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28.57% जिंदगी 1 / Chapter 2: 2, बीते लम्हे

章節 2: 2, बीते लम्हे

बात सुरु हुई थी आज से कुछ दस साल पहले ,मै अपने गऔ से सहर मे पढ़ाई कर ने आया था ।अपने गाओ से लगभग 150किमी दूर ।11वी क्लास मे मैने दाखिला लिया था और सहर मे कोचिंग क्लास मे दाखिला लिया था। वो दिन 15अगस्त 2011का दिन था। मैने कोचिंग मे दाखिला लिया ।और उससे थोरी दूर मैने एक रुम किराये पर लिया।कुछ दिन बित गये ।मेरी क्लास स्टार्ट हो गई ।मै कोचिंग जाने लगा। कई दिन बित गए ।मेरी क्लासेस चल रही थी और मै पूरे मन से अपने पढ़ाई कर रहा था।मै 11थ क्लास का स्टूडेंट था।एक दिन की बात है मेरी क्लासेस चल रही थी तभी कुछ न्यू स्टूडेंट मेरी क्लासेस मे आये।सब बच्चे जहा बैंच खाली था बैठ ग्ये ।

क्लासेस पहले के तरह चलने लगी ।सर ने उन न्यू स्टूडेंट का परिचय लिया।और फिर पहले के तरह पढ़ाई स्टार्ट थी।तभी लगभग आधे घन्टे बाद एक पतली मीठी सी आवज से क्लास थम सी ग्यी ।सब बच्चे पीछे मुर कर देखने लगे ,ये आवज एक लरकी की थी जो अभी अभी मेरे क्लास मे आयी थी।उसने दुबारा से पुछा क्या मै अंदर आ सकती हू सर,इस बार मैने भी पीछे मुर के देखा ।कितनी खुबसूरत थी वो।एसा लग रहा था की भगवान ने अपनी पूरी नक्काशी उसी पे उतारी है।काफी खुबशुरत थी वो ,।थोरी देर तक मै देखता रहा फिर मै सोचा इस से मुझे क्या कर ना ।इतनी खुबसूरत लरकी से मेरी दोस्ती भला कैसे हो सकती है मै ठहरा एक एवरेज स्टूडेंत ना मै देखने मे काफी खुबसूरत था ,और ना ही पढ्ने मे उतना तेज ।ना ही क्लास मे सब मुझे जानते थे ,।मै तो खुद कुछ दिन पहले ही क्लास जोइं की थी ।ये सब बाते सोच कर मै अपने काम मे लग गया ।तभी वही आवज फिर से मेरे कानो मे आयी ,।क्या मै यहाँ बैठ सकती हू ? मुझे लगा ये कोई सपना है मैने नही देखा ,फिर से वही आवज आयी क्या मै येहां बैठ सकती हू।इस बार मैने पलट के देखा ,।वही खुबसूरत सी लरकी मेरे सामने खरी मुझ से पुछ रही थी । मुझे पता नही क्या होगा मैने जल्दी मे घबराकर बोला नही हा

वो बोली क्या ? मैने बोला हा हा क्यू नही ।वो मुझे देख कर मुस्कुराणे लगी और बोली थैंक्स ।मुझे तो कुछ सम्झ नही आ रहा था ।पता नही चल रहा था की ये सच है या सपना आज पहली बार कोई लरकी मेरे बगल मे बैठी थी ,इस से पहले तो मैने अपने जीवन मे लरकी को नजदीक देखा तक नही था । लरकी मत्लब सपना था मेरे लिये आज वो बैठी थी मेरे बगल मे । मेरी सासें तेजी से चल रही थी दिल की धरकन अचानक तेज हो ग्यी । मै किसी तरह अपने आप को कण्ट्रोल कर ने की कोसिस कर रहा था, लेकिं मेरे चेहरे से सब कुछ साफ दिख रहा था की मै कितना घबराया हू ।मै अपने प्लेस पे ही इधर उधर हो रहा था ।तभी एक आवज फिर से आयी । Are you ok ? उसकी ये आवज सुन कर जैसे मै सुन पर गया । एकदम से मेरा सरीर ठंडा पर गया । कुछ देर बाद मैने फिर से सोचना स्टार्ट किया , उस समय मुझे अपने आप पे गुस्सा आ रहा था , अखिर मैं ने एन्ग्लीश क्यू नही पढी थी ,इसे तो एन्ग्लीश भी आती है ।अब मै कैसे इस से बात कर पाऊ गा ।मैने बहुत बरी गल्ती कर दी थी अपनी जिंदगी मे ऐसा मुझे आज लग रहा था ।उस समय मुझे सब याद आ रहा था कैसे सर मुझे एन्ग्लीश पढ्ने को bolte और हम लोग उन्की बतो को इग्नोर किया कर ते थे ।आज वो मुझे बहुत आचछे लग रहे थे और मुझे अपने दोस्तो को गाली देने का मन कर रहा था ,साले खुद तो पढे नही और मुझे भी नही पढ्ने दिया,खुद तो जिंदगी मे लरकी देखी नही और आज मेरे बगल मे लरकी बैठी थी , लेकिं मै ,।मुझे समझ आ रही थी उस समय की इंग्लिश किसी लर्की को इंप्रेस कर ने के लिये कितनी जरुरी है ।मुझे गुस्सा आ रहा था ।मुझे अपने दोस्त पराये लग रहे थे ,।बस माँ पापा और गुरु जी की हर बात मुझे बहुत अच्छी लग रही थी अभी ये दोस्त मुझे मिल जाते तो मै इनका मर्डर कर देता । नफरत हो ग्यी थी मुझे मेरे दोस्तो से ।मै बस येही सोच रहा था की आज सिर्फ़ वो इंग्लिश की वजह से ये मेरी दोस्त नही बन पायेगी ।क्या जादू था उस लर्की मे कितना खुबसूरत थी वो।उसकी आँखे, उसके बाल,लर्की थी या परी थी वो ,मै बस येही सोचे जा रहा था तभी मेरे दिमाग मे आया क्यू मैने तो इसके पैर देखे ही नही इस्का फिगर देखा ही नही । फिर मैने सोचा क्यू ना इसे देखा जाए ,फिर मैने सोचा की कैसे देखू ।अब उसे ये तो नही बोल सकता था की सुनो तुम खरी हो जाओ मुझे तुम्हे देखने है , मै क्या करता मुझे उसे देखने का बहुत मन हो रहा था ।फिर मैने सोचा क्यू ना कुछ बात की जाए,सर के लेक्चर से ये भी बोर हो ग्यी होगी ।थोरा इसको भी मन लगे गा ,।क्या पढना वो भी लगातर ।सोचा चलो इससे बात कर ते है ,इसे aacha लगे गा और इसी बहाने इसे देख भी लेंंगे ।, मै अपने आप को तैयार कर रहा था उस से बात कर ने के लिये ,सोच ही रहा था की कहाँ से स्टार्ट करु , । कफी देर सोचने के बाद मैने ये तय किया की एन्ग्लीश मे ही कुछ पूछते है लेकिं क्या पुछे ,मुझे तो एंगलिश आती ही नही थी,फिर मैने स्टार्ट किया सोचना इस उम्मिद से कुछ याद आ जाए,कुछ याद नही आया मुझे ,बहुत गुस्सा आ रहा था मुझे अपने दोस्तो पे ,। मैने सुन रखा था की भगवान से अगर कोई चीज़ पूरे दिल से मांगे तो वो पुरी वो जाती है मैने अपने एंगलिश वाले सर को अपना भगवान् माना बहौत मेहनत से मैने उनका चेहरा अपने दिमाग अपने दिल मे बैठाया और उन्हे भगवान् मानकर उनसे मिन्ंते कर ने लगा की हे गुरु आप ही मेरे सब कुछ है आप के बिना मेरि जिंदगी अधुरी है कृपया बस एक एन्ग्लीश का सेंटेंस याद दिला दे pls ।ऐसे बोलते है की अगर दिल से मांगो तो दुवा कबूल होती है ,मैने भी पुरे तन मन से अपने भगवान से बीनती की थी और मेरी दुवा कबूल हो ग्यी ।मुझे एक सेंटेंस याद आया।what your name is ? मेरे खुसी का ठिकाना नही था मेरे गुरु ही सब कुछ थे मेरे मैने जल्दी से पेन निकाला और लिख लिया , मै काफी खुश था धन्यबाद दे रहा था बार बार मै अपने सर को आज उन्की वजह से मै एक लर्की से बात कर ने वाला था ,

मै लिखने के बाद उस सेंटेंस को 10मिनट तक याद किया बहुत मुस्किल से याद हुई ।फिर मै अपने आप को तैयार किया ,और सोचा की अब पूछता हू ,मै सोच रहा था कितना अचछा लगेगा उसे जब मै उसके बारे मे पुछुगा उस से वो भी इंग्लिश मे,,,,कितना खुस होगी वो ये जानकर की एक इंटेलीजेंनट लर्का उसका कितना खयाल रख रहा है ।मैने सोचा था की एक लाईन एन्ग्लीश मे बोल के फिर हिन्दी मे बात करे गे ,मै अपने खयालो मे डूबा हुआ पूछने जा ही रहा था की ,एक करक आवज मेरे कानो मे परी , वो आवज मेरे सर की थी जो अभी पढा रहे थे ,

उन्होने मुझे बोला stand up अब मै क्या जानू ये स्टैंड अप क्या होता है ,क्लास के सारे बचे मुझे देख रहे थे और मै चुप चाप बैठा था ,उन्होने फिर से बोला stand up मै बैठा रहा सब देख रहे थे मुझे फिर मेरे बगल से आवज आयि सर तुम्हे खरे होने को बोल रहे है ,अब तो मेरे पास कुछ बचा ही नही था ,मै चुप चाप खरा हो गया था , ।


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