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11.11% मंजिल का सफ़र / Chapter 2: ज़िन्दगी बेमिसाल है ?

Chapter 2: ज़िन्दगी बेमिसाल है ?

मैं ना जानूं चांद , सूरज , ना कोई मां आसमां ,

में तो जानूं है तेरे चर्डों में ही सारा जहां।

गीत हो या ग़ज़ल कोई ,

शेर हो या शायरी ,

क्या सुनाऊं,

मैं तुम्हें,

तुम तो हो जीवन की हर कड़ी ।

ख्वाब रूठे , दिल ये टूटे ,

चाहे छू टे सारा जहां ,

तुही देना साथ , हर पल - लम्हा , मेरा सदा ।

में ना जानूं.....


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