अब आगे
सिद्धार्थ अपने कमरे में जाता है और श्रद्धा को फोन लगता है, पहले तो श्रद्धा उसका फोन नहीं उठाती है लेकिन बार-बार फोन आने पर उसे फोन उठाना ही पड़ता है। उसके फोन उठाते हैं सिद्धार्थ कहता है तुम भूल गए तुम्हें कुछ दिन तक यही रहना जब तक डिवोर्स नहीं हो जाता, उसकी बात पर श्रद्धा ने कहा मैं आज नहीं आ पाऊंगी आज माँ को मेरी जरूरत है इसलिए मैं हॉस्पिटल में ही रुकूंगी। सिद्धार्थ उससे पूछते क्या हुआ मन ठीक तो है ना कोई इमरजेंसी हो तो मुझे बताओ, उसके बाद तो श्रद्धा एक सारकास्टिक स्माइल के साथ रहती है जरूरत पड़ने पर अगर मैं तुम्हें बुलाऊं भी तो क्या तुम पहुंच पाओगे यह बोलकर वह फोन काट देती है।
इधर सिद्धार्थ उसकी बात का मतलब समझने की कोशिश कर रहा होता है लेकिन उसे कुछ भी समझ में नहीं आता है। इसी तरह वह रात गुजर जाती हो अगले दिन सुबह 7:00 के करीब श्रद्धा वापस मेंशन में आती है, पिछले दिन जब सिद्धार्थ श्रद्धा को लेकर आया था उस दिन मेंशन में कोई भी सर्वेंट नहीं था लेकिन आज श्रद्धा को आया देखकर सभी सर्वेंट खुश हो गए थे। श्रद्धा अभी अंदर जाकर सोफे पर बैठी हुई थी कि सिद्धार्थ बाहर से आता है जॉगिंग करके। जब वह श्रद्धा को ऐसे बैठे देखा है तो उसके पास जाकर कहता है क्या हुआ तुम ठीक तो हो ना।
लेकिन श्रद्धा उसे एक नजर देखकर इग्नोर कर देती है। सिद्धार्थ को उसके इग्नोरेंस पर बहुत गुस्सा आता है उससे कहता है, तुम मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रही हो, कल रात भी जब मैं तुमसे कहा कि कोई मुसीबत हो तो मुझे बुलाना तो तुमने बहुत अजीब जवाब दिया तुम जा सकती हो आखिर तुम्हेारे ऐसा कहने का क्या मतलब था।
श्रद्धा उसकी और देखते हो रहती है सिद्धार्थ इस समय मेरा तुमसे बहस करने का कोई मूड नहीं है मैं बहुत थक गई हूं मैं जा रही हूं आराम करने। लेकिन सिद्धार्थ तो आज जीत पड़े बैठा था वह जबरदस्ती श्रद्धा का हाथ पकड़ता है उसे सोफा बिठाकर बोलता है चुपचाप मेरी बात का जवाब दो तुमने ऐसा क्यों कहा कि मैं मुसीबत में तुम्हारे साथ नहीं रहता हूं। श्रद्धा भी गुस्से में आ जाती हो रहती है मुसीबत में तो मेरे साथ नहीं रहते हो तुम्हें कभी भी मैं फोन करूं तो तुम्हें इस बात से मतलब नहीं होता कि मैं कहां हूं कहां नहीं हूं तुम कहीं मैं फोन उठाते हो टाइम से, उसे दिन भी यही हुआ मेरा एक्सीडेंट हो गया था मैं रोड पर पड़ी हुई थी कुछ लोग मुझे हॉस्पिटल लेकर गए और अस्पताल में मेरा इलाज शुरू हुआ।
रोड पर उसे हालत में पड़े होने के बाद ही मेहनत में बार-बार फोन किया अस्पताल पहुंचने के बाद भी मैंने तुम्हें बार-बार फोन किया लेकिन तुमने एक बार भी मेरा फोन नहीं उठाया अरे फोन उठाना तो दो तुम तो इस अस्पताल में भागते हुए आए थे मैं एक पल के लिए खुश होकर कि तुम मेरे लिए आए हो लेकिन नहीं तुम तो अपनी माया के लिए आए थे वह भी उसकी हल्की सी खरोच पर। मैं वही तुम्हारे आसपास ही खड़ी थी लेकिन तुम मुझे इग्नोर कर दिया जैसे मैं वहां हूं ही नहीं तुमने मुझे देखा ही नहीं हो।
तुम्हारे लिए सिर्फ माया इंपॉर्टेंट रखती है मैं नहीं तो मैं भी तुम्हें इस रिश्ते के बोझ से अलग करने का रास्ता ढूंढ लिया जल्द से जल्द मुझे डिवोर्स दो और मुझे इस बोझ से आजाद करो। यह बोलकर वह उसका हाथ हटाकर वहां से चली जाती है, उसके जाने के बाद सिद्धार्थ का दिमाग खराब हो जाता है उसे याद आता है कि उसे दिन वह बार-बार उसे फोन कर रही थी और वह अपने काम पर होने की वजह से उसका फोन नहीं उठा रहा था, उसे लगा था कि श्रद्धा फिर से उसे घर बुलाएगी और उसके साथ टाइम स्पेंड करना चाहती है, लेकिन आज उसे पता चला कि वह उसे समय किस हालत में थी उसे बहुत ही ज्यादा खुद पर गुस्सा आ रहा था।
उसने तुरंत अपने असिस्टेंट को फोन किया कहा जिस दिन माया को हम हॉस्पिटल लेकर गए थे उसे दिन क्या श्रद्धा भी इस अस्पताल में थी यह बात पता करके मुझे बताओ।
सिद्धार्थ बिना नाश्ता की ही जल्दी से तैयार होकर अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है इधर श्रद्धा ने भी नाश्ता नहीं किया था उसे आज फिर वही सब याद आने लगा था अस्पताल में उसकी माया की केयर करना और उसका फोन भी रिसीव न करना, माया की प्रेगनेंसी रिपोर्ट, जब भी सिद्धार्थ से वह बच्चे की बात करती थी या उसके करीब आने की कोशिश करते थे सिद्धार्थ हमेशा उसे दूर चला जाता था। उसे तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि जब सिद्धार्थ उसके साथ नहीं रहना चाहता उसे प्यार नहीं करता उसके साथ समय नहीं बिताना चाहता तो उसे छोड़कर अपनी माया के पास क्यों था क्यों नहीं हो उसे डिवोर्स दे रहा है। यही सब सोच सोच के उसका दिमाग खराब हो जा रहा था और वह अपने बेड पर लेटे-लेटे रो रही थी। रोते-रोते ही वह कब नींद कि आगोश में चली गई उसे पता ही नहीं चला।
वहीं दूसरी ओर सिद्धार्थ अपने ऑफिस में बैठा था, उसके सामने असिस्टेंट से बताता है कि उसे दिन सच में श्रद्धा का एक्सीडेंट हुआ था जिससे उसे काफी चोट भी आई थी, और वह भी इस अस्पताल में थे जिसमें माया एडमिट थी, और यही नहीं जब उसने उसे अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज देखी तो उसे पता चला कि श्रद्धा एकदम सही कह रही थी उसे दिन सिद्धार्थ श्रद्धा के पास से ही गुजर गया था लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया था कि श्रद्धा वही है और वह माया की वार्ड मैं चला गया और उसमें यह भी साफ-साफ दिख रहा था कि वह माया के साथ जब केबिन में था तो श्रद्धा बाहर से सब देख रही थी।
अब उसे कुछ-कुछ समझ आने लगा था कि श्रद्धा उसे क्यों नाराज है और क्यों डिवोर्स लेना चाहती है, लेकिन फिर भी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी छोटी सी बात के लिए वह डिवोर्स क्यों ले रही है, वह दोनों तो हमेशा ही सेपरेट रहते थे।
( अब इस बेवकूफ को कौन समझाए कि उसकी नहीं हरकतों से श्रद्धा कितना हर्ट हुई थी )
दूसरी ओर माया अपनी शूटिंग में बिजी थी वैसे भी उसकी एक्टिंग उसकी कुछ खास अच्छी नहीं थी लेकिन आज उसका दिमाग खराब हुआ था सिद्धार्थ की बातों से। वह बार-बार गुस्से से रीटेक ले रही थी। उसके हरकत से सभी क्रूज मेंबर बहुत ज्यादा ही परेशान हो गए थे, एट लास्ट उन लोगों ने उस दिन की शूटिंग ही कैंसिल कर दी क्योंकि कोई भी उसे कुछ नहीं कह सकता था सिद्धार्थ की वजह से।
माया अपने वैनिटी वैन में आकर बैठी है उसके दिमाग खराब हुए जा रहा था उसको सारा गुस्सा इस समय से श्रद्धा पर ही था उसे लग रहा था कि इन सब की वजह सिर्फ श्रद्धा है , उसने अपने फोन से किसी को कॉल किया और उसे कुछ इंस्ट्रक्शन दिए, फोन कट करने के बाद वह गुस्से से बैठी हुई बोल रही थी अब देखो श्रद्धा तुम्हारे साथ में क्या करती हूं, सिद्धार्थ अब तुम्हें देखना भी पसंद नहीं करेगा। मैं तुम्हारा इज्जत के धज्जियाँ नहीं उड़ा दी तो मेरा नाम भी माया नहीं, सिद्धार्थ को मेरा होने से कोई नहीं रोक सकता।
आखिर क्या करने वाली है माया श्रद्धा के साथ जाने के लिए
To be continued ♥️♥️♥️
राधे राधे