पृथ्वी की बात सुनकर अब सबका ध्यान अनीश के हाथ के पेपर पर जाता है। शुभम, अंकित और आकाश तीनों परेशान और उलझें हुए खड़े थे।
अनीश जबाब वो पेपर पर आयी तस्वीर देखता है तो देखते ही कहता है, ये कैसे हो सकता है। एक नजर सामने देखता है और फिर फोटो कों। सब उसकी हैरानी देख रहे होते है।
दक्ष कहता है, सस्पेंस मत क्रिएट करो पहले हमे दिखाओ। अनीश तस्वीर सबकी तरफ घुमा देता है। तस्वीर देख सभी अपनी जगह से खड़े हो जाते है। सबका ऐसा रिएक्शन देख शुभम, अंकित और आकाश जो अनीश के पीछे वो सबको यू खड़े होते देख खुद भी आगे आ जाते है और अनीश के हाथों मे तस्वीर देख कर अपनी मुँह पर हाथ रख लेते है।
विराज अनीश के हाथ से वो तस्वीर लेकर कहता है, ये तो मेरी तस्वीर है लेकिन ये आपके पास कैसे आयी है। दक्ष उसके हाथों से तस्वीरें लेता है और बैठ जाता है। अब सभी बैठे रहते है।
सामने शुभम, अंकित, और आकाश हाथ बांधे सबके सामने खड़े होते है।
दक्ष कहता है, हमें दोबारा नहीं पूछेंगे। आप बताईये की विराज की तस्वीर के साथ आप सब क्या कर रहे है। शुभम तो रोता हुआ निचे बैठ गया। उसे ऐसे रोते देख सबके माथे पर सीकन आ गयी थी। दक्ष अपनी कठोर आवाज़ मे कहता है अंकित हमारे सब्र का इम्तिहान मत लीजिये बताईये बात क्या है !! सब रोये जा रहे है लेकिन कोई वजह बताने कों तैयार नहीं है।
अंकित कहता है की आज हमलोगो लखिपुर गयी थे। बड़े पापा के असिस्टेंट के बारे मे जानकारी के लिए। भाभी ने हमे वहाँ का पता दिया था। जाना उनको था लेकिन वो आप के साथ माधवगढ़ चली गयी इसलिये मै और शुभम गए। वहाँ हमे नरेंद्र अंकल की माँ मिली। हमने जबाब उनके घर कों तलाशा तो जमीन के निचे एक बॉक्स मिला जिसमे काका की बेटी की तस्वीरें थी और बड़ी माँ छोटी माँ सबके साथ इस बच्चे की।
फिर एक और तस्वीर अंकित लेकर सबको दिखता हुआ कहता है, ये तस्वीर नरेंद्र काका की बेटी जानवी शर्मा की है। हमारे पास उसकी बचपन की तस्वीरे थी जिसे हमें ऐज ग्रोमिंग सॉफ्टवेयर की मदद से उस बच्चे की तस्वीर कों इस उम्र मे कैसा दिखेगा। वो करने की कोशिश कर रहे थे ताकि हमें उनकी बेटी तक पहुँचे सके। तभी दीक्षा भाभी ने हमे वही तस्वीर भेजी जो हमारे पास थी और उस तस्वीर कों बड़ा करने पर इनका यानी विराज भाई की शक्ल जैसा तस्वीर बना।
सयम कहता है, जानवी शर्मा की तस्वीर दिखाना। अंकित उसे तस्वीर देता है। दक्ष जा कर शुभम से कहता तु रो क्यों रहा है !! शुभम उससे लिपट कर कहता है, भाई,!! आप मुझे छोड़ तो नहीं देंगे,!!
दक्ष कहता है, ऐसी बात क्यों कर रहे हो। तुम सब मे से किसी कों मै नहीं छोड़ सकता। सब चलो उठो।
सयम कहता है, ये लड़की मेरे ऑफिस मे काम करती है, इनफैक्ट ये मेरी सेक्टरी है।
पृथ्वी कहता है, मेरा सर दर्द से फट जायेगा। इतनी सारी चीजे एक साथ कैसे हो. सकती है।दक्ष उन्दोनो तस्वीर कों लेता है और अंकित से कहता है, बचपन की तस्वीर लाओ। अंकित उसे तस्वीर लाकर देता है। दक्ष उस तस्वीर कों देख, विराज कों. दिखाते हुए कहता है!!इसे देख कर बताओं क्या तुम बचपन मे ऐसे दीखते थे।
विराज तस्वीर देख कर कहता है, हाँ ये तो मै हूँ लेकिन मै इंडिया मे कैसे हो. सकता हूँ। मेरा जन्म तो ऑस्ट्रेलिया मे हुआ था, ऐसा बाबा सा कहते है।
दक्ष कुछ नहीं कहता उसे गले से लगाते हुए कहता है, क्योंकि आप भुजंग के बेटे नहीं हो !! विराज कहता है, ये कैसे हो सकता है। पृथ्वी उसके गले लगते हुए कहता है, ये सच है की तुम भुजंग के बेटे नहीं हो।
विराज कहता है, "नहीं ये कैसे हो सकता है।
दक्ष उसे अपने पास बिठा लेता है और सभी उसके चारों तरफ घेर कर बैठ जाते है। विराज और ओमकार सबकी आखों मे ख़ुशी की चमक देखता है।
दक्ष कहता है, हमे अच्छी तरह से याद है की जिस दिन माँ पापा, काका काकी के साथ आने वाले थे। उस दिन सभी खुश थे। दादी सा ने बताया था की माँ ने उन्हें कहा था की काका काकी का शादी से पहले एक बच्चा था। जिसे समाज की वजह से उन्होंने सबसे छिपा कर रखा था। लेकिन हार्दिक और अनामिका के बाद, जब दादी सा कों ये सच मालूम हुआ तो उन्होंने खुद कहा था हमारे भाई कों लाने के लिए। जिस दिन वो चारों आपको लेकर आ रहे थे। उसी दिन गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया। तो लोग बातें ना बनाये इसलिये दादी सा ने ये बात सभी से छिपा लीं क्योंकि एक्सीडेंट मे कोई नहीं बचा था।
फिर विराज का चेहरा प्यार से छूते हुए कहता है," आप हमारे भाई है विराज !! "... लेकिन आप कैसे बच गए। अगर आप बच गए तो हम भुजंग राठौर कों शुक्रिया कहेंगे।"
विराज गुस्से मे कहता है, " मैं नहीं जानता की क्या सच है और क्या झूठ लेकिन भुंजग राठौर मेरा बाप था तो भी मैं चाहता था की आप उसे मार दे। अगर मैं आपका भाई हुआ तो मैं उसे मार दूँगा। छोरुँगा नहीं उसे कहते हुए जाने लगता है। तभी शुभम उसके पैर कों पकड़ कर रोक लेता है और कहता है, "रुक जाओ भाई !!"
ये सुनकर विराज की आँखे नम हो जाती है। वो मुड़ कर निचे बैठ जाता है और शुभम से कहता है, तुमने मुझे भाई कहा!!
शुभम उसके गले लग कर उसके कानों मे धीरे से कहता है, जो आपको मालूम है वो मुझे भी मालूम है भाई !लेकिन आवेश और गुस्से मे उठा एक कदम दक्ष भाई के लिए अच्छा साबित नहीं होगा। रुक जाईये नहीं तो सब आपसे जबाब मांग लेगे। आप क्या बोलोगे भाई।
विराज उसकी बात सुनकर रुक जाता है। फिर उठ कर दक्ष के पास आता है और सर झुका कर खड़ा हो जाता है। दक्ष कहता है, तुम्हें शक है ना की तुम हमारे भाई नहीं हो। उसके लिए हमें डीएनए टेस्ट करवा लेगे ताकि तुम्हें यकीन हो जाये।
तुम हारे काका काकी, हमारे हार्दिक के बड़े भाई हो और हमारे छोटे भाई।
विराज से जब दक्ष गळे लगता है तो सब उसके गले लग जाते है। पृथ्वी कहता है, अब तुम्हें भुजंग के पास जाने की कोई जरूरत नहीं है।अब तुम हमारे साथ रहोगे और कल ही हमारे बेटे के साथ तुम्हारे बारे मे सबको बता देंगे।
तभी विराज पृथ्वी का हाथ पकड़ उसे चूमते हुए कहता है, " इतना भरा पूरा परिवार और इतने प्यारे भाई, कौन कमबख्त नहीं चाहेगा आप सबके साथ रहना। लेकिन अगर भुजंग ने मुझे बचाया और इतने साल मेरी परवरिश की तो कोई तो कारण होगा। किसी ना किसी मकसद के लिए उसने मुझे रखा होगा। अभी अगर मेरे बारे मैं मालूम हो गया तो हमे कभी मालूम नहीं होगा की उसने किस मकसद के लिए हमे रखा है। इसलिये अभी मुझे उन्ही के पास रहने दीजिये। सच तो. हमारे सामने आ ही गया ना !!"
दक्ष कहता है, आप जहाँ भी रहे लेकिन हमेशा याद रखियेगा की हम हमेशा आपके साथ रहेंगे। हमे सच मे नहीं मालूम की आखिरी ऐसा कौन सा सच है जिसने आपको, ओमकार कों और हमारे तीनों छोटे भाई कों बुरी तरह से तोड़ डाला है। आप सब हमेनहीं बता रहे है तो हम समझते है की आप सभी कों हमारी फ़िक्र है। हमें आपकी इस फ़िक्र और मोहब्बत का आदर करते हुए पूछेंगे भी नहीं की बात क्या है। लेकिन अब हम खुद पता लगा कर रहेंगे की बात क्या है?????
विराज से गले लग कर कहता है, अब आप रोना नहीं। कल आप और ओमकार आ रहे है, पार्टी मे। कारण तो. आप दोनों कों पता होगा।
पृथ्वी कहता है, सालों बाद भाई से मिल कर जो ख़ुशी हुई वो बयां नहीं कर सकता। दिल चाहता है की खुल कर हँसू और ख़ुशी मनाऊ लेकिन पता नहीं क्या बात है, जो तुम सबके चेहरे कों देख कर डर लग रहा है की ऐसा कौन सा सच होगा। लगता है वो सच प्रजापति परिवार की नींव हिलाने वाली है!!!
पृथ्वी की बातें सुनकर सबके चेहरे पर सीकन आ जाती है।
पृथ्वी विराज के साथ साथ ओमकार, शुभम, अंकित और आकाश कों देखता है। तीनों के चेहरे पर परेशानी आ जाती है।
पृथ्वी चाहता है कुछ पूछना तो पांचो एक साथ हाथ जोड़ कर कहते है, अगर आपने दबाब डाला तो सारी खुशियों कों ग्रहण लग जाएगी।
अतुल कहता है, सिर्फ एक वाज़िब वजह दो ये सच छिपाने की तो हमें नहीं पूछेंगे तुम सब से। कोई कुछ कहता उससे पहले विराज दक्ष के गले जाता है और रोते हुए कहता है। जब पहली बार आपसे लिपटता था तो मुझे बहुत सुकून मिला था भाई !! आपसे और दीक्षा भाभी से माफ़ी मांगना चाहता हूँ की मैंने उन पर !!
दक्ष उसे आगे कहने से रोकते हुए कहता है, आपने हमारी पत्नी पर बुरी नजर नहीं डाली। बल्कि वो आपको अच्छी लगी। तो ये गलत नहीं है। अच्छी कोई भी लग सकता है। रही बात समय रहते अपनी गलती कों समझ जाना, इंसान के सभी गुनाह कों माफ कर देता है।आज और अभी आपको मालूम हुआ है की हमसे आपका क्या रिश्ता है लेकिन आप भूल रहे है, की कुछ देर पहले ही आपने अपने पुरानी गलतियों की माफ़ी मांग लीं थी जबाब आपका हमसे रिश्ता नहीं था!! क्यों !!क्योंकि आपको समझ आ गया था की जो गलत है वो कुछ भी तलील दी जाये गलत ही होगा।
विराज उसे जोर से किसी बच्चे की तरह लिपटा रहता है। जैसे उसके सालों का दर्द दक्ष की बाहों मे आ कर निकल रहा हो उसका!! दक्ष उसे एक बड़े भाई की उसे शांत करने की कोशिश करता हुआ कहता है, " विराज !! "
विराज बच्चे की तरह कहता है, उह्ह्ह!!
ये सुनकर दक्ष के साथ साथ मुस्कुरा देते है। तभी अतुल कहता है, मैंने सोचा नहीं था की ये इतना छोटा बच्चा है। विराज दक्ष के कंधे पर से अपना सर निकाल दक्ष कों देखता है।
दक्ष उसे आराम से सोफे पर अपने पास बिठा कर अतुल कों घूरता हुआ कहता है, " सालों बाद मेरे भाई कों परिवार मिला है तो उसका यू प्रतिक्रिया देना जायज है। "फिर विराज की तरफ देखते हुए कहता है," मै तो चाहता था की तुम हमारे साथ चलो लेकिन तुमने कहा अभी नहीं। पता नहीं अहसास हो रहा बहुत कुछ बुरा हुआ है हमारे अतीत मे हमारे साथ जिसकी हमे खबर नहीं है। "
विराज कहता है, भाई !! माँ बाबा तो अब नहीं मिलेंगे हम मे से किसी कों लेकिन आपको देख पिता का अहसास होता है। रही बात अभी मेरा परिचय नहीं बताने की तो सिर्फ इसलिये की मै देखना चाहता हूँ की उन लोगों ने मेरे लिए क्या सोच रखा है। फिर पृथ्वी की तरफ देखते हुए कहता है, " आपके दादी दादी और बुआ -फूफा बराबर के गुनेगार है। उन सभी मै!! बताने कों तो अभी बता दू क्योंकि जब तक ये नहीं जानता था की ये परिवार मेरा तो मुझे, मेरे अंदर इतनी बेचैनी और गुस्सा भरा हुआ है। अब मुझे मालूम है की मेरा परिवार है जिसके साथ उन दरिंदो ने ये किया तो सोचिये अभी मै कितना दर्द और बेचैनी मे होऊंगा। "
दक्ष कहता है, बात बहुत बड़ी है तो अब हम जानना चाहते की बात क्या है!! तभी शुभम कहता है, नहीं भाई सा आज नहीं। अगर फिर हमे लगा की आपको पहले बताना जरूरी है तो. हम जरूर बतायेगे। लेकिन उस हादसे का मुख्य इंसान हमे अभी तक मालूम नहीं चला है कौन है? पहले हम और विराज भाई ये पता लगाने की कोशिश करते है फिर आपको बतायेगे।
दक्ष कुछ नहीं कहता है। फिर विराज से कहता है, कल जरूर आना और अब अपना ध्यान रखना। जब ऐसा लगे की कुछ गलत होने वाला है, मुझे फोन कर देना।आपका भाई कही भी रहे आपके पास जरूर पहुंचगे।
फिर सयम से कहता है, आप जानवी कों कल पार्टी मे बुला ले। नरेंद्र काका हमारे वफ़ादार थे और हमारे परिवार के कारण उनके परिवार की ये स्थिति हो गयी है। इसलिये हम चाहते है की वो हमारे साथ रहे।
अब दक्ष कहता है, अब आप दोनों निकलिए। बहुत वक़्त बीत गया है। कल मुलाक़ात होगी। फिर ओमकार की तरफ देख कर अपना हाथ बढ़ा देता है। ओमकार उसकी तरफ असमंजस मे देखता है। दक्ष कहता है, हमे खुशी होगी अगर मिस्टर ओमकार रायचंद बिज़नेस मे पार्टनर शिप करे। मुझे उम्मीद है की आपकी काबलियत हमारे बिज़नेस के लिए बहुत बेहतर साबित होगी।
ओमकर कृतज्ञ भरी नजरों से दक्ष कों देखता है और अपना हाथ बढ़ा कर उसके हाथों से मिलाते हुए कहता है, "मुझे भी आपके साथ काम करके अच्छा लगेगा राजा साहब !!
नहीं ओमकार आप मुझे दक्ष ही बुलाये और आप खुद का और हमारे भाई का ख्याल रखे।
फिर विराज और ओमकार जाने लगते है। तभी पृथ्वी कहता है, उधर से नहीं, इधर जो जाओ। स्टडी रूम के अंदर बने ख़ुफ़िया रास्ते से दोनों जाने लगते है तो सारे भाई फिर एक बार एक दूसरे के गले लग जाते है। अतुल कहता है, आप दोनों की गाड़ी ये रास्ता खत्म होने साथ मिल जाएगी। दोनों निकल जाते है। उन्दोनो कों जाने के बाद।
दक्ष शुभम कों बुलाता है अपने पास और उसके चेहरे कों हाथों मे ले कर कहता है, बुआ और फूफा जी ने जो किया हो। उसका असर आप पर ये आपका बड़ा भाई कभी नहीं होने देगा। आप हमारे भाई है, इसलिये खुद कों परेशान और कमजोर मत कीजिये। आप हमारे सबसे समझदार और बहादुर भाई है। जिससे हम बहुत प्यार करते है।
शुभम उसके गले लग कर कहता है," भाई!!काश मे भी पार्वती माँ की कोख से जन्मा होता है। "आज पहली बार खुद कों इतना बेबस और लाचार महसूस कर रहा हूँ। बस भाई मजबूर हूँ, नहीं चाहता की क्रोध की आग मे सब कुछ तबाह हो जाये। इसलिये अभी आपको कुछ नहीं बता रहा। मैं जानता हूँ की आपसे ज्यादा दिन तक ये बात नहीं छिपी रह सकती। इसलिये भाई आपसे विनती है मेरी की आपको जबाब ये बात मालूम हो। आप खुद कों बिखरने मत देना। क्योंकि आप पर पूरा प्रजापति परिवार है। अपनी क्रोध का इस्तेमाल जैसे हमेशा सही जगह पर करते है, उसी तरह करना भाई !!
दक्ष उसे गला लगाये हुए कहता है," मैं अगर नहीं सम्भला तो तुम सब हो ना संभालना अपने भाई कों!!"
=========================
इधर ओमकार और विराज अपनी अपनी मंजिल की और निकल जाते है। विराज रास्ते मे बंजारों कों गाते देखता है तो वो अपनी गाड़ी रोक उस तरफ जाने लगता है। जहाँ बंजारे बहुत खूबसूरत लोकगीत गा रहे होते है।
जब वो वहाँ पहुँचता है तो किसी से टकरा जाता है। चुकी वो रेगिस्तान की एक ऊँची टीला था। जहाँ विराज पहुँचता है लेकिन किसी के टकराने की वजह से से वो अपना बैलेंस संभाल नहीं पाता और उसके वो निचे गिरने लगता है और दोनों वहाँ गिर जाते है जहाँ बंजारे गा रहे होते है।
विराज ने उसे पूरी तरह से अपनी बाहों मे समेट रखा था, विराज ऊपर और वो निचे थी। आग की रौशनी मे विराज जबाब अपनी बाहों मे देखता है तो दोनों एक दूसरे कों कहते है.... तुम!!
विराज उसे देख कर कहता है, क्या तुम्हारा घर नहीं है जो रेगिस्तान मे घूमती रहती हो,!! वो कहती है, पहले तुम सांड जैसे आदमी मेरे पर से उठो नहीं तो मेरा दम घुट जायेगा। विराज उसे यू ही पकड़े हुए, उसकी आखों मे देखते हुए कहता है, क्या कहा तुमने, "मैं सांड हूँ तो तुम क्या हो हिरणी !!"
वो कहती नहीं मैं वृंदा हूँ और हिरणी नहीं अब उठोगे। विराज उससे अलग होकर उठने लगता है। तभी वो चीखती है, "आह्ह::! " विराज रुक कर उसे देखने लगता है। आग की रौशनी मे वृंदा उसे बेहद खूबसूरत लग रही थी। काली काली काजल सी सनी आखों मे वो खुद कों खोने से रोक नहीं पाया।
वृंदा कहती है, " मेरे झुमके तुम्हारी घड़ी से उलझ गयी है "!!
विराज और वृंदा दोनों एक दूसरे के बेहद करीब थे। जलती आग की रौशनी मे विराज की नजर वृंदा के गुलाबी होंठ आ कर रुक सी गयी थी। उसके होंठ विराज के दिल मे अलग हलचल मचा रहे होते है । वृंदा भी उसकी भूरी आखों मे खुद कों खोता हुआ महसूस कर रही होती है। ऊपर से बनजारों का प्यार भरा लोकगीत।दोनों कों एक दूसरे मे खोने के लिए मजबूर कर रहे होते है।
विराज की नजर बार बार उसके काँपते होठों पर जा रहे थे। विराज कों जब बर्दास्त नहीं हुआ तो उसने अपने होठों कों उसके होठों पर रख दिया और बहुत सिद्द्त से उसे चूमने लगा। वृंदा कुछ समझ पाती तब तक देर हो चुकी थी। वो विराज के सीने पर मारती है तो विराज उसे बाहों मे भर कर पलट जाता है लेकिन उसके होठों कों नहीं छोड़ता है। अब विराज निचे और वृंदा उसके ऊपर थी।वृंदा उससे बहुत छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन विराज उसे छोड़ नहीं रहा था। वृंदा भी उसकी जेंटल किश के आगे खुद के दिल कों संभाल नहीं पायी और वो भी उसे किश करने लगी।
विराज कों जैसे अहसास हुआ की वृंदा भी उसे किश करने लगी है तो वो मुस्कुरा कर किश करने लगता है। विराज के हाथ उसकी कमर पर थे और वृंदा के हाथ उसके शर्ट कों पकड़े हुई थी। लगभग बीस मिनट की किश के बाद भी विराज का मन नहीं था की वो वृंदा कों छोड़ें, लेकिन वृंदा कों सांस लेने मे दिक्कत होने लगी थी। इस लिए उसने वृंदा कों छोड़ दिया।
वृंदा अपनी सांस कों संभालने लगी। विराज अब भी वृंदा कों अपने ऊपर, अपने सीने से लगा रखा था और अपनी आँखे बंद कर उसके पीठ कों सहला था, ताकि वृंदा समान्य हो सके।
वृंदा की सांसे जब समान्य हुई तो उसे अहसास हुआ की अभी अभी उसने क्या किया। इसकी वजह से वो विराज की ऊपर से उठने लगती है। विराज उसे पकड़ कर फिर से अपनी सीने से लगाते हुए कहता है, " मेरी बात सुन लो फिर कोई राय बनाना मेरे बारे मे,!उसकी बात सुन कर वृंदा उसके सीने पर सर रख कर खुद कों रिलेक्स कर लेती है। "
विराज कहता है, मै इनदिनों बहुत बेचैन हू। मेरा पूरा अस्तित्व मेरे हाथों से छूट गया। मेरा वजूद जिसके साथ मै इतने साल रहा, आज मालूम हुआ की वो वजूद अस्तित्वहीन है। आज सच और अतीत मे मेरी जिंदगी उलझ गयी है। ना चाहते हुए भी मेरी जिंदगी मेरे हाथों से निकल चुकी है। खुद कों बेहद बेबस और लाचार महसूस कर रहा हू। तुम्हारे साथ ऐसा कुछ कर जाऊंगा, सोचा नहीं था। लेकिन मै ये भी नहीं कहूँगा की ये मुझसे अनजाने मे हुआ। नहीं वृंदा !! मुझे तुम्हारी करीबी सुकून दे रही थी। मै कुछ और सुकून की तलाश मे तुम्हारे और करीब आ गया। अभी तुम्हें अपने बाहों मे इस तरह लिए मुझे बहुत शुकुन मिल रहा है। मुझे नहीं मालूम की तुम मेरे लिए क्या सोच रही हो। बात अगर मै अपनी कहुँ तो मुझे ये नहीं समझ मे आता की ये प्यार है या नहीं। या यू कहो की मै अभी शायद इस हालत मे नहीं हू। लेकिन जिंदगी मे तुम दूसरी शख्स हो जिसके पास मुझे बेहद शुकुन मिल रहा है।
वृंदा उसी सीने पर आँखे बंद किये कहती है और पहला कौन है ! विराज ये सुनकर मुस्कुरा देता है और कहता है, पहला शख्स मेरा बड़ा भाई है जिसके सीने से लग कर मुझे महसूस होता है की मै सबसे महफूज जगह पर हूँ!! मै ये सब तुमसे इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि पता नहीं क्यों मुझसे तुमसे ये सब कहना अच्छा लग रहा है।
आज लग रहा है की सालों बाद ईश्वर ने मुझे सुकून दिया है। मै जानता हूँ मेरी हरकत माफ़ी के काबिल नहीं है, यू अचानक किसी लड़की के साथ कोई लड़का ऐसा कर दे तो वो बिल्कुल क्षमा योग्य तो नहीं है। लेकिन मै थोड़ा स्वार्थी हो गया था। मै तुम पर कोई जबरदस्ती रिश्ता नहीं डालूँगा। लेकिन अगर तुम मेरे साथ भी अच्छा महसूस करती हो तो मै चाहता हूँ की हम इसे रिश्ते का नाम दे। अगर तुम्हें नहीं पसंद होगा तो मै खुद कों तुमसे अलग कर लूँगा और वादा करता हूँ, कभी तुम्हारे सामने नहीं आऊंगा। जानता हूँ कुछ पल की मुलाक़ात मे ये सब होने और मेरा ये सब कहना तुम्हें उलझन मे डाल रहा होगा। तुम वक़्त लेलो। मै तुम्हारे जबाब का इंतजार करुँगा क्योंकि मैंने जो फैसला लिया वो तुम्हें बता दिया। " ये कह कर विराज चुप हो जाता है और धीरे से उसे खुद उठाने लगता है। तभी उसे अहसास होता है की वृंदा उसके ऊपर सो गयी है।
विराज कों ये अहसास होते हुए, हल्का हँस देता है और खुद से कहता है, लो विराज,!! पहली बार अपनी दिल की बात किसी से कही लेकिन वो शख्स तो सो गया !!
फिर उसे संभालते हुए धीरे से उसे गोद मे उठा लेता है। वृंदा उससे और चिपक कर सोयी होती है। विराज कहता है, मुझे तुम्हारे नाम के सिवा कुछ नहीं मालूम, तुम्हें घर वाले परेशान होंगे। उसे ठीक से गाड़ी मे सुलाते हुए उसके पर्स कों चेक करता है। तभी उसका फोन बजता है, जिस पर भाई नाम दिख रहा होता है।
विराज फोन उठा लेता है। उधर से सयम, "हैलो "कहता है!! इधर विराज भी हैलो कहता है!! किसी लड़के की आवाज़ सुनकर सयम परेशान हो जाता है, जिसे देख दक्ष पूछता है की क्या हुआ !! सयम स्पीकर पर फोन रख कर पूछता है, आप कौन है,!!
a
उधर से वितज कहता है," देखिये आप गलत मत समझिये !! वो वृंदा अचानक सो गयी और मुझे उन्हें उठाने का मन नहीं किया। इसलिये मैंने आपका फोन उठाया। आप मुझे इनका घर बता दे। मै इन्हें पहुंचा दूँगा। मेरा नाम विराज है। " विराज अपनी बात कह कर उधर से कुछ बोलने का इंतजार करता है।..
उधर से सब उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देते है। अनीश कहता है, विराज बेटा घर जाते जाते तुम किसे लोरी सुनने लगे थे। अनीश की बातें सुनकर सभी हँस देते है। विराज उधर से बात सुनकर कर, हकलाते हुए कहता है, "कककक कौन !!" दक्ष कहता है, तुम्हारा बड़ा भाई !! वृंदा संयम की बहन है !! "
जी जी जी..... भाई !! मै... मै... मै कहाँ लाऊ इनको !!
दक्ष कहता है, तुम्हारा यू रात मे वृंदा कों लेकर प्रजापति महल आना। किसी के नजर मे आ जायेगा और अब दोबारा हमारा तुमसे मिलना ठीक नहीं रहेगा। वृंदा तुम्हारे साथ है तो हम निश्चिन्त है की कोई फ़िक्र की बात नहीं है।
तभी विराज कहता है, जब आपको भरोसा है तो मै इनको अपने फ्लैट पर ले जा रहा हूँ। पता वहाँ का आपको मेसेज कर दूँगा। सुबह मे कोई आकर इनको ले जाना क्योंकि मे बहुत सबेरे वहाँ से निकल जाऊंगा। चाभी वही रखी गमले के निचे आपको मिल जाएगी।
दक्ष कहता है, रुको एक बार सयम से पूछने दो। सयम कहता है मुझे विराज पर भरोसा है। दक्ष कहता है, तु ठीक है ना बच्चे !! विराज दक्ष की बातें सुनकर अपनी आँखे नम कर कहता है, आप है ना मेरे साथ तो अब ठीक रहुँगा भाई। कल मिलता हूँ.... आपसे और भाभी से भी !! रखता हूँ भाई, आप सब अपना ख्याल रखियेगा। " तुम भी अपना ख्याल रखना छोटे !!"
विराज वृंदा कों प्यार से देखते हुए कहता है, हमे मालूम नहीं था की आपसे हमारा इतना करीबी रिश्ता हो जायेगा। फिर वो अपने फ्लैट की तरफ निकल जाता है। तभी उसके नंबर पर भुजंग का फोन आता है। नंबर देख विराज की आँखे नफ़रत से लाल हो जाती है लेकिन खुद कों. संभालते हुए फोन उठा कर कहता है, " जी बाबा !!कहिये। "
उधर से भुजंग कहता है, कहाँ है आप अब तक आये नहीं !!
विराज कहता है, वो बाबा मे अपने दोस्त जॉन के साथ आज रुकुंगा। कल वो वापस जा रहा है इसलिये। उधर से भुजंग हँसते हुए कहता है, " कोई बात नहीं अपना ख्याल रखियेगा "!! हम कल मिलेंगे।'जी बाबा !!'
दक्ष सबके साथ प्रजापति महल चला जाता है। सभी अपने अपने कमरे मे जा रहे होते है क्योंकि वो सभी घर काफ़ी रात मे पहुँचे थे।
तभी दीक्षा, शुभ, सभी सीढ़ियों पर खड़ी होकर उनका इंतजार कर रही होती है। निचे आकर कहती है, पहले खाना खा लीजिये। ये सुनकर दक्ष कहता है, आप सबने खाना है। शुभ कहती है नहीं हम सभी आप सब का इंतजार कर रही थी।
आप सब फ्रेश होकर आईये. हम खाना लगाते है। सभी अपने अपने कमरे मे जाते है। अंकिता, सौम्या और अनामिका भी सबके साथ थी।
सब कुछ देर बाद खाना खाने बैठते है। तभी तूलिका कहती है, आप सब के सब कहा थे और आप सब के सब आये है एक साथ !! ऐसा कौन सा कांड कर रहे थे !! ये सुनते ही अतुल खाँसने लगता है। तूलिका उसे पानी पिलाते हुए कहती है, अभी एक सवाल मे जनाब कों ठस्का लग गया। आगे क्या होगा !! कहती हुई अतुल कों घूरती है।
सभी तूलिका कों देख एक नजर अपनी अपनी वालियों कों देखते है। जो सब खा कम रही थी. और उनको. घूर ज्यादा रही थी। दक्ष की नजर जबाब दीक्षा पर जाती है वो शांत होकर खा रही होती है। दक्ष कहता है, चलो मेरी वाली तो ठीक है। तभी दीक्षा की आवाज़ गूंजती है, " आप सब खा कर सीधे हम सभी से छत पर मिलिए। हम कॉफी लेकर आते है।
ये सुनकर अनीश कहता है, भाभी मै बहुत थक गया हूँ तो मै कॉफी नहीं पियूँगा और सोने जाऊंगा। रितिका कहती है, गेस्ट रूम खाली है उसमें सो जाना बहुत थक गए हो तो। अनीश उसकी बात सुनकर चुप हो जाता है।
दक्ष कहता है, स्वीट्स !! दीक्षा सब कुछ समेटती हुई कहती है, करती हूँ बात आप छत पर चलिए। सभी वहाँ से बर्तन समेट कर किचन चली जाती है।
दक्ष के साथ सभी उठते है। उसमें सयम कहता है, क्या आप लोगों के बीच मे मेरा भी काम है। रितिका कहती है, आप महत्वपूर्ण कड़ी है इसलिये आप भी जाईये।
पृथ्वी कहता है दक्ष से, छोटे !! इनकी चुपी तो हमे डरा रही है। उसकी बात सुनकर रौनक कहता है, आपको नहीं भाई सा !! हम सभी कों,!!
========================
इधर ओमकार जबाब घर पहुँचता है तो कृतिका सोफे पर उसका इंतजार करते करते सो चुकी थी। ओमकार जब उसे इस तरह सोये देखता है तो. आज उसकी नजर कृतिका के चेहरे पर गयी थी। कृतिका के चेहरे का फीचर्स बेहद खूबसूरत था। ओमकार धीरे से उसके पास जाता है और उसके चेहरे पर आ रही बालों कों अपनी एक ऊँगली से हटाता है। तभी कृतिका की आँखे खुल जाती है, ओमकार कों सामने देख वो उठती हुई कहती है, आप आ गए। आप फ्रेश हो जाईये। मै खाना लगाती हूँ, कहती हुई जाने लगती है।
ओमकार भी बिना कुछ कहे अपने कमरे मे चलाते जाता है.
कुछ देर बाद दोनों खाने के टेबल पर होते है। ओमकार कहता है तुम मेरे लिए जाग रही थी। कृतिका कहती है, " यहाँ हमदोनों के सिवा है ही कौन? अक्षय जी तो अपने काम से चले गए। बचे हम दोनों।
ओमकार कहता है, तुमने खाया। वो कहती है नहीं अभी नहीं !! चलो दोनों साथ मे खाते है। आज ओमकार खाना खाते हुए कृतिका कों देख रहा होता है।आज उसकी नजर सिर्फ कृतिका पर थी। कुछ देर बाद ओमकार कमरे मे जाते हुए कहता है, एक कप कॉफ़ी मिलेगी।
कृतिका कहती है, अभी लाती हूँ।
कुछ देर बाद ओमकार अपनी बालकनी मे खड़ा रहता है तभी. कृतिका उसके लिए कॉफ़ी लाती है। आपकी कॉफी कहती हुई उसकी तरफ कॉफ़ी बढ़ा देती है। ओमकार मुस्कुराते हुए कॉफ़ी ले लेता है। कृतिका जाने लगती है तो ओमकार कहता है, सुनो !!
उसके कदम रुक जाते है और वो कहती है, जी कहिये!! मेरे साथ थोड़ी देर बैठो !!
ओमकार की मुँह से ये बात सुनकर कृतिका हैरानी से उसे देखती है। उसकी हैरानी देख ओमकार मुस्कान लिए उसके हाथ कों पकड़ कर खुद के करीब ला उसे बिठा देता है।
वो अब भी हैरानी से मुँह खोले उसे देख रही होती है। ओमकार उनके मुँह की अपनी ऊँगली से बंद करते हुए कहता है, ऐसी क्या बात हो गयी जो तुमने ऐसा रियक्शन किया।
कृतिका खुद कों संभालती हुई कहती है, " वो !! वो आपने मुझसे ऐसी !!... बात की तो मेरे समझ मे नहीं आया की कैसे रिएक्शन दू !!"
ओमकार उसके करीब आता है और उसके आँखे मे आँखे डाल कर कहता है, "क्या तुम्हें मुझसे डर लगता है "!!वो उसकी आखों मे देखती हुई अपना सर हाँ मे हिलाती है!! ये सुनकर ओमकार उसके ओर करीब झुक जाता है ओर फिर अपनी मदहोश भरी आवाज़ मे कहता है," क्यों तुम्हें मुझसे डर लगता है "!!
कृतिका कहती है, वो वो आपने कम्या दी के साथ जो. किया... कहीं मेरे साथ भी !!.... उसकी बातें अधूरी रह जाती है क्योंकि ओमकार के होंठ उसके होठों पर चले आते है। वो उसके होठों कों. चूमने लगता है। कृतिका उसकी इस हरकत से हैरान होती हुई सिर्फ अपनी आँखे बड़ी बड़ी की होती है। ना वो विरोध करती है ओर ना ही वो ओमकार कों रोकती है।
ओमकार उसकी कोई प्रतिक्रिया ना देख उसके होठों कों काट लेता है जैसे उसके मुँह खुल जाते है अब उसकी जुबान कृतिका की जुबान से खेल रही होती है।
कृतिका भी कुछ देर बाद उसका साथ देने लगती है अब उसके हाथ ओमकार के बालों से खेल रहे होते है। दोनों करीब बीस मिनट तक एक दूसरे के किश मे डूबे होते है। जबाब कृतिका कों सांस लेने मे दिक्कत आती है तो ओमकार उसे छोड़ कर उसे सीने से लगा लेता है।
वो उसके सीने से लगी हुई अपनी सांसों कों संयत करने लगती है। कुछ देर बाद ओमकार कहता है, तुम ठीक हो.। वो उसके सीने पर सर रखे हुए अपने सर कों हाँ मे हिलाती है।
कुछ देर बाद अब भी कृतिका के आखों मे सवाल देख ओमकार कहता है, मुझसे शादी करोगी !! ये सुनकर कृतिका कहती है, लेकिन आप तो दीक्षा दी ओर वो कम्या दी का क्या होगा? ओर मुझसे क्यों, आपको मुझसे प्यार तो. नहीं है।
तभी ओमकार कहता है, मे तुम्हारी सारे सवालों का जबाब दूँगा उससे पहले तुम मुझे बताओं की क्या तुम मुझे प्यार करती हो?
ओमकार के सवाल सुनकर कृतिका कहती है, आप से पहले अक्षय जी मुझे अच्छे लगते थे क्योंकि आपको कम्या दी पसंद करती थी। लेकिन उसे प्यार नहीं कह सकती। मुझे कम्या दी की सोच ओर हरकत नहीं अच्छी लगती थी। जब वो चाले चला करती थी। बात हुई आपकी तो, मै खुद कों इतना काबिल नहीं समझती की आप से प्यार करने की जुर्रत कर सकूँ। ऊपर से मेरी बड़ी बहन ने जो. हरकत की उसके बाद तो बिल्कुल भी नहीं।
आप मुझे अच्छे लगते है लेकिन प्यार की हकदार मे नहीं हूँ इसलिए कभी इस तरह से सोचा नहीं।
ओमकार उसे अपनी गोद मे बिठाते हुए कहता है, सोचा तो मैंने भी नहीं था। लेकिन तुम पहली वो शख्स हो जिसने मुझे बताया सही ओर गलत के बारे मे। मै भी तुम्हें ये नहीं कहूँगा की मुझे तुमसे प्यार हो गया है लेकिन ये भी नहीं कहूँगा की मुझे दीक्षा से प्यार है। मुझे अब समझ मे आया की मुझे दीक्षा जैसी सुलझी लड़की चाहिए थी।
उस दिन जबाब तुमने मुझे सारी चीजे समझायी तब अहसास हुआ कों दूर देखने से पहले मुझे पास देखना चाहिए था।तुम्हारी बहन बहुत कपटी महिला है। उसे मैंने मारा नहीं लेकिन उसे मैंने इस देश से दूर भेज दिया ताकि वो फिर किसी की जिंदगी मे कलह ना मचाये।
बात रही तुम्हारी तो मुझे लगता है, हमदोनों एक बेहतर जीवनसाथी हो सकते है। अगर हमदोनों कोशिश करे तो। मै वादा करता हूँ की कभी तुम्हारे विश्वास कों नहीं तोडूंगा।
अब बताओं क्या शादी करोगी मुझसे!!! ओमकार कृतिका की जबाब का इंतजार करता है।
सभी प्रजापति महल के छत पर रहते है। शुभ सबको कॉफी देती है। लेकिन दीक्षा अब भी सिर्फ दक्ष कों घूर रही होती है। दक्ष उसके पास आकर कहता है, " महरानी सा !!" आखों से जान लेने का इरादा है आपका।
दीक्षा दक्ष के सीने पर दोनों हाथ रखती हुई कहती है, "जान लेनी होती तो कबका ले चुकी होती !! पहले मुझे आप सब ये बताईये की क्या क्या आप सभी छिपा रहे है !! उम्मीद करुँगी की जिस तरह आप सब हम सभी से ये उम्मीद रखते है की हम सभी आपसे कुछ ना छीपाये तो हमारी भी आपसे यही और अपेक्षा है।'"
दीक्षा की बात सुनकर सभी सकते मे आ जाते है। दीक्षा फिर संयम की तरफ देखती हुई कहती है, " आप तो हमारे भाई है ना !! फिर क्या आप भी हमसे बातें छिपाएंगे!!"
दीक्षा की ये बात सुनते ही दक्ष का दिमाग़ ठनक जाता है ओर वो कॉफ़ी रखते हुए, दीक्षा की कमर कों पकड़ अपनी तरफ खींचता है। अपने दोनों हाथ उसके पेट पर दिए हुए अपने चेहरे कों उसके कंधे पर रख कर कहता है, यानी आपको मालूम हो गया।
दीक्षा कहती है, कौन सी बात हमे मालूम हो गयी दक्ष !! उसे अपनी तरफ घूमता है ओर उसकी आखों मे देखते हुए कहता है, " यही की माधवगढ़ आपका ननिहाल है ओर संयम आपके अपने ममेरे भाई है !!"
ये सुनकर सभी लडको की आँखे बड़ी हो जाती है। दक्ष फिर कहता है और आपको लगता है की ये बात हम जानते थे और आपको बताया नहीं !!
दक्ष की बातें सुनकर दीक्षा अपने सर झुका लेती है और सर कों हिलाती हुई हाँ कहती है। दक्ष उसे बाहों मे भरते हुए कहता है, " आपने ऐसा कैसे सोच लिया स्वीट्स !! हाँ ! हम मानते है की ये बात हमे आपसे पहले मालूम हुआ लेकिन आज ही हमे मालूम हुआ. जब हमदोनों माधवगढ़ गए थे। "
तभी संयम उन्दोनो के सामने आकर कहता है, जब आप हमारे सामने थी तो हम सभी अचंभित हो गए थे क्योंकि आप हूँ ब हूँ, हमारी बुआ सा यानी अपनी माँ की तरह दिखती है। फिर हमने दक्ष कों. हमारे परिवार की एल्बम दिखाई। जिसमे दक्ष ने हमारी बुआ जी पहचान लिया और कहा की वो आपकी माँ है।
यकीन मानिये हम सब बुरे नहीं है। बस उस समय दादा सा नाराज हो गए थे और ये सामान्य है। फिर सभी ने उनको बहुत ढूढ़ा लेकिन हमे वो कहीं नहीं मिली। दादी सा का देहांत उनकी मौत की की खबर से हो गयी। हम गए थे आपके घर लेकिन तब तक आप वो जगह छोड़ चुकी थी और आपकी दादी का व्यवहार अच्छा नहीं था। इसलिये हम वहाँ से निराश हो गए।
लेकिन हमने आपकी तलाश करनी बंद नहीं की !!
आज जब हमे पता चला की आप हमारी बहन है तो यकीन मानिये हम बताना चाहते थे।
उसके बाद दक्ष कहता है, लेकिन हमने रोक दिया और कुछ दिन पहले जो आपकी दादी से बात हुई तो हमने सोचा की कुछ वक़्त के बाद हम आपको बताये क्योंकि उस वक़्त आपके मन मे, अपने उन रिश्तों कों लेकर कटुता आ गयी थी जो आपके साथ जन्म से जुड़ी हुई थी। लेकिन जब आपको आज सब कुछ मालूम हो गया है तो बताईये अब आप क्या सोचती है। उसके बाद हम आपको एक और महत्वपूर्ण बात बतायेगे।
======================
ओमकार कृतिका के जबाब का इंतजार कर रहा होता है।
कृतिका उसकी तरफ देखती हुई कहती है," क्या आप सच मे ऐसा सोच रहे है!!
ओमकार कहता है तुम्हें मेरी आखों मे क्या दिखता है। ओमकार की बातें सुनकर कृतिका कहती है लेकिन कम्या दीदी का क्या !! घर पर सबको क्या बतायेगे !!
ओमकार कहता है, तुम अपनी उस बहन की चिंता मत करो वो मरी नहीं है, जिन्दा है लेकिन वो अब भारत मे नहीं है। रही बात परिवार की तो वो सब मुझ पर छोड़ दो। अब बताओं क्या करोगी मुझसे शादी !!
कृतिका उसके गले लग जाती है और कहती है, मुझे मंजूर है।लेकिन उससे पहले मै भी आपको ईमानदारी से कुछ कहना चाहती हूँ क्योंकि मै चाहती हूँ की हमारे रिश्ते मे प्यार हो या ना हो लेकिन ईमानदारी जरूर हो।
ओमकार कहता है, मै सुन रहा हूँ, कहो !! कृतिका उससे खुद कों अलग करने लगती है। ओमकार उसे बाहों मे लिए हुए कहता है, इसी तरह कहो कृति !! मै तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ।
कृतिका खुद कों अलग नहीं करती है और कहती है, " मै भले ही आपसे प्यार नहीं करती लेकिन आप मुझे अच्छे लगते है, मुझे आपकी फ़िक्र होती है।मै हमेशा कोशिश करुँगी की आपकी अच्छी पत्नी बनु। मै दीक्षा दीदी की तरह नहीं हो सकती लेकिन मै ईमानदार उनकी तरह जरूर हो सकती हूँ। " मै आपका जीवन भर साथ निभाना चाहती हूँ।
ओमकार बाहों मे भरते हुए कहता है, " हम भी आपके साथ पूरी जिंदगी बिताना चाहते है। हम कल ही कोट मेरेज कर लेगे। ताकि कल शाम की जश्न मे हम चाहते है की आप हमारी पत्नी बन कर चले। "
कृतिका कहती है, कौन सा जश्न !! ओमकार उसे खुद से अलग कर उसे गोद मे बिठाता है और कहता है, "दक्ष ने मेरी सारी गलतियों कों माफ कर मेरे साथ काम करने की पेशकश की है। कल दीक्षा और दक्ष के बेटे के लिए जश्न है। मै चाहता हूँ की कल हमदोनो ज़ब उससे मिले तो अपनी सभी गलतियों की माफ़ी मांग ले।
कृतिका उसकी तरफ देखती हुई कहती है, क्या वो मुझे माफ कर देगी। ओमकार कहता है, तुम ही तो. कहती हो की दीक्षा बहुत अलग है सभी से तो क्यों नहीं माफ करेगी। जबाब दक्ष ने मुझे माफ कर दिया, जबकि मै उसका कुछ भी नहीं हूँ।
कृतिका मुस्कुरा कर कहती है," शायद आप ठीक कह रहे है। "!! ये सुनकर ओमकार उसे गोद मे उठाते हुए कहता है तो चलिए मुँह मिठा मेरा करवा दीजिये।
कृतिका उसकी गर्दन मे अपने दोनों हाथों कों डालते हुए कहती है, लेकिन आप मुझे निचे उतरेंगे तब तो मै कुछ लाऊंगी। ओमकार उसे बिस्तर पर लिटा कर कहता है, लेकिन मुझे तो तुम्हारे ये कहते हुए उसके होठों पर अपनी अंगूठे कों लगा कर..... मुझे मुँह इससे मिठा करना है।
ये सुनकर कृतिका अपनी नजर झुकाती हुई, अपने काँपते हुए होठों कों हिलाती हुई कहती है, लेकिन ओम!!
ओमकार उसके माथे कों चूम कर कहता है," आज से तुम मुझे सिर्फ ओम बुलाना कृति !! तुम्हारी मुँह से ये शब्द सुकून मिलता है मुझे !! घबराओ मत मै तब तक तुम्हारी उतने करीब नहीं आऊंगा जब तक तुम तैयार नहीं हो जाती लेकिन मै तुम्हें महसूस करना नहीं छोड़ सकता और आज तुम मेरे साथ इस कमरे मे सोओगी !!
कृतिका कहती है, लेकिन !! ओमकार उसके होठों पर ऊँगली रख कर कहता है, बस अब और कुछ नहीं। फिर धीरे से उसके होठों कों अपने होठों मे दबा देता है। कृतिका की आँखे बंद हो जाती है।
वृंदा कों अपने कमरे मे सुला कर विराज फ्रेश होने जाता है। जब वापस आता है तो वृंदा की आँखे खुल जाती है और खुद कों अनजान जगह देख वो घबराने लगती है। विराज उसे देख, उसके पास आता है। अभी विराज ने सिर्फ निचे लोअर पहन रखा था और उसका ऊपर का हिस्सा खुला था।
वो वृंदा कों घबराते देख कहता है, " परेशान मत हो तुम सुरक्षित हो। ये मेरा फ्लैट है और मै यहाँ तुम्हारे भाई दक्ष, और संयम के कहने पर लाया हूँ !!"ये सारी बातें वो एक सांस मे बोल जाता है। जिसे वृंदा सुनकर हैरानी से उसे देखती है।