अब कुछ महीने बीत चुके थे । प्रेरणा और आकाश अब दोस्त बन चुके थे । लेकिन दोनों के बीच थोड़ी बहुत ही बातें हुआ करती थी।
उस दिन केमिस्ट्री की प्रैक्टिकल क्लास होने वाली थी । प्रेरणा एप्रन लाना भूल गयी थी । जिसके कारण वह लैब के भीतर नहीं जाती है क्योंकि सभी स्कूलों में बिना एप्रन के लैबोरेटरी में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है।
प्रेरणा उदास मुंह बनाये लैब की गेट के बाहर खड़ी रहती है । तभी आकाश आता है और उसे अपना एप्रन दे देकर कहता है :-
" मेरे घुटनों में बहुत दर्द हो रहा है , तुम क्लास कर लो " । वहां प्रेरणा के अलावा भी तीन लड़कियां रहती है लेकिन आकाश एप्रन केवल प्रेरणा को ही देता है।
आकाश प्रेरणा को चाहने लगा था , इसलिए वह ऐसा करता है । प्रेरणा एप्रन पहनकर लैब में चली जाती है । आकाश क्लास के बाहर ही बैठा रहता है। उसके बाद थोड़ी देर में क्लास खत्म हो जाती है और प्रेरणा बाहर आती है । वह आकाश के पास आकर उसे उसका एप्रन लौटा देती है और थैंक यू बोलती है ।
आकाश उससे कहता है :-
" अरे यार , दोस्ती में थैंक यू मत बोला करो "
" तुम बहुत अच्छी हो , तुम्हारा नम्बर मिल सकता है क्या "
" हां , एस ए फ्रेन्ड मैं तुम्हें अपना नम्बर दे सकती हुं " (यह बोलकर प्रेरणा उसे अपना नम्बर दे देती है )
इस तरह आकाश को उसका नंबर मिल जाता है । वह अब
थोड़ी देर के लिए ख्यालों में खो जाता है क्योंकि उसे प्रेरणा के नम्बर के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी थी।