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33.33% dangerous Ishq / Chapter 2: पुलिस स्टेशन से बाहर

章節 2: पुलिस स्टेशन से बाहर

थोड़ी देर में एम्बुलेंस आ गई उस मे से डॉक्टर और नर्स बाहर आए।

इंस्पेक्टर ने बताया की इन दोनो लडको को अचानक से पेट में दर्द सुरु हो गया हे तभी रोहित और जोर से चिल्लाने लगा ये देख मोहित बोला।

" चुप कर ओवर एक्टिंग की दुकान सब को मरवाएगा तू "

" कुछ नई होगा देखना मेरी एक्टिंग से ज्यादा इंपैक्ट पड़ेगा सीन थोड़ा रियल लगे गा "

इतना बोल के रोहित और जोर से चिल्लाने लगा उसे देख सारी लड़कियां अपनी हसी नई रोक पा रही थी ।

" ओवर एक्टिंग कर रहा ये इडियट " किआ ने दूसरी लड़की को कहा।

" हा यार पक्का पकड़ा जाएगा " सभी लड़कियां आपस में बाते कर रही थी तभी डॉक्टर रोहित को चेक करने लगा फिर उसने कुछ दवाइयां लिख के इंस्पेक्टर को दी और अचानक से एक सिरिंज बाहर निकाला और उसमे एक वाइल से दवाई भरने लगा।

ये देख रोहित चौका।

" अरे ये क्या कर रहे हो "

डॉक्टर ने कहा।

" इंजेक्शन दे रहा हु तुम्हे इससे तुम्हे आराम मिलेगा "

ये सुन रोहित चिल्ला के खड़ा हो गया ।

ऋषभ उसे रोकने ही वाला था पर उससे पहले ही रोहित बोल पड़ा।

" मुझे कुछ नई हुआ में ठीक हु देखो कोई पेट दर्द नई हे "

ऐसा बोल के वोह डॉक्टर के सामने आराम से चलने लगा उसकी इस हरकत से ऋषभ ने अपना सर पकड़ लिया ।

" गई भेष पानी में "

इतना बोल के वोह मोहित को देखने लगा मानो उसे सॉरी बोल रहा हो की वोह उन सभी को बाहर नई निकाल पाया।

पर इंस्पेक्टर विक्रांत को सब समझ आ गया था की उन्हे बेवकूफ बनाने की कोशिश की जा रही थी।

कुछ ही देर में एम्बुलेंस जेसे आई थी वैसे ही वापिस जा रही थी सभी लोग एम्बुलेंस को जाता हुआ देख रहे थे और अब सब को ये बात पता थी की उनकी शामत आने वाली हे।

इंस्पेक्टर विक्रांत कुछ बोलने ही वहा था की किआ आगे आई और बोली।

" सर ये सब लडको का काम हे हमे इसके बारे में कुछ नई पता हमारा भरोसा कीजिए हम सब एक अच्छे फैमिली से हे हमे इन लडको के जैसी गिरी हुई हरकत करना नई आता आप चाहे तो हमारे बैकग्राउंड के बारे में बता कर सकते हे ओर ये मेरा आईडी कार्ड हे आप खुद देख लीजिए "

बोलते हुए किआ ने अपने पर्स से ग्रीन कलर का एक आईडी कार्ड निकाला ।

आईडी का कलर देख कर ही इंस्पेक्टर को बता चल गया की वोह लड़की युवराज फैमिली से हे क्यों की युवराज फैमिली के सभी मेंबर्स के पास अपना अलग आईडी कार्ड होता हे जिससे आयुष नगर में कही भी रोकटोक का सामना ना करना पड़े।

सभी लड़के किआ को देख रहे थे अक्षय गुस्से से दांत भिंचते हुए बोला।

" विभीषण कही की "

तभी किआ बोली।

" मेरा नाम किआ युवराज हे "

" ये वही ध्रुव युवराज की बेटी हे जिनके साथ अंकल की फाइनल रिसोर्सेज एक्सचेंज की डील चल रही हे "

दिपांश किआ को देख के मन में सोचने लगा तभी एक हवलदार इंस्पेक्टर विक्रांत के पास आया और कहा ।

" ये लड़की सच बोल रही हे ये देखिए "

इतना बोलकर उस हवलदार ने विक्रांत को अपना फोन पकड़ा दिया ।

विक्रांत ने देखा की फोन में जो पिक्चर दिख रही हे उसमे ध्रुव युवराज के साथ उसकी बेटी हे और पिक्चर में जो लड़की दिख रही हे वोह लड़की अभी विक्रांत के सामने ही खड़ी थी ये देख विक्रांत शांत हो गया फिर विक्रांत ने किआ को कहा ।

" सॉरी हमे नई पता था की आप युवराज सर की बेटी हे अगर पता होता तो हम आपको यहां नई लाते प्लीज आप जा सकती हे "

इंस्पेक्टर जानता था की ये एरिया और पूरा शहर और आस पास के शहर सारे ध्रुव युवराज के अंडर में आता है और इसके अलावा वही इन सब को कंट्रोल करता है तो सख्ती दिखाने का तो कोई फायदा ही नई था।

इसी लिए उसने किआ और उस के फ्रेंड्स को पुलिस स्टेशन से जाने के लिए कह दिया।

सभी लड़कियां वहा से बाहर जाने लगी तभी किआ बोली ।

" ऐसे बाहर निकला जाता है "

उसके बोलने का इशारा सीधा ऋषभ की तरफ था।

ये देख इवॉल को बहोत गुस्सा आया पर ऋषभ ने उसे वॉर्न करते हुए रोक दिया।

" ये ऋषभ को आखिर हुआ क्या हे इतनी बचकानी हरकत क्यों कर रहा किसी पागल को भी बता चल जायेगा की ये सब एक नाटक हे और बाहर निकल ने केलिए ८० के दसक का फ्लॉप आइडिया कोन इस्तेमाल करता हे आज के जमाने के पुलिस वाले क्या बेवकूफ हे जो इन सब बातो मे आजाएंगे आखिर हुआ क्या हे इतना स्मार्ट हे की कोई उसका मुकाबला तक नई कर सकता और अभी ये सब पागलपन कर रहा अगर हाईप्रिस्ट काउन्सल को ये बात बता चली तो आफत आ जाएगी मुझे ऋषभ से बात करनी होगी मगर ये जगह सही नही है पहले यहाँ से बाहर निकल ना होगा " दिपांश लगातार सब सोच ही रहा था की लडकयों को वहा से जाता देख अक्षय ने बोला ।

" ये ठीक नई हुआ ऋषभ, तुम्हे ईट का जवाब पत्थर से देना होगा "

फिर उसने मोहित की तरफ देखा और बोला।

" कुछ कर वरना सारी रात हम सब को ससुराल में गुजारनी होगी "

ये सब सुन किआ जाते जाते रुक गई और उसे यूं रुका हुआ देख सभी लड़कियां भी रुक गई।

" क्या हुआ " रिया ने पूछा ।

" कुछ नई वोह लड़का कुछ बोला ऋषभ का नाम लिया सायद , मुझे देखना हे वोह लोग क्या कर रहे "

ऋषभ का नाम सुन कर किआ को आज सुबह जब ऋषभ सिंघानिया से उसकी टैक्स मैसेज से बात हुई थी वो सब याद आ गया , वो सोच ही रही थी की तभी।

" रहने दे वैसे भी हमे काफी देर हो गई हे होटल भी जाना हे बता नई कोई टैक्सी मिलेगी भी या नई " उस लड़की ने किआ को कहा ।

किआ को उसकी बात सही लगी और वोह मुड़ के बाहर जाने लगी ।

तभी मोहित बोला ।

" बताओ इंस्पेक्टर को की तुम कोन हो , तुम्हे हम सब को यहां से निकाल ना होगा , तुम्हारी वजह से हम सब यहाँ आए थे भूल गए तुम्ही ने हमे इस ट्रिप पे आने के लिए मजबूर किया था , अब तुम पीछे नई हट सकते "

मोहित ने इमोशनल ब्लैक मेल करते हुए ऋषभ से कहा।

अपने सामने ये सब नौटंकी देख इंस्पेक्टर विक्रांत चिल्लाया।

" चुप हो जाओ सब "

इंस्पेक्टर का गुस्सा देख सब शांत हो गए।

किआ जो अभी बाहर जा चुकी थी पर सोर की आवाज सुन कर वापिस अंदर आ गई उसकी वजह से सभी लड़कियां उसके पीछे वापिस अंदर आई।

" हद हे यार " किआ की फ्रेंड मुंह बनाते हुए बोली।

तभी मोहित ने बोला ।

" ठीक है तुम्हे नई बताना तो कोई बात नई में बताऊंगा "

इतना बोलके मोहित इंस्पेक्टर को कुछ कह ने ही वाला था की इंस्पेक्टर विक्रांत बोल पड़ा ।

" क्या बता ना हे हा ? कब से बोले जा रहे हो एक मिनिट के लिए चुप नई रह सकते क्या …."

इंस्पेक्टर विक्रांत अब गुस्से में था उसने हवलदार को इशारा किया और हवलदार मोहित को पकड़ ने आगे आया।

तभी मोहित बोला।

" सर आप गलती कर रहे हो "

ये सुनते ही इंस्पेक्टर के दिमाग का पारा हाई हो गया अब इंस्पेक्टर खुद मोहित को पकड़ ने आगे आया तभी ऋषभ ने कहा ।

" सर इसे जाने दीजिए इसे कुछ नई पता प्लीज इससे गलती हो गई माफ कर दीजिए " ऋषभ रिस्पेक्ट के साथ बोला।

पर इंस्पेक्टर ने ऋषभ को जोर से धक्का दिया ।

ऋषभ साइड की दीवाल से जा भिड़ा ये देख सभी लोग चॉक गए।

अचानक किआ को बहोत सिर दर्द हुआ पर उसे पता नई चला की ऋषभ को तकलीफ में देख उसे क्यों तकलीफ हो रही।

दीपांश की आंखे भी गुस्से से लाल हो गई हाला की इंस्पेक्टर का ऐसा कोई इरादा नई था की वोह ऋषभ के साथ ऐसी कोई बदसलूकी करे पर इन सब में इंस्पेक्टर का ध्यान ही नई गया की उसने हड़बड़ाहट में ऋषभ को धक्का दे दिया था।

खैर जो भी हो अभी इंस्पेक्टर का गुस्सा सातवें आसमान पे था जैसे ही इंस्पैक्टर ने मोहित को पकड़ा की मोहित ने चिल्लाते हुए कहा ।

" सर ये ऋषभ सिंघानिया हे दिग्विजय सिंघानिया का बेटा और सिंघानिया अंपायर का वारिश "

मोहित के बोलते ही पुलिस स्टेशन में सन्नाटा छा गया सभी लड़कियां और पुलिस वाले अब ऋषभ को देख रहे थे मानो उन सब ने कोई भूत देख लिया हो।

इंस्पेक्टर विक्रांत के तो पैरो तले मानो ज़मीन ही खिसक गई हो उनके सिर से ठंडे पसीने की बूंदें गिर ने लगी।

जब सब ने ऋषभ सिंघानिया का नाम सुना तो सब चॉक गए।

किआ भी हैरान होके उसे देखने लगी अचानक उसके सर मे जोर से सर्द हुआ और उसने अपना सर पकड़ लिया।

तभी ऋषभ के सर मे भी हल्का दर्द हुआ जहां उसे चोट लगी थी पर उसने कोई रिएक्शन नई दिया पर ये बात दीपांश ने नोटिस कर ली थी पर उसने कुछ नई कहा।

किआ को महसूस हुआ की दर्द अचानक गायब हो गया हे। फिर उसने ऋषभ को देखा वोह भरोसा नई कर पा रही थी की जिसके बारे मे इतना सब सुना हे , जिससे वो रात रात भर , पूरे दिन बाते करती थी , जिसे वोह मिलना चाहती थी वोह पूरे वक्त उसके सामने ही था।

किआ हर वक्त ऋषभ को ऑनलाइन मेल्स किया करती थी अपने सवालों के जवाब के लिए ऋषभ का सिखाना किआ को काफी ज्यादा ईजी लगता था इसी लिए जब भी किसी इक्वेशन में किआ को कोई भी दिक्कत आती थी तब वोह ऋषभ के पास से ही सॉल्यूशन लेती थी।

यहां तक कि पिछले 6 महीने में किआ की बात अब ऋषभ से फोन पर डायरेक्ट मैसेज से होती थी वो ऋषभ से काफी ज्यादा क्लोज आ चुकी थी।

इधर इंस्पेक्टर विक्रांत की तो हालत ही खराब हो गई वोह हवलदार से सब पता करने केलिए पूछ ने ही वाला था की हवलदार ने उसके हाथो मे फोन पकड़ा दिया।

फोन में जब उसने देखा की एक पुरानी फोटो में जो लड़का दिख रहा था वोह ऋषभ जैसा ही था।

दरअसल ऋषभ की कोई भी पिक्चर ऑनलाइन या किसी भी मीडिया हाउस में नई थी क्यों की वोह अपनी प्राइवेसी बहोत ही स्ट्रिकली फॉलो करता था और दिग्विजय भी उसकी सिक्योरिटी को लेकर कभी कोई समझौता नई करता था इसी वजह से किसी को नई पता था की ऋषभ आखिर दिखता केसा था।

पर पुलिस के डाटा बेस में दिग्विजय ने उसकी एक पुरानी फोटो दी हुई थी ताकि इमरजेंसी में काम आ सके और आज काम भी आ गई। फोटो थोड़ी पुरानी थी पर ऋषभ के सिर पे जो बचपन मे चोट लगी थी वोह अभी भी दिख रही थी और चेहरा भी मैच हो रहा था इसके चलते विक्रांत को पता चल गया की फोटो में वही हे ।

पर तभी ऋषभ ने अपने वॉलेट से अपना आईडी कार्ड निकाला वोह गोल्डन कलर का था जिस पर ऋषभ की फोटो और दिग्विजय की सिग्नेचर की हुई थी।

जेसे ही ये कन्फर्म हुआ विक्रांत के तो तोते ही उड़ गए उसे याद आया की पिछले साल ऋषभ बाहर गया हुआ था गुमने केलिए।

वहा पे किसी लड़के ने उसे खाई से धक्का मार के जान से मारने की कोशिश की थी पर किसी तरह ऋषभ बच गया था पर जब ये बात दिग्विजय सिंघानिया को पता चली उसने उस लड़के के पूरे खानदान को जेल भिजवा दिया था। दिग्विजय सिंघानिया वोह तोप थी जिसका मुकाबला करने की ताकत देश के किसी भी बिग शॉट में नई थी वोह जब चाहे तब किसी भी स्टेट में जाके किसी को भी बरबाद करने की ताकत रखता था उसका खौफ इतना था की कोई भी उसके रास्ते का कांटा बनने की सोच भी नई सकता था।

भले ही ये ध्रुव युवराज का स्टेट था पर सब को दिग्विजय सिंघानिया की ताकत का अंदाजा था। इंस्पेक्टर को जब सब बाते क्लियर हो गई तब उसने काप ती आवाज़ में कहा।

" सर रियली सॉरी मुझे नई पता था आप दिग्विजय सिंघानिया के बेटे हो प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए मुझे अपनी गलती ठीक करने का.... एक मौका दे दीजिए "

इतना बोलके इंस्पेक्टर ने एक हवालदार को बुलाया और अपनी कार की चाबी देकर बोला ।

" सर और उनके फ्रेंड्स को सही सलामत होटल तक छोड़ के आओ और होटल मैनेजर को बोलना की ये हमारे टाउन के वीआईपी गेस्ट हे इनका खास ध्यान रखे और इनकी खातिर दारी में कोई कमी नई होनी चाहिए समझे "

सभी बॉयज वहा से जाने वाले थे सब खुस हो गए पर अचानक ऋषभ ने कहा ।

" सर में ये सब नई चाहता हम सब अपने आप ही चले जायेंगे मुझे कोई स्पेशियल अटेंशन नई चाहिए में बस यहाँ गुमने आया हु किसी को भी मुझे अपने बारे में कुछ नई बता ना मुझे ये सब ठीक नई लगता "

इतना बोलके ऋषभ वहा से जाने लगा।

उसे देख मोहित बोला।

" अच्छी खासी सवारी मिली थी होटल पहुंच जाते पर जनाब को तो कोई अटेंशन अच्छी लगती ही नई "

बोलते हुए मोहित और सभी बॉयज बाहर जाने लगे इंस्पेक्टर ने भी ज्यादा कुछ नई सोचा वोह जनता था की आज तक ऋषभ ने लैमलाइट से दूरी बनाकर रखी थी और इसी बात को लेकर इंस्पेक्टर ने कुछ नई कहा और ऋषभ और उसके फ्रेंड्स को वहा से जाने दिया।

" सर बच गए" हवलदार बोला।

" हा बच गए , वरना दिग्विजय सिंघानिया अपने व्हाइट टाइगर्स को भेजदेता और ये खूबसूरत शहर राख के ढेर में तब्दील हो जाता " विक्रांत माथे पर आया पसीना पोछते हुए बोला।

" सच कहूं दिग्विजय सिंघानिया से डेंजर्स उसके वो 5 व्हाइट टाइगर्स है , पता नही क्या चीज़ है , आज तक कोई उन 5 लोगो का मुकाबला तक नहीं कर पाया " एक लेडी कॉन्स्टेबल पास आकर बोली।

" अरे वो लोग सॉल एनर्जी में महारथ हासिल कर चुके है मेने ऐसा सुना है " विक्रांत ने बताया ।

पुलिस स्टेशन से बाहर आते हुए मोहित ने बोला ।

" इसे कहते हे द ऋषभ सिंघानिया "

बोलते हुए वोह लडकियों की तरफ देखने लगा।

" अब कुछ कहे ना हे या और कुछ बाकी रेह गया हे "

मोहित ने किआ की तरफ देखते हुए पूछा।

तभी ऋषभ बोला।

" चुप करो मुझे शांति चाहिए जो तुम लोग तो देने से रहे "

" ऐसा बोलो ना भाई आप को शांति चाहिए अपुन कल उसको ढूंढ के लायेगा "

रोहित टपोरी अंदाज में बोला ।

तभी दीपांश ने उसे चुप रहने का इशारा किया सभी बॉयज ऋषभ के पीछे चुप चाप चलने लगे।

रात का 1 बज रहा था सब पुलिस स्टेशन से दूर आ गये थे।

वहा कोई टैक्सी नई थी सड़क खाली थी कोई भी नई था बस आसपास बेघर लोग और कुछ शराबी धुत बन रोड के साइड में सो रहे थे सभी लड़कियां थोड़ी डरी हुई सी थी।

सब लोग खुद पे पछता रहें थे।

नाही वोह सब आपस में उलझते ना ही वोह पुलिस स्टेशन आते और ना ही उन्हें इतनी रात को सड़क पे यूं भूखा चलना पड़ता सभी को भूख लगी थी ग्रुप में हर कोई रिच फैमिली से आता था।

पर ऋषभ और किआ दोनो की बात अलग थी दो नो ही सब से अमीर और ताकतवर फैमिली से थे हालाँकि ऋषभ को इन सब से कोई फर्क नई पड़ता था।

वोह इन सब से दूर ही रहता था उसे अमीर या गरीब से कोई फर्क नई पड़ता था ना ही उसे कोई रिच लाइफस्टाइल की आदत थी पर किआ अलग थी वोह अमीरी दिखाने से पीछे नई हट ती थी पर तब जब उसके सामने कोई उसे नीचा दिखाने की कोशिश करे।

वोह मुंह तोड़ जवाब देना अच्छे से जानती थी पर ऋषभ ऐसा नई था वोह बात बात पे किआ की तरह वायलेंट नई होता था जब कोई और रास्ता ना हो तभी ऋषभ अपनी ताकत और औकात दिखाता था।

दीपांश भी ऋषभ का भाई था दिग्विजय के सगे बड़े भाई अधिराज सिंघानिया का बेटा था पर अधिराज एक आम जिंदगी जीता था अपने छोटे भाई के बड़े कहने पर ही अधिराज सिंघानिया इंडस्ट्रीज के बोर्ड मेम्बर्स में रुका हुआ था पर वोह बस दिग्विजय की वजह से रुका हुआ था सॉलेस सिटी में अधिराज एक मास्टर अल्केमिस्ट था और उसकी खुद की अल्केमिस्ट शॉप थी।

वरना उसे दौलत और शोहरत में कोई दिलचस्पी नई थी और यही गुण दीपांश और ऋषभ दो नो में एक साथ था।

दीपांश और इवॉल दोनों ऋषभ के एक लौते फ्रेंड्स थे इवॉल ऋषभ के साथ बचपन से था वोह उसकी अनब्रोकन स्वॉर्ड था जिस पे ऋषभ अपनी जान से ज्यादा भरोसा करता था वही दीपांश उसकी ढाल था जो हमेशा उसको दुनिया से बचाता था क्यूं की ऋषभ बाकी लोगों की तरह इतना चालक नई था की सही या गलत का अंदाजा लगा सके।

कोई भी उसे बेवकूफ बना सकता था।

सायद ये इसी लिए था क्यों की ऋषभ बचपन से अकेला रहा था ना बाहर जाना , ना किसी से मिलना और ना कोई फ्रेंड्स।

इसी एक वजह से दीपांश उसे लेके बहोत टैंशन में रहता था वोह हमेशा ऋषभ को लोगों से गुलने मिलने के लिए समझता था।

क्यों की उसे पता था की कोई भी इंसान अकेले पूरी जिंदगी नई काट सकता था।

आखिर ऐसा क्या था जो ऋषभ किसी के साथ शेयर नही करना चाहता था क्यों वो बचपन से बस अकेला रहा।

ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा ।

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आई होप मेरी दूसरी नॉवेल की तरह ये भी आपको पसंद आए ।

थैंक यू


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