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93.75% बात एक रात की... / द डॉल मैन - 7

द डॉल मैन - 7

"मिस्टर एडवर्ड... मिस्टर एडवर्ड ज़रा सुनिए," एडवर्ड के गाँव का एक नौजवान युवक भागते हुए उसकी ओर बढ़ रहा था, उसके स्वरों में दर्द का भाव छुपा हुआ था और वह लगातार एडवर्ड को आवाज़ लगा रहा था जिससे मेले में मौजूद एडवर्ड का ध्यान उसकी तरफ़ आकर्षित हो सके, वहाँ काफ़ी भीड़ मौजूद थी और एडवर्ड के स्टाल को जनता लगभग घेरे हुए थी, इस साल उसके खिलौने पिछले साल से अधिक मात्रा में बिके थे। एडवर्ड उस युवक की ओर ध्यान से देखता है, वह लड़का उसके पड़ोस में रहता था।

"क्या हुआ राबर्ट... तुम इतने घबराए हुए क्यूँ हो, एक काम करो स्टॉल के पीछे से अन्दर आ जाओ... आराम से यहीं बैठकर बातें करेंगे," एडवर्ड ने मेले में भीड़ के शोरगुल में अपने पड़ोस में रहने वाले जवान लड़के राबर्ट से कहा।

" ठीक है... मैं आता हूँ", राबर्ट ने एडवर्ड की बात से राज़ी होते ही जवाब दिया। वह भीड़ में से निकलकर पीछे के रास्ते से स्टाल के अन्दर प्रवेश कर लेता है।

" अब बताओ क्या बात है जिसे बताने के लिए तुम इतनी दूर भागते हुए आये हो", एडवर्ड ने उसके स्टॉल में प्रवेश करते ही उसकी ओर देखते हुए पूछा, राबर्ट घबराया हुआ सा प्रतीत हो रहा था... मानो उसकी समझ में नहीं आ रहा हो कि बात कहाँ से शुरू करनी है।

"मुझे पता नहीं क्या कहना चाहिए मिस्टर एडवर्ड... ये बात आपके लिए जाननी बहुत ज़रूरी है लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि कहाँ से शुरुआत करूँ, ये बात आपके परिवार के साथ जुड़ी है", राबर्ट ने हिचकिचाते हुए एडवर्ड की ओर देखते हुए कहा।

"क्या हुआ राबर्ट... ज़रा खुल कर बताओ, क्या मेरे परिवार में सब कुशल मंगल हैं, आखिर ऐसा क्या है जिसे तुम बताने में इतना समय लगा रहे हो ", एडवर्ड ने राबर्ट के परेशान चेहरे की ओर देखते हुए पूछा।

" बात ही कुछ ऐसी है मिस्टर एडवर्ड... अगर आप सुनेंगे तो आपके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी," राबर्ट ने एडवर्ड की बात का जवाब देते हुए कहा।

" अब ज़्यादा भूमिका मत बाँधो राबर्ट... मुझे बहुत ही घबराहट हो रही है, साफ़ - साफ़ बताओ कि माजरा क्या है, क्या मेरे घर पर मेरा परिवार सुरक्षित है या किसी किस्म की कोई अनहोनी हो गई है ", घबराए हुए एडवर्ड ने एक बार फिर राबर्ट से पूछा।

" मैं वही बताने जा रहा हूँ मिस्टर एडवर्ड... कल रात आपके घर में कुछ लुटेरे घुस आए और सारा सामान लूटने के बाद आपके परिवार की तीनों स्त्रियों को मौत के घाट उतार दिया...बुहुहुहू ", नौजवान राबर्ट ने एडवर्ड को रात हुए हादसे के बारे में बताया और फूट फूट कर रोने लगा।

" हे मेरे प्रभु... ये क्या हो गया, मैं तो बर्बाद हो गया... अब मेरा कुछ भी नहीं बचा...अब मैं किसके सहारे जीउँगा... बुहुहुहू ", परेशान एडवर्ड भी उसकी बातों को सुनकर अपने बहते आंसुओं को रोक नहीं पाया और उसके मुँह से दर्द भरे अल्फाज़ निकले।

"आप को पता नहीं है मिस्टर एडवर्ड लेकिन ऐसा केवल आपके साथ ही नहीं हुआ है बल्कि तीन घर और हैं जिनमें इसी तरह डकैती डाली गई है... हमारे गाँव में ऐसी घटना पहली बार घटित हुई है, हर तरफ़ अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है... सभी ऐसा करने वाले को कड़े से कड़ा दंड देना चाहते हैं पर उससे पहले मृत परिजनों का अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहा है इसलिए आपका वहाँ होना बहुत ज़रूरी है, उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए... आप जाइए मैं यहाँ सब कुछ संभाल लूँगा ", राबर्ट ने एडवर्ड को सारी जानकारी देते हुए कहा। उसकी बात मानकर अपने स्टाल के एक सहायक को लेकर एडवर्ड अपने गाँव की ओर रवाना हो जाता है।

" मैं तो कहता हूँ कि आज इस मनहूस का किस्सा तमाम कर ही देते हैं... हो सकता है कि यह भी उनका ही साथी हो और हम सबसे ईर्ष्या के कारण इसने ऐसा किया हो", ओलिवर के घर की ओर बढ़ती भीड़ में से एक शख्स ने प्रधान से कहा।

" हम किसान हैं हत्यारे नहीं... उसे भी अपनी बात रखने का एक मौका देते हैं, हम बिना तहकीकात किए उसे सज़ा नहीं दे सकते हैं... यह मानवता के विरुद्ध है ", गाँव के प्रधान ने चलते हुए उस शख्स की ओर देख कर कहा।

" ये मत भूलो कि पूरा गाँव इस मनहूस कुबड़े से परेशान है और हमारे पास तो सबूत भी मौजूद है कि वह उन्ही को अपने घर में रखे हुए था जिन्होंने गाँव में ऐसा दुष्कर्म किया है... हो सकता है कि इसे भी लूट से हिस्सा मिला हो, मैं बता रहा हूँ कि इससे अच्छा मौका फ़िर कभी नहीं मिलेगा इससे छुटकारा पाने के लिए ", उस शख्स ने गाँव के प्रधान की ओर देख कर कहा, उसकी बातों से ऐसा लग रहा था कि आज ओलिवर नहीं बचने वाला है, एक तो वह पहले से ही मनहूस होने का धब्बा अपने ऊपर लेकर जी रहा था ऊपर से ऐसी त्रासदी गाँव में हो गई और बदकिस्मती से इस घटना को अंजाम देने वाले भी उसी के घर में रुके हुए थे जिससे गाँव वालों का गुस्सा और भड़का हुआ था।

" हाँ ये सही कह रहा है... इस ओलिवर नाम की मनहूसियत से हमेशा के लिए छुटकारा पा लेते हैं, इससे पहले भी हम गाँव वाले इसकी मनहूसियत का कई बार शिकार हो चुके हैं... इस बार इसका काम हमेशा के लिए तमाम कर देते हैं", उसी भीड़ में मौजूद दूसरे शख्स ने भी पहले वाले का समर्थन करते हुए कहा। अब गाँव के आधे से ज्यादा लोग यही बातें दोहराने लगे की ओलिवर का सफाया कर दो, गाँव का प्रधान रिचर्ड अब दबाव में आ चुका था क्यूँकि भीड़ का क्रोध अत्यधिक बढ़ चुका था, उसने खुद को खामोश रखना ही उचित समझा। थोड़ी ही देर में वे सभी ओलिवर के घर पहुँच गए।

"ओलिवर बाहर निकल...कहाँ छुपा बैठा है, बाहर निकल",उस भीड़ में से एक शख्स ने चिल्लाते हुए कहा, उसकी बातें सुनकर अन्दर बैठा ओलिवर सहम सा गया और घर के अन्दर से बाहर निकला, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है... इससे पहले की वह कुछ समझ पाता भीड़ ने उसे चारों तरफ़ से घेर लिया और उस पर लाठी और घूंसे चलने लगे, ओलिवर मदद के लिए चिल्लाता रहा और साथ ही उन सबसे ऐसा करने की वजह भी पूछता रहा पर किसी ने कुछ नहीं कहा... सभी बिना उसका कसूर बताए उसे बुरी तरह से पीटते रहे... इससे भी वहाँ मौजूद लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ उनमें से कुछ ने तेज धार हथियारों से उस पर वार कर उसे लहूलुहान कर दिया, ओलिवर एक मांस के टुकड़े की तरह वहां पड़ा हुआ था और क्रोधित जनता उसपे वार पर वार किए जा रही थी। ओलिवर ने काफ़ी देर पहले ही दम तोड़ दिया था लेकिन जनता ने अपने क्रोध शांत होने तक उस पर वार किया और जब सभी थक के चूर हो गए तो मृत पड़े ओलिवर को वैसे ही छोड़कर चले गए।

" हे प्रभु... हे मेरे प्रभु, ये क्या हो गया... मेरा तो सब कुछ बर्बाद हो गया, मैं लुट गया.... बुहुहुहू...मेरी पत्नी और मेरी बेटियों के साथ ये कैसा अनर्थ हो गया, मैं उस दरिंदों को छोड़ूंगा नहीं जिन्होंने ऐसा घिनौना काम किया है... मेरी फूल जैसी मासूम बेटियों को भी कितने दर्द का सामना करना पड़ा होगा... मेरे पास अब जीने का कोई सहारा नहीं बचा... बुहुहुहू ", दुखी एडवर्ड अपनी मृत पड़ी पत्नी और बेटियों की लाशें देख कर अपने दर्द को लफ़्ज़ों में बयां करता है, उसका रोना सुनकर वहाँ मौजूद सभी लोगों की आंखों से आंसू छलक जाते हैं... ये घड़ी ही ऐसी थी जिसमें सभी अपनी रंजिश भुलाकर एक दूसरे के ग़म को बाँटने में लगे हुए थे। सभी गाँव वाले उन लोगों को दिलासा दे रहे थे जिनके घरों में लूट और हत्याओं को अंजाम दिया गया था।

" हौसला रखो एडवर्ड... अगर तुम ही टूट जाओगे तो तुम्हारे परिवार का अंतिम संस्कार कैसे होगा, इसलिए ख़ुद को संभालने की कोशिश करो", गाँव के एक बुजुर्ग ने एडवर्ड के कंधे पर हाथ रख कर उसे समझाते हुए कहा।

"कैसे ख़ुद को संभाला सकता हूँ भाई... जब इतना बड़ा हादसा हो गया है जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी...अब मेरे जीने का कोई सहारा भी नहीं रहा फ़िर किस तरह से ख़ुद को संभाल सकता हूँ ", एडवर्ड ने रोते हुए उस बुज़ुर्ग की बात का जवाब देते हुए कहा।

"हम जानते हैं कि तुम्हारे साथ बहुत दुखद हादसा हुआ है मेरे भाई लेकिन ऐसे भावनाओं में बहना किसी समस्या का हल नहीं है...हम गाँव वालों ने तो उन हत्यारों की बहुत तलाश की लेकिन वे हमारे हाथों से बच गए... पर हमने उनके एक साथी को मौत के घाट उतार दिया है और जल्द ही बाकी भी पकड़े जाएंगे ", पास ही खड़े दूसरे व्यक्ति ने भी एडवर्ड को दिलासा देते हुए अपनी बात कही, उसकी बातों को सुनकर जैसे एडवर्ड की आँखों में चमक सी आ गई थी... उसके बदला लेने की तीव्र इच्छा ने जैसे उसके कान खड़े से कर दिए हों, वह सारी बातें जानने को बेताब हो रहा था।

" क्या मैं जान सकता हूँ कि वह शख्स कौन था जो मारा गया है... क्या वह इसी गाँव का था", एडवर्ड ने जिज्ञासा पूर्वक वहाँ मौजूद लोगों से पूछा।

"वह कोई और नहीं बल्कि कुबड़ा ओलिवर था, जिसने उन लूट और हत्या करने वालों का साथ दिया था...हम सभी ने मिलकर उसे मौत के घाट उतार दिया, एक तरह से मनहूसियत से पीछा छूटा ", वहाँ मौजूद एक शख्स ने उसे जवाब देते हुए कहा। एडवर्ड उसकी बातों को सुनकर कुछ देर के लिए खामोश सा हो गया... उसे इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि ओलिवर उनका साथी था क्यूँकि ओलिवर की असलियत अगर कोई अच्छे से जानता था तो वह एडवर्ड ही था।

"क्या आप सभी को पूरा यकीन है कि वह इस वारदात को अंजाम देने के बारे में पहले से ही जानता था...उसने अपनी सफ़ाई में क्या कहा," एडवर्ड ने वहां मौजूद लोगों से एक बार फिर से पूछा।

"हमने उसे बोलने का कोई मौका ही कहाँ दिया...उसके घर से बाहर निकलते ही सभी गाँव वाले उस पर टूट पड़े और उसकी सफ़ाई सुनता कौन... हमारे लिए इतना ही काफ़ी था कि वह उन हत्यारों से मिला हुआ है और अच्छा ही हुआ, वह मुआ ओलिवर हम गाँव वालों के लिए पहले से ही बहुत बड़ा सिरदर्द था... एक मनहूसियत से पीछा छूटा ", वहाँ खड़ी भीड़ में मौजूद एक नौजवान शख्स ने जोश के साथ एडवर्ड को सारी बातों की जानकारी दी।

" उफ्फ! ये क्या हो गया... ऐसा कैसे हो सकता है, ओलिवर कभी इतना नीचे नहीं गिर सकता था, अगर इन सभी को पता चला कि वह मेरे लिए गुप्त रूप से खिलौने बनाया करता था तो ये लोग हो सकता है मुझे भी मौत के घाट उतार दें... इसलिए अभी कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं होगा", एडवर्ड ने उस नौजवान लड़के की बातें सुनकर खुद से ही मन में कहा, उसे इस बात का डर था कि उसका खिलौने बनवाने वाला राज़ सभी के सामने खुल जाएगा और वहाँ मौजूद सभी लोग क्रोधित होकर उसे भी मार डालेंगे इसलिए मौके की नज़ाकत को समझते हुए उसने खामोश रहने में ही अपनी भलाई समझी। कुछ ही देर बाद वहां पादरी का आगमन होता है, वहाँ मौजूद मृत सदस्यों को अंतिम विदाई देने के लिए... एक बार फिर से रोने धोने का माहौल बन जाता है, सभी रोते हुए अपने मृत सदस्यों को विदाई देते हुए पास के कब्रिस्तान पहुँचते हैं और उन सभी मृत सदस्यों के शवों को गाड़ने की प्रथा प्रारंभ होती है बाइबल के कुछ संदेशों के साथ।

वहाँ से वापसी करते समय एडवर्ड गाँव वालों की नज़रों से बच कर छोटी पहाड़ी के नीचे स्थित ओलिवर के निवास की ओर बढ़ता है। एडवर्ड कुछ ही देर बाद ओलिवर के घर पहुंचता है लेकिन वहाँ का नज़ारा देख कर एडवर्ड की रूह दहल जाती है... कुछ भूखे भेड़िये उसके मृत पड़े शरीर को नोच रहे थे, ओलिवर एक मांस के टुकड़े समान प्रतीत हो रहा था और भूखे भेड़िये उसके शरीर का हर अंग नोच नोच कर खा रहे थे, इससे पहले कि एडवर्ड भी उन भेड़ियों की नज़र में आता उसने वहाँ से निकलने में ही भलाई समझी और सीधा अपने घर की ओर रवाना हो गया।

"उफ्फ! ये तो बहुत बड़ा नुकसान हो गया... ओलिवर एक अच्छा इंसान था और सालों से मेरे लिए खिलौने बनाया करता था... उसकी बस इतनी सी शर्त थी कि वह रात में अपने समय के हिसाब से काम करेगा और किसी को काम के वक़्त आकर दखलंदाजी नहीं करनी है... इसलिए मैंने उसे अपने छोटे कारखाने की चाभी दे दी थी ताकि उसे आने जाने में तकलीफ न हो... हर बार खिलौने बनाने का पैसा मैं इसी कारखाने में छोटी पोटली में रख कर छोड़ देता था इससे उसे भी आर्थिक मदद मिलती थी, अब इस गाँव में और कौन सी मुसीबत आने वाली है ये तो वक़्त ही बताएगा, पर इस समय मेरे ऊपर तो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है ", एडवर्ड ने घर में अकेले ही ख़ुद से बातें करते हुए कहा।

धीरे - धीरे समय बीतता है और इस दुखद घटना को बीते हुए लगभग एक हफ्ता पूरा हो जाता है... एडवर्ड ने अब अपने खिलौनों का व्यापार बंद ही कर दिया था, ओलिवर द्वारा बनाए गए आखिरी खिलौने तक मेले में बेच दिए थे अपने गांव के कुछ लड़कों की सहायता से क्यूँकि इस हादसे के बाद से एडवर्ड लगभग टूट ही चुका था और उसने खुद खिलौने बेचने से मना कर दिया था लेकिन गाँव के कुछ नौजवान लड़कों ने बाकी बचे खिलौनों को बेचा और मुनाफे की रकम का बंटवारा कर लिया जिसमें एडवर्ड का भी हिस्सा था... एडवर्ड के लाख मना करने के बावजूद भी उन्होंने उसे उसके हिस्से का पैसा दे दिया। जिस तरह से जीवन में हर दुख की घड़ी के बाद सुख के पल आते हैं, ठीक उसी तरह से गाँव के प्रधान रिचर्ड के यहाँ उसके पाँच साल के बेटे का जन्मदिन मनाया जा रहा था... उस दुखद हादसे के बाद गाँव में आज खुशी की लहर थी, पूरे गाँव की सड़कों को दुल्हन की तरह सजाया गया था और सुबह से ही जलसे का माहौल था... वक़्त बीतता है और शाम हो जाती है लेकिन खाना पीना, नाच गाना यूँ ही चलता रहता है, जहाँ एक ओर गाँव के सारे वयस्क खाने पीने का लुत्फ़ उठा रहे थे... वहीं बचे भी अपने खेल में लगे हुए थे, अंधेरा लगभग हो ही चुका था और बच्चे आपस में खेल का लुत्फ उठा रहे थे कि तभी अचानक गाँव के प्रधान के लड़के की नज़र एक अनजान साये पर पड़ती है... वह अपना खेल छोड़कर उस अनजान साये को देखे जा रहा था, वह साया उसे अपनी ओर आने का इशारा करता है और वह पाँच साल का नासमझ बच्चा उसके पीछे चल देता है... गाँव के लोग अपनी मौज मस्ती में इस कद्र खोये हुए थे कि किसी की नज़र उस बच्चे पर नहीं पड़ती है और वह सब कुछ भूल कर उस डरावने साये की ओर बढ़ता चला जा रहा था।

To be continued...

©IVANMAXIMUSEDWIN


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