यादें.....
किताबो को सही से टेबल पर रखकर फ़राज़ उठ खड़ा हुआ और किताबो के डेस्क की तरफ बढ़ा । फ़राज़ कोई
किताब ढूंढ रहा था इतने में दरवाजे पर किसने खटखटाया।
तीन बार खटखाने के बाद भी जवाब न आया ।वो फिर से खटखटाने लगी।
फ़राज़ ने धीमे लहजे से कहा " कौन"
"क्या में अंदर आ सकती हु"
फ़राज़ वही खड़ा स्तब्ध हो गया वो पीछे मुड़ने हिम्मत नही कर सका के कही ये कोई ख्वाब न हो । फ़राज़ अपनी लड़खड़ाती आवाज में बोला " आ जाओ "
इतना सुनते ही वो लड़की अंदर आ गई और हिचकिचाहट के साथ बोली " कैसे हो तुम "
फ़राज़ को अब यकीन हो चुका था ये वही है ।वो बिना मुड़े लड़खड़ाती आवाज में बोला "क्या ये तुम हो "
लड़की को कुछ समझ नही आ रहा था उसने फिर अपनी हल्की आवाज से फ़राज़ को पुकारा "फ़राज़"
फ़राज़ पीछे मुड़ा और उसे देखने लगा " यह तुम ही हो । हा ये तुम ही हो है ना।
लड़की " हा ये में ही हु ।
फ़राज़ उसे छूना चाहता था इसीलिए वो आगे बढ़ा ।जैसे ही फ़राज़ उसके करीब आने लगा लड़की थोड़ी घबराने गई ।लड़की को कुछ सूझ नही रहा था इसीलिए वो हड़बड़ाते हुए आगे बढ़ गई और पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गई।
" तुम तो बड़े अजीब हो बैठने को भी नही कहा "
फ़राज़ वही ठहर जाता है और अपनी धीमी आवाज में कहता है "sorry मेरे लिए यकीन करना जरा मुश्किल था की यह तुम ही हो। क्या यह तुम ही हो। फ़राज़ उसी को देख रहा था ।
लड़की "हां यह में ही हु "
फ़राज़ अभी भी लड़की को देख रहा था ।फ़राज़ मन ही मन कहता है "अभी भी वैसी ही है ,वही आवाज ,वही लहजा लेकिन आंखे ये आंखे ...।
लड़की "फ़राज़ ,फ़राज़ ।"
फ़राज़ " हां।
लड़की "कहा खो गए"
फ़राज़ अपनी आंखें इस पर से हटाया लेता है और कहता है " कही नही ...
"तलबगार थे हम तेरे दीद के इस कदर
के हर रोज ख्वाब तेरा देखा करते है
आज आए हो तुम अचानक यू
यकीन कैसे करू में
के ये तू है या तेरा कोई ख्वाब।"
लड़की थोड़ा हस्ती है और कहती है " तुम अभी भी वैसे ही हो कुछ नही बदला तुम में"
"काश में भी यह कह पाता "
"..."
" हयाती "
" Hmm हा अ.. कैसे हो तुम "
फ़राज़ के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है "तुम यहा इतनी दूर मुझसे यह पूछने आई हो।
हयाती हड़बड़ा के अपने बालो को सहलाने लगी और हल्की सी मुस्कान के साथ बोली " नही में तो वो यहा अपने cousin से मिलने आई थी फिर मुझे याद आया तुमने कॉलेज में अपना पता यही का बताया था।
फ़राज़ हैरान था हयाती जिसे लोगो के नाम भी याद नही रहते थे उसे पांच साल पहले की बात कैसे याद रह गई।
फ़राज़ हैरत अंदाज में कहता है"हयात तुम्हे सच में याद था ।"
हयाती को एहसाह होता है की उसने क्या कहा "नही वो कुछ दिन पहले मुझे नताशा मिली थी हम दोनो ने मिलकर खूब कॉलेज की बाते करी थी वही से पता चला ।
"....नताशा! "
" हा नताशा क्या तुम्हे याद नही नताशा अरे वही लड़की जिस पर पूरा कॉलेज फिदा था लेकिन वो सिर्फ तुम्हे भाव देती थी और तुम थे की उसे एक नजर नही देखते थे "।
हयाती जोरो से हसने लगती है " कितना तड़पाया था तुमने उसे ।याद है तुम्हे उस दिन में लाई थी उसे तुमसे मिलने के लिए लेकिन तुमने तो उसे पहचान ने से भी इंकार कर दिया।बिचारी ।
फ़राज़ हयाति को यू हसता देख खुद भी मुस्कुराने लगा
"फ़राज़ क्या तुम्हे अभी वो याद नही है"
" कुछ धुंधला सा याद है उसके बारे में "
"धुंधला सा "इतना कहकर हयाती जोरो से हसने लगती है।
फ़राज़ अभी भी उसे हो देख रहा था ।
हयाती" फ़राज़ तुमसे मिलकर अच्छा लगा "
" मुझे भी "
" अब में चलती ही बाहर मुराद मेरा इंतजार कर रहा होगा "
" मुराद "
"हा मुराद मेरा cousin है । हयाती खड़ी हो जाती है और कहती है " चलती हु"।
" जाना जरूरी है? "
" हा " इतना कहकर वो जाने लगती है । हयाती के दो कदम चलते ही फ़राज़ उसका हाथ पकड़ लेता है।
फ़राज़ " रुक जाओ "
हयाती वही रुक जाती है उसके दिल को धड़कने तेज होने लगती है उसने लड़खड़ाती धीमी आवाज में कहा "फ़राज़ मेरा हाथ "
फ़राज़ अपनी धीमी आवाज में कहता है " अगर न छोडूं तो "
हयाती फ़राज़ की तरफ मुड़ती है और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है पर फ़राज़ अपनी पकड़ को और मजबूत कर लेता है । हयात को अब गुस्सा आने लगा वो गुस्से में कहती है " फ़राज़ छोड़ो मुझे । ये मजाक का वक्त नहीं है"
फ़राज़ जो अब तक अपना सर झुकाए बोल रहा था अब वोह हायती की आंखों में देखने लगा ।जिस तरह से फ़राज़ हयाती को देख रहा था मानो वो शिकायत कर रहा हो , उसकी आंखे हयाती से सवाल कर रही थी । काफी समय से फराज हयाती की आंखों में देख रहा था जैसे उसे ये रियलाइज हुआ उसने अपनी हाथ की पकड़ ढीली करली और कहा" i am sorry "
हयाती अब और नही सह सकती थी वो अपना मुंह फिर फेर लेती है " जाना जरूरी है दोस्त । अगर फिर मिलन लिखा होगा तो जरूर मिलेंगे ।इतना कहते ही हयाती की आंखे नम थी ।
"जाना तय है। तो रुक जाओ कुछ देर के लिए ही सही, क्युकी जाना तो तय है तुम्हारा ।
हयात के पास अब बोलने को कुछ नहीं था वो अपने आप को रोक नही सकी उसने अपना हाथ छुड़ा लिया और जाने लगी । हयाती दरवाजे तक पहुंची ही थी के उसके फोन की गंटी बजने लगी उसने बैग से अपना सेलफोन निकाला स्क्रीन पर मुराद का नाम था । उसने जल्दी से कॉल अटेंड किया " हा मुराद में आ रही हु "
फोन के दूसरी तरफ से आज आई "sorry हयाती पर तुम्हे थोड़ा और वेट करना होगा में अरसद के साथ बाहर आ गया हु कुछ impoetant था इसीलिए "
मुराद कुछ आगे बोल पाता इससे पहले हयात ने बात काटते हुए कहा " मुराद मुझे पहले बता देते में साथ चल देती में अब...
मुराद ने बात काटते हुए कहा " i am so sorry हयाती अरसाद ने अचानक से मुझसे कहा you know what i mean to say "
"पर मुराद मेरा क्या ,में कहा जाऊ "
" कहा जाऊ का क्या मतलब अपने दोस्त फ़राज़ के साथ रहो बाते करो अच्छा में drive कर रहा हु बाद में call करता हु "
"मुराद " हयाती इससे ज्यादा कुछ बोल पाती call diaconnect हो गया ।
फ़राज़ "क्या हुआ "
हयाती "वो मुराद को थोड़ा टाइम लगेगा इसीलिए..."
फ़राज़ के चेहरे पर अच्छा से हल्की सी मुस्कान आ जाती है वो हयति के पास जाता है और हल्की सी आवाज में कहता है " तो रुक जाओ ।"
हयाती के पास कुछ न था बोलने के लिए उसने हा में अपना सर हिला दिया और वापिस जाकर कुर्सी पर बैठ गई ।
फ़राज़ भी उसके पास आता है और कहता है " क्या हुआ "
"कुछ नही । वो अरशद को कुछ चाहिए उसने जिद करली तो मुराद को जान पड़ा । तुम तो जानते ही होगे अरशद को ।
"नही । में नही जानता ।"
"ओ हा तुम ज्यादा बात नहीं करते रुको में तुम्हे उसकी तस्वीर दिखाती हु । हयाती ने अपने फोन में एक फोटो दिखाते हुए "ये लाल शर्ट वाला अरशद है ।
कभी तो देखा होगा "
"नही "
हयाती हैरान थी उसने हैरत से कहा " क्या कभी नही देखा "
फ़राज़ को अब अजीब लगा वो अपनी आंखे यहां वह करने लगा
हयाती को अब हसी आने लगी उसने अपनी हल्की हसी के साथ कहा " फ़राज़ मुझे अब ये मत कहना के तुम इस पूरी सोसायटी में किसी को नही जानते "
फ़राज़ को शर्म आने लगी वो सच में किसी को भी नही जानता था और न ही उसे दिलचस्पी थी इन कामों में उसने अपना सिर ना में हिलाया और कहा " नही "
"तुम्हे बोरियत महसूस नही होती "
"नही "
"कोई हैरानी नही तुम कॉलेज में भी ऐसे ही थे ।सिर्फ चार लोगो से बोलते थे वो भी बहुत कम । फ़राज़ तुम्हे याद है विक्की वो तुम्हे कितना उकसाता था न बोलने के लिए ।"
"हा याद है "
" याद है ? अच्छा तो तुम्हे और क्या याद है "
"..."
हयाती अभी भी फ़राज़ के जवाब का इंतजार कर रही थी ।बहुत देर हो चुकी थी पर फ़राज़ ने कुछ नही कहा वो अभी भी अपनी पलके झुकाए हयाती के हाथो को देख रहा था ।
हयाती अब थोड़ा सोच में पड़ जाती है वो अपना हाथो से अपना चेहरा थाम लेती है और धीमी आवाज में कहा "फ़राज़ क्या तुम अभी भी उसी लड़की को पसंद करते हो "
फ़राज़ हैरानी से हायति को देखने लगता है ।
हयाती अपना हाथ चेहरे से हटाकर कुर्सी पर रख देती है और कहती है "फ़राज़"
फ़राज़ ने कोई जवाब नही दिया
"फ़राज़" अभी भी कोई जवाब नही आया हयति ने एक और बार आवाज लगाई "फ़राज़ "
"..."
"अब ये हायाती के सेहन से बाहर था उसने अपने हाथ जोर से पटके और तेज आवाज में कहा " ए सर्किट "
फ़राज़ ने अपनी निगाहे हयाती की तरफ उठाई उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी वो उठा और हयाती की तरफ झुका और अपने हाथ से उसके माथे पर अपना हाथ हल्के से रखता है और बाद में अपनी पकड़ कठोर कर लेता है । फ़राज़ का चेहरा हयाती के चेहरे के बेहद करीब था उसने अपनी धीमी आवाज में कहा " मुझे इस नाम से मत पुकारो "
हयाती ने शरारती लहजे से कहा " क्यू ? ओह तुम्हे तो बस उसके मुंह से ये नाम अच्छा लगता है ।हायती ये कहते कहते अपना चेहरा पीछे लेती है और कुर्सी भी पीछे सरका लेती है "हा भई तुम्हे तो बस उसी की ही आवाज अच्छी लगती है "इतना कहकर वो अपना सिर भी उसके हाथो से छुड़ा लेती है और फ़राज़ से दो कदम दूर अपनी कुर्सी कर लेती है ।
फ़राज़ "हयात "
"क्या हुआ। कुछ याद आया उसके बारे में".
" हयात बस भी करो "
" बस करू । क्यू करू बस हा क्यू करू वो जब तुझे इस नाम से पुकारती थी तो उसे कुछ नही कहा और मुझे । मेरी तो छोड़ो तुमने तो अर्जुन को भी डांटा और मारा भी है ।वोह तो हमेशा तुम्हारी मदद करता था ना हा बताओ । "
"... मुझे वो नाम पसंद नही है "
"हा तुम्हे वो नाम क्यू पसंद होगा तुम्हे तो नाम रखने वाली पसंद है ,है ना ? "
"मुझे वो भी पसंद नही है"
हयाती अब खड़ि हो जाती है और टहलते हुए कहती है " पर कभी तो थी तुम्हे पसंद वो । तुमने खुद मुझे बताया था ।क्या तुम्हे याद नही ? "
फ़राज़ वही सीधा खड़ा था उसने अपना सिर झुका लिया था उसकी नजर हयाती के पैरो पर थी ।हयाती को कोई जवाब न मिलने पर वो वही रुक जाती है और फ़राज़ के सामने खड़ी हो जाती है हयाती फ़राज़ को देख रही थी जो अभी भी उसके पैरो को घूरे जा रहा था हयाती ने अपनी आवाज तेज करके कहा "फ़राज़ । ये क्या कर रहे हो में जो पूछ रही ही से जवाब देने के बजाय तुम मेरे पैरो को घूर रहे हो ।ये अच्छे manners नहीं है ।
फ़राज़ इतनी तेज आवाज सुन कर थोड़ा घबरा जाता है उसने अपना सिर उठाया और अपनी आंखे हयाती की तरफ करली उसकी आंखे गोल और brown थी जो इस वक्त काफी attractive और cute लग रही थी उसने अपनी धीमी आवाज में कहा "sorry"
हयाती फ़राज़ को देखे जा रही थी वो गुस्सा करना चाहती थी पर फ़राज़ की आंखे उसे गुमराह कर रही थी उसने पअपनी निगाह फ़राज़ से हटाली उसी लहजे में आगे बोली "तुम्हारे sorry का आचार डालू । छोड़ो मुझे तुमसे सवाल ही नही करना चाहिए सवाल तो छोड़ो में तुमसे बात ही क्यू कर रही हु तुम्हे कहा फुरसत है जो मेरी बातों पर ध्यान दो ।हयाती ने इतना सब कुछ एक ही बार में बोल दिया वो अब आगे कुछ कहती उससे पहले ही फ़राज़ बोलने लगा " में अब सुहाना को पसंद नही करता वो बस attraction था वो में ही था जिसने उसे प्रपोस किया लेकिन हमारा रिलेशनशिप बस दो महीने तक ही रहा उसने कॉलेज बंद होते ही मुझे बात करनी बंद करदी ।वो में ही था जो उसे लाइक करता था ।हयात कॉलेज खतम होने के बाद जब उसने बात करनी बंद करदी में सुहाना के घर गया उससे बात करने के लिए ।"इतना कहकर फ़राज़ रुक जाता है ।हयाती उसके पास जाती है और उसके कंधे पे हाथ रख कर कहती है " फिर सुहाना ने क्या कहा "
"उसने कहा वो मेरे साथ सिर्फ इसीलिए थी क्युकी में college में फेमस था हरकोई मेरी गर्लफ्रेंड बनना चाहती थी उपर से मेने उसे आगे से उससे बात की इसीलिए वो मना नही कर पाई ।अब इसे पछतावा हो रहा है इसलिए उसने मुझसे ब्रेक अप कर लिया "
हयाती को अब अफसोस हो रहा था उसने जो भी कहा था उस बात का " ohh आई एम सोरी फ़राज़ ...."
हयाती इससे आगे कुछ बोल पाती फ़राज़ ने बात काटते हुए कहा "हयात वो सिर्फ एक अट्रैक्शन था ब्रेक अप के तीन महीने के अंदर ही में उसे भूल चुका था "
हयाती ने माहोल को बदलने के लिए मजाकिया अंदाज में कहा " ओह तो तुम्हे कभी प्यार हुआ ही नही । "
" मेंने ये तो नहीं कहा "
हयाती शॉक्ड थी उसने कहा "हा?"
फ़राज़ पीछे की तरफ मुड़ गया और कहने लगा " ओह i am so sorry में तो चाय के पूछा ही नही ।तुम चाय पियोगी।
हयाती जो अभी तक शॉक्ड थी उसने कहा "क्या कहा तुमने "
"मेंने कहा चाय पियोगी"
"नही उससे पहले "
फ़राज़ सोचने का नाटक करता है और कहता है "hmm उससे पहले हा उससे पहले मैने sorry कहा "
"नही उससे भी पहले "
फ़राज़ आगे बोलने हो वाला था की फोन की घंटी बजी
Trn trn trn.....
हयाती ने जल्दी से फोन बैग से निकाला और फोन को देखा फोन की स्क्रीन पर मुराद का नाम था उसने जल्दी से कॉल अटेंड किया "हेलो मुराद ।"
" वो तुम्हारे दोस्त के रूम ना नंबर क्या है "
"क्यू "
फोन के दूसरी तरफ से आवाज आती है " में यहां लिफ्ट में हु और कंफ्यूज भी हु। अरशद भी कार पार्क करने के लिए गया है "
हयाती ने नाराजगी से कहा "ohh तो तुम आ गए ।हायती ने अपना मुंह फ़राज़ की तरफ मोड़ा और कहा तुम्हारे फ्लैट नंबर क्या है "
फ़राज़ ने बिना किसी के सवाल के कहा " 3rd फ्लोर ,रूम नंबर 36"
"3rd फ्लोर रूम नंबर 36 "
मुराद ने थैंक यू बोल कर कॉल काट दी ।
कुछ ही देर में मुराद वह पहुंच गया उसने आते ही दरवाजे पर खटखटाया
"क्या में अंदर आ सकता हु"
हयाती ने गुस्से में कहा "नही " इतना कहकर दरवाजे की तरफ चली जाती है और मुराद के पास खड़ी हो जाती है " mr मुराद थैंक यू सो मच मुझे नही भूलने के लिए "ये बोलते वक्त हयाति के आंखों में काफी गुस्सा था ।
मुराद थोड़ा हिचकिचाया और कहने लगा "ओह मुझे माफ करदो वो में अरशद ....
मुराद इससे आगे कुछ बोल पाता हयाती ने बात काट दी और फ़राज़ की तरफ मुंह मोड़ लिया " फ़राज़ वाकई तुमसे मिलकर अच्छा लगा एंड thank you for being my comforzone.
फ़राज़ ने मुस्कुरा कहा "तुम फिर कब आओगी "
मुराद जो अभी तक चुप खड़ा था उसने अपना हाथ फ़राज़ की तरफ बढ़ते हुए कहा " hello फ़राज़ में मुराद हयाती का मंगेतर।
फ़राज़ जिसके चेहरे पर अभी मुस्कान थी वो अब गायब हो चुकी थी ।उसने अपना हाथ मुराद की जगह हयाती की तरफ बढ़ाया और अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान के साथ कहा "congratulation miss ट्रबल मेकर "
हयाती अचंभित हो गई जो लड़का कुछ देर पहले हयाती से बड़ी ही अच्छे तरीके से बात कर रहा था जैसे की वो बहुत कीमती है उसका अचानक से यू हयाती को उसके पुराने नाम से बुलाना वाकई चोकने वाला था हयाती को कुछ समझ नही आ रहा था उसने कहा "हा! क्या ,तुमने क्या कहा ट्रबल मेकर ।
में ट्रबल मेकर तो तुम जलकुक्डे।
फ़राज़ अब हसने लगा उसने हस्ते हुए कहा " जकुकड़े तुम ऐसे नाम कहा से लाती हो ।"
हयाती भी अब हसने लगी ।और मुराद जिसे कुछ समझ नही आ रहा था वो भी दोनो को देख हसने लगा ।हयाती ने जब मुराद को हस्ते हुए देखा तो उसने अपना चेहरा सीरियस कर लिया और सीरियस टोन में कहा "तुम हस रहे हो , वैसे तुम हस क्यू रहे हो ।"
मुराद वही खड़ा शांत हो गया उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई वकील उससे सवाल कर रहा हो और वो एक अपराधी हो। उसने हंसना बंद कर दिया
मुराद " वो तू..तुम लोग हस रहे थे तो ...
इससे पहले के अपनी बात खतम कर पाता हयाती और फ़राज़ जोर से हसने लगे । हयाती ने हस्ते हुए कहा " तुम कितने सीरियस हो गए "
फ़राज़ "वो बस मजाक कर रही थी तुम सीरियस क्यू हो गए "
मुराद "हा ??। क्या मजाक ।
"हा मजाक ।हयाती ने कहा ।वे तीनों बाते कर ही रहे थे की अरशद आ जाता है
वो दरवाजे के बाहर खड़ा मुराद और हयाती को देख रहा था जो एक दूसरे के करीब और खुश दोनो लग रहे थे । अरशद को जेलस फील हो रहा था उसने जोर से कहा " भाई"
हयाती और मुराद पीछे मुड़े ।
तुम आ गए ।हयाती ने अरशद से कहा ।
अरसद ने मुंह बनाते हुए कहा "हम्मम।
मुराद अरशद के पास जाता है और उसके कंधे पे लटके बैग को अपने हाथ में लेता है और कहता है "दो दिन के लिए यह ज्यादा नहीं है "
"नही" । अरशद ने कहा ।
"क्या तुम हमारे साथ चल रहे हो" ।हयाती ने चोकते हुए कहा ।
"क्यू ।तुम्हे कोई प्राब्लम है "। अरसद ने चीड़ते हुए कहा ।
हयाती " मुझे क्यू प्रोब्लम होगी में तो बस पूछ रही थी ।
" अच्छा अब बस करो तुम दोनो हमे अब चलना चाहिए ।मुराद ने कहा ।
हयाती "तुम सही कह रही हो ।इतना कहकर वो फ़राज़ की तरफ मुड़कर कहती है "में चलती हूं"
"हा अब तुम्हे जाना चाहिए " फ़राज़ ने कहा ।
हयाती ने अपनी आंखे बड़ी करते हुए कहा" बस इतना ही ।तुम मुझे कार तक नही छोड़ोगे।
फ़राज़ ने कहा " क्यू तुम्हे चोट लगी है ।या फिर डर लग रहा है।
"जब तुम्हारे घर कोई मेहमान आए तो उसे बाहर तक छोड़ने जाना चाहिए ।
क्या तुम्हे ये किसी ने सिखाया नही ।
फ़राज़ हयाति को देखने लगता है वो उसे उपर से नीचे तक देखता है और दरवाजे को पकड़ कर कहता है "शायद तुम्हे अहसास नही की तुम मेरे कमरे के बाहर हो इसलिए अब बाय । इतना कहकर फ़राज़ हयति के मुंह पर दरवाजा बंद कर देता है । और चिल्ला कर कहता है "अब जाओ"
"क्या बकवास है ये " हयाती ने चिल्लाकर जवाब दिया । हयाती के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी वो पीछे की तरफ मुड़ी ।पीछे मुड़ने पर उसने पाया कि अरसद और मुराद उसे देख रहे थे वो कुछ बोल पाती इससे पहले अरशद बोल पड़ा " कोई हैरत नही "
"नही ऐसा बिल्कुल नहीं है वो ऐसा ही है ।थोड़ा सा अजीब है पर ...." हयाती अपनी बात पूरी करती इससे पहले अरशद बोला " थोड़ा नही पूरा ।वो पूरा ही अजीब है ।इतना कहकर वो मुराद से कहता है " चले भाई "
"हा। चले हयाती " मुराद ने कहा । वे तीनों वहा से चले जाते है ।
फ़राज़ जो अभी भी दरवाजे के पास खड़ा है रहा था ।
"इतने खुश तो आप अपनी पहली किताब छपने पर नही थे "
फ़राज़ आवाज की दिशा की तरफ देखने लगा वहा एक लड़की थी जिसने सफेद रंग का गाउन पहन रखा था उसके बाल खुले वो छोटे थे वो लड़की टेबल पर रखी किताबो को टटोल रही थी ।
"अब हमे देखते ही रहेंगे ये जवाब भी देंगे " लड़की ने फ़राज़ की तरफ अपना मुंह करते हुए कहा ।
फ़राज़ उसकी तरफ बढ़ा और मुस्कुराता हुआ वही कुर्सी पर बैठ गया ।
एक बात कहे आपसे "लड़की ने पूछा ।
हा कहो ।फ़राज़ ने जवाब दिया ।
"वो कौन थी जिसने आपके चेहरे पर ऐसी मुस्कान लादी जिसे हम पिछले दो सालों में ना ला पाए "
फ़राज़ अचानक से शांत हो जाता है " क्या सच में ऐसा है "
लड़की कुछ बोलने ही वाली थी इससे पहले दरवाजे पर किसी ने खटखटाया फ़राज़ और लड़की दोनो ही दरवाजे के पास आते है और फ़राज़ दरवाजा खोलता है ।दरवाजे पर एक डिलीवरी बॉय था उसने कहा "किसी परी का पार्सल है "
परी नाम सुनते ही लड़की के आंखे में एक चमक आ जाती है वो चिल्लाकर कहती है "मेरा पार्सल आ गया "
फ़राज़ पार्सल लेता है और कहता है " आप मुझे दे दीजिए "
" I am sorry sir पर में ये सिर्फ परी को दूंगा आप उन्हें बुला दीजिए please डिलीवरी बॉय ने कहा ।
फ़राज़ अपना फोन अपनी पॉकेट से निकलता है और डिलिवरी बॉय को ऑर्डर की रशीद बताता है । "अब तो यकीन आ गया "
"हा सर ये लीजिए आपका पार्सल और यह साइन करदीजिए" डिलीवरी बॉय फ़राज़ को पार्सला देता है और उसके साइन ले लेता है ।" क्या यहां कोई नही रहती है "डिलीवरी बॉय ने कहा
"तुमहे इससे किया मतलब" फ़राज़ ने बेरुखी से कहा।
" नही सर आप गलत समझ रहे है एक्चुअली वो में लोगो से जब पता पूछ रहा था तब हर एक ने मुझसे यही कहा की यहाँ कोई परी नही रहती है इसीलिए।" परी जो अब तक एक्साइटेड थी वो अब थोड़ी उदास हो गई ।
फ़राज़ बेरुखी से बोला " परी मेरी बिल्ली का नाम है "
"बिल्ली "।परी ने फ़राज़ की तरफ मुंह करके कहा परी का चेहरा लाल हो गया उसने चिल्लाते हुए कहा "आपने हमे बिल्ली कहा "
डिलीवरी बॉय ने अपना रजिस्टर लिया और कहा" अच्छा सर में चलाता हू आपका दिन शुभ हो ।इतना कहकर वो चला जाता है ।फ़राज़ भी दरवाजा बंद कर देता है। और पार्सल लेकर उसे कुर्सी पर रख देता है ।परी भी उसके पीछे आती है और उसके कान में चिल्ला कर कहती है " आपने मुझे बिल्ली क्यू कहा"
फ़राज़ इतनी तेज आवाज सुन कर पीछे हठ गया और अपने कानो पर हाथ लगा दिया "तुम्हे पता है मुझे इतना तीखा सुनने की आदत नही है "
"उस लड़की की बाते तो आप बड़ी दिलचस्पी से सुन रहे थे ।क्या आपको नहीं लगता उसकी मेरी आवाज से कही ज्यादा तीखी और तेज थी "परी ने चिल्ला कर कहा ।फ़राज़ परी को घूरने लगा लेकिन परी पर इसका ज्यादा असर नहीं हुआ उसने अपनी आवाज धीमी करली लेकिन बोलना जारी रखा। " इतनी तेज थी की बाहर तक उसकी आवाज सुनाई दे जाए । "
फ़राज़ बिना कुछ कहे वही टेबल पर बैठ गया और पार्सल अनपैक करने लगा
"आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया " परी ने मुंह बनाकर पूछा ।
"..."
फ़राज़ का जवाब न मिलने पर परी वही उसके पास जमीन पर बैठ जाती है ।
"तुम तो जानती हो के तुम एक आत्मा हो तुम्हे सिर्फ में ही देख सकता हु ।ऐसे में अगर में यह कही की परी कोन है तो वो मुझे पागल कहेंगे।" फ़राज़ ने बड़ी सफाई से अपनी बात रखी ।परी जो अभी गुस्सा थी अब उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई । फ़राज़ पार्सल पूरा अनपेक कर पाता इतने में उसी एक कॉल आती है जिसे अटेंड करने के बाद वो कहता है " मुझे जाना होगा "
इतना कहकर वो अपना बैग लेता है और चला जाता है परी भी फ़राज़ के जाते ही वहा से गायब हो जाती है बिल्कुलेक भूत की तरह ।
मुराद कार चला रहा था और उसके बगल में हयाती बैठी थी जो लंबे समय से कार के बाहर देख रही थी ।मुराद जनता था की हयाति बाहर क्यू देख रही है ।उसने बात शुरू की " मुझे माफ करदो ।में अगली बार ऐसा भी करूंगा ".
हयाती अपना चेहरा मुराद की तरफ मोड़ लेती है और धीमी आवाज में कहती है "अगली बार ध्यान रखना " इतना कहकर हयाती पीछे देखती है जहा अरशद बैठा हुआ था जो उसे गुस्से में घूर रहा था हयाती ने अपने चेहरे पे हल्की मुस्कान लाती है और कहती है "अरशद तुम इतने खामोश क्यों हो "
अरशद " क्यू आपको में खामोश अच्छा नहीं लगता "
"वैसे अरशद तुम और फ़राज़ तो एक ही बिल्डिंग में रहते हो तुम्हारी तो उससे मुलाकात होती रहती होंगी ना ।" मुराद ने कहा
" नही "अरसद ने कहा
मुराद ने हैरानी से कहा "क्यू "
"वो बहुत अजीब है" मुराद ने कहा
"वो बस थोड़ा सा है ।वो भी इसीलिए क्युकी उससे बात करना जायदा पसंद नही ।"। हयाती ने कहा।
"थोड़े नही पूरे शायद आपको पता नही पर वो बहुत अजीब है और शातिर भी वो हर वक्त किसी से बात करते रहते है किसी परी से लेकिन हैरानी की बात यह है की परी नाम की कोई लड़की या कोई जानवर तक पूरी सोसायटी में नही रहता और जब भी उन्हें कोई बात करते हुए सुनता है तो डर जाता है क्योंकि उनके पास कोई नही होता वो अकेले होते है ।लोगो का तो कहना यू भी कहना है की उन्हें भूत दिखाई देते है कुछ ने तो उन्हें तांत्रिक घोषित कर रखा है ।एक तांत्रिक जिसके पास एक औरत की आत्मा है जो उनका हर एक काम करती है ।इसीलिए कोई भी उनसे बात करने की हिम्मत नही करता कर तो और जिसने भी उनको भला बुरा कहा है उसके तुरंत बाद उनके साथ कोई न कोई बुरी घटना जरूर हुई है ये भी मैने सोसायटी वालो से सुना था । क्या अब भी आप उन्हे थोड़ा ही अजीब कहेंगी ।
ये सब सुनकर हयाती और मुराद शोक में पड़ जाते है । हयाती हैरान और परशान हो गई ।और उसका पर्शान होना भी सही था आखिर फ़राज़ उसका दोस्त है उसके बारे में ये सुन हयात काफी चिन्तित हो गई ।
" तुम्हे ये सब कैसे पता " मुराद ने कहा
"बस इसी बात के लिए वो एक चर्चित इंसान है हर कोई उनके बारे में आए दिन बात करता रहता है कुछ तो मन गड़त बाते भी बनाते है ।
हयाती ने कोई सवाल नही किया वो ऐसे ही बैठी रही । हयाती पुरे दिन और पूरे राते फ़राज़ के बारे में सोचती रही ।
Have some idea about my story? Comment it and let me know.
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