Tải xuống ứng dụng
42.85% द टाइम मशीन - अतीत और भविष्य की दुनिया / Chapter 9: चैप्टर -०९ सैली ने दिया धोखा

Chương 9: चैप्टर -०९ सैली ने दिया धोखा

मुकुल को समझाने के बाद भास्कर वहा से निकल गया। उसे मीटिंग के लिए फोन आया, जो ग्रांड हयात होटल में था। एक गहरी सांस लेकर, उसने टैक्सी बुलाई और ग्रांड हयात होटल के लिए रवाना हुआ। यह होटल ठीक ट्राइडेंट होटल के सामने था, जहाँ उसकी पत्नी सैली रूम नंबर 1304 में ठहरी हुई थी। भास्कर की मीटिंग ग्रांड हयात होटल के कमरा नंबर 1035 में थी। जैसे ही वह कमरे के दरवाजे पर पहुँचा, उसने देखा कि अंदर एक बड़ा हॉल था, जहाँ उसकी उम्र के कई लड़के-लड़कियाँ सजावट में लगे हुए थे। कुछ लोग गुब्बारे लगा रहे थे, तो कुछ रंगोली बना रहे थे। उस कमरे को उन्होंने बहुत ही खूबसूरती से सजाया था।

भास्कर के पुराने दोस्त वहाँ मौजूद थे। उसे देखते ही वे सब खुशी से चिल्ला उठे, "बिग बॉस आ गया है!" उनकी आवाज़ ने सबका ध्यान भास्कर की ओर खींच लिया।

भास्कर हॉल में दाखिल हुआ तो सब लोग उसके पास आए।

"भास्कर, तुमने बहुत देर कर दी। अब आधे घंटे में लॉकडाउन शुरू हो जाएगा। हमें घर जाना है, इसलिए केक जल्दी काटो।"

भास्कर ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज कोई घर नहीं जाएगा। हम पूरी रात मजा करेंगे। हम करीब 4 साल बाद मिल रहे हैं, इसलिए मैं तुम्हें आज कहीं नहीं जाने दूँगा।"

सभी दोस्त एक दूसरे का चेहरा देखने लगे। उन्होंने एक दूसरे को इशारों से सहमति दे दी। प्रीतम ने कहा, "ठीक है, जैसे तुम कहो।"

विनय ने पूछा, "भाभी कहाँ हैं?"

"वह सामने वाले होटल में हैं। मैंने उससे झूठ बोला कि आज मेरी मीटिंग है, क्योंकि मैं उसे सरप्राइज देना चाहता हूँ। इसलिए आप सभी जल्द से जल्द तैयारी करें।"

"ठीक है भास्कर।" विनय ने अपने बाकी दोस्तों से कहा, "चलो दोस्तों, काम पर लग जाओ।"

सभी दोस्त काम में जुट गए। भास्कर ने सजावट का मुआयना करने के लिए एक-एक कदम आगे बढ़ाया। सबसे पहले उसने केक देखा, जिसे टाइटैनिक की तरह बनाया गया था। केक के ऊपर लिखा था, 'शादी की तीसरी सालगिरह मुबारक हो सैली और सैली का जानवर।' यह देखकर भास्कर मुस्कुराने लगा। उसने मन ही मन कहा, "मेरे दोस्त कभी नहीं सुधरेंगे।"

भास्कर सजावट देखते हुए हॉल के अंत में एक खिड़की के पास पहुँचा। वहाँ से ट्राइडेंट होटल साफ दिखाई दे रहा था। अचानक, उसका ध्यान खिड़की पर गया। उसने देखा कि ट्राइडेंट होटल के एक कमरे की खिड़की का शीशा खून की तरह लाल हो गया था। धीरे-धीरे लाल तरल पदार्थ बूंदों की तरह गिर रहा था। भास्कर को संदेह हुआ कि वह खून था।

उसे थोड़ा डर लगने लगा। समझ नहीं आ रहा था कि खिड़की अचानक लाल कैसे हो गई। उसने खुद से कहा, "वह खिड़की लाल कैसे हो गई?" उसकी आँखें उस दृश्य पर जमीं रहीं, और उसका मन शंकाओं से भर गया। जरूर वहाँ कुछ बुरा हुआ होगा, उसने सोचा।

वह वापस अपने दोस्तों की ओर मुड़ा, लेकिन मन में उठते सवालों ने उसकी चिंता को और बढ़ा दिया। उसने सोचा, "क्या मुझे इस बारे में किसी को बताना चाहिए?" लेकिन फिर उसने खुद को संभाला.

उसे देखना था कि वहां क्या हो रहा है, लेकिन कमरा काफ़ी लम्बा होने के कारण उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। भास्कर ने एक गहरी सांस ली और अपने मोबाइल का कैमरा ऑन कर लिया। सौभाग्य से, मोबाइल कैमरे की क्वालिटी बेहतरीन थी, तो उसने ज़ूम करके देखने का फैसला किया। खिड़की बड़ी होने के कारण कमरे का सब कुछ साफ-साफ दिखने लगा।

उसने देखा कि खिड़की से लाल तरल पदार्थ की एक बूँद गिर रही थी। ध्यान से देखने पर पता चला कि उस कमरे में केवल तीन-चार साल का एक बच्चा था। बच्चे के लाल बाल, नीली आँखें, मोटा और प्यारा शरीर देखकर उसे तुरंत समझ आ गया कि वह फॉरेनर थे। बच्चे का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया था और उसके सिर से लाल तरल पदार्थ गिर रहा था, लेकिन बच्चा मुस्कुरा रहा था। उसके बगल में एक महिला खड़ी थी, शायद वह उसकी माँ थी। उसके हाथ में एक छोटा सा गुब्बारा था और गुब्बारा पानी से भरा हुआ था।

महिला ने बच्चे को गुब्बारा दिया। प्यारे से बच्चे ने गुब्बारे को अपने छोटे-छोटे नाज़ुक और कोमल हाथों में ले लिया और अपनी मां के चेहरे पर फेक दिया। तो उसका चेहरा हरा हो गया, क्योंकि गुब्बारे में हरे रंग का पानी था। उसने फिर से पास पड़े 5-6 गुब्बारों में से एक उठाया और बच्चे के सिर पर फेक दिया। इस बार उसके बाल नीले हो गए।

उसकी माँ ने अपने बच्चे को पास लिया और उसका गाल सहलाते हुए उसके माथे को चूम लिया। इससे उसके होंठ नीले पड़ गये। बच्चे ने अपनी माँ के होठों पर उंगली रखकर मुस्कुराना शुरू कर दिया। जब उसकी माँ ने अपने होठों को छुआ, तो उसकी उंगलियाँ नीली हो गईं। यह देखकर दोनों हसने लगे।

भास्कर ने यह दृश्य देखकर चैन की सांस ली। उसे समझ आ गया कि वे सिर्फ खेल रहे थे। बच्चे और माँ के बीच का यह प्यारा सा खेल देखकर उसका डर दूर हो गया। इस दृश्य ने उसे उसकी अपनी माँ की याद दिला दी। माँ-बच्चे के इस प्यार भरे क्षण ने भास्कर के दिल को छू लिया और उसकी आँखों में एक नमी सी आ गई।

उस प्यार भरे दृश्य ने उसकी सभी चिंताओं को मिटा दिया था। उसने सोचा, "अगर उस कमरे में इतना कुछ अच्छा हो रहा है, जिसने मुझे मेरी माँ की याद दिला दी, तो बाकी कमरों में और क्या हो रहा होगा?" यह विचार उसे बहुत रोमांचक लगा। वह बाकी के कमरे भी देखना चाहता था। उसने मोबाइल का कैमरा बगल वाले कमरे की ओर घुमा दिया।

अगले कमरे में एक दादाजी अपनी दादी के साथ डांस कर रहे थे। शायद वह दोनों पति-पत्नी थे। उन्होंने अपनी उम्र को भूलकर एक-दूसरे का हाथ थाम रखा था और मधुर संगीत पर थिरक रहे थे। भास्कर गाना नहीं सुन सकता था क्योंकि वे दोनों बहुत दूर थे, लेकिन उनके मूवमेंट्स से स्पष्ट था कि वे नाच रहे थे। बूढ़े होने के बाद भी उनके प्यार में कोई कमी नहीं थी। भास्कर सैली से उतना ही प्यार करता था जितना वह बूढ़ा कपल एक-दूसरे से करता था। यह सच्चा प्यार था।

उसने कैमरा साइड वाले कमरे की ओर घुमा दिया। उस कमरे में एक जवान लड़का, गले में मंगलसूत्र पहने एक जवान लड़की से झगड़ रहा था। शायद वे पति-पत्नी थे। उनके लड़ने की आवाज़ भास्कर को सुनाई नहीं दे रही थी, लेकिन उसका पति उसकी ओर इशारा कर रहा था और दांत भींचकर बात कर रहा था। वह भी उसी की तरफ इशारा करके बोल रही थी। उसने उसकी उंगली पकड़ ली और धीरे-धीरे उसे मोड़ने लगा, जिससे उसे दर्द हो रहा था। भास्कर को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि युवा कपल लड़ रहे थे, जबकि अगले कमरे में वृद्ध कपल खुशी से नाच रहा था। दोनों कपल के बीच काफी अंतर था, जिसे देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा।

भास्कर सोच में इतना खो गया कि भूल ही गया कि वह यहाँ अपनी शादी की सालगिरह मनाने आया था। जब वह सामने वाले कमरे में दृश्य देख रहा था, तभी उसके दोस्त ने पीछे से पुकारा, "भास्कर!" उसने पीछे मुड़कर अपने दोस्त नीलेश को देखा। उसने भास्कर से कहा, "भास्कर, सारी व्यवस्था हो गई है। तुम भाभी को बुलाओ।"

"हाँ," भास्कर ने हसते हुए जवाब दिया। नीलेश वहाँ से चला गया।

लेकिन जब भास्कर अपने दोस्त से बात कर रहा था, तो गलती से उसका मोबाइल उसके कमरे की ओर घुम गया, जहा सैली और भास्कर का कमरा था। सब कुछ उसके मोबाइल में शूट हो रहा था। सैली उसके कमरे में किसी के साथ शारीरिक संबंध बना रही थी। लेकिन जिस आदमी के साथ वह शारीरिक संबंध बना रही थी, उसका चेहरा ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।

तब भास्कर का ध्यान नहीं था क्योंकि वह नीलेश से बात कर रहा था। उसने मोबाइल फोन पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब उसका ध्यान मोबाइल पर गया, तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ शारीरिक संबंध बना रही थी। भास्कर यह देखकर हैरान रह गया। उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जो वह देख रहा था वह सच था।

शारीरिक संबंध बनाने वाला व्यक्ति सैली के सामने खड़ा था। सैली का चेहरा ग्रांड हयात होटल की तरफ, मतलब भास्कर की तरफ था, और वह व्यक्ति भास्कर को पीठ दिखाकर खड़ा था। इस वजह से भास्कर उस व्यक्ति का चेहरा नहीं देख सका। भास्कर ने ध्यान से देखा, वह व्यक्ति ब्लेज़र पहने हुए था और उसकी हाइट सैली से थोड़ी बड़ी थी। भास्कर को बस इतना ही दिखाई दे रहा था।

फिर अचानक वह व्यक्ति पीछे की ओर जाने लगा। भास्कर ने अपने आप से कहा, "सिर्फ एक बार उसका चेहरा दिख जाए, उसके बाद दोनों को जला डालूंगा।" जैसे-जैसे वह व्यक्ति पीछे जाता गया, उसका चेहरा दिखाई देने लगा।

पहले उसके बाल दिखे, जो उसी की तरह आसमान की ओर खड़े थे। फिर उसका माथा, फिर उसकी भौंहें। अब सिर्फ चेहरा देखना बाकी रह गया था। भास्कर की धड़कने तेज हो गईं। जैसे ही उसका चेहरा साफ दिखाई देने लगा, भास्कर ने कैमरा ज़ूम किया और देखा।

उसके सामने वह चेहरा आनेवाला था, जो उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा धोखा साबित होने वाला था। उसका दिल धक-धक करने लगा और आँखों में आंसू भर आए। "नहीं, ये नहीं हो सकता," भास्कर ने बुदबुदाते हुए कहा। उस क्षण में, उसकी दुनिया तहस-नहस हो गई थी। सच्चाई ने उसे भीतर तक हिला दिया।

भास्कर बहुत गुस्से में था। वह इतना बेशर्म और निर्दयी इंसान नहीं था कि अपनी ही पत्नी को ज़िंदा जलाकर मार दे। वह तो वही पत्नी थी जिसे वह बचपन से प्यार करता था, जिसका वह ख्याल रखता था। उसके अलावा किसी के बारे में नहीं सोचता था। लेकिन आज उसी ने उसे धोखा दिया था। भास्कर का गुस्सा इतना बढ़ गया था कि अगर वे दोनों उसके सामने आ जाते तो सच में उन दोनों को जिन्दा जलाकर मार डालता। भास्कर उसका चेहरा देख रहा था। लेकिन उसे सिर्फ उसके बाल, माथा और भौंहें दिखाई दे रही थी. पूरा चेहरा ठीक तरिके से दिखाई नहीं दे रहा था. तभी सैली ने उस व्यक्ति का कॉलर पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा। उसे चेहरे पर चूमने लगी और एक किस्स किया।

भास्कर ये सब कैमरे से देख रहा था, जिसे देखकर उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। भास्कर सैली को अपनी पत्नी नहीं बल्कि अपनी जान मानता था, वो उसके लिए भगवान थी। उसने उसे भगवान का स्थान दिया था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह की हरकत करेगी। भास्कर की आँखों में पानी था, उसकी कमीज़ पसीने से भीगी हुई थी, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। उसे डर था कि उसका दिल रुक जाएगा। वह बहुत डर गया था। उसे नहीं पता था कि क्या करना है। वह बस उसे देख रहा था। उसकी पत्नी उस व्यक्ति के पास आ रही थी। उसने उसकी शर्ट पकड़ ली और उसे अपनी ओर खींच लिया। उसने उसके बालों में हाथ डाला।

यह देखकर भास्कर ने मोबाइल एक तरफ रख दिया। वह इसे आगे देखना नहीं चाहता था। उसे यह देखकर शर्म आ रही थी कि वह क्या कर रही है। लेकिन वह अपनी मर्जी से खुशी-खुशी उसके पास जा रही थी। उसने उसे वह सब करने दिया जो वह करना चाहता था। लेकिन वह ऐसा क्यों कर रही थी? उसे क्या हुआ? भास्कर तो बचपन से ही उसे बहुत प्यार करता था, उस पर भरोसा करता था, उसे वह सब देता था जो वह चाहती थी। वह उससे शादी करके खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा था। लेकिन अब वह सोच रहा था। भास्कर ने उसके साथ कुछ भी ग़लत नहीं किया था। फिर उसने उसे इतनी बड़ी सज़ा क्यों दी? मुझसे कौनसी भूल हो गई थी? शायद सैली भास्कर को एटीएम कार्ड समझ रही थी। एक मशीन समझ रही थी, भास्कर उसे जो चाहे दे रहा था। उसने भास्कर को एक मशीन की तरह इस्तेमाल किया था।

उसके गुस्से की आग सिर तक चढ़ गई थी। उसके मन में भयानक विचार आ रहे थे कि वह जाकर उन दोनों को मार डाले। वह वहाँ खड़ा होकर तमाशा देखना नहीं चाहता था, वह अपनी पत्नी से यह भी पूछना चाहता था कि उसने क्या गलत किया है, इसका जवाब उसे चाहिए था। भास्कर अपने दोस्तों को बिना बताए उस कमरे से बाहर आया। जल्दी से ग्रांड हयात होटल से बाहर आया। इसके बाद वह ट्राइडेंट होटल चला गया और दरवाजा को लात मारकर कमरे में घुस गया। उसने अपनी पत्नी को जोर से पुकारा, "सैली, सैली!"

भास्कर की आवाज सुनकर सैली कमरे से बाहर आ गई। वह भास्कर को देखकर मुस्कुराती हुई उसके पास आई। वह शरमाते हुए बोली, "भास्कर, मैं यही पर हूँ। इतनी जल्दबाजी अच्छी नहीं है।"

भास्कर की आँखों में गुस्सा और दर्द था। उसने सैली को घूरते हुए कहा, "यह सब क्या है, सैली? तुमने मुझे धोखा क्यों दिया?"

सैली की मुस्कान धीरे-धीरे गायब हो गई और उसने अपने चेहरे पर हैरानी और घबराहट की परछाई देखी। वह कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन भास्कर ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा, "अब और बहाने नहीं, सैली। मुझे सच बताओ।"

भास्कर की नजरें सैली की हसी पर टिक गईं। वह शरमा रही थी, हंस रही थी। उस मुस्कुराहट को देखकर ऐसा लगा जैसे कुछ हुआ ही न हो। कुछ मिनट पहले उसने एक आदमी के साथ जो किया था उसे छुपाने के लिए और भास्कर को उस पर शक न हो इसलिए वह ऐसा नाटक कर रही थी। उसने नहीं सोचा था कि वह इतनी बेकार लड़की होगी। भास्कर को सैली के इस व्यवहार पर बहुत गुस्सा आ गया था। उसका मन कर रहा था कि उसका गला दबाकर मार डाले। लेकिन पहले उसे उस आदमी को देखना था जिसने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया था। भास्कर उसकी जान लेना चाहता था। वह निश्चित रूप से कमरे के अंदर छिपा हुआ था। भास्कर कमरे के अंदर चला गया। सैली भी उसके पीछे आ रही थी। उसने कमरे का हर एक कोना देखा - बिस्तर के नीचे, कोठरी में, परदे के पीछे, जहाँ भी छिपने की पर्याप्त जगह हो सकती थी, वहा पर देख रहा था। लेकिन वह उस कमरे में नहीं था। शायद वह चला गया था। सैली भास्कर के पीछे-पीछे जा रही थी। उसे समझ आ गया कि वह कुछ ढूंढ रहा है।

सैली ने कहा, "तुम क्या ढूंढ रहे हो? क्या तुम मेरे लिए कोई तोहफा लेकर आए हो? क्या तुम यहाँ कुछ छिपा रहे हो? यदि हा, तो मैं पता लगाती हूँ। तुम बाहर जाकर बैठो।"

यह सुनकर भास्कर सैली की ओर गुस्से से देखने लगा। उसके दांत पीस रहे थे। भास्कर उसका गला दबाना चाहता था, लेकिन किसी तरह उसने खुद को रोका। उसने अपनी मुट्ठी बंद कर ली। सैली ने नोटिस किया कि भास्कर की आँखें लाल हो गई थीं और वह दांत चबा रहा था।

"क्या हुआ भास्कर? सब ठीक है ना?" उसने गंभीरता से कहा।


Load failed, please RETRY

Tình trạng nguồn điện hàng tuần

Rank -- Xếp hạng Quyền lực
Stone -- Đá Quyền lực

Đặt mua hàng loạt

Mục lục

Cài đặt hiển thị

Nền

Phông

Kích thước

Việc quản lý bình luận chương

Viết đánh giá Trạng thái đọc: C9
Không đăng được. Vui lòng thử lại
  • Chất lượng bài viết
  • Tính ổn định của các bản cập nhật
  • Phát triển câu chuyện
  • Thiết kế nhân vật
  • Bối cảnh thế giới

Tổng điểm 0.0

Đánh giá được đăng thành công! Đọc thêm đánh giá
Bình chọn với Đá sức mạnh
Rank NO.-- Bảng xếp hạng PS
Stone -- Power Stone
Báo cáo nội dung không phù hợp
lỗi Mẹo

Báo cáo hành động bất lương

Chú thích đoạn văn

Đăng nhập