अब आगे।
[रिया और नेहा अपने जनहित गर्ल्स हॉस्टल में पहूँच चुकी थी। रिया और नीलम ने अपने बैग्स अपने कमरे में रख दिए। कुछ देर बाद रिया वॉशरूम में फ्रेश होने चली गई। कुछ देर बाद वह वॉशरूम से बाहर आई और नीलम को देखकर बोली।]
"नीलम तू यहां क्या कर रही है? जा वॉशरूम में जाकर फ्रेश होकर आ!
[रिया कहती हैं। नीलम चली जाती है। 5 मिनट बाद नीलम वॉशरूम से बाहर कमरे में आ जाती है। रिया कमरे में बेड पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी तभी नीलम बोली।]
"रिया मुझे ऐसा लगता है कि हमने काफी लेट कर दिया है। क्योंकि देख न टाइम भी हो गया है बहुत ज्यादा। और हम यहां पर अभी 2:00 बजे पहुंचे हैं। मतलब अभी हॉस्टल से कॉलेज जाना सही नहीं रहेगा।
(नीलम ने अपना चेहरा टॉवेल से पोछते हुए कहा।)
" हां नीलम तू बिल्कुल सही कह रही है। एक काम करते हैं, आज कॉलेज जाते ही नहीं। कल से हम जाएंगे। आज पहला दिन था तो ज्यादा स्टूडेंट लोग भी नहीं गए होंगे।कॉलेज तो कल से ही जाएंगे हम। अभी आराम करते हैं आज के दिन के लिए। फिर कल से कॉलेज चले जाएंगे। हमें दिवाली से पहले जो असाइनमेंट मिला था कॉलेज की तरफ से, वह भी पूरा करना है न!
(रिया नीलम से कहा।)
[ नीलम पूरी तरह से फ्रेश होकर अपना बैग लिए बेड पर बैठ जाती है। और उनमें से कपड़े निकालने लगती है और कपड़े अपने रूम में ले जाकर रख देती है। रिया अपने रूम में अभी भी बैठे-बैठे सोच रही थी। वह शिवा के बारे में सोच रही थी। रिया शिवा की बाइक से तो जनहीत गर्ल्स हॉस्टल पहुंच चुकी थी,लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि, दोबारा उसकी मुलाकात शिवा से ही होने वाली है। रिया को जो सपने आ रहे थे। और सपने में जिस लड़के को वह देखती थी। आज वह उसके सामने था लेकिन, रिया उसे पहचान नहीं पाई क्योंकि, सपने में जो लड़का दिख रहा था उसका चेहरा धुंधला धुंधला सा दिख रहा था। इसलिए रिया उसे पहचान नहीं पाई।]
दोपहर 3:00 बजे।
अवस्थी जी का घर।
" सुमन जब से हमारी बेटी रिया हॉस्टल गई है ना तब से मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। हर पल, हर वक्त उसकी बातें मुझे याद आती है। जब वह दिवाली की छुट्टियों में पहली बार घर पर आयी थी न, तो मैं इतना खुश था कि जैसे मुझे सारा जहाँ मिल गया हो।
(आशीष जी ने सुमन से कहा।)
[आशीष जी अपनी बेटी रिया की तस्वीर हाथों में लेकर बेड पर लेटे हुए थे। उनके सामने सुमन जी बैठी हुई थी। फिर सुमन ने आगे बोला।]
" आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं रिया के पापा। आज तक कभी ऐसा नहीं लगा कि, रिया हमसे दूर चली गई है। लेकिन आज पहली बार पता नहीं क्यों लग रहा है कि, जैसे रिया की शादी हो गई हो और वह बिदा होकर इस घर से चली गई हो। मुझे भी बहुत याद आ रही है रिया की!
[सुमन भावुक मन से यह सब बोल रही थी। उसकी आंखों में भी आंसू थे। फिर सुमन जी ने रिया की तस्वीर आशीष जी के हाथ से लेते हुए उन्होंने वह तस्वीर दीवार पर टांग दी। और रिया की तस्वीर को छु कर फिर से भावुक हो गई। आशीष जी ने खुद को संभाला और कमरे से बाहर आ गए। सुमन भी कमरे से बाहर नीचे हॉल में आ गई और डाइनिंग टेबल से खाने की प्लेट्स लेकर किचन में चली गई।]
.......
[ शिवा रामनाथपुर के मार्केट से वापस अपनी बस्ती लौट रहा था। वापस लौटते हुए उसे जनहित गर्ल्स हॉस्टल दिखाई दिया। जैसे ही वह हॉस्टल को देखने लगा, तुरंत उसे आज उसे लड़की की याद आ गई; जो उसकी बाइक पर आज बैठी थी। शिवा ने थोड़ा स्माइल किया और बाइक स्टार्ट करके फिर से आगे बढ़ गया। अब तक शाम के 5:00 रहे थे, शिवा अपने गैरेज में बाइक पार्क करके बाहर आ गया। शिवा को देखकर बिरजू उसके पास आया और बोला।]
" अरे शिवा भाई आज कहां गए थे? दोपहर से दिखे नहीं कहा गायब थे आज?
( बिरजू ने शिवा से सवाल किया।)
" तू मेरी छोड़ और पहले यह बता की,तूने उसे लड़की से माफी मांगी कि नहीं?
( शिवा ने बिरजू से पूछा।)
" नहीं भाई आज वह मिली नहीं तो कैसे माफी मांगता। जब वह मुझे दिख जाए कहीं पर, तो मैं उससे माफी मांग लूंगा! टेंशन मत ले।
( बिरजू ने शिव से कहा। लेकिन शिवा थोड़ा गुस्सा हुआ। उसने कहा।)
" अबे, वह लड़की रामनाथपुर में रहती है, शहर में रहती है वो। और हम बस्ती में रहते हैं समझा वह लड़की यहा नहीं आ सकती। इसलिए तुझे ही उसके घर जाकर उससे माफी मांगनी पड़ेगी।
( शिवा ने बिरजू से कहा।)
[शिवा के मुंह से यह सुन बिरजू शिवा की ओर देखने लगता है।]
ऐसे क्या देख रहा है? तू सुन रहा है ना, मैं क्या कह रहा हूं?
(शिव ने बिरजू को कहा।)
" हां भाई मैं समझ गया और, सुन भी लिया। मैं कल ही रामनाथपुर जाऊंगा और उसे लड़की के घर जाकर उससे मैं माफी मांग लूंगा!
( बिरजू ने शिवा से कहा।)
[ इतना कहकर शिव अपने घर के लिए निकल जाता है। बिरजू पलट कर शिव को देख रहा है।
शिवा अपने घर में अपने मां के साथ रहता है। दरअसल, शिवा के पिताजी नहीं है। उनकी मौत कैंसर की वजह से हुई थी। शिवा को अभी भी इस बात का दुख रहता है कि, उसके पिताजी अब इस दुनिया मे नहीं है। लेकिन वह फिर भी अपनी माँ के साथ बहुत खुश है। शिवा की माँ ने उसे पाल पोसकर बड़ा किया है।]
" यह बिरजू कभी सुधर नहीं सकता। पहले तो लड़की को छेड़ता है और उसके बाद..माफी मांगने मे भी देरी करता है। बिरजू यह तेरी आखरी गलती होने वाली है। अगर इसके बाद भी अगर तूने किसी लड़की की तरफ आँख उठा कर भी देखा तो साले मै तेरी आंखें नोच लूंगा!
[बिरजू अपने मन में खुद से कहने लगा। उसे बिरजू पर अभी भी बहुत गुस्सा आ रहा था। लेकिन वह सबके सामने कभी जाहिर नहीं कर रहा था क्योंकि शिवा को यह कभी बर्दाश्त नहीं होता कि, किसी लड़की की रिस्पेक्ट या की उसकी इज्जत पर कोई उंगली उठाए या फिर उसके साथ कोई छेड़खानी करें या फिर कोई गलत हरकत करें।]
........
अभी शाम के 7:00 हैं। शिव अपने घर में बैठकर टीवी देख रहा था, तभी शिवा की माँ उसके पास आई और बोली
" शिव, आजा खाना खा ले। बाद में टीवी देख लेना!
(शिवा की मां सुनीता जी खाना डाइनिंग टेबल पर रखते हुए कहती हैं।)
(शिवा टीवी बंद करके चेयर से उठ खड़ा होता है और डाइनिंग टेबल के पास वाले चेयर पर बैठ जाता है। सुनीता जी उसे खाना परोसती है और कहती है)
"शिव बेटा, तेरा काम कैसा चल रहा है?
(सुनीता जी ने खाना परोसते हुए शिव से पूछा।)
" काम बहुत अच्छा चल रहा है माँ। और आजकल धंधा थोड़ा अच्छा चल रहा है क्योंकि, इससे पहले अच्छा नहीं चल रहा था क्योंकि , मेरा गैरेज उतना डेवलप नहीं था। जब से हम इस बस्ती में आए हैं तब से थोड़ा धीरे-धीरे हो रहा है।
( शिवा ने मुस्कुरा कर अपनी माँ से कहा।)
" अरे वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है बेटा। कोई नहीं ऐसे ही तरक्की करो,और आगे बढ़ो। कोई भी काम या फिर कोई भी धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता। काम काम ही होता है।
( सुनीता जी ने अपने बेटे शिव से कहा।)
[ इतना कहकर सुनीता जी शिवा के सिर पर हाथ फेरती है और वहां से किचन में चली जाती है। शिवा खाना खाने लगता है तभी उसका फोन एक कॉल से बज उठता है शिवा कॉल रिसीव करता है।]
" हां बोल धीरज!
" भाई जल्दी आओ तुम्हारे गैरेज मे। कुछ लोग तेरे गैरेज को तोड़ रहे हैं। तू जल्दी आजा प्लीज!
( शिव के दोस्त धीरज ने घबराते हुए कहा।)
[ जब शिवा ने धीरज के मुंह से यह सुना कि, उसका गैरेज कुछ लोग तोड़ रहे हैं तो, वह जल्दी से उठ खड़ा हुआ और जल्दी से हाथ धोकर बाहर आया। उसने बाइक स्टार्ट की और फास्ट स्पीड से अपने गैरेज पहूँचा। शिवा ने देखा कि कुछ लोग उसका गैरेज हाथ में हॉकी स्टिक लेकर तोड़ रहे हैं। कुछ लोग गैरेज का सामान बाहर फेंक रहे थे। शिवा जल्दी से गाड़ी से उतरा और भाग कर उनके पास आया।]
" तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई मेरे गैरेज को तोड़ने की। आखिर तुम लोग हो कौन?
( शिवा ने गुस्से में उन लोगों को देखकर कहा। तभी एक आदमी शिवा के आगे आया और उसने बोलना शुरू किया।)
" देख लौंडे, यह हमारा इलाका है। और तूने हमारी बस्ती में रहकर हमारी ही जगह पर अपना गेरेज खोला है। हमें तेरा गेरेज तोड़ने का आर्डर मिला है। हमारे बॉस ने यह कहा है कि, तेरा गैरेज तोड़ दिया जाए क्योंकि इससे पहले भी हमारे बॉस ने तुझे वॉर्न किया था। लेकिन तूने सुना नहीं था। इसलिए यह गेराज हम तोड़ रहे हैं। अब अच्छा होगा कि, तू यहां से निकल ले। अपना बोरिया बिस्तर बांध और इस बस्ती से आउट हो जा! चल निकल।
( उसे आदमी ने धमका कर शिवा से कहा।वह आदमी इतना बोलकर पीछे मुडा ही था कि शिवा ने उसके पीठ पर हाथ रखा और उसने बोलना शुरू किया।)
" यह गेराज तो यहां से नहीं हटेगा बॉस। क्योंकि इस गैरेज का मालिक मैं हूं। और मेरे होते हुए, मेरे गेरेज को कोई हाथ भी नहीं लग सकता। और रही बात तेरे बॉस की, तो जाकर उससे कह देना की शिव इस बस्ती में यूं ही नहीं रहता और ना ही किसी से डर कर रहता है। उसे जाकर बोल दो कि यह गेरेज नहीं हटेगा यहां से। जो करना है, कर ले। मैं नहीं डरता किसी से।
( शिवा ने अपनी कड़क आवाज में उसे आदमी को धमका कर बोला।)
[शिव के इतना बताते ही वह आदमी आग बबूला हो गया और, उसने हॉकी स्टिक उठाकर शिवा पर हमला करने की कोशिश की लेकिन, शिवा ने बीच में ही उसका हॉकी स्टिक हाथो से पकड़ लिया और; उस आदमी के मुंह पर अपने हाथों से एक पंच जड़ दिया। वह आदमी धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। तभी उसके पीछे खड़े कुछ लोग दौड़कर शिव के आगे खड़े हो गए उनमें से एक आदमी शिव को गुस्से से घर रहा था। उसने कहा।]
" अबे शाने तेरे में इतनी हिम्मत कहां से आ गई, जो तू हमें मारने चला है। चुपचाप यहां से निकाल ले वरना तेरी हड्डियां तोड़ तोड़ के चिल कौवो में बाट देंगे समझा!
( दूसरे आदमी ने गुस्से में घर कर अपना हॉकी स्टिक दिखाते हुए शिव से कहा।)
[शिवा का पारा हाइ हो चुका था। शिवा को बहुत गुस्सा आ रहा था उस आदमी पर। वह आदमी शिवा को मारने के लिए आगे बढ़ा।]
" लाथो के भूत, बातों से नहीं मानते। आजा बेटा।
[शिव ने अपने हाथों की मुठिया जोर से भीच ली, और उसे आदमी को मारने के लिए दौड़ा। दोनों आपस में टकराने लगे। शिवा ने उस आदमी का हॉकी स्टिक हाथों में ले लिया और इस हॉकी स्टिक से उस आदमी के पेट पर वार करने लगा। वह आदमी दूर जाकर एक चेयर पर गिर गया जिसकी वजह से चेयर क्रैक होकर टूट गई। वह आदमी फिर से खड़ा हुआ और फिर से शिव को मारने के लिए दौड़ा,लेकिन शिव ने उसकी गर्दन पकड़ी और उठाकर उसे दूर धकेल दिया। वह आदमी फिर से गिर पड़ा। बाकी बचे गुंडे लोग भी शिव पर वार करने लगे। लेकिन शिवा ने एक-एक को जोर से पीट दिया। सभी आदमी घायल होकर नीचे पड़े हुए थे। कुछ लोग चेयर पर गिर पड़े थे, कुछ लोग दीवार पर जाकर गिर पड़े थे, तो वहीं कुछ लोग किसी काँच पर जाकर गिर गए थे।]
" दोबारा मेरे बस्ती में या फिर मेरे गैरेज के आसपास भी नजर आए...तो तुम सब को यही जिंदा गाड़ दूंगा!
( शिव ने उन गुंडो को उंगली दिखाते हुए धमका कर कहां।)
[ सभी गुंडे लड़खड़ाकर खड़े हो जाते हैं, और वहां से लड़खड़ाते हुए ही जाने लगते हैं। शिवा और धीरज मिलकर गैरेज का सामान ठीक करते हैं और गेराज को पहले की तरह सेट कर देते हैं।]
" सुनो धीरज कभी भी, मेरी गैर हाजिरी में किसी अनजान आदमी को को मेरे गैरेज में आने मत देना। और, इस काम में तुम्हारी कोई लापरवाही मै बर्दाश्त नहीं करूंगा।
(शिवा ने धीरज को सख्त लहजे में कहा।)
" शिवा, भाई तू टेंशन मत ले। मैं सब संभाल लूंगा और कोई लापरवाही नहीं होगी!
( धीरज ने शिव को विश्वास पूर्ण कहा।)
[ शिव अपनी बाइक पर बैठ जाता है,और बाइक स्टार्ट करके वापस अपने घर आ जाता है। धीरज भी गैरेज का शटर बंद करके अपने घर चला जाता है।]
...........
जनहित गर्ल्स हॉस्टल।
रात 8:00 बजे।
[ गर्ल्स हॉस्टल में नीलम-रिया और उसके हॉस्टल के कुछ साथी डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे। हॉस्टल्स के कुछ सीनियर्स लोग भी अलग डाइनिंग टेबल पर अपना डिनर कर रहे थे। नीलम कल के बारे में सोच रही थी ,क्योंकि उन्हें कल से मेडिकल कॉलेज ज्वाइन करना था। रिया जो अभी खाना खा रही थी उसकी नजर सोच में पड़ी, नीलम पर पड़ी। तो रिया ने उससे पूछा।]
" नीलम क्या हुआ? खाना क्यों नहीं खा रही हो?
( प्रिया ने नीलम के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।)
" एक्चुअली रिया, मै कल के बारे में सोच रही हूँ। कल हमारा मेडिकल कॉलेज में सेकंड डे होने वाला है। आज का डे तो मिस हो गया , लेकिन कल से हमें रिपीट ज्वाइन करना होगा। पर प्रॉब्लम यह है रिया की हमने दीवाली से पहले जो असाइनमेंट लिया था, वह तो हमने आधा अधूरा ही लिखा है। अभी पूरा नहीं लिखा है। तो कल सर से क्या बोलेंगे हम उनको क्या जवाब देंगे? क्योंकि "सर ने दिवाली से पहले ही कहा था कि जो स्टूडेंट यह मेडिकल असाइनमेंट पूरा नहीं करेगा,उसे फुल मार्क्स नहीं दिए जाएंगे उनको सिर्फ आधे मार्क्स ही मिलेंगे।
(नीलम ने परेशान होते हुए रिया से कहां। रिया ने नीलम की बात पर थोड़ी स्माइल की और उसने आगे बोलना शुरू किया।)
" अरे नीलम तो टेंशन मत ले जो असाइनमेंट हमें मिला है। उसको हम पूरा कर लेंगे वह भी कॉलेज जाने से पहले ही। और अब तो प्रेक्टिकल भी होने वाला है।
( रिया ने मुस्कुराते हुए नीलम से कहां। रिया की बात से नीलम के चेहरे पर स्माइल आयी और वह रिलैक्स होकर फिर से डिनर करने लगी।)
.....
[अब तक के रात के 8:30 बज रहे थे। हॉस्टल के सभी गर्ल्स ने अपना डिनर कंप्लीट किया और अपने-आप कमरे में चले गए। हॉस्टल्स के सीनियर्स लोगों ने उनको सख्त हिदायत दे रखी थी की, कोई भी गर्ल्स देर रात तक ना जागे। रिया और नीलम भी अपने-अपने कमरे में चली गई। रिया कमरे में आयी और लेट गई। रिया आज के दिन के बारे में सोचने लगी रिया को अपने पिताजी की याद आ गई वह उनको याद करने लगी। रिया को उसे बाइक वाले लड़के की भी याद आई जिसने रिया और नीलम को उसे बस्ती से रामनाथपुर के गर्ल्स हॉस्टल तक लिफ्ट दी थी। लेकिन रिया ने उसे लड़के के बारे में ज्यादा ना सोचकर, सोने की कोशिश करने लगी। कुछ देर बाद रिया को नींद आ गई।]
......
[रिया अभी सो रही थी उसको नींद में फिर से वही सपना आया और सपने में वही लड़का नजर आया। जो उसे हमेशा हर रात सपने में दिखाई देता था अब की बार उस लड़के का चेहरा थोड़ा सा साफ नजर आ रहा था लेकिन चेहरा अभी भी पूरा साफ नजर नहीं दिख रहा था।]
" मेरी जान आ गई। कहाँ रह गई थी, इतने दिन? मैंने तुम्हारा कितना इंतजार किया है जान। तुम खुद देख सकती हो देखो मेरा यह हाल तुम्हारी वजह से हुआ। हर रात तुमसे मिलने आता हूं पर तुम तो मिलती ही नहीं। पता है मुझे कितना दुख होता है, जब मैं तुमसे नहीं मिलता जब तक मैं तुम्हारा दीदार नहीं कर लेता,तब तक मुझे चैन नहीं आता।
( उस लड़के ने थोड़ा दुखी मन से रिया से कहा। वह लड़का रिया के करीब आया और रिया को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। रिया की धड़कन तेज होने लगी और उसकी साँसे गर्म होने लगी ,क्योंकि अचानक से हुए इस हरकत से रिया हैरान हो गयी थी। उसे लड़के ने रिया से आगे बोलते हुए कहां।)
" ऐसे मत जाना मुझे छोड़कर, डरता हूं तुम्हें खोने से। मरता तो मैं हर रोज हूं ,लेकिन फिर से जिंदा हो जाता हूं तुम्हारे आने से। वादा करो मुझसे दूर नहीं जाओगी ?
[उसे लड़के ने रिया की आंखों में आंखें डाल कर कहा। जैसे ही उसे लड़के ने यह शब्द कहे तो रिया उसको देखते रह गई। रिया भी उसे लड़के के आंखों में देखने लगी।जैसे कहीं खो गई हो। रिया ने आगे कहां।]
" मैं तुमसे वादा करती हूं...मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी! हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी। तुम्हारे पास रहूंगी।
(रिया को कोई होश नहीं था। वह बस उस लड़के के सवाल का जवाब देते हुए बोल रही थी।)
[ उसे लड़के ने रिया को अपने सीने से लगा लिया और हग करके रिया के माथे को चूम लिया। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद, वह लड़का अचानक ही गायब हो गया। रिया को एहसास हुआ कि उसके सामने उसके साथ कोई नहीं है। वह खुद को अकेला फील कर रही थी। उसने आंखें खोली तो सामने कोई नहीं था। वह लड़का अब वहाँ नहीं था। रिया की आंखें नींद से फट से खुल गई और, रिया बेड पर बैठ गई। रिया ने अपने आसपास देखा तो वह अपने रूम में थी। आसपास कोई नहीं था। अब जा कर रिया को एहसास हुआ कि, वह सपना देख रही थी। वह सिर्फ एक सपना था जो हर बार उसे आता है और आज भी आया था।]
[ रिया के लिए यह सिर्फ एक सपना था। लेकिन असलियत तो यह थी कि, "जो लड़का रिया को सपने में हर रोज दिखाई पड़ता था, वह अब रिया की असल जिंदगी में आ चुका था।लेकिन रिया को इस बात से बेखबर थी।]
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{हेलो एवरीवन, अगर आपको इस कहानी का यह भाग पसंद आया है, तो आप मुझे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।}
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