाट रही थी उसने मेरे लोड़े का सारा वीर्य दबा दबा कर निचोड़ दिया फिर हम दोनों खड़े होकर नहाने लगे उसने साबुन लेकर मेरे जिस्म पर लगाया और मैंने उसके जिस्म पर हम दोनों के जिस्म साबुन के झाग से ढक गए वह अपनी चूचियां मेरी छाती और कमर पर रगड़ने लगी मेरे लोड़े में फिर से उत्तेजना जाग उठी मैंने उसे बाहों में भर कर दीवार से सटा दिया और अपना लौड़ा उसकी गांड पर रगड़ने लगा कुछ देर बाद मैंने अपना लौड़ा नीचे करके उसकी टांग के बीच में डालकर उसकी योनि पर रगड़ने लगा वह भी उत्तेजना में मेरे लोड़े को अपनी टांगों में दबाकर अपना जिस्म पीछे धकेल ते हुए धक्के लगाने लगी साबुन के झाग के कारण मेरा लौड़ा सरपट उसकी टांगों में दौड़ रहा था और उसकी सिसकारियां बता रही थी उसे कितना मजा आ रहा है और तभी अचानक मेरे लोड़े ने फिसल कर उसके योनि मुख को फैला दिया और बिना किसी रोक के प्रवेश कर गया उसकी चीख निकल पड़ी और उछलकर एक तरफ हो गई वह सिर से पैर तक कांप रही थी और दोनों हाथों से अपनी योनि को दबाए हुए रो रही थी उसे शायद बहुत पीड़ा हुई थी मैंने उसे बाहों में भर कर चुप कराया और समझाया मैंने जानबूझकर नहीं घुसाया यह तो गलती से घुस गया वह नहा कर कमरे में आ गई वह कुछ नाराज लग रही थी मैंने उसे बाहों में भरा तो घबराकर दूर हट गई और रोने लगी मैं उसे चुप करा रहा था अंदर ही अंदर मुझे उस पर गुस्सा भी आ रहा था क्योंकि वह सब कुछ करती थी मगर जैसे ही चोदने की बात करो तो नाराज हो जाती थी उसका यह बर्ताव मेरी समझ में नहीं आ रहा था जब काफी समझाने के बाद भी वह नहीं मानी तो मैं आकर बेड पर लेट गया और सिगरेट पीने लगा थोड़ी देर बाद वह भी मेरे पास आकर लेट गई और मेरे लोड़े को सहलाने लगी मैंने झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसका हाथ अपने लोड़े पर से हटा दिया तो वह मुझे मनाने लगी कभी मेरा लोड़े को मुंह में लेकर चूसने लगती तो कभी मेरे होठों को चूमती अपनी सिगरेट खत्म करने के बाद मैंने उसे अपनी बाहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया और अपने तने हुए लोड़े को उसकी टांगों के बीच में डालकर उसकी योनि से सटा दिया मैंने उससे पूछा क्या बात है जब भी तुम्हें चोदने की कोशिश करो तो तुम घबरा क्यों जाती हो तो उसने मेरे लोड़े को अपने हाथ में थाम कर हिलाते हुए जवाब दिया तुम्हारा लंड़ इतना प्रचंड है कि इसे अपनी योनि में लेने के ख्याल से ही मेरी रूह कांप जाती है उसकी इस बात पर मुझे हंसी आ गई मैंने कहा तुम तो ऐसे नखरे कर रही हो जैसे पहली बार चूदाई करवा रही हों मेरा लौड़ा इतना भी बड़ा नहीं है सबका इतना ही होता है तुम्हारे पति का भी इतना ही बड़ा होगा मेरी बात को बीच में काटकर उसने कहा कि नहीं उसका लौड़ा बहुत पतला और छोटा है वो तो ढंग से खड़ा भी नहीं होता मुझे बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि मेरा मानना था कि लगभग सभी का लोड़ा एक समान होता है हां बस कद काठी के हिसाब से थोड़ा सा फर्क पड़ता होगा पहले तो मुझे उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ मगर जब उसने बताया कि रिजवान का लोड़ा बिना शराब पिये खड़ा नहीं होता उसने कहा कि वह रोज शराब पीता है और फिर रात को मुझे चोदने के लिए आता है मगर अक्सर उसका लौड़ा खड़ा ही नहीं होता और अगर हो भी जाता है तो कुछ सेकंड में झड़ जाता है कई बार उसे खड़ा करने के लिए जब चूस्ती हूं तुम मेरे मुंह में ही झड़ जाता उसका लौड़ा तुम्हारे लोड़े के सामने आधा है लंबाई और मोटाई में जमीन आसमान का अंतर है

फिर उसने मुझे अपने डर का भी कारण बता दिया दरअसल जब वह 13 साल की थी तो उसका चक्कर पड़ोस के एक लड़के से चल रहा है और दोनों अक्सर जब भी मौका लगता तो एक दूसरे की भावनाओं को संतुष्ट करते थे उसे लौड़ा चूसने में और उसके दोस्त को उसकी चूत चाटने में बहुत मजा आता था एक दिन जब वह घर पर अकेली थी तो उसका दोस्त आ गया दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपट कर एक दूसरे को चूमने लगे धीरे-धीरे उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए वह उसकी योनि को चाट रहा था और तभी मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लौड़ा उसकी योनि में घुसा दिया दोस्त से उसकी जान निकल गई मगर उसने उसकी एक न सुनी आप उसे चोदता रहा जब तक उसका लौड़ा छोड़े नहीं गया दर्द से रजिया का बुरा हाल था और उस दिन का दर्द उसके जेहन में ऐसा बैठा कि जब उसके ने कहा कि बात चल रही थी तो वह रोज दुआ मांगती थी कि उसके पति का लौड़ा छोटा और पतला हो और आखिरकार उसकी दुआ कबूल हुईं सुहागरात पर रिजवान का लंड देखकर रिया को थोड़ी तसल्ली हुई मगर उसे क्या पता था जो दुआ वह मांग रही है हकीकत में उसके लिए सबसे बड़ी बद्दुआ है क्योंकि सुहागरात में जब रिजवान ने उसे चोदा तो रजिया को ज्यादा दर्द नहीं हुआ और यह बात रिजवान के दिल में घर कर गई के रजिया बद चलन है उस दिन के बाद रिजवान रोज दारु पीने लगा जिसका असर उसके लोड़े पर पड़ा और उसकी ताकत खत्म हो गई

उसकी बात सुनकर मुझे बड़ा अफसोस हुआ और मैंने उसे बाहों में लेकर समझाया जब तुम ने पहली बार चूदाई की थीं उस समय तुम्हारी चूत बहुत छोटी थी जिस वजह से तुम्हें इतना दर्द हुआ और पहली बार में हर औरत को दर्द झेलना पड़ता है मगर उसके बाद सब की चूत खुल जाती है और लोड़े के साइज के हिसाब से जगह बन जाती है मैंने उसे समझाया जैसे शुरू शुरू में मेरा लौड़ा तुम्हारे मुंह में नहीं घुसता था मगर अब तुम पूरा लौड़ा अपने मुंह में ले लेती हो ऐसे ही तुम्हारी योनि में जब यह एक बार घुसेगा तो तुम्हें थोड़ा दर्द होगा मगर उसके बाद फिर कभी दर्द नहीं होगा आज जब मेरा लौड़ा तुम्हारे मुंह में जा सकता है जिस में हड्डी होती है तो तुम्हारी योनि में तो और भी आराम से घुस जायेगा क्योंकि योनि में कोई हड्डी नहीं होती सिर्फ मांस होता है मेरे समझाने का उस पर थोड़ा असर पड़ा और उसने मेरे लोड़े को सहलाना शुरू किया फिर उठ कर मेरी जांघों पर सिर रख कर लेट गई और लौड़ा चूसने लगी उसकी टांगे मेरी तरफ से मैंने उसे खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया और उसकी योनि चाटने लगा थोड़ी देर में ही उसने मेरे लोड़े को तैयार कर दिया अब वह चूदाई के लिए एकदम तैयार था उसकी योनि भी काम रस से भर गई थी और उसका योनि मुख अपने आप खुल और बंद हो रहा था उसकी योनि से रस टपक रहा था फिर वह उठकर तेल की शीशी ले आई मैंने उसे वही फर्श पर लिटा दिया उसने मेरे लोड़े को तेल से नहलाया और और अपनी टांगें खोलकर ऊपर उठा दी मैंने उसकी टांगों को अपने कंधों पर चढ़ा कर अपने लिंग मुंड को उसकी योनि से सटा दिया तो उसने घबराते हुए कहां थोड़ा धीरे धीरे करना मैंने अपनी आंख दबाकर मुस्कुराते हुए लंड को आगे धकेल दिया वह सिर से पैर तक कांप गई उसके मुंह से चीख निकल पड़ी मैंने नीचे झुक कर उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे अपने लोड़े को अंदर ठेलने लगा जय श्री जैसे मेरा लौड़ा अंदर जा रहा था उसके मुंह और आंखों का का आकार फैल रहा था तभी मैंने एक जोरदार प्रहार के साथ अपना लोड़ा योनि में डाल दिया वह छटपटाने लगी और मुझे छोड़ने के लिए कहने लगी मगर मैं उसकी बातों को अनसुना करते हुए अपना लौड़ा अंदर बाहर करते हुए धक्के लगाने लगा उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे उसने दोनों हाथों से अपने मुंह को बंद किया ताकि उसकी चीखें बाहर ना जा सके मैंने अपने लौड़े को बाहर खींचा तो उस पर खून की कुछ बूंदे लगी हुई थी मैंने थोड़ा तेल और लगाकर लोड़े को योनि में प्रवेश करा दिया इस बार उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ मैंने उसके आंखों से आंसू पूछते हुए उसके हाथों को मुंह से हटाया और उसके होठों को चूसने लगा और धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा थोड़ी देर में ही उसका दर्द कम हो गया और वह भी मेरे होठों को चूसने लगी अब मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया और बचा हुआ लंड जो अभी तक बाहर था उसे भी घुसा दिया मेरा लौड़ा उसके गर्भाशय से जा टकराया उसके पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया उसे अब मजा आना शुरू हो गया और वह भी अपनी योनि को उछालने लगी थोड़ी देर की चूदाई के बाद मैंने उसे करवट बदल कर अपने ऊपर ले आया और उसे अपने लोड़े पर बैठा दिया उसकी चीख निकल गई मैंने उसकी चूचियों को अपनी हथेलियों में भरकर मसल ना शुरू किया तो उसकी योनि अपने आप थिरकने लगी उसके चूतड़ मेरी जांघों पर लग कर एक अलग ही आवाज निकाल रहे थे धप्प धप्प की आवाज से पूरा कमरा भर गया उसकी योनि में रस बहना शुरू हो गया उसकी चूचियां फूल गई थी और मेरा लौड़ा उसकी योनि में अंदर बाहर जाते हुए फच्च फच्च कि आवाज निकालने लगा पूरे कमरे का माहौल वासना से भर गया उसकी सिसकारियां एक अलग ही जोश पैदा कर रही थी और मैं नीचे लेटा हुआ उसकी योनि के धक्कों के साथ ताल से ताल मिलाते हुए नीचे से अपना लंड उछाल कर उसे चोद रहा था वह भी मस्ती से भर गई थी और उछल उछल कर अपनी योनि मेरे लोड़े पर पटक रही थी उत्तेजना से उसका बुरा हाल था और फिर उसने मुझसे लिपटकर करवट बदल ली और मुझे अपने ऊपर कर दिया मैंने भी उसकी टांगों को फैलाकर दोनों हाथों से उसकी चुचियों को थाम लिया और उसकी योनि को पूरी शिद्दत के साथ चोदना शुरू कर दिया वो अनाप-शनाप बड़बड़ा रही थी और मुझे और तेज चोदने के लिए उकसास रही थी मेरे लोड़े में भी गजब का जोश भर आया था वह फूल कर कुछ ज्यादा ही मोटा हो गया उसकी योनि से रस और तेल का मिश्रण झाग की शक्ल में बाहर निकल रहा था मेरे हर धक्के के साथ उसकी योनि से अलग अलग आवाज निकल रही थी और फिर जल्दी ही उसने अपनी योनि को तेज तेज उछालना शुरू कर दिया वह मंजिल के करीब थी मैंने भी अपने चोदने की स्पीड बढ़ा दी क्योंकि मैं भी उसके साथ मंजिल पर पहुंचना चाहता था और फिर हम दोनों के जिस्म पसीने से लथपथ एक दूसरे से चिपक कर एक साथ कांप उठे उसने मुझे बांहों में कस कर पकड़ लिया और मैंने भी अपना लौड़ा पूरा का पूरा उसकी योनि में उतार दिया और मेरे लोड़े से वीर्य की पिचकारी निकल कर उसकी योनि को भरने लगी तभी उसकी योनि ने भी उत्तेजना के बांध को तोड़कर बहना शुरू कर दिया हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर हाथ रहे थे और अपनी सांसो को संभालने लगे उसके चेहरे पर गजब का निखार आ गया था वह मुझे बेतहाशा चूम रही थी थोड़ी देर तक उसके ऊपर लेटा रहने के बाद जब मैं उतरकर बगल में लेटा तो वह उठकर मेरे लोड़े को चाटने लगी थोड़ी देर बाद अपने कपड़े पहन कर चली गई

समय तेजी से पंख लगाकर उड़ने लगा अब तो हमारा लगभग रोज का काम था जब भी मौका लगता हम दोनों मिलकर खूब मजे लूटते मैं जी भर कर उसे चोदता और वह भी मजे लेते हुए खुलकर चूदवाती थी फिर एक दिन शाम का समय था वह कमरे पर आई कुछ देर बातें करने के बाद उसने मेरा लौड़ा पकड़ लिया और सहलाने लगी मैं भी उसकी चूचियों को दबा कर उसकी वासना को भड़काने लगा अब वह काफी खुल गई थी और खुद ही शुरुआत कर देती थी उसने अपने कपड़े उतारे और मेरे कपड़ों को उतारने लगी मैंने उसे बाहों में भर का फर्श पर लेटा दिया और उसकी टांगों के बीच मैं बैठकर चाटने लगा थोड़ी देर में ही उसकी योनि चोदने के लिए तैयार थी उसने घूम कर अपनी टांगे मोड़कर घोड़ी बन गई और मैंने अपना लौड़ा उसकी योनि में घुसा दिया मैं दोनों हाथों से उसके कूल्हों को थाम कर उसकी जबरदस्त चूदाई करने लगा और वह भी अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए सिसकारियां भरने लगी थोड़ी देर में ही वो झड़ गई मगर मेरी मंजिल अभी बहुत दूर थी थोड़ी देर और चूदने के बाद उसे परेशानी होने लगी तो मैंने उसे घुमा कर फर्श पर लेटा दिया और ऊपर आकर चोदने लगा उसे अब दर्द होने लगा था उसकी योनि में सूख गई थी तो वह मुझे रोकने के लिए कहने लगी मैंने तुरंत अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसकी बगल में आकर लेट गया वह उठी और मेरे लोड़े को चूसने लगी जब काफी देर तक चूसने के बाद भी मेरा लौड़ा नहीं झड़ा तो वह थक कर बोली आज क्या हो गया है तुम तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे मैं मुस्कुराया और उसे अपने ऊपर खींच लिया वह धम्म से मेरे लोड़े पर आ गिरी और मेरा लौड़ा उसकी चूत में समा गया उसके मुंह से चीख निकल पड़ी मैं करवट बदल कर उसको चोदने लगा थोड़ी देर के बाद उसने फिर से कराहना शुरू कर दिया उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे तो मैं रुक गया और उठ कर उसकी योनि को चाटने लगा कुछ देर तक चटवाने के बाद वो फिर से उत्तेजित हो गई मगर इस बार मेरे दिमाग में एक शैतानी ख्याल आया और मैंने उसकी घोड़ी बना दी और अपने लोड़े पर तेल मलने लगा थोड़ा तेल उसकी गांड पर डालकर एक अंगुली से रगड़ने लगा फिर अपनी उंगली उसकी गांड में घुसा दी उसे मजा आ रहा था उसके लिए यह पहला अनुभव था थोड़ी देर तक उसकी गांड में उंगली से तेल लगाने के बाद मैंने अपना लिंग मुंड उसकी गुदा द्वार पर रख कर धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा शुरू में उसे मजा आ रहा था मगर जैसे-जैसे मेरा लौड़ा उसकी गांड में समा रहा था उसे दर्द का अनुभव होने लगा वह छटपटाने लगी और मुझे छोड़ने के लिए कहने लगी मैं उसकी बातों को अनसुना करके धक्के लगाने लगा मैंने थोड़ा सा तेल उसकी गांड पर टपकाते हुए धक्के लगाने लगा अब उसका दर्द कुछ कम हो गया और उसे भी मज़ा आने लगा थोड़ी देर बाद उसने भी अपनी गांड हिलाना शुरू कर दिया उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थी और वह भी जमकर चोदने का मजा ले रही थी अब तो हम दोनों वासना के शिखर की तरफ तेजी से बढ़े जा रहे थे और फिर मेरे सब्र का बांध टूट गया और मेरे लौंडे ने ढेर सारा वीर्य उसकी गांड में भर दिया हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर हाफ रहे थे और वह मेरे को अपनी बाहों में भर कर बेतहाशा चूम रही थी थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वह उठी और कपड़े पहन कर चली गई

प्रिय पाठको आप सोच रहे होंगे खामोशियां के बाद मैंने और कोई कहानी क्यों नहीं जोड़ी आपको लगता होगा कि शायद कहानी यहीं तक है यदि आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत है क्योंकि यह कहानी अभी बहुत लंबी है मगर मैं इसे आगे इसलिए नहीं बढ़ा पा रहा हूं क्योंकि मुझे अभी तक यह भी मालूम नहीं पड़ा कि आप लोगों को मेरी कहानियां पसंद आई या नहीं आपके सुझाव मेरे आगे लिखने की प्रेरणा है वह चाहे सकारात्मक या नकारात्मक मैं उनका खुले दिल से स्वागत करूंगा और आपके सुझाव के अनुसार अपनी आगे की कहानियां पेश करता रहूंगा कृपया अपने सुझाव कमेंट जरूर करें आपके सुझाव के इंतजार में.....


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