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80% aawara ashiq / Chapter 8: मजबूरियां-3

章節 8: मजबूरियां-3

माया हाफ रही थी सुशीला की योनि भी उत्तेजना से भूल गई थी उसने भी अपनी टांगे मोड़ कर अपने शरीर को झुका लिया मेडी ने तुरंत माया को छोड़ दिया सुशीला की योनि चाटने लगा उसकी जांघों कांप रही थी कुत्ते के साथ सेक्स का रोमांच उसकी वासना को और अधिक भड़का रहा था मेरी ने अपनी दोनों टांगे उठाकर सुशीला की पतली कमर को जकड़ लिया और अपना लिंग योनि में प्रवेश कराने लगा मगर कई कोशिशों के बाद भी जब वह कामयाब नहीं हुआ तो माया ने अपना हाथ उसकी टांगों के नीचे ले जाकर उसके लोड़े को योनि से सटा दिया और एक जबरदस्त प्रहार के साथ योनि की दीवारों को रगड़ता हुआ पूरा का पूरा समा गया सुशीला चिल्ला पड़ी उसे बहुत दर्द हो रहा था मगर मेडी अपनी कमर उछाल उछाल कर उसे चोद रहा था सुशीला दर्द से छटपटा रही थी थोड़ी ही देर में उसकी योनि फैल गई और अब उसे दर्द की जगह मजे नहीं ले ली थी वह रोमांच से भर गई थी और अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए मेडी को चोद रही थी मेडी अब मंजिल पर पहुंचने वाला था उसके लिंग की गांठ फुल कर काफी मोटी हो गई थी सुशीला इस बात से बेखबर अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ से ठेलते हुए चोदने का मजा ले रही थी तभी अचानक मेडी ने एक देश भक्ति के साथ अपनी गांठ को अंदर धकेल दिया वह दर्द से तड़प उठी उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे मेडी ताबड़तोड़ चोदना जारी रखे हुए थे तभी मेडी के लिंग से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी और उसके गर्भाशय को भिगोने लगी सुशीला के लिए यह पहला अनुभव था उसके गरम वीर्य का फव्वारा अपने गर्भाशय पर महसूस करके उसकी योनि के बादल भी बरसने लगे उसकी रगों में उत्तेजना दौड़ गई वह कांपते हुए झड़ने लगी तभी मेडी में घूम कर अपने चूतड़ों को उसके चूतड़ों से सटा दिए और अपना लिंग बाहर खींचने लगा वह एक बार फिर चीखने लगी दर्द से उसकी योनि फटी जा रही उसने अपनी योनि को भीच लिया मेडी अपना लिंग बाहर खींचने के लिए जोर लगा रहा था काफी देर की कुत्ता घसीटी के बाद आखिरकार लोड़ा बहार आ गया सुशीला की योनि से खून टपक रहा था इधर माया यह सब देख कर उत्तेजित हो गई थी उसने मेडी के लोड़े को मुंह में भर लिया और चूसने लगी जल्दी ही मेडी फिर से तैयार हो गया उसने तुरंत झुक कर मेडी को आमंत्रित किया और मेडी ने भी बिना समय गवाएं अपना लोड़ा उसकी योनि में भर दिया दोनों कुछ ज्यादा ही रोमांचित हो गए थे और उछल उछल कर चोदने का आनंद ले रहे थे तभी अचानक मेडी का लोड़ा फिसल कर बाहर आ गया और जैसे ही उसने उछाल कर अंदर डालना चाहा तो वह उसकी गांड में घुस गया माया दर्द से चिल्ला पड़ी मगर मेडी अपना लोड़ा उसकी गांड में पूरा डाल चुका था और पूरी तेजी के साथ उसके गांड चोद रहा था माया को अब मजा आने लगा था उसने अपने चूतड़ों को भी हिलाना शुरू कर दिया था मेड की गांठ एक बार फिर से फूल गई उसने अपने लोड़े के एक जबरदस्त प्रहार के साथ अपनी गांठ को अंदर धकेल दिया माया तड़प कर रह गई उसकी गांड फट गई थी मेडी अभी भी धक्के लगा रहा था और जल्दी ही उसने पिचकारी छोड़ दी और घूम कर अपना लौड़ा बाहर खींचने लगा मगर इस बार गांठ कुछ ज्यादा ही मोटी हो गई थी जिसके कारण वह अंदर फस गई थी जब काफी देर की कोशिशों के बाद भी बाहर नहीं आई तो माया ने सुशीला से मदद मांगी सुशीला ने हाथ से पकड़ कर बाहर की तरफ खींचा तो फचच की आवाज के साथ लोड़ा बाहर आ गया मेडी दौड़कर कमरे से बाहर निकल गया दोनों एक दूसरे की हालत देखकर हंसने लगी

समय अब तेजी से गुजर रहा था दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी दोनों हमेशा साथ ही रहती थी एक दिन बाबूजी किसी काम से बाहर गए हुए थे मौका पाकर दोनों ने काम क्रीड़ा शुरू कर दी एक दूसरे के जिस्म को कपड़ों की कैद से आजाद करने के बाद दोनों फर्श पर लेट कर एक दूसरे की योनि को चाटने लगी दोनों उत्तेजना में इतनी खो गई कि उन्हें बाबूजी के आने का पता ही नहीं चला और जैसे ही उनका ध्यान दरवाजे की तरफ गया तो दोनों चौक पड़ी दरवाजे पर बाबूजी सामान लिए खड़े थे वह दरवाजा बंद करना भूल गई थी दोनों घबराकर बाथरूम में दौड़ पड़ी बाबूजी चले गए थे उन्होंने बाहर आकर कपड़े पहने पूरा दिन वह कमरे में ही रही शाम को बाबूजी ने माया को चाय बनाने को कहा तो माया घबराते हुए चाय लेकर उनके कमरे में गई और कांपते हाथों से चाय देकर वापस कमरे में चली आई

रात को खाने की टेबल पर भी सन्नाटा छाया खाना खाने के बाद बाबू जी ने उनसे कहा मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है दोनों घबरा गई बाबू जी ने कहा आज तुम दोनों को इतना खुश देख कर मुझे बड़ा अच्छा लगा यह सुनकर दोनों हैरान रह गई और बाबूजी को देखने लगी वह मुस्कुरा रहे थे बोले यह तो अच्छा है कि तुम दोनों ने एक दूसरे के जीवन के अकेलेपन और उदासी को दूर करने का साधन ढूंढ लिया अभी तुम दोनों की उम्र ही क्या है मैं तो कहता हूं कि तुम दोनों दूसरी शादी कर लो यह पहाड़ जैसी जिंदगी अकेले नहीं कटेगी दोनों की आंखों में आंसू भर आए और वह दौड़ कर बाबूजी से लिपट गई बाबू जी ने उन्हें चुप कराते हुए कहा मैं सच कह रहा हूं तुम दोनों को देखकर मुझे बहुत खुशी हुई और इतना कहकर उन्हें अपने सीने से लगा लिया दोनों बाबू जी से लिपट गई बाबू जी ने अपना हाथ माया की गांड पर रखकर धीरे से दबा दिया और सहलाने लगे माया नहीं चौक कर उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मुस्कुराकर उसे आंख मार दी माया भी मुस्कुरा पड़ी

अगले दिन बाबू जी ने माया को अपने कमरे में बुलाया और उसे मालिश के लिए तेल लाने को कहा माया कटोरी में तेल लेकर कमरे में गई तो बाबूजी सिर्फ नेकर में बैठे थे उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए थे बाबूजी फर्श पर लेट गए माया उनके शरीर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी जैसे ही उसने तेल मलना शुरू किया तो उसके शरीर में सिरहन दौड़ गई काफी समय के बाद किसी मर्द के शरीर को इतने करीब से छुआ था उसकी योनि में गुदगुदी होने लगी थी मगर वह अपनी भावनाओं को काबू करते हुए मालिश कर रही थी अचानक उसका हाथ फिसल गया और मैं बाबूजी पर गिर पड़ी बाबू जी ने घूम कर उसको उठाया और पूछने लगे कहीं चोट तो नहीं आई तो वह मुस्कुरा कर बोली नहीं बाबू जी मेरा हाथ फिसल गया था मैं ठीक हूं बाबूजी उठ कर बैठ गए और माया को अपने सीने पर तेल लगाने के लिए कहा माया उनके सामने बैठी हुई उनकी चौड़ी छाती पर तेल मल रही थी तभी बाबू जी ने अपना हाथ उसकी चुचियों पर रख दिया और सहलाने लगे माया ने चौकने का नाटक किया बाबूजी ने उन्हें कसकर दबा दिया माया के मुंह से सिसकारियां निकल गई दोनों चीजों को दबाते हुए उन्होंने अपने होंठ माया के पतले होठों पर रख दिए और उसे उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया माया भी उत्तेजित होने लगी थी उसने भी सहयोग करना शुरू कर दिया उन्होंने माया के ब्लाउज खोलकर दोनों चूचियों को आजाद कर दिया उसकी मोटी मोटी चूचियां देखकर बाबूजी की लार टपकने लगी थी उन्होंने निप्पल मुंह में भरकर चूसना शुरू किया तो माया सिसकारियां लेते हुए उनसे लिपट गई और उनकी गोद में बैठ कर जैसे ही अपनी योनि को उनके लोड़े से लगाया तो उछल पड़ी बाबू जी ने उसे अपनी टांगों पर लिटा लिया और उसकी पेटिकोट का नाडा खींचकर साड़ी और पेटीकोट को निकाल कर एक तरफ फेंक दिया माया किसी बच्चे की तरह उनकी टांगों पर नंगी लेटी हुई थी और दोनों हाथों से अपनी योनि को ढक रखा था बाबू जी ने उसकी टांगों को फैला कर उसे नीचे खींच लिया और उसके हाथ को को हटाकर अपने होंठ उसकी योनि पर रख दिए और अपनी जीभ अंदर डाल कर चाटने लगे माया की योनि उत्तेजना से खुल गई थी उसे बड़ा आनंद आ रहा था वह दोनों हाथों से उनका चेहरा थाम कर अपनी योनि को उनके होठों पर रगडने लगी बाबूजी उसके योनि रस को की जीभ से चाट कर उत्तेजित हो गए उन्होंने खड़े होकर अपना नेकर उतार दिया तभी माया चौक कर उठ गई उसकी आंखें डर के मारे फैल गई वह फटी आंखों से उनका लोड़ा देख रही थी उसने कांपते हुए उसको छुआ तो उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई वह 13 इंच लंबा और 6 इंच मोटा विकराल लंड था इतना बड़ा लोड़ा उसने आज तक नहीं देखा था उसे देख कर उसका गला सूख गया और होंठ कांपने लगे थे बाबू जी ने उसके सिर पर हाथ रखकर उसके होठों को अपने लिंग मुंड उसे सटा दिया उसे ऐसे लगा मानव कोई जलता हुआ कोयला उसके होठों पर रख दिया बाबूजी का लोड़ा एकदम सख्त और तप रहा था अपना लौड़ा उसके होठों पर रगड़ते हुए बाबूजी को मजा आने लगा माया ने अपने होठों को खोल कर उसे अपने मुंह में भर लिया बाबू जी ने धीरे धीरे उसे अंदर धकेल दिया उनका लोड़ा उसके गले तक पहुंच गया था और अभी भी आधे से ज्यादा मुंह से बाहर था उसके गले से गू गू की आवाजें निकल रही थी और बाबूजी धक्के लगा कर अपने लोड़े हो उसके मुंह में भेज रहे थे थोड़ी देर के बाद उन्होंने बाहर खींच लिया और अपने लोड़े को सहलाते हुए उसकी टांगों के बीच में बैठकर अपना लौड़ा उसकी योनि पर रख दिया और उसके उपर लेट कर उसके होठोंटो को चूसते हुए अपना लौड़ा योनि पर रगड़ने लगे माया की योनि में चिटियां काटने लगी वह उत्तेजना से भर कर बाबूजी से लिपट गई अपनी टांगों को ऊपर उठा कर अपनी योनि को रगड़ने लगी बाबू जी ने धक्का लगा कर अपना लिंग उसकी योनि में प्रवेश करा दिया जैसे-जैसे लोड़ा अंदर जा रहा था माया दर्द से छटपटा रही की योनि में पहली बार इतना बड़ा लौड़ा प्रवेश कर रहा था जो उसकी योनि को फैला कर कुचलता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था और जल्दी ही वह अंतिम छोर तक जाकर गर्भाशय से सट गया बाबू जी ने अब धक्के लगाना शुरू कर दिया माया दर्द से छटपटाते हुए उस विक्राल लंड को अपने गर्भाशय से टकराते हुए साफ-साफ महसूस कर रही थी बाबूजी का हर घक्का उसकी उत्तेजना को बढ़ा देता उसे भी मज़ा आने लगा और वो अपनी योनि को उछाल उछाल कर चूदाई में साथ देने लगी माया की योनि रस से भर गई थी दोनों पूरी शिद्दत से चूदने में एक दूसरे को सहयोग कर रहे थे तभी माया खड़ी हुई और अपनी टांगे फैलाकर नीचे बैठे बाबूजी के मुंह पर आ गई उसकी योनि से रस टपक रहा था बाबू जी ने अपने होठों को योनि पर रख कर जीभ को अंदर डाल दिया और उसके रस को चाटने लगे माया को बहुत मजा आ रहा था जी भर कर योनि को चटवाने के बाद वह उठकर बिस्तर पर आ गई और अपनी टांगे मोड़ कर घोड़ी बन गई अपने भारी चूतड़ों को हिलाते हुए चूदाई के लिए कहने लगी बाबूजी उठकर उसके पीछे जाकर खड़े हो गए और अपना लौड़ा उसकी योनि मुख से सटाकर एक ही धक्के में पूरा अंदर डाल दिया माया चिल्ला पड़ी उसकी चीख सुनकर सुशीला भी कमरे में आ गई उसकी आंखों को यकीन नहीं हुआ बाबूजी दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ कर ताबड़-तोड़ चोद रहे थे और माया उनके सामने घोड़ी बनी छटपटा रही थी तभी बाबूजी ने अपनी स्पीड बढ़ाई तो वह दर्द से तड़प उठी उन का मोटा लिंग मुंड उसके गर्भाशय को कुचल रहा था बाबू जी अब उत्तेजना के चरम पर पहुंच गए थे और तभी गजब हो गया बाबूजी के अंतिम प्रहार में उनका लिंग मुंड उसके गर्भाशय को फैला कर अंदर समा गया माया के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी तभी बाबूजी के लोड़े ने अंगड़ाई लेते हुए अपना वीर्य उगलना शुरू कर दिए उनके गर्म वीर्य की पिचकारी ने माया को चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया और उसकी योनि ने भी बरसना शुरू कर दिया दोनों कांपते हुए झड़ने लगे सुशीला पास खड़ी आश्चर्य से दोनों को देख रही थी दोनों हांफते हुए अपनी सांसों को समेट रहे थे


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