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50% "Holoom Almahdi".. (Jinno Ka ek Shahzada) / Chapter 5: "Neeli Roshni"

Chapter 5: "Neeli Roshni"

खाने की तेज़ खुशबु सीधी उसके दिमाग़ में घुस गई!उसने ट्रे पॉश पूरा हटा दिया!बिरयानी और मछली की करी के साथ बड़ी बड़ी रोटियों के चार टुकड़े किये गए थे!खाना तो देखने में ही लज़ीज़ लग रहा था!सलाद की प्लेट भी ऐसे सजाई गई थी मानों मुजरिम को नहीं किसी शहज़ादी के लिये खाना आया हो!उसे खाने में डर तो लग रहा था मगर इस वक़्त भूख कुछ और चमक गई थी!उसने पहला निवाला लिया और फिर जब तक पेट भर नहीं गया तब तक उसका हाथ नहीं रुका!उसके खाने के बाद भी काफी सारा खाना बच गया था!वह शख़्स वापस बर्तन लेने आया तो उसे चौंक कर देखने लगा शायद उसे लग रहा था कि अमल ने कुछ खाया ही नहीं है!पानी की सुराही उसके पास ही छोड़ कर वह थाल उठा कर ले गया था!इसके बाद उसके लिये 3 बार और कुछ न कुछ आया खाने को!जैसे नाश्ता!फल और फिर से खाना!आख़िरकार ख़ुदा ख़ुदा करके शाम हुई उसे उस कोठरी से बाहर निकाला गया!अमल में शुक्र का साँस लेने की कोशिश की मगर उसका साँस तो ऊपर का ऊपर नीचे का नीचे रह गया!महल क्या था पूरा जन्नत जितना लम्बा और कुशादा शहर का शहर था और लम्बे लम्बे सुतून जैसे लोग!उसे जिस वक़्त पकड़ कर ले जा रहे थे!उसके क़दम ज़मीन से 4 4 फिट ऊँचे उठे हुए थे!उसे तो उन्हें देख देख कर लरज़े छूट रहे थे!जैसे वह कोई भयानक ख्वाब देख रही थी!इतने लम्बे चौड़े लोग उसने कहाँ देखे थे भला!?बस कभी सुना था या पढ़ा था कि जिन्न बहुत लम्बे चौड़े होते हैं!मगर उसे कहाँ पता था कि वह एक दिन ऐसे ही आ फसेंगी!अब तो उसकी कुछ नयी नयी चीज़े देखने और उनपर लिखने की सोच और शिद्द्त भी जाती रही थी!दिमाग़ कुछ काम ही नहीं कर रहा था!महल बेहद खूबसूरत था!उसे लाल क़ालीन पर पटख दिया गया था!क़ालीन की सीध में ऊँचे से सिंहासन पर बादशाह के लिबास और सर पर ताज रखे बड़े रॉब से कोई शख़्स बैठे हुए थे!सब तरफ लोगों की चेमगुइंयाँ वह महसूस कर रही थी!बादशाह ने एक नज़र उसे देखा और फिर बेहद हैरानी से इधर उधर नज़रें दौड़ाई!"यह इंसान लड़की हमारे अदालत खाने में क्या कर रही है?"जैसे सारा हॉल उनकी गूंज से लरज़ उठा!डर और वेह्शत से पीला होता अमल का चेहरा कुछ और अपना रंग बदल गया था!"बादशाह सलामत..यह शहज़ादा होलूम अल्माहदी की मुजरिम हैं!उन्होंने ही इन्हे आपके सामने पेश करने का हुक्म दिया था"उसे लाने वाला एक शख़्स सर झुका कर अदब से बोला!आज तो उसे उसकी सहेलियों से बहुत सारी दाद और इनाम मिलते अगर वह देख लेतीं कि इस वेह्शत में भी वह सिर्फ आंखें फाड़े जमी खड़ी थी!बेहोश नहीं हो रही थी!"कहाँ हैं?शाहज़ादा होलूम अलमहदी"उन्होंने अपना अंदाज़ ज़रा नहीं बदला था!चंद लम्हों बाद ही किसी के क़दमों की आहट होने लगी थी!उसकी चाल का दबदबा ज़मीन पर महसूस हो रहा था!वह सर झुकाये खड़ी थी!कोई आकर उसके एकदम बराबर में खड़ा हो गया था!"अब्बा हुज़ूर!हम हाज़िर हैं"उसकी आवाज़ रोबदार थी मगर बेहद कड़क नहीं थी!एक अजीब सा रसान था!अब तक जितनी आवाज़ें उसने सुनी थीं उनमे सबसे बेहतर आवाज़ वह इस वक़्त सुन रही थी!"क्या मुआमला है?यह इंसान लड़की हमारी अदालत में क्या कर रही है?"अमल को अब चक्कर आना शुरू हो गए थे!शहजादा हाेलूम अलमाहदी ने हल्का सा घूमकर अमल की तरफ नजर डाली थी!उसे लगा नीली रोशनी उसके अंदर पल भर में भर गई हो!उसकी नीली नीली आंखों से नीले फूट रहे थे!


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