जब प्यार पागलपन बन जाए तो सारी हदें तोड़ देता है| ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है, ये कहानी है 'किआ' की, जितना अजीब नाम उतनी ही अतरंगी है किआ, जिसने अपने प्यार को बचाने के लिए वक्त तक को रोक दिया था। किआ का प्यार, जो पागलपन की हद से परे था, और वहीं ऋषभ, जिसने बचपन में वो खोया था, जिसकी उम्मीद तक उसे नहीं थी। जिसने अपने आपको दुनिया से अलग - थलग कर दिया था, जो बस बदले के लिए जीना जानता था। क्या किआ उसे बदले की आग से, उस तूफान से निकाल पाएगी? क्या वक्त रुक जायेगा और ऋषभ का अस्तित्व हमेशा के लिए इस दुनिया से मिट जायेगा? जानने के लिए पढ़िए