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90% aawara ashiq / Chapter 9: मज़बूरीयां -4

章節 9: मज़बूरीयां -4

सुशीला आश्चर्य और रोमांच से भरी दोनों के देख रही थी उस के मन में कई सवाल उठ रहे थे माया की योनि में उठती उन्माद की तरंगे अब धीरे शांत होने लगी उसे अब दर्द होने लगा बाबूजी का लोड़ा उसके गर्भाशय में फंसा हुआ था दोनों अब शांत हो गए थे बाबूजी सुशीला के गालों को चूम रहे थे सुशीला ने आगे सरक कर अलग होना चाहा मगर हो ना सकी लोड़ा अभी भी योनि में फंसा हुआ था उसने लोड़ा बाहर निकालने के लिए कहा तो बाबू जी ने उठकर उसे बाहर की ओर खींचा फच्च की आवाज के साथ उनका विकराल लन्ड बाहर आ गया सुशीला का मुंह खुला रह गया उसकी आंखें आश्चर्य से फैल गई इतना प्रचंड और विकराल लंड देख कर उसके मन में उठे सवाल शांत हो गये थे वो मंत्रमुग्ध सी उसको निहार रही थी उस का रोम-रोम रोमांच से भर गया उत्तेजना और कामवासना उस पर हावी होने लगी बाबूजी बेड पर लेट गये उनका लोड़ा तना खड़ा था सुशीला कामोन्माद से भर कर उनके पास पहुंची और कांपते हाथों से उसको पकड़ा वो उसकी हथेली से भी ज्यादा मोटा था उसको छुते ही मानों करंट उसकी योनि में दौड़ गया लिंग को अपनी हथेली में लेकर वह रोमांचित हो रही थी उसकी घड़कन बढ़ गई और दिल उछलने लगा उत्तेजना से उसका बुरा हाल था उसकी सांसें बहुत तेज़ हो गई तभी माया उठ कर उसके पास आई और उसकी चूचियों को मसलते हुए उसके पतले होठों को अपने होठों में भर कर बेतहाशा चूमने लगी इधर बाबूजी ने अपने पैर को उसकी टांगों के बीच ले जाकर अपने अंगूठे से उसकी योनि को सहलाने लगे उसने चौक कर अपनी आंखें खोली बाबूजी ने सुशीला के हाथ पर हाथ रखकर अपने लोड़े को सहलाना शुरु किया अपनी हथेली में उस विशाल लंड की रगड़ को महसूस कर के उसकी योनि भीग गई फिर माया ने उसके ब्लाउज को खोल कर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया सुशीला की चूचियां देखकर बाबूजी के मुंह से लार टपकाने लगी उन्होंने आगे आ कर उसकी चूचियों को मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसकी धड़कने तेज हो गई और उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी वे बारी बारी से दोनों निप्पलों को चूस रहे थे सुशीला उनके लिंग को सहला रही थीं और माया उसके जिस्म को कपड़ों की कैद से मुक्त कर रही थी थोड़ी देर में ही तीनों निर्वस्त्र थे सुशीला के नंगे बदन को देख कर बाबूजी उत्तेजित हो गए उन्होंने सुशीला को बेड पर खींच लिया सुशीला उनके ऊपर गिर पड़ी बाबू जी ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूसने लगे सुशीला उत्तेजना के कारण अपने जिस्म को उनके जिस्म पर रगड़ने लगी बाबूजी ने उसके जिस्म के हर कोने में अपने होठों की मोहर लगा दी वह रोमांचित हो उठी उसने नीचे झुक कर लिंग को चूसना शुरू किया मगर वह कुछ ज्यादा ही मोटा होने कारण उसे अपने मुंह में नहीं ले सकी जब काफी कोशिशों के बाद भी वह सफल नहीं हुई तो बाबूजी ने उसके सिर को पकड़कर एक जोरदार धक्का लगाया तो लौड़ा उसके मुंह में घुस गया माया उठकर बाबूजी के मुंह पर आ कर बैठ गई और अपनी योनि को उनके होठों पर रख कर चटवाने लगी बाबूजी बेड पर लेटे-लेटे माया की योनि को चाट रहे थे और सुशीला उनकी टांगों पर बैठी लौड़े को चूस रही थी माया ने सुशीला के चूतड़ों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और झुक कर उसकी योनि को चाटने लगी तीनों एक दूसरे को बेतहाशा आनंदित कर रहे थे

सुशीला के चेहरे पर डर के भाव उत्पन्न होने लगे वो बिस्तर पर लेटे हुए थे और बाबूजी उसकी टांगों को फैला कर चूदाई के मूड में थे जैसे ही उन्होंने लिंग मुंड को उसके योनि द्वार पर सटाया उसके शरीर में सिरहन सी दौड़ गई उसे अब डर लगने लगा था और जल्दी उसका डर हकीकत में बदल गया बाबूजी का लोड़ा उसकी योनि को चीरता हुआ आगे बढ़ने लगा उसकी योनि फटने लगी थी वह दर्द से छटपटा रही थी बाबूजी ने उसके जिस्म को अपनी बाहों में भर कर एक जोरदार प्रहार किया सुशीला चिल्ला पड़ी दर्द से उसका बुरा हाल था उसकी योनि मैं बहुत दर्द हो रहा था वो चिल्लाने लगी और बाबूजी को छोड़ने के लिए कहने लगी बाबूजी ने रोककर उसे समझाया कि थोड़ा सब्र करो तो तुम्हें बहुत मजा आएगा और मुझे भी सुशीला का बुरा हाल था वह गिड़गिड़ा रही थी उसकी आंखों से आंसू निकल आए थे उसे देख कर बाबूजी का मन पसीज गया और उन्होंने अपना लोड़ा बाहर निकाल लिया सुशीला की योनि से खून बह रहा था और थोड़ा सा खून बाबूजी के लन्ड पर लगा हुआ था माया ने उसकी योनि को देख कर मुस्कुरा दी और अपनी एक आंख दबाकर बोली दीदी आपकी योनि का उद्घाटन हो गया अब ज्यादा दर्द नहीं होगा कसम से थोड़ा सा प्रयास कर लो तो जन्नत का मज़ा आने लगेगा सुशीला ने गुस्से में उसकी तरफ देखा माया ने तेल लेकर बाबूजी के लोड़े पर मलने लगी तेल मालिश के बाद उनका लोड़ा चमकने लगा बाबूजी ने सुशीला की योनि को चाटना शुरू किया तो वह मुस्कुरा कर बोली इस बार थोड़ा धीरे धीरे करो बाबू जी ने उसकी टांगों को फैला कर अपने कंधों पर रख लिया और दोनों हाथों से उसके कंधों को थाम कर अपना लिंग उसकी योनि में घुसाने लगे जैसे-जैसे लोड़ा अंदर जा रहा था सुशीला की आंखें फटी जा रही थी बाबू जी ने धीरे-धीरे करके धक्के लगाना शुरू किया लोड़े की रगड़ से उसे भी मज़ा आने लगा बाबूजी थोड़ा थोड़ा आगे बढ़ते हुए अपना लौड़ा उसकी योनि में घुसा दिया था सुशीला ने चिल्लाना शुरू किया तो बाबू जी ने उसके होठों पर अपने होंठ रख कर उसकी आवाजों को दबा दिया वो छटपटा रही थी मगर बाबूजी उसकी परवाह किए बिना अपने लिंग को योनि में पेल रहे थे थोड़ी देर बाद सुशीला ने विरोध करना बंद कर दिया उसे भी अब मजा आने लगा बाबूजी ने उसे बाहों में भर लिया और उठकर खड़े हो गए सुशीला उनकी गोद में किसी बच्चे की तरह थी जैसे ही उन्होंने अपना लौड़ा बाहर खींच कर अंदर डाला तो सुशीला चीख पड़ी बाबूजी का लोड़ा उसके गर्भाशय से जा टकराया था उन्होंने बिना रुके सुशीला को उछाल कर धक्के लगाना शुरू कर दिया उनके लोड़े का हर घक्का उसकी उत्तेजना को बढ़ाने लगा धीरे-धीरे सुशीला को भी मजा आने लगा उसका दर्द अब गायब हो चुका था और योनि का आकार फैल गया था ताबड़तोड़ चूदाई से सुशीला उत्तेजना के शिखर पर पहुंच गई थी और उसकी योनि में बरसना शुरू कर दिया उसकी योनि का रस बहकर लौड़े को भीगोकर बाहर टपकने लगा बाबूजी ने उसे वापस बिस्तर पर लेटा दिया और अपना लौड़ा निकाल कर उसकी योनि के रस को चाटने लगे थोड़ी देर चाटने के बाद उन्होंने सुशीला को घोड़ी बना दिया और उसके पीछे पहुंचकर दोनों हाथों से उसके कूल्हों को पकड़ कर अपने लोड़े को घुसा दिया सुशीला सिसकारियां भरते हुए अपने चूतड़ों को हिला हिला कर चोदने में सहयोग करने लगी बाबूजी उत्तेजना से भरी उसकी योनि को कुचलने लगे एक बेहतरीन चूदाई के बाद आखिरकार बाबूजी मंजिल के करीब पहुंच गए और एक जोरदार प्रहार के साथ उनका लिंग मुंड उसके गर्भाशय में समा गया सुशीला चिल्ला पड़ी उसकी टांगें कांपने लगी तभी बाबूजी के लोड़े ने वीर्य उगलना शुरू किया उनके गर्म वीर्य की पिचकारी ने सुशीला को चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया वह भी कांपने लगी दोनों एक साथ झड़ गए जैसे ही लौड़ा उसकी योनि से बाहर आया माया और सुशीला एक साथ उस पर टूट पड़ी दोनों अपनी जीभ से उसे चाट रही थी दोनों में होड़ मची हुई थी ज्यादा से ज्यादा चाटने की बाबूजी का लोड़ा अभी भी पूरी तरह अकड़ा हुआ था थोड़ी देर चाटने के बाद सुशीला लेट कर अपनी सांसो को संभाल रही थी इधर माया के दिल में एक क्रांतिकारी विचार जन्म ले चुका था उसने तेल की शीशी लेकर बाबूजी के लोड़े की मालिश शुरू की और ढेर सारा तेरा लगा दिया बाबू जी लेटे हुए मालिश का मजा ले रहे थे तभी माया ने ऊपर आकर लोड़े को अपनी गांड से सटा दिया और उछलकर एक ही बार में आधा निगल गई इस बार दोनों कि चीख एक साथ निकली थी उसकी गांड फटी जा रही थी मगर उत्तेजनातेजना की खुमारी उस पर हावी थी और उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया अब बाबूजी ने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए जैसी माया की गांड नीचे को आती बाबूजी नीचे से धक्का मार कर अपना लौड़ा अंदर धकेल देते दोनों एक साथ ताल से ताल मिला कर लगे हुए थे थोड़ी देर ऐसे ही चूदाई के बाद माया थकने लगी तो बाबू जी ने उसे बाहों में लेकर किसी बच्चे की तरह गोद में उठा लिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया माया की हालत बिगड़ने लगी इतना मोटा लौड़ा उससे सहन नहीं हो रहा था उसकी गांड फटी जा रही थी ऐसे लग रहा था मानो कोई मोटा सा डंडा उसकी गांड में डाल रहा हों वह गिड़गिड़ाने लगी और बाबूजी को रुकने के लिए बोलने लगी मगर बाबूजी अपनी मस्ती में डूबे उसकी गांड को ताबड़तोड़ चोद रहे थे माया की गांड में बहुत दर्द हो रहा था उसकी आंख से आंसू बहने लगे तो बाबूजी को उस पर दया आ गई और उन्होंने उसे नीचे उतार दिया उनका लिंग अभी भी पूरा तनाव में था अब बाबू जी ने सुशीला की और देखा और एक आंख दबाकर अपने लोड़े पर हाथ फेरते हुए उसके पास पहुंच गए लोड़े पर थोड़ा सा तेल लगाने के बाद उन्होंने माया की टांग पकड़कर अपने कंधे पर रख ली और झुक कर उसके निप्पल को मुंह में भर कर चूसने लगे थोड़ी देर चूसने के बाद उसके होठों पर अपने होंठ रख कर लौडा उसकी गांड से सटा दिया अरे जोरदार धक्के के साथ अंदर घुसा चीखना चाहती थी मगर उसकी चेक अंदर ही दब कर रह गई जैसे-जैसे बाबूजी का लोड़ा उसकी छोटी सी गांड को चोदता हुआ आगे बढ़ रहा था उसका दर्द उतना ही बढ़ता जा रहा था वह छटपटा रही थी मगर बाबूजी के मजबूत बाहों में कैद चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी आखिरकार उसने अपनी आंखें बंद कर ली और बाबूजी को सहयोग करने लगी थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और उसने अपने चूतड़ों को उछालना शुरू कर दिया यह देखकर बाबूजी जोश से भर गए और अपनी स्पीड बढ़ा दी सुशीला में कांपते हुए बोला बाबू जी थोड़ा रहम करो आज इसका उद्घाटन हुआ है यह सुनकर बाबू जी हंस पड़े कहने लगे मुझे पता नहीं था सॉरी गलती हो गई और उन्होंने तेल की शीशी लेकर थोड़ा सा तेल अपने लोड़े पर लगा लिया और धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू कर दिया अब सुशीला को और भी ज्यादा मजा आने लगा तो उसने थोड़ा तेल और लगाने को कहा अब तो उसकी गांड फैल कर गाजियाबाद बन चुकी थी उसे अब भरपूर मजा आ रहा था उसने बाबूजी को बाहों में भर कर करवट बदल ली आप ऊपर आ कर उछल उछल कर चोदना शुरू कर दिया आधे घंटे की पलंग तोड़ चूदाई के बाद आखिरकार बाबू जी मंजिल पर पहुंच गए और उसकी छोटी सी गांड को अपने वीर्य से भर दिया जो लोग पसीने से लथपथ बुरी तरह हाफ रहे थे

उस दिन तीनों ने पूरा दिन और पूरी रात जी भर कर अपनी वासना को शांत किया और उस दिन के बाद तो तीनों जब मन होता जी भर के चूदाई चूदाई खेलते थे

दोस्तों कृपया अपने सुझाव अवश्य दें अगर आपको कहीं त्रुटि नजर आए तो कृपया कर मुझे बताएं


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