इधर वही लड़की की गाड़ी महल में आके रुकी तो वो अपना वही झोला लिए जल्दी से अंदर जाने लगी ही थी की उसे रुद्र बाहर गुस्से में आता दिखा तो वो जल्दी से पीछे मुड़ते हुए जाने लगी और खुद से धीरे से बोली," ये तो पापा के उठने का समय नहीं है! ये इत्ती जल्दी कैसे उठ गए! बेटा अगर पकड़ी गई तो तू तो आज गई!" ये कहते हुए वो पीछे के रास्ते से जाने के लिए मुड़ी ही थी की किसी की गुस्से से भरी ज़ोरदार आवाज़ उसके कानो में गई," शिवी जहां हैं वहीं रुक जाएं!" रुद्र की गुस्से भरी आवाज पर शिवी स्तब्द खड़ी हो गई।
शिवी रूद्र के सामने खड़ी थी और जो उसके साथ आदमी गया था वो भी डरा सहमा, अपनी नज़र नीचे कर के खड़ा था।..... रुद्र गुस्से से सोफे पर बैठा हुआ शिवी को घूर रहा था।..... रूद्र ने सामने खड़ी शिवी से पूछा," आप बताएंगी आप यू सुबह सुबह कहा चली गई थी? और तुम केशव तुम इनके साथ क्यों गए थे? रोक नही सकते थे इन्हे?" उसकी बात पर केशव बोला," राजा साहब हमे माफ करे! हम..." वो आगे कुछ बोल पाता की तभी शिवी जल्दी से बोली," आपको कुछ कहने की ज़रूरत नही है! पापा हमने ही कहा था अंकल को साथ में चलने के लिए क्योंकि हमे पहाड़ी वाले.."
रुद्र उसकी बात को सुन कर गुस्से में बोला," आपसे कितनी बार कहा है की आप ऐसे नही निकल सकती हैं! और क्या ज़रूरत थी आपको वहां जाने की! आपको पता है न हमारे कितने दुश्मन है! वो हर टाइम आंख लगा के रहते हैं की कब आप उन्हे अकेले मिले और वो आपको नुकसान पहुंचाए! लेकिन आप है की समझती नही है हमारी बातों को। सोचती हैं की बेफिजूल की बात कर रहे हैं!" शिवी उसके चिल्लाने से सहम गई थी उसकी आंखों में नमी थी लेकिन उसने कुछ नही कहा था।... अरविंद जी रुद्र को रोकते हुए बोले," रूद्र आप गुड़िया को डरा रहे हैं! शांति से बात करे! अब वो आ गई हैं वो भी सही सलामत! तो आप उन्हे आराम से समझाए!" उनकी बात पर गायत्री जी ने शिवी को अपनी तरफ करते हुए उसे चुप कराते हुए कहा," आप अब फिर से ये न करना! और चुप हो जाए! रोते नही है! आप अपने पापा से सॉरी कहे!" उनकी बात पर शिवी ने रुद्र की तरफ़ देख कर कहा," आप मुझे क्यों नही जाने देते बाहर! क्यों नही जीती आम बच्चे की तरह अपनी जिंदगी? आप आज मुझ पर चिल्ला रहे हैं! आपको तो शायद आज याद भी नहीं की आज क्या है। सॉरी अगर मेने आपको परेशान किया!" ये कह कर वो जल्दी से अपने कमरे की तरफ रोते हुए चली गई।
रूद्र ने उसकी बात पर उससे कुछ नही कहा और चुप चाप अपने कमरे की तरफ चला गया।.... गायत्री जी ये देख कर चिंता में आ गई और वो शिवी के कमरे की तरफ जाने लगी तो अरविंद जी उनके हाथ को पकड़ते हुए उन्हे रोकते हुए बोले," आप उन दोनो को अकेला छोड़ दे! दोनो आपस में सुलझाए तो बेहतर होगा! और आज हमारी बहु का जन्मदिन है तो आप कुछ अच्छा बनाए सबके लिए।" उनकी बात पर गायत्री जी हल्के से मुस्कुरा दी और किचन की तरफ चल दी।.....
मध्यप्रदेश, भोपाल
एक बड़े से आलीशान घर में सभी लोग खाने की मेज पर बैठे थे।.... उस घर के मुखिया एक बड़ी सी चेयर पर बैठ कर अखबार पढ़ रहे थे।... वो अखबार बंद करते हुए बोले," अरे संध्या आज नाश्ता मिलेगा की हम लोग भूखे ही ऑफिस जाए!" उनकी बात पर संध्या जी जल्दी से नाश्ता नौकरों से रखवाते हुए बोली," नही वो बस आज हमने मीठा बनाया था तो देर हो गई। बस हो गया सब!" उनकी बात पर वो आदमी उन्हे देख पूछते हुए बोले," क्यों आज कुछ है क्या जो आपने मीठा बनाया है?" उनकी बात पर संध्या जी थोड़ा घबरा गई तो किचन से आती एक लेडीज टेडा मुसकुराते हुए बोली," बड़े भाईसाहब आज आपको पता नही आज शिवंगी का जन्मदिन है तो इसीलिए दीदी ने हलवा बनाया था।" उसकी बात सुन कर उस आदमी की आंखों में एक गुस्सा उतर आया और वो खड़े होते हुए गुस्से में संध्या जी को देख बोले," तुमसे कितनी बार कहा है की वो हमारे लिए और इस घर के लिए मर चुकी है! कोई नही है वो इस घर की! तो आज तुमने कैसे ये बनाया ये!" उनकी बात पर संध्या जी की आंखों में आसूं थे।
उनके पास में खड़ी वहीं लेडीज बिचारा सा मुंह बना कर बोली," भाई साहब हमने कहा था दीदी से लेकिन ये मानी नही!" उनकी बात पर वो आदमी गुस्से से उस हलवे के कटोरे को फेकते हुए बोला," जब रजनी ने तुम्हे बताया था तो तुमने क्यों बनाया? वो लड़की इस घर के लिए जब ही मर गई थी जब उसने हमारे दुश्मन के बेटे से शादी की थी!" ये कहते हुए वो उठे और वहां से गुस्से से चले गए।..... उनके पीछे उनके छोटे भाई संजय भी चला गया।.... संध्या जी वहीं पर बैठ कर रोने लगी तो रजनी उन्हे झूठा सहारा देते हुए बोली," दीदी आपको तो पता है न भईया ऐसे ही हैं! तो आप ऐसे रोए न!"
इधर दूसरी तरफ, बनारस
काशी अनाथालय
एक बीच की उम्र की औरत सभी बच्चों के पास बैठी उन्हे पढ़ा रही थी की तभी एक छोटी बच्ची उसकी तरफ आई और उसकी गोद में बैठते हुए उसके चेहरे को पकड़ते हुए बोली," गौरी तुम क्या यहां से चली जाओगी? हम सब को छोड़ के?" उसकी बात पर गौरी मुसकुराते हुए उसके फूले हुए गालों को खींचते हुए बोली," नही हमारी गुड़िया! हम तो नोकरी के लिए जायेंगे! और शाम तक आपके पास होंगे!" उसकी बात पर वो लड़की खुश हो गई और उसके गले लगाते हुए बोली," आह हमे तो लगा था की गौरी तुम कहीं जा रही हो! अच्छा हुआ तुम यहीं पर रहेगी तो हमे अच्छा अच्छा खाना खाने को मिलेगा!" उसकी बात पर सब बच्चे हस दिए और उनके साथ गौरी भी।...
इधर शिवी अभी तक गुस्से में बैठी अपनी मां की फोटो को देख रही थी और उस फोटो को देख बोली," मां! क्या आप वापस नही आ सकती!" ये कहते हुए उसकी आंखों में आसूं थे।..... इधर रुद्र तैयार हो रहा था और किसी सोच में डूबा हुआ था।.... उसकी नजर बेड के पीछे वाली फोटो पर गई जिसमे वो और उसकी पत्नी खुश लग रहे थे।... वो अपनी पत्नी को देख बोला," शिवांगी! आप सही कहती थी की शिवी हम पर गई है। जिद्दी बिलकुल हमारी तरह है लेकिन आपकी तरह उसमे बहुत समझ भी है! हम जानते है हम उस पर बहुत रोक टोक लगाते हैं लेकिन हम आपको खो चुके हैं। अब हम अपनी बच्ची को खोना नही चाहते हैं!" ये कहते हुए वो उसकी एक फोटो को साइड की टेबल पर से उठा कर उसे देखते हुए बोला," जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं! हमारी गिलहेरी!" ये कहते हुए उसकी आंखों में से एक आसूं उसकी फोटो पर जा गिरा जिसमे शिवांगी की हस्ते हुए फोटो थी।....
रूद्र शिवी के कमरे की तरफ गया और गेट खोल के अंदर आया तो देखा शिवी अभी भी गुस्से में थी और अपनी अलमारी के कपड़े निकाल के सफाई कर रही थी।..... रुद्र समझ गया था वो बहुत गुस्से में हैं।..... अकसर शिवी जब ज्यादा गुस्से में होती थी तो वो अपने कमरे की सफाई करनी चालू कर देती थी उसकी ये आदत शिवांगी के अंदर से आई थी।..... रुद्र शिवी को देख के एक गहरी सांस ली और बोला," शिवी!" उसकी बात पर शिवी ने उसे घूरा और मुंह फेर के गुस्से में बोली," जाए आप यहां से पापा ! हमे कोई बात नही करनी है!"
क्या रुद्र शिवी को माना पाएगा? क्या है रुद्र और शिवांगी की सच्चाई?" क्या होगा आगे?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे," इटरनल बॉन्ड:- लव बियोंड टाइम!"
- भूमिजा