नन्हा ट्रेजर गहरी नींद मे सोया हुआ था| निंग सी बिस्तर से उठकर लिविंग रूम मे देखने गई| लिविंग रूम मे लू टिंग एक ग्लास मे पानी का ग्लास लिए हुए था, दूसरे हाथ से पेट पकड़े हुए, चेहरा पूरी तरह पीला पड़ा हुआ था|
वह घबराकर बोली " क्या हुआ मिस्टर लू , आप ठीक तो हो??"
लू टिंग "हाँ, ठीक हूँ!"
निंग क्षी " मिस्टर लू , आपके पेट मे दर्द हो रहा है, लगता है मसालेदार खाना आपको पचा नहीं| मुझे लगा ही था कि आपको इतने मसालेदार खाने की आदत नहीं। आप आराम से बैठे| मैं आपके लिए कुछ दवा लेकर आती हूँ!!"
निगक्षी घर मे हमेशा कुछ दवाए रखती ही थी| राम जाने कब किस दवा की जरूरत पड़ जाए। दवा के डिब्बे में उसने दो गोलियाँ निकालकर लू टिंग को दी|
"मिस्टर लू ये दवा खा लीजिये| आपको थोड़ा ठीक लगेगा।"
दवा देने के बाद निंग सी को लू टिंग को अकेला छोड़कर जाना ठीक नहीं लगा| वह थोड़े समय के लिए वही बैठ गई|
"माफ कीजिए मुझे मालूम नहीं था कि मेरा मसालेदार खाना आपको इस तरह बीमार कर देगा," निंग सी ने माफी के स्वर मे कहा ।
"अरे इसकी कोई जरूरत नहीं है, यह तो बस यूँ ही!"
दोनों अपनी अपनी कुर्सियो पर बैठे हुए कभी घड़ी की आर देखते तो कभी एक दूसरे की ओर| कमरे मे एक खामोशी सी पसरी हुई थीं, एक अटपटा सा सन्नाटा।
इस खामोशी को लू टिंग ने ही तोड़ा| "नन्हा ट्रेजर तुमसे मिलने की ज़िद कर रहा था, इसीलिए हमे बेवक्त आना पड़ा| जब से तुमने उसे उस बार के स्टोर रूम में बचाया है, तभी से वह तुम पर बहुत विश्वास करने लगा है।"
निंग क्षी ने नोटिस किया था कि लू टिंग जब भी लिटिल के बारे मे बात करता है उसका स्वर नर्म हो जाता है,
इसी लिये लू टिंग से उसे अब उतना डर नहीं लग रहा जितना अस्पताल मे लग रहा था ।
रात के अंधेरे मे दोनों के चहरों से बनावट का मुखौटा निकल चुका था। अपने जीवन की सच्चाई को कुबूल करने मे अब कोई हीचकिचाहट नहीं लग रही थी|
निंग क्षी ने बेबाक होकर पूछा " ट्रेजर क्या बोल नहीं पाता है?"
लू टिंग ने भी इस बात का जवाब ईमानदारी से दिया " हाँ, उसको बोलने मे कुछ दिक्कत है| ऐसा नहीं है कि उसको बोलना नहीं आता| वह बोलना ही नहीं चाहता।"
"मानसिक कारण है क्या कुछ?" निग सी ने पूछा
"हाँ!!" लू टिंग ने भी तुरंत ये बात बिना हिचकिचाहट के स्वीकार भी कर ली।
निंग क्षी मन ही मन सोचने लगी, आखिर ऐसा क्या हुआ होगा बच्चे के साथ जो वह इस हद तक प्रभावित हुआ है कि बोलना ही नही चाहता । पर यह सब इतना विस्तार से पूछने की उसकी हिम्मत ही नहीं हुई।
"निंग क्षी , हम पहले भी कह़ी मिल चुके है क्या?" लू टिंग ने पूछा।
"नहीं मुझे तो याद नहीं है कि मैं आपसे पहले भी कभी मिल चुकी हूँ।" निंग क्षी ने जवाब दिया । कोई ओर ये बात पूछता तो उसे ये बात फ्लर्ट लगती पर ये सवाल खुद लू टिंग ने उसे पूछा था| पर क्यों?
लू टिंग की तबीयत मे सुधार देख निंग क्षी लू टिंग से बोली, "आपको ठीक लग रहा हो अब तो मुझे लगता आपको अब आराम करना चाहिए , मैं भी अपने कमरे मे जाती हूँ।"
ऐसा कहकर जैसे ही वह उठी, लू टिंग ने उसका हाथ पकड़कर बैठा दिया| "बैठो कुछ देर अभी नहीं जाओ! कोई जल्दी नहीं।"
कोई जल्दी नहीं? वह बहुत जल्दी में थी।