दस मिनट से अधिक समय बीत चुका था, लेकिन संदेश अभी भी नहीं पहुंचा था, तो किन जहीए ने यूशेंग को एक बार फिर से फोन किया लेकिन अभी भी लाइन व्यस्त जा रही थी।
किन जहीए समझ नहीं पा रही थी कि क्या हो रहा है। उसने घर का फोन, जो मेज पर रखा था उससे गु यूशेंग का नंबर मिलाया।
कॉल तुरंत लग गया।
ये वैसा ही था जैसा उसने अनुमान लगाया था। जब उसने पहली बार उसको फोन किया था तब से उसने किन के नंबर को ब्लॉक कर दिया गया था।
किन जहीए की आंखे थोड़ी सी मंद हो गईं। उसने फोन को काटने के दौरान नौकर से कहा कि वो दिन में गु यूशेंग से संपर्क करे, लेकिन तभी अचानक से फोन उठ गया। गु यूशेंग को लग रहा था कि ये किन का कॉल है उसकी आवाज बेहद में नाराजगी थी। "तुम्हारी क्या समस्या है ? क्या मैंने तुमको मुझे किसी भी चीज के लिए परेशान नहीं करने के लिए नहीं कहा?"
"दादाजी ने फोन किया था ..." किन जहीए ने तुरंत फोन करने का उद्देश्य इस डर से बताया कि किसी भी पल यूशेंग फोन रख सकता था।
"दादाजी ने कहा कि वह आज सुबह बीजिंग पहुंच गए है और हमसे शाम को वहां डिनर के लिए मिलने को कहा है।"
फोन के दूसरी तरफ गु यूशेंग चुप रहा।
किन जहीए ने कुछ समय के लिए इंतजार किया, लेकिन जब ये देखा कि गु यूशेंग अभी भी कुछ नहीं कह रहा था, किन ने बोलना जारी रखा,"क्या मैं तुम्हारा पिछली बार की तरह उसी जगह पर इंतजार करूं ?"
वह जिस समय के बारे में बात कर रही थी वह वो दिन था जब वो यूशेंग के घर में रहने आई थी। दादाजी ने उसे उस रात खाने के लिए किन को यूशेंग के घर ले जाने के लिए कहा था। वह उसे अपनी कार में नहीं ले जाना चाहता था और उसने उसे खुद से जाने के लिए कहा था। यूशेंग ने जहां दादाजी पहले रहते थे, वहां पर एक छोटी सी गली में मिलने के लिए कहा था, जिसके बाद वो दोनों एक साथ जाने वाले थे।
"वह शायद इस बार फिर से मुझे लेने के लिए तैयार नहीं होगा," किन ने सोचा।
किन जहीए ने अपनी निराशा को छुपा लिया और अपनी आवाज को सामान्य और शांत बनाए रखने की कोशिश की। किन ने पूछा, "कल मैं तुम्हारा किस समय इंतजार करूं?"
गु यूशेंग ने अभी भी कुछ नहीं कहा।
"दोपहर के बारे में क्या ख्याल है ..." किन जहीए ने कुछ शब्द ही कहे थे कि अचनाक से उसकी बात को गु यूशेंग की रूखी आवाज ने बीच में रोक दिया। " तुम हर समय दादाजी को बहाना बनाकर उनका उपयोग करती हो। क्या तुमको ये अहसास है कि ये कितनी घिनौनी बात है ?"
किन जहीए ने फोन के हैंडसेट को ओर मजबूती से पकड़ लिया। उसे महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उसकी गर्दन को जकड़ लिया हो और वाक्य "छह बजे ? उसके गले में ही फंस गया हो। ये सहन करने योग्य नहीं था।
फोन के दोनों सिरों पर डरावना सन्नाटा छा गया था।
सिर्फ दो सेकंड के बाद, गु यूशेंग ने फोन रख दिया ।
किन जहीए ने फोन के हैंडसेट को पकड़े रखा। उसके कठोर शरीर को धीरे-धीरे लंबे समय के बाद आराम मिला। वो धीरे से हैंडसेट को वापस रखते हुए बिस्तर पर लेट गई, खुद को कंबल से ढक लिया और आंखे बंद कर लीं। उसको देखकर ऐसा लगा जैसे वो शांति से बह गई थी, लेकिन उसकी आंखों के कोने से आंसू बहने लगे और जिस हाथ से उसने फोन का हैंडसेट पकड़ा हुआ था, वो बुरी तरह से कांपने लगा।
किन जहीए आज सुबह फोन पर बात करने के दौरान गु यूशेंग के साथ गु मैन्शन जाने के समय के बारे में बहस करने में कामयाब नहीं हुई, और जैसे कि गु यूशेंग ने कॉल जिस अपमानित स्वर में खत्म किया था, किन जहीए जानती थी कि उसे बुलाना बेहतर होगा।
हालांकि, किन जहीए को नहीं पता था कि गु यूशेंग गु हवेली में किस समय जाएगा, वह जानती थी कि वह साढ़े पांच बजे काम से निकलेगा।
इसलिए, दोपहर में घड़ी में साढ़े पांच बजने से कुछ मिनट पहले किन जहीए छोटी सी गली जो कि गु मैन्शन के प्रवेश द्वार के नजदीक थी वहां पर पहुंच गई।
अभी साढ़े छह भी नहीं बजे थे कि पास की सड़क पर तेज हॉर्न की आवाज आने लगी। किन जहीए ने घूमकर देखा तो थोड़ी दूरी पर गु यूशेंग की कार सड़क के कोने में खड़ी थी जिसमें आपातकाल रोशनी जगमगा रही थी।
जब किन जहीए कार के नजदीक पहुंची तब उसे अहसास हुआ कि ड्राइवर के बजाए आज के लिए गु यूशेंग खुद ही गाड़ी चलने वाला था।