'टैंग मोर ने गू मोहन गहराई से चूमा।
आगे बढ़ते हुए हुओ यानमाई के हाथ दरवाज़े के हत्थे पर ही रूक गए और वह झिझकी।
अपने जीवन के प्रतिबिंब के तौर पर उसने महसूस किया कि वह जिस जीवन को जी रही थी वह विनाशकारी था। केवल एक चीज़ जिसके लिए वह अपने एकाकी जीवन में गर्व महसूस करती थी वह था गू मोहन का जन्म।
वह सतर्क, लचीला और बौद्धिक था। उसके लिए परिवार उसके दिल के केंद्र में था और दिन-प्रतिदिन वह खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करता था। जब वह युवा था उसने अपने जीवन को एक पाठ्यपुस्तक के रूप में बिताया था जैसा कि उसने बहुत पहले समझ लिया था कि उनके पास खुद को छोड़कर भरोसा करने वाला कोई नहीं था।
एक दिन वह बार में नशे में थी और एक अन्य व्यक्ति के साथ सो गई थी। नतीजतन वह गर्भवती हो गई थी। वह आतंकित थी क्योंकि उसके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी क्योंकि उसने गू तियानलिंग को धोखा दिया था। यह मामला उजागर होने के कुछ ही घंटे पहले की बात है। वापस आकर गू तियानलिंग ने गुस्से में उसे थप्पड़ मार दिया था। उसे अभी भी उसकी आँखों का रोष याद था और जिसके कारण उसका दिल डर की चेतावनी के रूप में उसकी छाती में जोर से धड़कने लगा था।
गू तियानलिंग ने उसे गर्भपात करवाने का आदेश दिया था और साथ ही तलाक भी मांगा था। उस समय सीढ़ियों से नीचे आकर गू मोहन ने बेहद उदासीन तरीके से गू तियानलिंग को देखा था।
'पिता जी, माँ को मत मारो।'
उन सरल शब्दों के साथ गू तियानलिंग ने उसे छोड़ दिया था और वहाँ से चला गया था।
उसे याद आया कि गू मोहन किस तरह से उसके पास आया था और उसने उससे कहा 'माँ मेरे रहते हुए कोई भी तुम्हें चोट नहीं पहुँचाएगा।'
तब वह केवल 12 साल का था।
जैसी कि उम्मीद थी गू तियानलिंग ने उसके बाद उसके सिर के एक बाल को भी नहीं छुआ पर इसके पीछे का कारण उसे बहुत बाद में पता चला कि बूढ़े मास्टर गू, गू मोहन को गू कॉर्पोरेशन में लाए थे।
जैसा कि सबसे धनी और सबसे प्रभावशाली परिवारों के बीच प्रतिस्पर्धा भयंकर थी गू कॉर्पोरेशन का उत्थान एक कठोर खेल था जो योग्यतम के अस्तित्व पर निर्भर करता था। क्योंकि गू तियाननिंग के दिमाग पर लिन जुयानजी ने कब्जा कर रखा था इसीलिए बूढ़े मास्टर गू ने बहुत पहले ही तियानलिंग पर भरोसा करना छोड़ दिया था। अपने बेकार बेटे को तियांजलि देते हुए बूढ़े मास्टर गू ने अपनी सारी उम्मीदें गू मोहन पर लगा रख थी।
अमीर वारिस के सामने वह अपने बदसूरत अतीत को ढाँकना उनका एक जुनून बन गया था।
12 वर्षीय गू मोहन माँ और बेटी दोनों को सहारा देने वाला एक आधार स्तम्भ बन गया था।
उसने उनके जीवन के सबसे गहरे और कठिन वर्षों में उनका साथ दिया था।
उनके मोहन ने कभी किसी को निराश नहीं किया था। वही लू परिवार ने लू जिनवेन का अनुसरण करता था और धीरे-धीरे गायब हो गया था जब वह गू परिवार को प्रसिद्धि में लाया था जिससे उनका परिवार पूरी राजधानी में सबसे धनी और सबसे प्रभावशाली परिवार बन गया।उसी ने गू कॉर्पोरेशन को राजधानी के सबसे धनी और सबसे सफल व्यवसाय बनाने के मार्ग में नेतृत्व किया था। लू जिनवेन की तुलना में वह ज़रा भी कमतर नहीं था।
एन'अन के पैदा होने के बाद उसके जन्मजात ल्यूकेमिया का पता चला था। छोटी लड़की की आवाज़ नरम थी और वह विशेष रूप से हँसना पसंद करती थी। उसने उसे बहुत खुशी दी थी क्योंकि एन'अन उसके जीवन में एक परी की तरह था।
उसके बड़े भाई के रूप में गू मोहन ने एन'अन को बहुत प्यार दिया। जब भी वह काम से मुक्त होता वह उसे खेलने के लिए बाहर ले जाता था।
हालाँकि जब एन'अन पाँच साल की थी और जब वह गू मोहन के साथ खेल रही थी तब उसे गू तियानलिंग के लोगों ने पकड़ लिया था । तब गू तियानलिंग ने उसे बच्चो के तस्करों को बेच दिया था।
वह जानती थी कि गू मोहन ने इसके लिए खुद को दोषी ठहराया था क्योंकि वही वह व्यक्ति था जिसने एन'अन को खो दिया था।
उसने बिना किसी वापसी के इस रास्ते पर और आगे बढ़ाते हुए सभी तरह के दबाव और जिम्मेदारियाँ निभाई थी।
इन सभी वर्षों में उसने देखा था यद्यपि वह मजबूत और अधिक आत्मविश्वासी बन गया था लेकिन समय के साथ साथ उसका अकेलापन अधिक और अधिक स्पष्ट दिखने लगा था।
फू किंगलन और हुओ बाईचेन के विपरीत वह प्यार से भरे स्वस्थ पारिवारिक माहौल में नहीं बड़ा हुआ था।
वह पहले से ही 30 साल का था फिर भी वह अपनी पसंद की लड़की से नहीं मिला था।
अगर वह लड़की टैंग मोर नहीं होती तो वह उस लड़की का दिल जीतने में उसकी मदद करती। फिर चाहे उसे कुछ भी करना पड़ता।
आखिर टैंग मोर ही क्यों ?
दुनिया के सभी लोगों में से वही क्यों थी?
कोई नहीं जानता था कि वह टैंग मोर के प्रति वह कितनी गंभीर घृणा रखती थी।
हर बार जब भी उसने टैंग मोर को देखा उसने केवल एक चीज के बारे में सोचा और वह थी लिन जुयानजी।
क्या सब कुछ वैसा ही होना तय था जैसा वह था?
राजधानी के अस्पताल में 20 साल पहले उसका 10 वर्षीय गू मोहन बुखार से पीड़ित था और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस दिन टैंग मोर पैदा हुई थी।
यही वह दिन था जब गू मोहन ने नन्ही टैंग मोर को गोद में लिया था।
यह वह दिन था जब वे पहली बार मिले थे।