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บท 3: 3

मधु की  चीख पुकार सुनकर वीर बाथरूम से बाहर की ओर दौड़ पड़ा और मन ही मन झुंझलाहट के मारे बड़बड़ आने लगा अब कौन सी आफत आ गई ! वीर अपनी नगन अवस्था में ही बाहर की तरफ दौड़ पड़ा !

वीर ने देखा कि मधु उल्टी पड़ी हुई है और  चीख-पुकार रही है ! वीर ने पहली बार मधु को कुछ प्यार भरी नजरों से देखा ! अचानक से गिरी मधु की साड़ी उसके पिंडलियों तक खिसक चुकी थी !

वीर को एहसास हुआ कि वह बिल्कुल नग्न अवस्था मै ही बाहर आ गया ! एकदम से वापस बाथरूम की तरह दौड़ कर गया और बाथरूम के दरवाजे के पीछे टंगे हुए तोलिए को अपनी कमर पर लपेटने के बाद बाहर मधु को उठाने के लिए आ गया !

तोलिए के दोनों किनारे वीर की टांगों के बीच में आ रहे थे और इसी दौड़ भाग के बीच में वीर का लिंग दोनों किनारों को चीरता हुआ बाहर की तरफ सलामी देने लगा ! वीर को इस बात की भनक तक नहीं थी !

वीर ने थोड़ा सा कड़क आवाज में मधु को कहा " अब मिल गई शांति थोड़ा सा भी सब्र नहीं होता ना तुमसे क्या लेना था तुम्हें यहां से  ! दरवाजे को नौक करके  भी आ सकते थे "

मधु के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था उसकी आंखों के सामने अब भी वीर कि नगन अवस्था बार-बार घूम रही थी !

उसके घुटने में एकदम से गिरने की वजह से जोर  की गुम चोट लगी थी. उसके दोनों हाथ मार्बल के फर्श से टकराए थे और उसकी  चूड़ियां टूट गई थी और और 1 चुड़ी उसके हाथ में गड़ गई थी जिसके कारण उसको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ! लेकिन शर्म के मारे अब उसकी चीख-पुकार लगभग बंद हो चुकी थी !

अब वीर ने अपने पैर थोड़े से खोलें और उसके दोनों नितंबों के बाहर की तरफ अपना एक-एक पैर रख लिया और झुकते हुए अपने दोनों हाथ उसके पेट के नीचे सरका दिए  !

वीर के कड़क हाथों का स्पर्श उसके मुलायम पेट पर पाते ही उसके पूरे शरीर में एक अलग सी सनसनी  फैल गई ! और  इसी सनसनी के कारण उसके दोनों नितंब एकदम से हिले और उसके पेट पर जहां पर वीर की उंगलियां थी वहां हल्की हल्की आनंद भरी वासना की लहरें उमड़ने लगी ! जैसे उस जगह पर अंदर से गुदगुदी हो रही हो ! उसका पेट का एक एक रोम वीर के हाथों का स्पर्श पाते ही खड़े हो गए जैसे रेगिस्तान में पहली बार सदियों के बाद कोई शीतलहर चल रही हो वैसे भी वीर के हाथ थोड़े से ठंडे थे क्योंकि वह तो अभी नहा ही रहा था उसके गीले हाथों का स्पर्श मधु को एक अलग ही आनंद की तरफ धकेल रहा था !

वीर ने दोनों तरफ से अपनी उंगलियों से मधु के पेट की खाल को अपनी मजबूत हथेलियों में पकड़ते हुए मधु को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगा और और इसी कसमस आहट के बीच मधु की सांसे थोड़ी सी बढ़ने लगी !

मधु ने एक जालीदार ब्लाउज पहना हुआ था और जालियों के बीच से उसकी मुलायम कमर पर  जालियों का निशान अपनी छाप छोड़ रहा था ! वीर के चेहरे से पानी की बूंदे अचानक से उन  जालियों पर पड़ने लगी ! क्योंकि वीर  का पूरा शरीर गिला ही था उसकी छाती और चेहरे से धीरे-धीरे पानी की बूंदे मधु मधु की कमर और ब्लाउज की जालियों पर गिर रही थी !

पानी की बूंदे मधु कि कमर पर आग में घी डालने का काम कर रही थी ! एक नंगे पुरुष जो अभी नहा कर आया हो उसके शरीर से उड़ती हुई खुशबू से सराबोर बूंदें लगातार मधु के ऊपर गिर रही थी !

मधु अपने आप को काबू करने की नाकामयाब सी कोशिश कर रही थी ! लेकिन उसकी सांसे उसका साथ नहीं दे रही थी

मधु नहीं चाह रही थी की वीर को उसकी  इश् अवस्था के बारे में पता भी चले की उसके अंतर्मन में क्या चल रहा है !

वीर ने एक झटके के साथ मधु को अपनी तरफ ऊपर की तरफ खींचा और उसका एक हाथ फिसल कर मधु के उरोज की तरफ आ गया और मधु ने अपना सांस अंदर खींच  कर एक् सिसकी सि ली !

और वीर का चेहरा ब्लाउज के ऊपर बनी हुई पतली पतली जालियों के पास पहुंच गया और उसकी गरम सांसे जालियों  को चीरते हुए उसकी कमर पर घर्षण करने लगी ! उसके नितंबों के पास वीर का लिंग जोकि तौलिए से से बाहर निकल रहा था उसके साड़ी पर टच हुआ इसका एहसास भी मधु को हो गया कि यह कठोर नुमा चीज क्या है

और माहौल और ज्यादा मादकता भरा हो गया !

मधु के पूरे शरीर में जैसे खुशी की किलकारियां सिं गूंजने लगी ! वीर ने मधु को अपने हाथों के सहारे से उठाकर बेड पर बैठा लिया और खुद उसके सामने खड़ा हो गया और पूछने लगा कहां पर जो दर्द हो रहा है !

लेकिन मधु ने अपनी नज़रें शर्म के मारे नीचे फर्श पर गाड़ रखी थी ! थोड़ा सा नॉर्मल होकर मधु ऊपर की तरफ देखना शुरु करती है और अचानक से अपना चेहरा फिर से नीचे कर लेती है 

अचानक से मधु का ध्यान वीर के दोनों टांगों के बीच तोलिया पर गया और उसमें से बाहर की तरफ उभरे हुए लिंग पर गया और उसके पूरे बदन में जैसे आग सी लग गई हो !

वीर ने फिर से पूछा मधु मुझे बताओगे कि कहां पर चोट लगी है लेकिन मधु थी कि कुछ भी बोल पाने की हालत में नहीं थी ! इस बार वीर ने अपने अंगूठे और उंगलियों से मधु के झगड़े को पकड़ा और अंगूठे की मदद से उसके होंठ को थोड़ा सा खोलने की कोशिश करने लगा उसका यह अंदाज भी आग में घी डालने का काम कर रहा था !

वीर अपना गिला चेहरा बिल्कुल उसके होठों के पास ले आया और अपने होठों से एक जोर की  फूंक उसके होठों पर मारी ! मधु को एक पल के लिए लगा जैसे वीर उसे अभी चूम लेगा उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हॉट खोल लिए और इंतजार करने लगी वीर के होंठों का स्पर्श का !

कहानी का यह भाग आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं


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