Tải xuống ứng dụng
28.57% Something new daily / Chapter 2: Bndh darwaza

Chương 2: Bndh darwaza

  मैं अपने तीन दोस्तों के साथ अभी-अभी एक

   पी.जी में स्थानान्तरण हुआ

  था। घर में सुख-सुविधा की सारी

   चीजें थीं। इसलिए हमें अलग से कुछ

  खरीदने की आवश्यकता नहीं

   थी। शुरू के तीन महीने हमने उस पी.जी

  में अपने जीवन के बेहतरीन पल

   काटे और फिर शुरू हुआ बंद दरवाज़ा

  का वह डरावना किस्सा।

  मेरा नाम राहुल है और मैं पेशे से

   एक लेखक हूँ। मेरे तीनों दोस्त विमल

,   अमित और सौरभ एक बड़े

   मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। उनके

  दफ्तर चले जाने के बाद मैं घर में

   अकेला हो जाता था। चूंकि हमारे पी.जी के

  आस-पास दूसरा कोई घर नहीं था,

   इसलिए दिन के वक्त भी मुझे रात जैसी

  अनुभूति होती थी। दूर-दूर तक न

   आदमी न आदमी की जात। फिर रात का

   पूछो ही मत। उस पी.जी में रात और

   डरावनी और रहस्यमयी बन जाती थी।

   हम चार दोस्तों के शोर-शराबे के

   बावजूद भी वह भयानक शांति हमेशा

  जीत जाती थी। खैर, इन सब के

   होने पर भी मुझे वह पी.जी काफी पसंद था।

   क्योंकि इतनी शांति में मैं बिना

   किसी खलल के अपनी कहानियों के बारे में

  सोच सकता था और लिख सकता

   था। मगर एक और बात थी जिसे मैं शुरू-शुरू

   में नज़रअंदाज़ करता हुआ आया

   था, मगर धीरे-धीरे उस चीज ने मेरे दिमाग में

  अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी।

  बात यह थी कि-

  मेरे दोस्तों के दफ्तर चले जाने के

   बाद मैं अकेला हो जाया करता था। जब

   मैं अपना काम कर रहा होता था, तब

   मुझे रह-रहकर दरवाज़े पर दस्तक

   देने की आवाज़े सुनाई देतीं। कई बार

   मैं उन आवाज़ों को सुनकर घर का

  मुख्य दरवाज़ा खोलने चला जाया

   करता था, परंतु मुझे बाहर कोई नजर

  नहीं आता। किस्मत से एक रोज

   मैं दिन के वक्त ड्रॉइंग रूम में बैठा था,

   जब मुझे दरवाज़े पर दस्तक देने

   की आवाज़ सुनाई दी। मैंने ठीक-ठीक

   सुना था। यह आवाज़ मुख्य

   दरवाज़े से नहीं बल्कि घर भीतर से ही आई

  थी। वह भी उस दरवाज़े से जो हमेशा

   से बंद रहता था। मैं कुछ समझ नहीं

   पा रहा था। आखिर बंद दरवाज़े के

   पीछे से कैसे आवाज़ आ सकती थी।

   हम जब से उस पी.जी में गए थे,

   तब से ही उस दरवाज़े में ताला लगा हुआ

   था। खैर उस वक्त मैं बंद दरवाज़े के

   बेहद करीब खड़ा था, जब फिर से

   दस्तक हुई और इस बार धड़ाम-

   धड़ाम की दो ज़ोरदार आवाजें आईं और

  मैं डर से पीछे गिर पड़ा। आखिर

   अंदर कौन हो सकता था। मैंने वहीं लेटकर

   दरवाज़े के नीचे मौजूद खाली

   जगह से अंदर देखने का प्रयास किया। और फिर

  दहशत मेरे रोम-रोम में घर कर गया।

  मुझे अंदर किसी के पैर नजर आए। कोई नंगे

  पाँव दरवाज़े के पास घूम रहा था। फिर

   अगले ही पल वह ओझल हो गया। मैं डर के

  मारे अपने कमरे की ओर भागा और

  दरवाज़ा बंद कर बिस्तर पर लेट गया।

  शाम को जब मेरे सभी दोस्त

  दफ्तर से घर लौटे तब जाकर मेरी जान

  में जान आई। मैं उन्हें यह सारी

   बातें बताने वाला था, मगर गपशप में

  मैं उन्हें बताना भूल गया। अगली

  सुबह मैं कुछ देर तक सोया रहा। तब

  तक मेरे दोस्त दफ्तर जा चुके थें।

   जब मैं सोकर उठा, उसी पल बंद

  दरवाज़े के पीछे से आवाज़ आई।

  मेरी पहली प्रतिक्रिया यह हुई कि मैं

  चुपचाप उस आवाज़ को नज़रअंदाज़

  करके अपने काम में जुट जाऊँ,

  मगर ऐसा करना इतना आसान

   नहीं था। मेरी व्यर्थ की जिज्ञासा मुझे

  उस ओर खींच ले गई।

  धड़ाम-धड़ाम की आवाजें आई। मैं

  भय में डूबा हुआ दरवाज़े के नीचे

  से कमरे में देखने के लिए झुका।

   मुझे पुनः दो नंगे पाँव कमरे में

  घूमते नजर आए।

  'कौन है अंदर?' मैंने आवाज़ लगाई

  और उसी पल वह दोनो पैर गायब हो गए।

  अब-तक मेरी समझ में आ गया था कि

  अंदर कोई इंसान नहीं बल्कि

  भूत-प्रेत जैसी कोई चीज थी।

  शाम को जब मेरे दोस्त दफ्तर से

  लौटे, तब मैंने उन्हें सारी बातें बताई। मेरी

  बात सुनकर विमल ने कहा कि 'मैं

  व्यर्थ में चिंता कर रहा हूँ।' उसने कहा

  कि 'जरूर कोई खिड़की से अंदर घुस

  आया होगा और शरारत कर रहा होगा।'

  मगर मुझे उसकी बात सही नहीं लगी।

   जब वे तीनों मुझे समझाने में

  विफल रहे तब उन्होंने कमरे के

  अंदर जाकर देखने का फैसला किया ।

  मगर एक परेशानी थी। कमरे में

  ताला लगा हुआ था। विमल ने तय कर

  लिया था कि वह मेरी शंका दूर

  करके ही दम लेगा।

  वह फौरन हथौड़ी लेकर आया

  और ताला तोड़ने लगा। उस ताले पर दस बारह

  चोट पहुँचाने के बाद वह अंततः

  टूट गया। अब-तक रात के 9:30 बज चुके थे

  कमरे में बिजली की कोई व्यवस्था

  नहीं थी। इसलिए हम चारों ने एक-एक

  मोमबत्ती जलाई और कमरे में दाखिल

  हुए। कमरा खाली था और खिड़कियाँ

  बंद थी। मैंने विमल को दिखाया।

  खिड़कियों को बंद पाकर उसे भी बड़ी हैरानी

  हुई। पर जैसा ऐसी मामलो में होता है,

  लोग अटकलें लगाते हैं और पीड़ित को

  तरह-तरह की सलाह देकर समझाने

  की कोशिश करते हैं।

  'तुम्हें कोई वहम हुआ होगा।' विमल ने कहा।

  'और नहीं तो क्या। भला भूत-प्रेत जैसी

  कोई चीज होती है क्या!' अमित बोला।

  'ज्यादा सोच-सोच कर तेरा दिमाग

  खराब हो गया है।' सौरभ ने कहा ।   किसी को भी मेरी बातों पर यकीन

   न हुआ और वे सभी कमरे से बाहर आ गए ।

  उस वक्त रात के तकरीबन तीन बज

  रहे होंगे। मेरी नींद प्यास लगने से

  खुली। मैं रसोईघर की तरफ बढ़ा।

  इसी दौरान मैंने विमल के कमरे से

  उसकी आवाज़ सुनी। वह

  मुझसे कुछ कह रहा था।

  मैं कमरे तक गया। विमल के

  बिस्तर के पास कोई खड़ा था और वह

  आधी नींद में उससे बात कर रहा

   था। 'राहुल यार अब तू सोने जा, तेरा

  शरीर तेरे पास है। अभी मज़ाक

  करने का समय नहीं है। जाकर सो जा

   और मुझे भी सोने दे। मुझे कल

  दफ्तर भी जाना है।' उसने कहा।

  पर मैं तो दरवाज़े के पास खड़ा था।

  दूसरी तरफ सौरभ और अमित भी

  अपने कमरे में सो रहे थें। फिर वह

  व्यक्ति कौन था जो विमल के बिस्तर

   के पास खड़ा था और जिसे वह

  राहुल कहकर संबोधित कर रहा था।

  मैं चुपचाप कमरे में गया और उस

  अजनबी के पास पहुँचा। उसे अब-

  तक मेरी मौजूदगी का आभास नहीं

  हुआ था। मैंने पीछे से उसे पकड़ना

  चाहा मगर मेरे छूते ही, वह बिल्कुल ही

  सहजता के साथ वहाँ से ग़ायब

  हो गया। उसने एकबार पीछे मुड़कर

   मुझे देखना भी नहीं चाहा। मैं जोर

  से चिल्लाया और विमल ने फौरन

   कमरे की बत्ती जला दी।

  'राहुल यार क्या कर रहा है?' वह

   गुस्से में बोला। 'कल मुझे दफ्तर

  जाना है और तेरी वजह से मैं

   सो भी नहीं पा रहा।'

  इतनी देर में सौरभ और अमित

  भी वहाँ आ पहुँचे।

  'क्या हुआ? कौन चीख रहा था?

'   अमित ने पूछा।

  'राहुल और कौन।' विमल गुस्से

  में बोला। 'कहता है कि उसका

  शरीर खो गया है। पिछले आधे

  घंटे से परेशान कर रहा है।'

  'शरीर खो गया है!' सौरभ चौंककर

  हैरानी से बोला।

  'अभी तुम जिससे बात कर रहे थे,

  वो मैं नहीं बल्कि कोई और

   था।' मैंने उत्तर दिया।

  'क्या बोल रहा है तू अभी-अभी तो

  तू कह रहा था कि तेरा शरीर नहीं

   मिल रहा।' विमल बोला।

  'अभी थोड़ी देर पहले तुम जिससे बात

  कर रहे थे वो मैं नहीं बल्कि

  कोई और था।' मैंने फिर से कहा। 'मैं तो

  पानी पीने किचेन में जा रहा

   था, जब मैंने तुम्हारी आवाज़ सुनी और

  यहाँ आ गया। तुम उससे मुझे

   यानी राहुल समझकर बात कर रहे थे।

  मैं तो बस उसे पकड़ने के लिए

  कमरे में आया था मगर मेरे छूते ही वह

  चीज गायब हो गई।' मैंने एक

  सांस में पूरी बात कह दी।

  सभी यह सुनकर हक्के-बक्के रह गए।

  उस वक्त उनके चेहरे

  के भाव देखकर यह बता पाना मुश्किल

  था कि उन्हें मेरी बातों

  पर यक़ीन था या नहीं। पर जो भी है, मेरा

  यक़ीन मानिये उन तीनों

  को डर तो अवश्य ही लग रहा था।

  तभी रात के उस गहरे सन्नाटे में-

  धड़ाम-धड़ाम-धड़ाम की तीन आवाजें

  आई। सौरभ को ऐसा झटका

  लगा कि वह कूद कर बिस्तर पर जा

  चढ़ा। अभी किसी ने अंदाजा

  नहीं लगाया था, मगर मैं जानता था कि

  यह आवाज़ उसी बंद

  दरवाज़े के पीछे से आई थी।

  'अब बोलो क्या कहना है?' मैं डर और उत्साह

  के मिले-जुले भाव से बोला।

  'बोलना क्या है, हम अभी चलकर देख लेते हैं।'

  विमल ने कहा। उसे

  अब भी मेरी बातों पर भरोसा नहीं था।

  फिर क्या था, हम उस कमरे के पास पहुँचे जो

  हमेशा से बंद रहता था ।

  धड़ाम-धड़ाम! यह आवाज़ पुनः आई।

  जिसे सुनकर सौरभ और अमित

  के चेहरे का रंग फीका पड़ गया। फिर

  आहिस्ते से दरवाज़े की कुंड़ी

  अपने-आप उठी और बाईं तरफ खिसकने

  लगी। इसके बाद चरमराती

   हुई आवाज़ में वह बंद दरवाज़ा खुला। फिर

  हमारी आँखों के सामने

  जो दृश्य आया, उससे हमारे रोंगटे खड़े हो गए।

  अंदर एक नौजवान लड़का खड़ा था।

  सच बोलूँ तो वह एक नौजवान

  लड़के की आत्मा थी। वह हमारे करीब

आकर बोला 'मुझे मेरा शरीर

  नहीं मिल रहा। शायद किसी ने चुरा लिया है।

   क्या तुम चारों में से कोई

  एक मुझे अपना शरीर देना चाहेगा?'

  यह सुनकर तो हमारे पैरों के नीचे

  से ज़मीन खिसक गई और

  हम चारों वहाँ से ऐसे भागे कि फिर

  कभी उस पी.जी में लौट के

  जाने की हिम्मत नहीं हुई।

  अगर यह कोई भूतों वाली फिल्म

  होती, तब हम अवश्य उस भूत

  से लड़कर उसे मार भगाते, मगर

  यह असल जिंदगी है और यहाँ

   ऐसा कम ही होता है


next chapter
Load failed, please RETRY

Tình trạng nguồn điện hàng tuần

Rank -- Xếp hạng Quyền lực
Stone -- Đá Quyền lực

Đặt mua hàng loạt

Mục lục

Cài đặt hiển thị

Nền

Phông

Kích thước

Việc quản lý bình luận chương

Viết đánh giá Trạng thái đọc: C2
Không đăng được. Vui lòng thử lại
  • Chất lượng bài viết
  • Tính ổn định của các bản cập nhật
  • Phát triển câu chuyện
  • Thiết kế nhân vật
  • Bối cảnh thế giới

Tổng điểm 0.0

Đánh giá được đăng thành công! Đọc thêm đánh giá
Bình chọn với Đá sức mạnh
Rank NO.-- Bảng xếp hạng PS
Stone -- Power Stone
Báo cáo nội dung không phù hợp
lỗi Mẹo

Báo cáo hành động bất lương

Chú thích đoạn văn

Đăng nhập