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20% "Holoom Almahdi".. (Jinno Ka ek Shahzada) / Chapter 2: "Saya mehal ke pass se guzarna"

Chapter 2: "Saya mehal ke pass se guzarna"

रात उसके बारे में सोचते सोचते ही निकल रही थी!नींद नहीं आ रही थी!उसके दूसरे बेड पर यास्मीन सोई हुई थी!उसका डर के मारे बुरा हाल हो रहा था इसलिए उसके रूम में आकर सो गई थी!अमल ने सर झटक कर करवट बदली अब उसका इरादा सोने की कोशिश करने का था!मगर वह बुरी तरह चौंकी!कमरे में ज़ोर दार आहट हुई थी!वह झटके से उठ बैठी!इधर उधर देखा तो कोई नज़र नहीं आया!अपना वहम समझकर वह वापस लेटने लगी!जब नाईट बल्ब की रौशनी में कोई चीज़ चमकती नज़र आई थी!वह कोई तेज़ धारदार चीज़ थी!शायद तलवार!अमल की धड़कन तेज़ हो गई!"कौन है!"उसने थोड़ा सख्ती से पूछा था!यास्मीन एक झटके में उठ गई!"क्या हुआ?कौन है?"वह तो पहले ही डरी हुई थी उसे यूँ उठे देख वह बुरी तरह ख़ौफ़ज़दा हो गई थी!और बाक़ायदा घबराहट में चिल्लाने लगी थी!अमल ने तेज़ी से उस चमकदार तलवार को बुझते देखा!यास्मीन उसके बेड पर चढ़ आई थी!"क्या देख रही हो तुम?"उसे लगातार सेफ के कोने की तरफ निहारते देख उसने अमल को झिंझोड़ दिया था!"क्या मसला है?"वह उसके यूँ झिंझोड़ने पर उछल गई थी!उसका ज़ेहन बंद सा हो रहा था!बहुत सख्त उलझन थी!कुछ तो है?जो नार्मल से हटकर है!उसका वहम इतना सख्त नहीं हो सकता!सुबह जैसे तैसे तलु हो गई!मगर कमरे में होने वाली रात की कारगुज़ारियां उसके ज़ेहन में बंद हो गई थीं!हर आहट से वह चौंक जाती!उसकी लम्बी से ख़ामोशी को सबने नाश्ते पर महसूस कर लिया था!"खैरियत है जबसे तुम क़ब्रिस्तान से आई हो क्या सोचे जा रही हो?"उमर ने उसे टोका था मगर अमल ने कोई जवाब नहीं दिया!सब उसे ख़ामोशी से देखने लगे थे!वह लगातार अपने कप को निहार रही थी!उमर ने हल्का सा झुककर उसके कप में झाँका था!"क्या है इसमें ऐसा!तुम्हारा राजकुमार घोड़े पर आ रहा है क्या?"वह शरारत से बोला!अमल ने निगाह का ज़ाविया बदल कर उसे देखा "नहीं.तुम्हारी दुल्हन को रुखसत कराने की तक़रीब चल रही है कप में"वह भी किलस गई थी!"तो यह कहो ना!देख तो ऐसे रही हो जैसे फिल्म चल रही हो इसमें"उमर ने हंसी में उड़ा दिया था!अमल ने गहरा साँस लेकर कप लबों से लगा लिया था!"यहाँ से चलो गाइस!यहाँ कुवह अजीब सा है"यास्मीन ने ज़ोर देकर कहा!"तुमसे ज़्यादा अजीब क्या हो सकता है"नमीर ने खिल्ली उड़ाई!"मज़ाक नहीं कर रही हूँ मैं!रात अमल के कमरे में अजीब तरह की सरसराहटें हो रही थीं!जैसे कुछ लोग कमरे में घूम रहे हों!"यास्मीन की बात पर अमल ने झटके से उसे देखा यानी वह सिर्फ अमल का वहम नहीं था!यास्मीन ने भी सब कुछ महसूस किया!लड़के सारे दबी दबी हसी हसने लगे थे!"मैं सच कह रही हूँ!और मैंने किसी को वहां बात करते सुना"यास्मीन ने ज़ोर देकर कहा!अब सारे ज़ोरशोर से हंसने लगे थे मगर अमल बेहद हैरानी से उसे देख रही थी!यह तो उसने भी महसूस किया!"प्लीज़ चुप कर जाओ आप सब"अमल ने उन्हें झिड़का था फिर यास्मीन से पूछा था!"क्या सुना तुमने?"!"यह सब लोग मुझे पागल समझते हैं!मैंने कहते हुए सुना कोई लड़की कह रही थी उस गुलाबी कपड़ों वाली ने ही मुझे मारा था"इस बार तो अमल की भी हंसी निकल गई थी!रात में उसी ने गुलाबी नाईट सूट पहना हुआ था!यास्मीन को पित्ते भून गए!मगर उसी वक़्त उनका गाइड आ गया!"आज हम पुराने खण्डरों में जायेंगे"गाइड ने बताया!सब इस बात में सर हिलाने लगे!यास्मीन जाना नहीं चाहती थी मगर कुछ बोल नहीं सकी!बेहद हैबतनाक से खंडरों में घूम फिर कर वह लोग थक गए थे!एक जगह बैठ कर थोड़ा रेस्ट किया और खाना खाया!आज बहुत से पुराने राज़ों और बादशाहों की ज़िन्दगियों की मालूमात हुई थी!दिन बहुत अच्छा रहा था!रात की होने वाली चीज़े भी अमल भूल गई थी!वापसी के वक़्त कार में बैठने के पहले उसे वह खंडर नज़र आया था!बेहद बड़ा!बड़े बड़े सुतून और मोटी कुम्बद वाला!"इसमें हम नहीं गए"उसने गाइड से कहा तो वह हंस दिया!"इसमें जाना भी मत..इसे (साया महल) कहते हैं!पुराने लोगों के मुताबिक़ इसमें जिन्न रहते हैं!सदियों से उनकी पीढ़ियां यहाँ से चली आ रही हैं!इसपर एक राइटर ने किताब भी लिखी है!उसमे लिखा है कि साया महल के अंदर क़दम रखते ही इंसान अपनी दुनिया के बजाये दूसरी किसी दुनिया में चला जाता है!वहां सब कुछ नया हो जाता है!पुराना खंडर आलीशान महल में तब्दील हो जाता है"!"यह सब उस राइटर को कैसे पता?वह गया है क्या?"आमिल को यह सब बकवास लगा!"बस सदियों से यही बातें चली आ रही हैं मैंने तो उसमे पढ़ा इसलिए उस राइटर का नाम लिया!वैसे उसने अपनी बुक में दावा किया है कि उसने इस सब को जिया है!उसने वहां क़दम रखा था और उसके साथ वही सब हुआ लेकिन वहां के दरबान ने उसे धक्का मार कर बाहर निकाल दिया था"गाइड की स्टोरी तो दिलचस्प थी मगर यक़ीन से क़तई परे!वह सब कांधे उचका कर कार में बैठ गए थे!बेहद हैबतनाक से खंडरों में घूम फिर कर वह लोग थक गए थे!एक जगह बैठ कर थोड़ा रेस्ट किया और खाना खाया!आज बहुत से पुराने राज़ों और बादशाहों की ज़िन्दगियों की मालूमात हुई थी!दिन बहुत अच्छा रहा था!रात की होने वाली चीज़े भी अमल भूल गई थी!वापसी के वक़्त कार में बैठने के पहले उसे वह खंडर नज़र आया था!बेहद बड़ा!बड़े बड़े सुतून और मोटी कुम्बद वाला!"इसमें हम नहीं गए"उसने गाइड से कहा तो वह हंस दिया!"इसमें जाना भी मत..इसे (साया महल) कहते हैं!पुराने लोगों के मुताबिक़ इसमें जिन्न रहते हैं!सदियों से उनकी पीढ़ियां यहाँ से चली आ रही हैं!इसपर एक राइटर ने किताब भी लिखी है!उसमे लिखा है कि साया महल के अंदर क़दम रखते ही इंसान अपनी दुनिया के बजाये दूसरी किसी दुनिया में चला जाता है!वहां सब कुछ नया हो जाता है!पुराना खंडर आलीशान महल में तब्दील हो जाता है"!"यह सब उस राइटर को कैसे पता?वह गया है क्या?"आमिल को यह सब बकवास लगा!"बस सदियों से यही बातें चली आ रही हैं मैंने तो उसमे पढ़ा इसलिए उस राइटर का नाम लिया!वैसे उसने अपनी बुक में दावा किया है कि उसने इस सब को जिया है!उसने वहां क़दम रखा था और उसके साथ वही सब हुआ लेकिन वहां के दरबान ने उसे धक्का मार कर बाहर निकाल दिया था"गाइड की स्टोरी तो दिलचस्प थी मगर यक़ीन से क़तई परे!वह सब कांधे उचका कर कार में बैठ गए थे!


Chapter 3: "Hawa mai thappad ka lagna"

डिनर के बाद सब अपने अपने कमरों में आ गए थे!यास्मीन आज भी उसके साथ लटक गई थी!दोनों कुछ देर बातें करती रहीं फिर यास्मीन सो गई मगर उसे नींद नहीं आई!वह खिड़की पर चली आई थी!आसमान बिल्कुल सियाह हो रहा था!कोई चाँद या तारा नज़र नहीं आ रहा था!दूर कहीं कोई रौशनी सी चमक रही थी!जैसे किसी ने ज़मीन पर सितारे बिछा दिए हों!अमल ने इधर उधर निगाहें घुमाकर थोड़ा गौर से देखा और उसे लगा किसी ने उसके दिल पर खौफ का हथोड़ा मार दिया है!बड़े बड़े लफ़्ज़ों में लिखा हुआ था!(साया महल)अमल ने झटके से खिड़की का पट बंद कर दिया!और गहरे गहरे साँस लेने लगी!यह क्या था?आज से पहले तो कभी वह उसे नहीं दिखाई दिया था!उसने हल्का सा खिड़की का पट खोला और थोड़ा सा बाहर झाँका दूर दूर तक कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था!उसने खिड़की वापस बंद कर दी और तेज़ तेज़ क़दमों से चलती अपने बेड तक आई!तभी ज़ोर की चीख़ मारती यास्मीन नींद से उठ गई थी!अमल की भी डर कर चीख़ निकल गई!"क्या हुआ?...क्या हुआ?"वह बेड से कूद कर उसके पास पहुंची थी!वह बेइंतिहा बौखलाई हुई थी!"क्या हुआ?यास्मीन?"उसका दिल तेज़ तेज़ धड़क रहा था!"किसी ने..मुझे...थप्पड़ मारा"वह हड़बड़ाई आवाज़ में कह रही थी!"क्या बकवास कर रही हो?"अमल को उसके इस वक़्त के मज़ाक से बेहद ग़ुस्सा आया था!उसका दिल चाहा उसे अमल ही एक थप्पड़ लगा दे!वह पहले ही इतनी डरी हुई थी ऊपर से उसे मज़ाक सूझ रहा था!"मैं मज़ाक नहीं कर रही!किसी ने मुझे तीन बार थप्पड़ मारा"यास्मीन भी ज़ोर से बोली थी और अपनी चादर लेकर फ़ौरन उठ गई!"मैं यहाँ से जा रही हूँ..मुझे तो पहले ही शक था तुम्हारे कमरे में कोई साया है"वह बोखलाती हुई बाहर निकलने लगी थी!अमल ने उसका हाथ थाम लिया!"अच्छा रुको तो!मैं हूँ ना यहीं लेट जाओ!मेरे पास.."उसे भी अब डर लगने लगा था!बाहर निकलती यास्मीन से उसकी तरफ चेहरा घुमाया था लेकिन वह चेहरा यास्मीन का नहीं था!"जाने दे उसे"वह चेहरा और आवाज़ क़तई भी यास्मीन की नहीं थी!उसकी आँखों से कोई चिंगारी से लपकी थी!अमल ने ख़ौफ़ज़दा होकर उसका हाथ छोड़ दिया था!दिल जैसे सीने के अंदर यूँ धड़क रहा था जैसे कोई घबराहट में दरवाज़ा पीटता है!यास्मीन उसे देखे बिना बाहर निकल गई!गेट अपने आप बंद हो गया था!अमल ने चारों तरफ ख़ौफ़ज़दा नज़रों से देखा!कमरे में हल्की लाइट जल रही थी!अमल पसीना हो रही थी!ना जाने किस लम्हें कोई मोत बन कर उसके ऊपर आ लपकता!कहाँ फंस गई थी!चंद लम्हों बाद कमरे में किसी के दाखिल होने की आवाज़े आना शुरू हो गई थीं!अमल पीछे हटते हटते दीवार से लग गई थी!ज़बान पर भी ताले पड़ गए थे!कुछ पढ़ने के लिये याद नहीं आ रहा था!मम्मा ने बहुत कोशिश की थी उसे सूरतें याद कराने की मगर उसे हर बार भूल जातीं!आँखों में तेज़ नमी दर आ रही थी!उसका तो आखरी वक़्त आ गया था!तलवार की वही तेज़धार चमक नज़र आने लगी थी!मोत के फ़रिश्ते थे शायद!वह चार लोग थे!इतने लम्बे लम्बे क़द कि सर उठा कर देखने से मुश्किल से उनके चेहरे दिखाई दे रहे थे और इतने चौड़े कि इस पार से उस पार!उसकी आंखें पत्थर हो रही थीं और जिस्म बर्फ की तरह जम गया था!वह हिल भी नहीं पा रही थी!ठन्डे ठंडे पसीनों ने उसके बदन को भिगो डाला था!जैसे यह एक खौफनाक ख्वाब था!वह चारो उसके सामने खड़े हो गए थे!"आपको हमारे साथ चलना होगा"उनकी आवाज़ जैसे किसी ने स्पीकर को फुल वॉल्यूम में करके उसका कान बिल्कुल क़रीब कर दिया हो!जिसे सुन कर समाअत फटने को तय्यर हो जाये!वह बस कोई बेजान मूरत थी!उन्होंने उसे छुए बिना दीवार से हटा दिया था!और चारों के चारों तरफ खड़े होकर मुँह ऊपर की तरफ उठाकर खड़े हो गए थे!अमल के पैर उनके साथ साथ ज़मीन से उठने लगे थे!

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