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96.57% फुल मार्क्स हिडन मैरिज : पिक उप अ सन, गेट अ फ्री हस्बैंड / Chapter 141: अगर मेरे अंदर का जानवर बाहर आ गया तो

Chapter 141: अगर मेरे अंदर का जानवर बाहर आ गया तो

Editor: Providentia Translations

दवाइयों को एक जगह रखने के बाद लू टिंग जैसे ही गुसलखाने का दरवाज़ा खटखटने वाला था की दरवाज़ा अंदर से ज़ोरदार आवाज़ के साथ खुल गया|

निंग क्षी एक बड़े से टॉवल में लिपटी हुई बाहर आयी| वह एक कीड़े की तरह उछल-उछल कर चल रही थी|

"ध्यान से|" निंग क्षी कहीं गिर ना जाए यह सोच कर लू टिंग उसे सहारा देने के लिए आगे आया|

निंग क्षी ने हाथ हिलाकर कहा, "मुझे नहीं अब आपको संभालने की ज़रूरत है|"

"मुझे? किस बात से?" लू टिंग ने को यह बात समझ नहीं आयी|

निंग क्षी ने लू टिंग को गंभीर तरीके से देखा, "मुझसे संभलने की जरूरत है आपको| नहाने के बाद मेरे शरीर में थोड़ी जान आ गयी है पर एक शांत ज्वालामुखी की तरह मेरे अंदर की आग अभी भी बुझी नहीं है वह कभी भी बाहर आ सकती है| आपके लिए यह अच्छा होगा की आप मुझसे दूर ही रहे, अगर मेरे अंदर का जानवर बाहर आ गया तो अच्छा नहीं होगा| ऐसे समय पर मेरा खुद पर काबू नहीं रहता|"

यह सुन कर लू टिंग ने थोड़ा मुंह बनाया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस बात पर हँसे या रोये|

वह तो खुद कब से इसी पल के इंतज़ार में था|

"दवाइयां इधर रखी हैं, क्या मैं कुछ मदद कर दूँ?"

"नहीं जरूरत नहीं है| खुद की भलाई चाहते हो तो कृपा करके मुझसे दूर रहो| मैं खुद ले लूँगी|" निंग क्षी ने सख्ती से कहा|

"मेरी भलाई?" लू टिंग ने अपने होठों को अंदर भिजा|

निंग क्षी ने पलकें झपकते हुए कहा, "आपने कहा था कि आपको मुझसे शादी सिर्फ सेक्स के लिए करनी थी|"

इस तरीके का आदमी जो इतना शिष्टचारी था चिराग लेने पर भी नहीं मिले सकता था| निंग क्षी के लिए अगर इस आदमी को अपने सिद्धांतों से समझौता करना पड़े तो वह खुद को माफ नहीं कर पाएगी|

लू टिंग ने अपने कपाल पर उँगलियां फिराते हुए सोचा, "क्या मैं अपने इन शब्दों को किसी भी सूरत में वापस ले सकता हूँ?"

निंग क्षी ने बेफिकरी से यूं ही कहा, "मैंने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ है|"

लू टिंग ने सिर हिलाया और उसे दवाएँ देते हुए कहा, "मैं बाहर इंतज़ार करता हूँ|"

"ठीक है पर जरा देखिये तो मेरे खुद के कपड़े और बैग बाहर पड़ा हुआ है क्या?"

"ठीक है|"

लू टिंग मुख्य कमरे में आ गया| थोड़ा इधर-उधर देखने के बाद उसे एक टोकरी के अंदर निंग क्षी के कपड़े और उसका समान मिल ही गया|

बैग के अंदर से रोशनी आ रही थी| निंग क्षी के फोन पर किसी का कॉल आ रहा था|

लू टिंग ने ऐसे ही एक नजर घुमाई और देखा कि किसका कॉल है,पर उसकी आंखे खुली की खुली रह गाय|

यह उसी आदमी का फोन था जिसकी पहचान अभी तक वह नहीं कर पाया था|

फोन लगातार बजे जा रहा था|

लू टिंग कुछ सेकंड के लिए फोन को घूरता रहा फिर उसने कॉल उठा लिया|

फोन के दूसरी तरफ से हल्की सी आवाज़ आ रही थी जैसे कोई ग्लास में शराब ड़ाल रहा हो| फिर किसी आदमी की आवाज़ आयी, "हैलो सिस्सी मेरा तोहफ़ा मिला क्या?"

लू टिंग ने कोई जवाब नहीं दिया|

"हैलो?"

पाँच सेकंड के बाद लू टिंग सोचने लगा कि यह आदमी और कुछ कहेगा या नहीं कि तभी फिर से आवाज़ आयी "तुम निंग क्षी नहीं हो ना?"

लू टिंग फिर भी चुप ही रहा|

फिर शराब का ग्लास टेबल पर ठोकने की आवाज आयी| वह आदमी उसी तरीके से आगे बोलता रहा,

 "तो फिर तुम कौन हो? मेरे अंदाजे से…. कोई आदमी ही होंगे| एक आदमी जो इतनी रात को निंग क्षी के साथ है| एक रात के लिए क्या? या उसके साथ डेट कर रहे हो?"

कुछ मिनट के लिए वह आदमी फिर चुप हो गया फिर चहकते हुए बोला, "अगर तुम उसके साथ रिश्ते में हो तो क्या उसने तुम्हें बताया कि वह दो पत्थरों पर एक साथ पैर रखे हुए है| सही पहचाना दूसरा पत्थर मैं हूँ|"

यह आदमी क्या कहना चाह रहा था?"

लू टिंग इस आदमी से कुछ और भी जानकारी लेना चाहता था कि तभी फोन बंद हो गया| फोन की बैटरी खत्म हो गयी थी|


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