अब आगे
सिद्धार्थ ने एक बार और श्रद्धा का नाम पुकारा लेकर श्रद्धा ने मुड़कर उसे देखने की जरूरत नहीं उठाई उसने सिर्फ इतना ही कहा कहो क्या कहना चाहते हो, उसकी ऐसी रुड़ टोन सुनकर सिद्धार्थ का दिल दर्द से भर गया लेकिन वह उसे कुछ नहीं कह सकता था वह जानता था कि यहां उसकी गलती है वह इतने दिनों तक दादा जी से दूर रहा और सबसे कनेक्शन भी तोड़ रखा था लेकिन वही जानता था कि उसका काम कितना इंपॉर्टेंट था।
उसने फिर श्रद्धा से कहा श्रद्धा डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लिए हमें हमारे चेकअप के लिए चलना है, उसके बाद पर श्रद्धा ने कहा मेरे चेकअप की कोई जरूरत नहीं है मेरा हार्ट इतना भी कमजोर नहीं है कि मैं दादाजी की तरह चली जाऊंगी आप अपना चेकअप करवा लीजिए जाकर। सिद्धार्थ को उसके बातें सुनकर गुस्सा आ गया वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि श्रद्धा को कुछ हो इसलिए उसने गुस्से में कहा मैंने जितना कहा है उतना सुनो चुपचाप मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो तुम्हें पता है ना हमारे परिवार में मंथली चेकअप सबका होता है और तुमने पिछले तीन-चार महीनो से कोई चेकअप नहीं करवाया है इसलिए चुपचाप मेरे साथ चलो।
उसके बाद पर श्रद्धा ने भी गुस्से से कहती है क्यों चलू मैं तुम्हारे साथ कहां जाऊं मुझे कहीं नहीं जाना है मुझे किसी चेक अप के लिए नहीं जाना है, बेहतर होगा कि तुम अपना ही चेकअप करवा कर आ जाओ और तुम घर में क्यों हो घर में क्या कर रहे हो तो तुम जाओ ना अपना काम करो ऑफिस करो तुम्हें ना परिवार से मतलब है ना मुझसे मतलब है मुझे भी सिर्फ तुमने एक शादी करके टैग बना कर ला कर रख दिया है, तुम्हें मेरे साथ अपना रिलेशन बनाना ही नहीं था मुझसे शादी निभाना ही नहीं थी तो की कि तुमने शादी।
यह बोलकर श्रद्धा वहां से जाने लगती है लेकिन सिद्धार्थ ने उसका हाथ पकड़ लिया और जबरदस्ती उसे अपने गोद में उठा लिया, श्रद्धा गुस्से से उसके गोद से उतरने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह जितना कोशिश करती सिद्धार्थ उस पर उतनी ही पकड़ तेज कर देता, सिद्धार्थ उसे अपने गोद में यूं ही उठा कर में ले गया और उसे गोद में लिए हुए ही कर में बैठ गया ड्राइवर ने उन दोनों को इस तरह से देखा तो एक हल्की स्माइल कर दी और कर को आगे बढ़ा दिया लगभग आधे घंटे बाद दोनों अस्पताल के सामने थे सिद्धार्थ ने अभी तक उसे अपने गोद से नहीं उतरा था और अपने गोद में लिए हुए ही वह डॉक्टर के पास चला गया।
डॉक्टर ने जब उन दोनों को इस तरह से देखा तो उन्होंने कहा अरे मिस्टर ओबरॉय आप आ गए हैं इंतजार कर रहा था, उसके गोद से उतरते श्रद्धा वहां से जाने लगे लेकिन सिद्धार्थ ने उसे एक हाथ से कमर से पड़कर उसे सटा लिया और क्या डॉक्टर आप चेकअप की तैयारी कीजिए। श्रद्धा खुद को उसे छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सिद्धार्थ ने उसे घूर कर देखा और कहा चुपचाप खड़ी रहो वरना तुम्हें बहुत बड़ा इंजेक्शन लगवा दूंगा बस इंजेक्शन का नाम सुना है था कि श्रद्धा चुपचाप खड़ी होगी उसे सिद्धार्थ पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था वह उसे सच में इंजेक्शन लगवा सकता था।
उसके इस तरह से शांत हो जाने पर सिद्धार्थ इतना तो समझ गया था कि श्रद्धा को इंजेक्शन से बहुत डर लगता है यह देखकर उसे मन ही मन बहुत हंसी आई और उसने एक विनिंग स्माइल के साथ श्रद्धा को देखा जो उसे चिढ़ा गई। थोड़ी देर में डॉक्टर ने उसके कुछ चेकअप किया और उसके बाद सिद्धार्थ की तरफ इशारा करके कहा आपको यह रिपोर्ट्स में मिल कर दूंगा सिद्धार्थ ने भी हां मैसेज हिलाया और श्रद्धा को लेकर चला गया अब श्रद्धा चुपचाप उसके साथ जा रही थी। जैसे ही दोनों ओबेरॉय पैलेस पहुंचे सिद्धार्थ ने देखा कि श्रद्धा बिना कुछ कहे अंदर जा रही है तो उसने उसे पीछे से कहा अपने पैकिंग कर लेना हम कल यहां से जा रहे हैं अपने घर।
उसके बाद पर श्रद्धा ने कहा मैं कहीं नहीं जा रही मैं यही रहूंगी तुम अपने घर जाओ, सिद्धार्थ उसकी इस जिद पर ना में सर हिला दिया और कहा जो मैं कह रहा हूं वह चुपचाप करो वरना तुम जानती हो मैं क्या कर सकता हूं श्रद्धा ने उसे घूर कर देखा और पर पटकते हुए वहां से चली गई लेकिन वह अपने कमरे में ना जाकर दादाजी के कमरे में चली गई।
थोड़ी देर बाद एक मेड आयी और उसे बाहर बुलाए क्योंकि बाहर वकील आया हुआ था, वह मेड के साथ हाल में चली गई उसने देखा कि सिद्धार्थ भी वहीं बैठा है श्रद्धा भी जाकर सोफे पर बैठ गई लेकिन वह सिद्धार्थ से कुछ दूरी पर बैठी थी। लॉयर खड़ा दादाजी की वसीयत पढ़ रहा था जिसके हिसाब से सब कुछ उसके नाम यानी कि सिद्धार्थ के नाम हुआ था, और इस लॉयर ने श्रद्धा के पास आकर उसे एक लेटर दिया और कहा यह दादाजी ने आपको देने के लिए कहा था यह कहा था कि यह लेटर आप ही पढ़े।
श्रद्धा ने भरी आंखों से उसे लेटर को देखा और उसे लेकर अपने कमरे में चली गई।श्रद्धा अपने बेड पर बैठी और उसे लेटर को पढ़ाना शुरू किया।
मेरी प्यारी बच्ची श्रद्धा जानता हूं के सिद्धार्थ के शादी के रिसेप्शन के दिन ही इस तरह से जाने के कारण तुम बहुत ही ज्यादा दुखी हो मैं जानता हूं कि सिद्धार्थ बहुत ही ज्यादा इंट्रोवर्ट है वह अपनी भावनाओं को कभी भी जाहिर नहीं करता जल्दी, मैंने तुम्हें देखा है तुम एक बहुत ही अच्छी लड़की हो और मेरे सिद्धार्थ के लिए बहुत अच्छी हो मैं चाहता हूं कि तुम अपनी कोशिशें से उसे सबके साथ घूमने मिलने जैसा इंसान बना दो उसे खुलकर जीने वाला इंसान बना दो मैं नहीं जानता उसके दिल में तुम्हारे लिए प्यार है या नहीं लेकिन जब सिद्धार्थ को तुमसे शादी करने के लिए कहा था तो उसे दिन मैं सिद्धार्थ की आंखों में जो चमक देखी थी वह मैंने आज तक कभी नहीं देखी थी उसे दिन मुझे यकीन हो गया कि शायद सिद्धार्थ तुम्हें पसंद करता है लेकिन मैं इस बात को इतना शोर नहीं हूं लेकिन इतना तो जरुर जानता हूं कि वह तुम्हें जरूर पसंद करता है प्यार करता है या नहीं करता है या तो नहीं जानता तुमसे सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कभी उसे छोड़कर मत जाना लेकिन अपने आत्म सम्मान को गिराकर भी कभी मत रहना उसके साथ, अगर कभी तुम्हें ऐसा लगे कि वह तुम्हारे लिए सही नहीं है या उसने तुम्हारे साथ कुछ गलत किया है तो तुम उसे छोड़कर जा सकती हो यह मैं सोचा कि मुझे दुख होगा मेरे लिए जितना सिद्धार्थ मेरा अपना है उतने ही तुम भी मेरी अपनी हो लेकिन मैं यह जरूर कहूंगा कि अपने आखिरी होप तक उसे अपना बनाने की और उसके दिल में अपनी जगह बनाने की कोशिश करना तुम दोनों के उज्जवल भविष्य की मैं कामना करता हूं। और कहीं ना कहीं मैं यह जरुर जानता हूं कि तुम इस काम जरुर कर लोगी, मेरे सिद्धार्थ के दिल में तुम अपनी जगह बना लोगी और एक दिन वह तुमसे टूट कर प्यार करेगा क्योंकि तुम यह डिजर्व करती हो, हमेशा अपना ख्याल रखना आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा रहेगा।
तुम्हारा दादाजी
जैसे ही लेटर खत्म हुआ वैसे ही श्रद्धा की आंखों में आंसू बहने लगे उसने खुद के आंसू पहुंचे और अपने मन ही मन एक घर संकल्प लिया और सिद्धार्थ के साथ उसके घर पर रहने के लिए जाने को तैयार हो गई।
आगे क्या मोड लगी यह कहानी जानने के लिए
To be continued ❤️❤️❤️❤️
राधे राधे