(अब तक आपने देखा की रामनाथपुर की एक बस्ती मे बिरजू नाम का लड़का एक शहरी लड़की को छेड़ देता है। जिसकी चर्चा पूरे बस्ती मे फैली हुई है।)
अब आगे।
"क्या तुम उस लड़के को जानते हो? उसका नाम?
(पहले आदमी ने उस आदमी से पूछा।)
" हाँ।
(दूसरे आदमी ने जवाब दिया।)
"उस लड़के का नाम शिवा है। गरेज मे काम करता है। और वो बस्ती के आखरी घर पर रहता है। वो वही रहता है।
(दूसरे आदमी ने कहा।)
.....
" भाई मुझे माफ कर दे। आइंदा ऐसी गलती दोबारा नही होगी! भाई प्लीज़, माफ कर दे।
(जयपुर मे बने एक मैदान मे, एक लड़का हाथ जोड़े हुए सामने खड़े किसी से माफी मांग रहा था। उसका मुह लाल होकर सुजा हुआ था, मानो किसीने उसे बहुत मारा हो। उसकी नाक से खून भी बह रहा था।)
"माफी मुझसे नही,बल्कि माफी उस लड़कि को मांग। तूने कोई ऐसी वैसी गलती नही की है बिरजू! तूने आज एक लड़की की इज्जत पर हाथ डाला है। और इस गलती की सज़ा मिलेगी ही।
(बिरजू के सामने खड़े लड़के ने बिरजू को गुस्से से घूरते हुए कहा।)
" भाई प्लीज़, आखरी मौका। आखरी मौका दो गलती सुधारने का। मै वादा करता हूँ, मै आज से सुधर जाऊंगा, और अच्छाई की जिंदगी जीयूंगा।
(बिरजू ने रोते हुए कहा।)
"पहले तु मेरे साथ उस लड़की के घर चल। और उससे माफी मांग। अगर उसने तुझे माफ किया तो, मै तुझे माफ कर दूंगा। (
लड़के ने बिरजू से कहा।)
" ठीक है भाई, जैसा तुम कहो।
(वो लड़का बिरजू को अपनी बुलेट बाइक पर बिठा कर उस लड़की के घर पहुँचता है, जिसको बिरजू ने छेड़ा था।)
(लड़का घर की बेल बजाता है। दरवाजा खुलता है।)
"जी, मुझे माफ कीजिये, मैंने आपको पहचाना नही!
(लड़की की माँ ने पूछा।)
"आंटी जी, मेरा नाम " शिवा " है। मै जयपुर की बस्ती मे रहता हूँ। और यह मेरा दोस्त बिरजू है। दरसल हमे आपकी बेटी से मिलना है! क्या वो घर पर है?
(आंटी को समझ नही आ रहा था की, यह अंजान लड़के उसकी बेटी से क्यो मिलना चाहते है? आंटी ने पूछा।)
" पर आपको मेरी बेटी से क्यो मिलना है?
(आंटी ने पूछा।)
शिवा (अपने मन मे) - लगता हैं उस लड़की ने अपनी माँ को यह नही बताया की, उसके साथ छेड़खानी हुई हैं। अब क्या करु? कैसे बताउ इनको?
(आंटी ने शिवा को सोचते हुए देखा। जब सामने से कोई रेस्पोंस नही मिला तो आंटी ने फिर पूछा।)
"बताते क्यो नही, तुम दोनो? क्या काम है आप दोनो को मेरी बेटी से?
(आंटी ने शिवा और बिरजू को देख कर पूछा। शिवा ने कुछ सोचा और बोला।)
" अच्छा आंटी जी , हम चलते हैं।
(शिवा ने बिरजू की कॉलर पीछे से पकड़ी और उसे खिच कर ले जाने लगा।)
(आंटी जी लड़को का ऐसा बेहेव देख कर हैरान रह गयी। उन्होंने दरवाजा बन्द किया और अपनी बेटी के कमरे मे चली गई। आंटी का नाम सुषमा था।उसकी बेटी के नाम नेहा था।)
सुषमा जी - "नेहा!
नेहा - जी मॉम?
सुषमा जी - तु किसी शिवा नाम के लड़के को जानती है?
(शिवा नाम नेहा पहली बार सुन रही थी।नेहा किसी शिवा को नही जानती थी। उसने सुषमा जी से पूछा।)
नेहा - मॉम यह शिवा कौन है? मै किसी शिवा नाम के लड़के को नही जानती!
सुषमा जी - क्या? तु सच मे शिवा को नही जानती?
नेहा - मॉम , मैंने कहा न आपको , मै नही जानती उसे।
[सुषमा जी अब हैरान हो गयी। उन्हे यह समझ नही आ रहा था, की अगर नेहा उस लड़के को नही जानती तो फिर उस शिवा ने यह क्यो कहा की उन्हे मेरी बेटी से मिलना है। सुषमा जी ने सोचा की, शायद वो परेशान करने आये थे। ऐसा सोच कर वो कमरे से चली गयी।]
नेहा - यह मॉम को आज क्या हुआ? अजीब बाते कर रही है! पता नही किस शिवा की बात कर रही थी।
(नेहा खुद से ही बात करने लगी। नेहा ने अपना फोन लिया और यु- ट्यूब पर सोंग्स सुनने लगी।)
......
[शिवा और बिरजू शहर से वापस अपने बस्ती मे पहुँच गए। शिवा ने बाइक पार्क की और हेलमेट उतार कर बिरजू से बोला।]
"सुन..अगर वो लड़की दोबारा तुझे कही दिख जाए तो उससे माफी मांग लियो, और अगर इस बार तूने फिर से उसको हाथ भी लगाया तो हाथ काट दूंगा तेरे! समझा।
" हाँ भाई मै समझ गया।
(बिरजू ने सिर झुका कर कहा।)
[फिर शिवा आँखो पर ब्लैक गॉगल चढ़ाते हुए वहा से चला जाता हैं।]
["शिवा " शिवा जो रामनाथपुर की बस्ती मे रहता है। अपना गरेज चलाता है। उमर 28 साल। उसकी पर्सनलीटी की बात करे तो... फूल शर्ट एंड ब्लू जींस पहनता है। हाथ की स्लिव फोल्ड करके, गले मे रुद्राक्ष की माला, काले रंग के लम्बे बाल, जो उसके माथे पर आकर उसकी शोभा बढ़ा रहे थे। चेहरा भूरा गोरा, जो किसी हिरो से कम नही था। अंदर बनियान और शर्ट के बटन्स हमेशा खुले हुए रहता है। यह है शिवा की पर्सनलिटी।]
......
रामनाथपुर
रिया का घर।
[अगले दिन की शुरवात हो चुकी थी। आज सुबह रिया जल्दी से उठ गयी, और फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने बैठ गयी। राघव की ऑफिस मे एक ज़रूरी मीटिंग थी, इसलिए वो जल्दी से ऑफिस चला गया। रिया ने 8 बजे नाश्ता खत्म किया और आशीष जी के कमरे मे चली गयी। आशीष जी अखबार पढ़ रहे थे।]
"गुड मोर्निंग, पापा।
(रिया ने अंदर आते हुए कहा।)
" वेरी गुड मोर्निंग बेटा।
(आशीष जी ने रिया को देख कर कहा।)
"पापा, मै जा रही हूँ, आशीर्वाद दीजिये।
(रिया ने आशीष जी के पैर छुये और खड़ी हो गयी।)
" बेटी, मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तेरे साथ है। वैसे आज बहुत जल्दी तैयार हो गयी। अभी जा रही हो क्या?
(आशीष जी ने रिया को रेडी देख कर कहा।)
"जी पापा। मैं तो 11 बजे जाने वाली थी पर कॉलेज ग्रुप से प्रिंसिपल सर का मैसेज आया था। इसलिए जाना होगा।
(रिया ने बताया।)
" अच्छा अच्छा! बेटी तुम रुको मै गाड़ी निकालता हूँ। तुम्हे हॉस्टल तक छोड़ दूंगा।
(आशीष जी ने रिया से कहा।)
"पापा मै चली जाऊंगी। अच्छा एक काम कीजिये, आप मुझे मंदिर तक छोड़ दीजिये, फिर मै भगवान जी के दर्शन करके वहा से चली जाऊंगी। और पापा मै अकेली नही हूँ, नीलम भी मेरे साथ चल रही है। इसलिए आप चिंता मत कीजिये।
(रिया ने कहा।)
सुबह के 9 बज गए थे। नीलम तैयार हो कर रिया के घर पहुँची। रिया अपना बैग लिए सीढ़ियों से नीचे आती हैं। रिया नीलम को देखती है, जो सोफे पर बैठे अपनी घडी मे टाइम देख रही थी। रिया ने टी-शर्ट ड्रेस पहना हुआ था और ब्लैक जींस पहना था। रिया ने अपने बाल खुले ही रख दिये, क्योकि उसे बाल बांध कर रहना पसंद नही था। रिया बहुत खूबसूरत लग रही थी। रिया नीलम के पास आयी और आशीष जी को आवाज़ लगाई।]
"पापा, जल्दी चलिए, मुझे देर हो रही हैं।
(रिया ने आवाज़ लगायी।)
" रिया, तूने सब चीज़े पैक कर ली है न या फिर और कोई चीज छुट गयी है?
(नीलम ने रिया से पूछा।)
"अरे नही, मैंने सारी चीज़े पैक कर ली है।
(रिया ने जवाब दिया।)
[तभी आशीष जी आ जाते है।]
आशीष जी - चलो रिया।
[रिया और नीलम कार की पिछली सीट पर बैठ जाती हैं। आशीष जी ड्राइविंग सीट पर बैठ जाते हैं। आशीष जी सीट बेल्ट बांध लेते है, और कार स्टार्ट करके चले जाते है।]
[जनहित गर्ल्स हॉस्टल रिया के घर से बहुत दूर था। इसलिए अभी वो कार मे बैठी हुई थी। रिया कार की खिड़की से बाहर का नजारा देखने लगी। रिया के बाल हवा की वजह से बार बार उसके चेहरे पर आ रहे थे। रिया को अचानक से बैचेनी होने लगी, उसे घबराहट होने लगी। दिल धड़कने लगा। उसे फिर से वही एहसास हुआ, जो उसे बार बार होते है। आशीष जी ने कार की शीशे मे देखा, रिया अपने सीने पर हाथ रखे बैठी थी। आशीष जी ने कार रोक दी। और रिया से पूछा।)
"क्या हुआ बेटी? तुम ठीक हो?
(आशीष जी ने रिया से पूछा।)
[कार अचानक रुकने की वजह से रिया को समझ नही आ रहा था की, आशीष जी ने कार क्यो रोक दी। पर जब उन्होंने रिया को उसकी सिचुएशन पूछी, तो रिया समझ गयी, की उसके पापा क्या पूछ रहे है। रिया ने कहा।]
" कुछ नही पापा। वो मुझे थोड़ी बेचैनी सी हो रही हैं। लेकिन, चिंता की कोई बात नही है। यह मेरे लिए नॉर्मल है। आप को तो पता ही है!
(रिया ने बात को बदलकर कहा।)
[नीलम ने बैग से पानी की बोतल निकाली, और रिया को दी। रिया ने पानी पि लिया। अब जाकर रिया को ज़रा सी राहत मिली।]
"चलिए पापा।
(रिया ने आशीष जी से कहा।)
[आशीष जी फिर से कार स्टार्ट करके आगे बढ़ जाते है।]
[रिया तो अब रिलेक्स हुई थी। लेकिन वो अब इस बात से बिल्कुल अंजान थी की कोई उसका बरसो से इंतज़ार कर रहा है; या शायद ऐसा भी कह लो, की रिया को जिस लड़के की तलाश है, वो इंतज़ार अब हमेशा के लिए खत्म होने वाला था।]
"लो बेटा, पहुँच गए हम।
(आशीष जी ने कार रोकते हुए कहा।)
[रिया किसी सोच मे गुम थी, उसे होश नही था। आशीष जी की आवाज़ सुनायी नही दी।]
" हे रिया, मंदिर पहुँच गए। चले!
(निलम ने रिया से कहा।)
[रिया अब जाकर होश मे आयी और कार से उतर गयी। नीलम ने और रिया ने अपना पैकिंग बैग कार से उतारा, फिर रिया भावुक हो गयी ,और पापा के सीने से लग गयी।]
"पापा!
[आशीष जी रिया को हग कर लेते है। वो भी बहुत भावुक हो गए थे, क्योकि, रिया अब हॉस्टल मे रहने जा रही थी। रिया के बिना घर मे किसी का मन नही लगेगा।]
"मै आप सबको बहुत मिस करूँगी, पापा!
(रिया ने आशीष जी से अलग होते हुए कहा।)
"हम भी बहुत मिस करेंगे तुझे बेटा! आती रहना।
(आशीष जी ने कहा।)
[आशीष जी रिया को बाय बोलकर वहा से वापस घर चले जाते है। रिया मंदिर को देखती है। यह मंदिर भगवान " श्री गणेश जी" का था। मंदिर मे कुछ लोग आरती कर रहे थे। रिया और नीलम भी उस आरती मे शामिल हो गयी। लेकिन नीलम को बहुत जल्दी थी, हॉस्टल जाने की। वो रिया से बोली।]
"अरे रिया क्या कर रही है तु? जल्दी चल हमे हॉस्टल भी पहुँचना है!
(नीलम ने घडी मे टाइम देखते हुए कहा।)
" नीलम बस 2 मिनिट रुक जा! देख न बप्पा जी की आरती चल रही है। कितना अच्छा एनवयरोंमेंट बन जाता हैं, जब हम मंदिर मे आते हैं।
(रिया ने कहा।)
"हाँ हाँ मुझे मालूम है। अब चल भी यार, देर हो रही हैं।
(नीलम ने जल्दी मे कहा।)
[थोड़ी देर बाद दोनो सहेलिया मंदिर से बाहर आ जाती हैं और ऑटो रिक्शा स्टैंड पर पहुँचती हैं। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद एकऑटो रिक्शा उनके आगे रुक जाती हैं।]
"भैय्या, जनहित गर्ल्स हॉस्टल जाना है!
(रिया ने ऑटो वाले से कहा।)
[रिया और नीलम ऑटो मे बैठ जाती हैं। ऑटो चला जाता हैं। ऑटो रिक्शा एक बस्ती से गुजरता है। लेकिन, ऑटो रिक्शा वाला ऑटो को वही रोक देता है।]
" भैय्या आपने ऑटो क्यो रोक दिया?
(नीलम ने रिक्शा वाले से कहा।)
"रिक्शा का डिजेल खत्म हो गया है। सिर्फ आधा किलोमीटर तक चल पायेगा।
(रिक्शा वाले ने जवाब दिया।)
" तो आप हमे वहा तक छोड़ दीजिये जहाँ तक ऑटो चलेगा।
(नीलम ने कहा।)
"अरे नही नही, मेमसाब अगर मै आपको कुछ दूर तक छोड़ दूंगा तो डिजेल खत्म हो जायेगा। फिर मै वापस कैसे आऊंगा? इसलिए मै आप दोनो को यहाँ तक ही छोड़ सकता हूँ।
(रिक्शा वाले ने कहा।)
[रिया को कुछ समझ नही आ रहा था की अब वे क्या करे? नीलम ने रिक्शा वाले को भाड़े का पैसे दे दिये, और दोनो वहा से आगे बढ़ गयी। रिया-नीलम बस्ती को देखने लगी। छोटे छोटे पत्थर मिट्टी से बने घर, छोटी छोटी दुकाने थी। रास्तो पर गड्ढे भी थे। आस पास के आते जाते लोग रिया और नीलम को देखते हुए जा रहे थे, तो वही कुछ लोग खड़े होकर उन दोनो देख रहे थे।]
"यह कौन सी जगह है नीलम?
(रिया ने बस्ती को देखते हुए पूछा।)
" लगता है, यह कोई बस्ती है।
(नीलम ने कहा।)
"हाँ, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। पर अब हम यहा से जायेंगे कैसे? ऑलरेडी काफी लेट हो चुके है हम!
(रिया ने परेशान नीलम से कहा। फिर नीलम कुछ सोचते हुए आगे कहती हैं।)
" लिफ्ट से! हम किसी से लिफ्ट मांग कर चले जायेंगे।
(नीलम ने जवाब दिया।)
"
ठीक है, पर क्या तुझे सच मे ऐसा लगता है की, इस अंजान बस्ती मे हमे कोई लिफ्ट मिलेगी? पहले से ही यह बस्ती किसी आम गाँव की तरह लगती है।
(रिया ने अपने बाल सवारते हुए कहा।)
" लेकिन जाना तो पड़ेगा ही न रिया। क्योकि, वापस तो नही जा सकते न!
(नीलम ने कहा।)
[रिया नीलम की बात से सहमत हो गयी। और दोनो रोड के किनारे खड़े होकर हाथ के इशारे से लिफ्ट मांगने लगी। लेकिन वहा से गुजर रही एक भी गाड़ी रुक नही रही थी। बस्ती होने की वजह से कोई बस स्टॉप भी नही था, जिससे रिया बस से चली जाए। रिया और नीलम के पास लिफ्ट से जाने के सिवा और कोई रास्ता नही था। दोनो गर्ल्स परेशान हो गयी थी। दोपहर के 12 बजे थे, लेकिन अब तक कोई गाड़ी उनके इशारो पर नही रुकी। कुछ देर वेट करने के बाद एक "डिस्कवर" बाइक उनके सामने आकर रुक गयी। बाइक पर बैठा लड़का.. जिसने अपनी आँखो पर सन ग्लासेस पहना हुआ था। रंग गोरा। उसके काले रंग के बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे। वाइट शर्ट, ब्लैक जींस विथ बेल्ट मे वो शक्स बहुत ही एट्रेकटीव लग रहा था। रिया और नीलम कुछ देर उसको ऐसे ही देखने लगी। तभी रिया उस शक्स के पास आकर बोली।]
"एक्सक्यूज मी! क्या आप हमे, जनहित गर्ल्स हॉस्टल तक छोड़ देंगे? यही 2 किलोमीटर पर ही हॉस्टल है। दरसल हम इस बस्ती मे नये है, और इस बस्ती को ठीक से जानते भी नही है। हम पिछले 1 घण्टे से लिफ्ट मांग रहे है पर कोई गाड़ी नही रुकी।
(रिया ने अपनी सिचुएशन बताते हुए कहा।]
[वो लड़का बिना अपने चेहरे पर कोई भाव लाये रिया को देखे जा रहा था। लेकिन , एक लड़की की परेशानी वो भली भाँति समझ पा रहा था। उसने कहा।]
"हम्म, बैठो।
[रिया और नीलम दोनो खुश हुई और पीछे बाइक पर बैठ गयी। बाइक स्टार्ट हुई और वहा से फूल स्पीड से आगे बढ़ गयी। रिया उस लड़के के पीछे बैठी थी,और रिया के पीछे नीलम थी। कुछ दूर तक जाने के बाद रोड पर एक स्पीड ब्रेकर आया। लड़के ने कस कर ब्रेक मारा,तो रिया का सिर लड़के पीठ पर जा लगा। रिया का शरीर उस लड़के को टच हो रहा था। रिया के बॉडी एक करन्ट सा दौड़ गया। लेकिन फिर भी उसने खुद को संभाला। करीब 10 मिनट बाद वे जनहित गर्ल्स हॉस्टल के साइड वाले मैन रोड पर पहुँचे।लड़के ने बाइक रोक दी। रिया और नीलम बाइक से नीचे उतर गयी।]
"आपका बहुत बहुत शुक्रिया! आपने हमे यहाँ तक लिफ्ट दी।
(रिया ने मुस्कुरा कर कहा।)
[वो लड़का रिया को ऐसे मुस्कुराते हुए देखे जा रहा था, पर अभी भी उस लड़के के चेहरे पर कोई भाव ही नही था, मानो वो कोई इंसान नही कोई रोबोट हो। तभी रिया ने आगे पूछा।]
" वैसे, क्या मै आपका नाम जान सकती हूँ मिस्टर?
(रिया ने लड़के से नाम पूछा।)
" मेरा नाम "शिवा" है।
(लड़के ने अपना नाम बताया। रिया आगे कुछ पूछती, उससे पहले ही वो बिना कुछ सुने बाइक स्टार्ट करके वहा से चला गया। रिया उसे देख रही थी।)
"अजीब आदमी है, मेरे अगले सवाल को सुने बिना ही चला गया।
(रिया ने कहा।)
" अरे अब क्या KBC खेलेगी। चल यहाँ से। हमारा हॉस्टल आ गया है।
(नीलम ने रिया का हाथ पकड़ा और उसे वहा से ले गयी।)
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{ कैसा लगा आपको यह भाग? मुझे कॉमेंट सेक्शन मे ज़रूर बातये।}
{क्या होगा आगे? क्या शिवा अजनबी समझ कर रिया कर देगी उसे इग्नोर? या फिर से किस्मत के तार रिया को जोड़ देंगे शिवा से? }
(जानने के लिए पढ़ते रहिये, यह कहानी "तु मेरा हिरो"। सिर्फ "पॉकेट नोवेल" पर।