इस बदलाव का कारण क्या था ?
मुबाइ आखिरकार चांग अन की पहले कही गई बात को समझ गया ।
चांग अन ने जिंगे में आये बदलाव का उल्लेख किया था, विशेषकर उसकी टकटकी लगाकर देखना को अनदेखा करना मुश्किल था ।
मुबाइ ने इस चीज को उस समय नजरअंदाज कर दिया था,लेकिन अब उसे समझ आया कि उसका कहने का मतलब क्या था ।
उसकी आंखो में आंतरिक आत्मविश्वास और शांति स्पष्ट झलक रही थी ।
ये ऐसा कुछ नहीं था जिसे नकली कहा जा सके , ये स्वाभाविक वृत्ति जैसा था ….
इसके साथ ही, उसने खुद की झलक उसकी ऑंखों में देखी ।
मुबाइ समझ नहीं पा रहा था कि अचानक हुए बदलाव का कारण क्या था ।
कुछ भी हो, इसका मतलब यह था कि उसने उसके बारे अलग ही सोचा और पहले की तुलना में उससे अलग व्यवहार किया ।
"यह मुझे तुम्हें हमारे तलाक के समय ही दे देना चाहिए था । मैं व्यक्तिगत रुप से इसे तुम्हारे पास लाया हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि तुम इस सम्मान की हकदार हो । कृपया इसे स्वीकार कर लो"। मुबाइ ने चेक निकाला और सम्मानपूर्वक उसे दिया । उसकी कृति में कृपालुता का कोई भाव नहीं था ।
जिंगे ने उस दिए जा रहे चेक को देखा भी नहीं और जवाब दिया , " धन्यवाद,लेकिन मुझे अभी इसकी जरुरत नहीं है"।
मुबाइ ने भौहें चढ़ाते हुए कहा, " तुम्हे चाहिये या नहीं,ये तुम्हारा मामला है,लेकिन इसे तुम्हें देना मेरी मर्ज़ी है । यह तुम्हारा मुझपर कर्ज़ था । ले लो वर्ना हिसाब कभी बराबर नहीं होगा ।"
दूसरे शब्दो में, अगर वह इसे स्वीकार नहीं करती तो वो उसे परेशान करते रहता ।
जिंगे के इरादे अब पहले से भी ज़्यादा मजबूत थे ।
उसके संतुष्टि के लिए, जिंगे ने उस चेक को ले लिया । पर इससे पहले कि वह उसे एक मुस्कुन दे पाता, जिंगे ने चेक के टुकड़े- टुकड़े कर दिए।
हर कोई आश्चर्यचकित हो गया था ।
यह एक करोड़ का चेक था !
उसने एक नजर देखे बिना उसे फाड़ डाला था।
तेंजिन को भी पैसे के लिये बुरा लगा । बेवकूफ़ जिंगे ने अपने घमंड के लिये अपने चाचा की जान की भी परवाह नहीं की; कितनी मूर्ख है यह !
जिंगे ने चेक के टुकड़ो को पास के कूड़ेदान की ओर उछाल दिया ।
" अब हुआ हिसाब बराबर " जिंगे ने उतावलेपन मे कहा ।
मुबाइ की आंखो में गुस्से के सैलाब उमड़ रहे थे,हालांकि उसके चेहरे के हाव भाव में कोई बदलाव नहीं आया। सच कहें, तो उसे जिंगे के कारनामे से ज़्यादा गुस्सा आया था ।
उसकी अच्छी परवरिश ने उसके उबाल को थाम लिया।
"ठीक है।" यही एक शब्द बोलकर वह वहां से चला गया ।
तेंजिन और चांग अन उसके पीछे दौड़े । मुबाइ के बोझिल पिछड़ते हुए कदमों को देखकर तेंजिन की खुशी का ठिकाना न था ।
इस समय जिंगे की नासमझी ने उसकी शामत बुलाई थी । उसने सच में मुबाइ को नाराज़ कर दिया था ।
जिंगे पहले की ही तरह अब भी बेवकूफ़ थी , बहुत आसानी से कुछ शब्दों के नाटकीय प्रयोग से वह नाराज़ हो बैठी । इस तरह उसने जिंगे को पहले ही हरा दिया। उसके कुछ कारनामो और शब्दों से बेवकूफ़ जिंगे चुपचाप उसके जाल में फस गयी ।
भले ही तेंजिन को दिल के कोने से लगता था कि शिया परिवार उसके सामने कुछ नहीं था , लेकिन फिर भी वह उन्हें नहीं छोड़ सकती थी, खासकर जब शिया ची ने उसे इस कदर डॉंट पिलाई थी। अब उसकी बारी थी।
मुबाइ लिफ्ट में दाखिल हो गया, लेकिन तेंजिन बाहर ही खड़ी रही," मुबाइ , क्या तुम लॉबी में मेरा इंतजार करोगे? मेरा दिल नहीं मान रहा कि जिंगे को इस तरह बेसहारा छोड़ दूं, मैं जल्द ही वापस आती हूं।"
इससे पहले कि मुबाइ जवाब दे पाता, वह मुड़ी और पीछे की ओर चल पड़ी ।
ऐसा लग रहा था कि उसका जमीर उसे कचोट रहा था ।
वह निश्चित रुप से परेशान थी, लेकिन अपने ज़मीर से नहीं ।
तिनजिन को वापस आते देख, जिंगे और शिया ची दोनों गुस्से से भर उठी । क्या उनका काम खत्म नहीं हुआ था, जो वह वापस आ गयी थी ?
" शिया जिंगे,ये तुम्हारे लिये है" तिनजिन ने बड़ा मन दिखाते हुए एक क्रेडिट कार्ड जिंगे के हाथो में रख दिया "पासवर्ड कार्ड के पीछे लिखा हुआ है। इसमें 500000 आरएमबी हैं ।इसे मेरी उदारता समझ लो । मुझे पता है तुम्हे मेरे पैसे नहीं चाहिये लेकिन क्या तुम इसे अस्वीकार करने की हालत में हो ? जरा अपने आप को देखो"।