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Chapter 20: उससे पंगा लेना मुश्किल था

Editor: Providentia Translations

चेंगवू को लगा कि दुनिया घूम रही है…

"पिताजी—" शिया ची चीखते हुए गिरने से पहले चेंगवू को संभालने दौड़ा।

चेंगवू का चेहरा पीला पड़ गया था और उसकी ऑंखें घूम रही थीं।

जिंगे उन दोनों के पास पहुंची और बोली, "शिया ची, एंबुलैंस बुलाओ।"

"ओके" शिया ची की आवाज़ कॉंप रही थी। इधर उसने अस्पताल में फोन करने के लिए फोन उठाया,और जिंगे चेंगवू को होश में लाने की भरसक कोशिश करती रही।

उसे प्रथमोपचार की कोई जानकारी नहीं थी, पर वह इस उम्मीद में चेंगवू को सोफे पर ले आई कि उसकी सॉंस में सॉंस आ जाएगी।

मकानमालिक और जमा हुई भीड़ इस आकस्मिक घटनाक्रम से स्तब्ध थी।

भीड़ उस हालत में मामला उलझने के डर से छंट गई, अगर चेंगवू की स्थिति गंभीर हो जाती।

"मैंने कुछ नहीं किया, मैंने सिर्फ़ उसे छुआ भर था। वह अपने आप बेहोश हो गया," मकानमालिक निकलने की जल्दी में था।

जिंगे ने सर उठाकर उसे भेदक नज़र से देखा और वह अपने रास्ते में ही रुक गया।

चौंका हुआ मकानमालिक ने कहा, " मैंने बोला मैंने कुछ नहीं किया है। मैं मामला मुझपर नहीं आने दूंगा। "

"अगर तुम अभी गए, तो मैं कसम खाती हूं तुम्हें कोर्ट में घसीटने में कोई कसर नहीं छोडूंगी। हिम्मत है तो जाओ," जिंगे ने मुस्कुराकर कहा। उसके स्वर में भयपूर्ण मैत्री के भाव थे और उसे धमकी ही समझना चाहिए थे।

मकानमालिक बहस करना चाहता था, पर जिंगे ने उस पर से नज़र हटा ली थी।

डरा हुआ मकानमालिक उसकी धमकी के डर से वहीं खड़ा रहा…

एंबुलैंस के आकर चेंगवू को स्ट्रेचर पर ले जाने के बाद, जिंगे मकानमालिक की ओर बढ़ी।

अपने सामने खड़ी नाटी और पतली औरत देखकर ,मकानमालिक मन ही मन समझ गया कि इस औरत से वह पंगा नहीं ले सकता है।

उसके मन में अब दूसरे ख्याल आने लगे। वह शारीरिक रूप से इतना सक्षम था कि उसे एक हाथ से मसल सकता था, तो वह उससे इतना क्यों डर रहा था?

पर उसके कुछ करने से पहले, जिंगे पूछ बैठी, "तुम्हें हमें निकालने का हुक्म किसने दिया?"

"क्या?" मकानमालिक के होश उड़ गए।

जिंगे के पास अधिक समय नहीं था और उसने अपना प्रश्न दोहराया, " बताओ तुम्हें हमें निकालने का हुक्म किसने दिया और मैं तुम्हें छोड़ दूंगी। वर्ना अगली मुलाकात कोर्ट में होगी।"

ये औरत मज़ाक नहीं कर रही और डींग नहीं हाक रही है ।

मकानमालिक का मन उसे यही कह रहा था। उसने सच बोलना ही उचित समझा।

वास्तविक सूत्रधार का नाम बताने के लिए उसे मना किया गया था, पर जिंगे उससे जाने बिना उसे छोड़नेवाली नहीं थी।

उसने मन में हर बात का हिसाब लगाया और निष्कर्ष निकाला कि किसी और व्यक्ति को बचाने के लिए खुद मुकदमे से दो चार होना फायदे की बात नहीं होगी।

मकानमालिक ने कंधे उचकाकर कहा, "एक औरत ने मुझे तुम्हारे परिवार को निकालने के लिए पैसे दिए थे। मैं इतना ही जानता हूं कि उसका कुलनाम वू है।"

वू रॉंग!

यह नाम जिंगे के मन में कौंधने लगा। उसे इस कमीनी से निपटने का कोई शौंक नहीं था, पर वू रॉंग ने ही पहल की थी।

अगर वह बेमौत मरना चाहती है, तो मैं वह मौत उसे दूंगी!

जिंगे फौरन मुड़ी और एंबुलैंस में चढ़ गई। मकानमालिक को अब पता चला कि वह सॉंस रोके खड़ा था।

अस्पताल में, जिंगे और शिया ची को बताया गया कि चेंगवू पहले ही डाइलिसिस के दो सत्र चूक गया था।

पर चेंगवू ने बताया था कि उसने डाइलिसिस करवा ली थी।

इसका मतलब वह अपने उपचार के पैसे बचाकर जिंगे के इलाज पर खर्च कर रहा था।

उसकी बीमारी गहरा गई थी और उन्होंने लगभग उसे खो दिया था।

डॉक्टर ने शांत भाव से उन्हें समझाया, " रोगी की हालत अभी स्थिर हो गई है, पर वह ट्रांसप्लांट के बिना अधिक समय जीवित नहीं रह सकता। भगवान का शुक्र है कि आखिरी वक्त की ओपनिंग मौजूद है, इसीलिए अगर आपलोग मानें, तो हम कल के लिए ऑपरेशन निश्चित कर सकते हैं।"

" डॉक्टर, कितना खर्च आएगा?" शिया ची ने भारी मन से पूछा।


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