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31.25% Heartless king / Chapter 10: 10. दर्द और अफ़सोस

บท 10: 10. दर्द और अफ़सोस

शुभ सभी के साथ मस्ती कर रही होती है की तभी उसका फोन आता है, फोन पर हुकुम सा देख कर,अंकिता और सौम्या देखती हुई कहती है,"भाभी जान आपके हुकुम सा फोन आया है और उसके हाथों से फोन ले लेती है "।

शुभ रिक्वेस्ट करती हुई कहती है,"दे दो ना प्लीज "। बिल्कुल नहीं  भाभी जान थोड़ा तो तरपने दीजिये भाई सा को। कहती हुई फोन उठा लेती है और इधर से कुछ कहती उससे पहले ही,"पृथ्वी उधर से कहता है, क्या बात है हुकुम रानी सा आप तो जाते ही हमें भूल गयी। क्या आपको नहीं लगता की आपके बिना कितने बेकरार है हम"।

पृथ्वी की बातें सुन कर सभी जोर से हंसने लगते है, जिसे उधर से पृथ्वी सुन लेता है,"और अपने सर को हिलाते हुए कहता है, मैं तो भूल गया था की शैतान की टोली आ रखी है "। सही पकड़े है शैतानों के बड़े भाई सा ""…...।

रुको तुम चारों सभी को मेरी तरफ से शॉपपिंग कैंसिल।

जिसे सुन कर अंकित और आकाश को तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अंकिता और सौम्या जोर से कहती है,"नहीं नहीं भाई सा लीजिये बात कर लीजिये।

फिर शुभ को फोन दे देती है। शुभ फोन लेती है तो उधर से पृथ्वी कहता है, आपका फोन कहाँ रहता है, शुभ। वो फोन हमारे पास ही था लेकिन.....। अच्छा छोड़िये हम समझ गए।आप कब तक आएगी। बस दीक्षा और रितिका आ जाये तब। ठीक है, फिर हमें कुछ जरूरी काम से जा रहे है, आप सभी से मिलते है। ठीक है।

रौनक, कनक के कमरे मे आता है और कहता है, सभी आज शॉपिंग के लिए मॉल जा रही है। आपको भी बुलाया है, तो आप जाएगी ना। कनक असमझस मे कहती है, लेकिन रौनक जी हमें कैसे???

आप फ़िक्र मत कीजिये कनक भाई सा ने कहा है तो कुछ सोच कर ही कहा होगा हमें अपने दोनों भाइयों पर पूरा भरोसा है। दोनों भाई... कहती हुई कनक सवाल भरी नजरों से रौनक को देखती है। रौनक उसके कंधो पर हाथों को रखते हुए कहता है,"खबराओ मत सभी तुम्हें दिल से अपनायेगे। चलोगी ना। कनक हाँ कह देती है। रौनक उसके माथे को चूमते हुए कहता है जल्दी तैयार हो जाईये। हम आपका निचे इंतजार कर रहे है।

दक्ष के ऑफिस मे.... ओमकार आता है जिसे देख दक्ष के भाव बदल जाते है और उसे देखते हुए कहता है, आईये मिस्टर रायचंद। कैसे आना हुआ???

ओमकार मुस्कुराते हुए कहता है, आना तो बहुत पहले चाहता था लेकिन आ नहीं पाया।

ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी आपको मिस्टर रायचंद जो आप को मेरे पास आना पड़ा। मिस्टर प्रजापति, अगर बात को ज्यादा घुमा -फिरा कर ना कहुँ तो,मैं आपके साथ यहाँ पर एक प्रोजेक्ट शुरू करना चाहता हूँ।मुझे राजस्थान बहुत अच्छा लगा, और यहाँ मैं अपनी चीज वापस लेने आया हूँ तो इसमें मुझे आपकी मदद चाहिए।

मिस्टर रायचंद, सोचते है इस बारे की हम एक साथ किस प्रोजेक्ट पर काम कर सकते है। ठीक है मिस्टर प्रजापति। तब तक दरवाजे पर, "मे आई कमिंग सर "। आ जाओ। अंदर एक पेओन आकर दो कप कॉफी रख देता है।

लीजिये मिस्टर रायचंद कॉफी पीजिये। दोनों कॉफी पीते है, कॉफी पीते हुए ओमकार कहता है, मिस्टर प्रजापति आपकी सेक्टरी नहीं दिख रही है... क्या नाम है उनका.... हम्म्म्म ( याद करने का नाटक करते हुए )... हाँ.... दीक्षा राय। वो कहाँ है नजर नहीं आ रही है।

दक्ष कहता है, इट्स नॉन ऑफ योर बिज़नेस मिस्टर रायचंद, दक्ष ये बात इतने कठोर तरीके से कहता है की, ओमकार कुछ नहीं बोल पाता है।

ओमकार कहता है, ठीक मिस्टर प्रजापति मैं बहुत जल्दी ही अपनी प्रोजेक्ट की डिटेल्स आपसे शेयर करुँगा फिर बात करेंगे की  आगे काम करना है याँ नहीं, कहते हुए जाने लगता है।

दक्ष पीछे से कहता है,"एक मिनट ओमकार रायचंद "। अपना पूरा नाम सुन कर, ओमकार रुक जाता है। तभी दक्ष अपनी कुर्सी को छोड़ कर उसके पास आता है और बहुत गंभीर और कठोर आवाज़ मे कहता है,"जिस चीज के लिए आये हो, वो ना कल तुम्हारी थी ना आज तुम्हारी है, ना कभी तुम्हारी होगी।दूर रहो उससे... कहीं ऐसा ना हो की दुबारा सोचने के काबिल ही नहीं रहा जाओ।

दक्ष की बात सुन कर, ओमकार के चेहरे के रंग बदल जाते है, जैसे किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो। आप किस चीज की बात कर रहे है मिस्टर प्रजापति।

दक्ष अपनी टेढ़ी मुस्कान के साथ कहता है, मैं दक्ष प्रजापति हूँ ओमकार रायचंद जो ना जाने तुम जैसे कितने रायचंद को पल मे बनता है और पल मे मिटाता है। तुम होगी अपने जगह के राजा लेकिन मैं महाराज हूँ, भूलना मत..... और एक बात मुझे तुम्हारा इतिहास से भूगोल मालूम है इसलिए सोचना भी मत।

वैसे ये बात मैंने किसी को नहीं अभी तक बताई है, लेकिन तुम्हें इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि तुमने हमारी रानी सा को ज्यादा परेशान नहीं किया इसलिए हम तुम्हें एक आखिरी मौका देते है.... की अपना रास्ता बदल लो और जहाँ थे वही चले जाओ।

फिर उसके कोट को ठीक करते हुए कहता है,"दीक्षा राय नहीं ओमकार रायचंद.... वो है दीक्षा दक्ष प्रजापति!!!!!!!

दक्ष प्रजापति की बातें सुनकर ओमकार की आँखे बाहर आ जाती है ओर वो हैरानी से एक बार फिर पूछता है, "क्या!! क्या मतलब है आपका???

दक्ष उसकी प्रतिक्रिया देखते हुए कहता है,"तुम्हें देख ऐसा तो नहीं लगता है की तुम्हारे चेहरे पर बेबकुफ़ लिखा हुआ है, जो तुम्हें मेरी बातें समझ नहीं आ रही है "।

नहीं ऐसी बात नहीं है मिस्टर प्रजापति, मेरे कहने का मतलब ये है की आपका ओर दीक्षा का.... आगे कुछ कहता उससे पहले, दक्ष अपनी ऊँगली दिखाते हुए कहता है,"दीक्षा नहीं आप सब के लिए रानी सा है वो, तो दोबारा आपके जुबान से हम उनका नाम नहीं सुनना चाहते है।

हमारे तरफ से ये आपके लिए पहली ओर आखिरी चेतावनी है, तो जरा सम्भल कर रहिएगा ओर हमारी रानी सा का विचार आपकी सोच तक भी नहीं आना चाहिए, जुबान पर लाना तो बहुत बड़ी बात है।

दक्ष को खुली चुनौती सुन कर ओमकार के माथे पलर पसीने की बुँदे आ जाती है, जिसे देख कर दक्ष कहता है। सम्भल कर मिस्टर रायचंद, शेर की मांद मे घुसने से पहले ये जरूर अंदाजा लगा लेना चाहिए की, जिन्दा वापस आने के चंसेस कितने है। तो मिस्टर ओमकार रायचंद.... ये दक्ष प्रजापति का सम्राज्य है, जहाँ उसकी मर्जी के बिना एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता है।

उसकी बात सुन कर ओमकार खुद को संभालते हुए कहता है,"मिस्टर प्रजापति अपनी इलाके मे तो गीदर भी शेर बन जाता है "। जिसे सुन कर दक्ष उसकी तरफ देखते हुए कहता है, तो ठीक है मिस्टर रायचंद.... आपका इलाका, आपकी जगह.... फिर वहाँ आकर भी शेर सिर्फ शेर ही रहेगा, गीदर नहीं।

शेर किसी इलाके मे हो वो गीदर नहीं हो सकता है मिस्टर रायचंद। अब आप जाईये बहुत बातें हो गयी।

उसकी बातें सुनकर गुस्से मे, ओमकार बाहर निकल जाता है और निकलते हुए वो किसी को फोन करता है और कहता है, जाओ रानी की सहेली को जरा अपने दर्शन करवा दो।

उधर से बातें सुनते हुए ओमकार कहता है खुद से बहुत घमंड है ना तुम्हें दक्ष प्रजापति,देखना तुम्हारे नाक के निचे अपनी दीक्षा को ले जाऊंगा।

फिर फोन किसी को करता है और कहता है,"अब मुझे सभी यहाँ जितनी जल्दी हो सके चाहिए इसलिए जल्दी  करो वक़्त नहीं है हमारे पास।"उधर से कुछ कहा जाता है जिसे सुनकर ओमकार कहता है," हाँ बहुत छिप ली तीनों अब जरा सामने खेलने का अलग ही मजा आएगा, कहते हुए एक शैतानी मुस्कान देता हुआ, चला जाता है।

दीक्षा जैसे ही घर आती है.... चारों एक साथ दौड़ते हुए उनसे लिपट जाते है, फिर सभी एक साथ तो भाभी सा चले। दीक्षा अंकित और आकाश को देखती हुई कहती है, क्यों छोटे देवर सा आप दोनों हम महिला मंडली के साथ जा कर क्या करेंगे।

अरे अरे भाभी सा,"इतनी इतनी खूबसूरत नारीयाँ ज़ब बाहर जाएगी तो हमारे जैसे बॉडीगार्ड का रहना तो जरूरी है ना। क्यों आकाश!!!हाँ बिल्कुल ठीक है।

उन्दोनो की बातें सुनकर सभी हंसने लगती है, फिर शुभ कहती है तो फिर चलिए हमारे होनेहार, बहादुर बॉडीगार्ड....। जो हुकुम हमारी भाभी सा।

सभी निकल जाते है शादी की शॉपिंग के लिए। ज़ब सभी मॉल के अंदर आते है तो वहाँ रौनक के साथ कनक को देख कर..... दीक्षा और रितिका ठिठक जाती है.।

उन्दोनो को ठिठकते देख कर रौनक इशारे से कनक को उनकी तरफ जाने को कहता है। कनक खुद उनके पास आती है। दीक्षा और रितिका के आलवा किसी को नहीं मालूम होता है की बात क्या है। उसी बीच रौनक अंकित और आकाश को कुछ इशारा देता है और अपने मोबाइल से किसी को मेसेज करता है।

अंकित और आकाश, शुभ, अंकिता और सौम्या के साथ रौनक के पीछे चले जाते है। जहाँ एक प्राइवेट एरिया मे पृथ्वी -शुभ का इंतजार कर रहा होता है।

इधर दक्ष के नंबर पर रानी माँ करके फोन आ रहा होता है, जिसे देख अनीश कहता है, 'उठा फोन अचानक दादी माँ ने फोन किया है, तो कोई बात होगी। "

दक्ष हाँ कहते हुए फोन उठा कर कहता है, "प्रणाम रानी माँ ".... उधर से तुलसी जी कहती है,"चिरंजीवी भव दक्ष "।

कहिये अचानक कैसे फोन किया। क्यों हम आपको फोन नहीं कर सकते। जरूर कर सकती है। अब बताईये की क्या कहना चाहती है आप। थोड़ी उदासी भरे शब्दों मे कहती है,"दक्ष आपको नहीं लगता प्रजापति महल मे शादी है लेकिन रौनक नहीं है, हमारे बच्चे हमारे पास नहीं है ", कहती हुई रोने लगती है।

जिसे सुन कर दक्ष कहता है,"दादी माँ पहले आप शांत हो जाईये और मेरी बात सुनिये, वैसे भी शादी पहले जैसलमेर से होती लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल गयी है और अब शादी प्रजापति महल से ही होगी। क्योंकि सिर्फ राजकुमारी कनकलता की शादी हो रही है वो भी रौनक से, पृथ्वी से नहीं।"दादी माँ अभी पूरी तरीके से राजस्थान के राजा हम नहीं बने है, हमारे दुश्मन सभी घात लगाये बैठें हुए है। अगर ऐसे मे पूरा प्रजापति खानदान एक छत के निचे आया तो खतरा ज्यादा होगा।"

तो क्या आप कभी प्रजापति महल नहीं आएंगे। नहीं दादी माँ शादी के बाद हमारा कुछ दिन प्रजापति महल मे रहना जरूरी है तो हम शादी के बाद आएंगे और साथ मे आपकी बहु को भी लाएंगे।

क्या... क्या मतलब है दक्ष आपने शादी कर ली है। अगर सब बातें अभी ही जान लेगी तो जो ख़ुशी हम आपके चेहरे पर देखना चाहते है वो नहीं देख पाएंगे, इसलिए थोड़ा इंतजार कीजिये।

ठीक है दक्ष हमें इंतजार रहेगा पांच दिन बाद का., चलिए हम रखते है। जी दादी माँ।

अनीश उसकी तरफ देखते हुए कहता है, तूने बता दिया इतनी जल्दी लेकिन तुम तो अभी छिपाने वाले थे ना। हाँ अभी छिपाने वाला था लेकिन दीक्षा का अतीत वापस आ गया है। और अब हमें सतर्क ज्यादा रहने की जरूरत है। मतलब दीक्षा के साथ साथ, तूलिका और रितिका की भी। हाँ तुमने ठीक समझा।

कनक ज़ब दीक्षा और रितिका के पास आती है और सीधे अपने हाथों को जोड़ती हुई कहती है, "हो सके तो हमें माफ कर दो "।

ओमकार किसी को फोन करके गुस्से मे कहता है,"कहाँ है वो सब।उधर से कुछ कहा जाता है, जिसे सुनकर ओमकार कहता है,"मै तुम्हें पता भेज रहा हूँ, वहाँ पहुंच कर ज्यादा कुछ करना मत!!! बस सबको बता दो की हमारे आने से क्या होने वाला है। कहते हुए फोन रखता है और खुद से कहता है,"दक्ष प्रजापति माना की तुम्हें गूरूर है राजा होने का लेकिन होने वाले राजा मे, और राजा होने मे बहुत फर्क है  और ज़ब तक तुम राजा बनोगे तब तक कहानी हम बदल देंगे । देखते है हम दोनों राजाओं मे रानी किसकी होगी, कहते हुए हॅसने लगता है।

इधर मॉल मे,

पृथ्वी एक vip कमरे पूरी तरह से फूलों से तैयार करवा कर रखा होता है की शुभ को आज वो सरप्राइज दे।ज़ब कमरे को बहुत खूबसूरती से सजा हुआ देखता है तो अपने मन मे कहता है,"हमेशा तुम्हें मैंने छिपी हुई जिंदगी दी कभी तुमसे दिल की बात नहीं कह सका। आज अपनी मोहब्बत की पहली शुरुआत करुँगा, कहते हुए वो शुभ के पास जाने लगता है, की तभी उसे कोडिडोर मे, अंकित की बातें सुनाई देती है और जिसे सुनने के लिए वो उस तरफ आने लगता है।

पृथ्वी को सब कुछ तैयारी करते और खुश देख, अंकित कहता है, रौनक भाई सा आपको नहीं लगता की खुशियों को मिल बाँट कर मानाने का अपना अलग ही मजा है। उसकी बातें सुनकर रौनक कहता है, " मै कुछ समझा नहीं अंकित तुम क्या कहना चाहते हो। आकाश उनके बीच घुसते हुए कहता है,"क्या रौनक भाई!!है आप घर मे सबसे छोटे लेकिन आपकी गंभीरता देख कर मुझे लगता है की पृथ्वी भाई सा ब्रह्मा जी से लड़कर और आपको धका देकर खुद ही पृथ्वी पर पृथ्वी प्रजापति बनकर आ गए होंगे।"

उसकी बातें सुन कर रौनक हँसता नहीं है लेकिन वो अंकित और आकाश को इशारा देता है। लेकिन वो दोनों कहाँ समझने वाले थे। अंकित कहता है क्या हुआ भाई, "आपने कुछ ज्यादा ही गंभीरता से इस आकाश की बात तो नहीं ले ली, जो ये नैन -मटका कर रहे है। ये कुछ ज्यादा हो गया , है ना!!आकाश!! हाँ भाई ये कुछ ज्यादा ही लुच्चापंति हो गयी।"

कनक की बात सुनती ही दीक्षा कहती है, "मुझे नहीं मालूम की आगे चलकर हमारे रिश्ते कैसे बनेगे। लेकिन इतना ही कहूँगी की कभी कभी गेहूं भी घुन के साथ पीस ही जाते है "। हमें उस दिन सिर्फ तूलिका की फ़िक्र हो रही थी बाक़ी और किसी चीज से हमें कोई परेशानी नहीं हुई थी और आपसे तो बिल्कुल नहीं थी।

इसलिए आप अपने दिल मे कोई मैल नहीं रखिये। फिर दीक्षा की नजर ऊपर जाती है, जहाँ रौनक खड़ा सबके साथ रहता है लेकिन उसकी नजर बार बार कनक पर जा रही होती है। जिसे देख दीक्षा कहती है, अगर आप बुरा नहीं मानेगी तो हम आपसे कुछ कहना चाहते है। कनक खुश होकर कहती है, नहीं हम बिल्कुल बुरा नहीं मानेंगे, बल्कि हमें ख़ुशी होगी की हमें भी आप अपनी दोस्त बना ले।

दीक्षा मुस्कुराती है,

फिर उसका हाथ पकड़ कर कहती है,"

हमें ये नहीं मालूम की आपने किस परिस्थिति मे रौनक भाई जी से सगाई के लिए हाँ कही थी!!! लेकिन हम आपको अपने तजुर्बे से इतना कह सकते है की,"जीवनसाथी के रूप मे रौनक भाई जी बेहतर आपको कोई नहीं मिल सकता। इसलिए अगर वो एक कदम बढ़ाये तो आप दो कदम उनकी तरफ लीजिये। हम ये नहीं कह रहे है की आप ज्यादा एफ्फोर्ट्स लगाइये, लेकिन इतना जरूर कहूँगे की हम औरतों मे बहुत सारी खूबियां होती है, उनमे सबसे बड़ी खूबी होती है की,:' हम कठिन से कठिन परिस्थितियों मे भी अपना सब्र नहीं खोती है।

लेकिन कनक, "इन मामलों मे, इन पुरुषों मे कठिन परिस्थिति मे,बेशब्री और उठावलापन, हमारे मुकाबले कहीं ज्यादा रहता है। ये कुछ समय तक तो सब कुछ संभाल सकते है लेकिन लम्बे वक़्त तक इनका सब्र जबाब दे जाता है और ये ज्यादातर उन कठिन परिस्थितियों के प्रति निरस हो जाते है !!

क्योंकि इन पुरुषों का मन उन उस तरह का होता है, जिन्हें नया काम मिले तो वो उतावले होकर करने लगते है और अगर उन कामों मे उन्हें हर बार निरसता हाथ आती है तो बहुत जल्दी हार भी मान जाते है।

इनकी आदते हमारी तरह नहीं होती ,': ये तो जल्दी जल्दी गरम तवे पर आधी कच्ची और आधी पक्की रोटियां  पका तो लेते है लेकिन ज़ब थाली मे रोटी देखते है तो खाना छोड़ कर चले जाते है।

लेकिन हम स्त्रियां धीमी आंच पर रोटियां दोनों तरफ से सेंक कर प्यार से,आराम से बनाती है और थाली मे आराम से परोसती है।जो खाने लायक होते है।

मै ये सब बातें आपको पुरुष और स्त्री के बीच अंतर के लिए नहीं बता रही हूँ और ये बातें पुरुषों के सभी काम को प्रभावित नहीं करती बल्कि ये बातें सिर्फ रिश्तों को प्रभावित करती है। क्योंकि कनक हम स्त्रियां रिश्तों को धीमी, आराम, प्यार और वक़्त के साथ संभालते और सवारते है। लेकिन इन मामलों मे ये पुरुष बहुत बेशब्र होते है।

सीधे और आसान शब्दों मे खुद तो,"अभी रौनक भाई सा के लिए ये ऐसा रिश्ता है जो उन्होंने सोचा नहीं था, तो अभी वो इस रिश्ते को खूबसूरत बनाने मे अपनी पूरी ताकत लगा देंगे लेकिन अगर उनकी कोशिश पर, आपकी तरफ से छोटी सी भी पहल नहीं हुई तो वो एक वक़्त के बाद निरस हो जायेगे। तब आपको शायद बहुत मुश्किल होगी। इसलिए कहा मैंने की अगर वो कोशिश करते है तो आप भले ही अभी उनका साथ देने के लिए मानसिक तोड़ पर तैयार नहीं है लेकिन आपकी छोटी सी पहल ही उनके लिए काफ़ी होगी और वो कभी निरस नहीं होंगे।

और सबसे बड़ी बात की वो तब आपको समझेंगे। आपकी मनोस्थिति को समझ कर, आपकी भावनाओ का सम्मान करेंगे और ज़ब तक आप पुरे मन से इस रिश्ते मे आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं होती, बिना रुके, बिना थके वो कोशिश करते रहेंगे। इसलिए कनक बाई सा पहल करती रहिये, देखना माँ भवानी आपको इस रिश्ते से वो देगी जो आपने कभी नहीं सोचा होगा।

इसलिए रिश्तों मे मिठास भरने का काम अगर इन पुरुषों का है तो उस मिठास की चासनी बना कर लपेटने का काम हमारा है।

उम्मीद है की आप हमारी बात समझ रही होगी  और बात रही हमारे दिल की तो जिस दिल से आप हमें अपनायेगी भरोसा रखियेगा उसी दिल से हम आपको स्वीकार करेंगे, कहती हुई अपनी दोनों बाहें फेला देती है। कनक उसके गले मिल जाती है। तभी कनक उसके गले लगे हुए ही कहती है, "तो आपको जीजी बुलाऊ "। दीक्षा कुछ कहती है,"रितिका भागती हुई उसके पास आती है और कहती है... चल जल्दी।

ओमकार अपनी विला मे बैठा होता है तभी उसका नौकर आकर कहता है, "मालिक कोई सतीश पोदार आये है "। जिसे सुनकर ओमकार के होठों पर अनन्यास ही मुस्कान आ जाती है। वो मुँह मे शराब की घुट भरते हुए कहता है, अंदर भेजो।

ज़ब वो आदमी अंदर आता है तो ओमकार कहता है, आओ आओ सतीश पोदार।

सतीश पोदार मध्यम कद का काला सा आदमी, भड़किला कद काठी, देखने से ही दबंग और गुंडा, बहुत शातिर इंसान  है।

सतीश पोदार अपने हाथों को ऊपर उठा कर जोड़ते हुए कहता है,"नमस्कार रायचंद साहब "। बहुत दिनों बाद याद किया आपने।आपने याद किया और देखो हम आ गए।

ओमकार उसकी तरफ एक ड्रिंक का ग्लास देते हुए कहता है, तुम्हारे काम की खबर है इसलिए याद किया। फिर तूलिका की फोटो उसके आगे फेंक देता है। जिसे देख कर सतीश की आखों मे शैतानी मुस्कान आ जाती है और फोटो देखते हुए कहता है,"आखिर मिल ही गयी ये बहुत सालों से तलाश थी। अब तो और भी खूबसूरत हो गयी है क्या कमाल की लग रही है। ओमकार हँसते हुए कहता है,"हाँ बात तो तुम. ठीक कह रहे हो "। उसकी बात सुनकर सतीश कहता है तो बताईये कहाँ है वो!!आज ही उसे लेकर आऊं और अगर आपको पसंद हो तो एक रात आपको भी..... ये कहते हुए गंदी हँसी हॅसने लगता है।

ओमकार हँसते हुए कहता है,"नहीं मुझे तुम्हारी वाली नहीं चाहिए! और हाँ! ऐसा नहीं है की इतनी आसानी से तुम उसके पास पहुंच जाओगे और उसे लेकर चले आओगे।उसकी बात सुनकर सतीश कहता है,"अरे ये इतना मुश्किल भी नहीं है रायचंद साहब!हमारा अभी तक तलाक नहीं हुआ है और उसका चस्का ऐसा लगा की कोई और हमको भायी ही नहीं। बस अब भाई की लुगाई मिलती है तो उससे जी ख़ुश कर लेते है।कहते हुए अपनी बची हुई शराब पी लेता है।

ओमकार उसकी बात सुनकर कहता है,"सतीश पोदार वैसे तो मुझे लगता था की दुनिया का सबसे कमीना इंसान मैं हूँ लेकिन तुझे देख कर लगता है की,"लाख कमीने मरे होंगे तब तू पैदा हुआ होगा "!! बहुत बड़ा हरामी है तू। वैसे एक बात बता तुमने किया क्या था उसके साथ।

सतीश कहता है छोड़ो ना रायचंद साहब, बस थोड़े ज्यादा मजे कर लिए थे और क्या?हमारे घर मे  नियम है की हम हड़ चीज मिल बाँट कर खाते है, बस थोड़ा ज्यादा बट गयी और क्या ??अब बताओं है कहाँ वो? उसे  लाऊ अपने पास और अपनी सालों की प्यास बुझाऊ!!!

उसकी बातें सुनकर ओमकार कहता,"अरे थोड़ा ठंड रखो सतीश!! इतनी बेताबी ठीक नहीं है, हम हड़ काम बहुत सोच कर करना होगा। ये इतना आसान नहीं जितना तुम समझ रहे हो। वो जिसके घर मे रहती है वहाँ तुम जैसा क्या!मुझ जैसा भी नहीं जा सकता है?इसलिए हमें बहुत अच्छी और गहरी चाल चलनी होगी, जिससे सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे!!!

सतीश उसकी बातों से हैरान होते हुए कहता है," ऐसे किसके घर मे रहती है ओमकार साहब जो मेरे जैसा छोड़िये,आप के जैसा नहीं कोई जा सकता है। ओमकार उसकी बातें सुनकर एक सांस मे कहता है.... दक्ष प्रजापति राजस्थान का राजा साहब।

सतीश जो शराब पी रहा होता है उसका नशा एक सेकेण्ड मे उतर जाता है। क्या कहा आपने,"दक्ष प्रजापति!!आज तक मैंने नाम ही सुना है उसे देखा नहीं।

हाँ दक्ष प्रजापति!!जिसके आगे नहीं चारों दिशा मे आँखे है, हमारी एक चूक और हमारी भयानक मौत निश्चित है..... कहते हुए ओमकार अपनी बची हुई शराब खत्म करता है, और कुछ सोच रहा होता है लेकिन क्या ये तो सिर्फ उहीं जानता होगा।

फिर सतीश कहता है, तो अब हम क्या करेंगे। ओमकार कहता है, तुम अभी कुछ नहीं करोगे बस उसके सामने जाओगे क्योंकि दीक्षा के पास तुम क्या? मैं भी नहीं पहुंच सकता और रितिका से काम होगा नहीं। तूलिका ही ऐसी है जिससे हमें कुछ समझ आये की आगे की चाल कैसे चलनी होगी।

उसकी बातें सुनकर सतीश कहता है, तो हमें क्या करना होगा। ओमकार कहता है, "ज्यादा कुछ नहीं बस उसके सामने तुम कुछ देर के लिए जाना और देखना की तुम्हें देख कर वो कैसी प्रतिक्रिया देती है।"

क्योंकि इस लड़ाई को जितने के लिए हमें सबसे कमजोर कड़ी को तोड़ना होगा तब जा कर हम दक्ष प्रजापति की के घेरे को तोड़ पाएंगे, और मुझे लगता है की तूलिका वो कमजोर कड़ी है जिससे हम आसानी से तोड़ सकते है।इसलिए तुम हॉस्पिटल जाओगे उसके बाद सोचेंगे की आगे क्या करना है।अब देखता हूँ दक्ष प्रजापति क्या करता है?

जिसे सुनकर सतीश उसकी तरफ एक गिलास शराब का बढ़ा कर कहता है, "चीयर्स "। दोनों मुस्कुराते हुए शराब पीते है।

पृथ्वी ज़ब अंकित और आकाश की बात सुनता है तो कहता है, "जरा पीछे मुड़ेगे आप दोनों शैतान!!!वो डर कर मुड़ ही रहे थे पृथ्वी की तरफ तब तक शुभ के हंसने की आवाज़ आ जाती है। ज़ब दोनों शुभ की हंसने की आवाज़ सुनते है तो मुस्कुराते हुए और सीना चोड़ा करते हुए पृथ्वी के पीछे खड़ी शुभ के पास आकर खड़े हो जाते है।

जिसे देख कर रौनक भी उनके साथ खड़ा होता हुआ कहता है,"मान लीजिये भाई सा!अब आपके दिन गए!!!शुभ भी हंसती हुई कहती है, जाने दीजिये हुकुम सा!! बच्चे है और ये नहीं शैतानी करेंगे तो और कौन करेंगे,"वैसे भी आप ऐसी अनहोनी कर ही रहे थे जो सभी के लिए अचरज की बात थी तो बात होना लाजमी है.

पृथ्वी उसकी तरफ आते हुए कहता है,"क्या बात हुकुम रानी सा!!आप कुछ ज्यादा ही नहीं हिम्मत वाली होती जा रही है।"

शुभ ज़ब पृथ्वी की बातें सुनती है, तब उसकी नजर पृथ्वी की आखों पर जाती है, जिसमे उसके लिए बहुत सारा प्यार और शरारत था। वो सभी समझते हुए धीरे से कहती है, "अपने पीछे खड़े अंकित और रौनक से मेरे राज दुलारो अपनी सलामती चाहते हो तो भागो और घूमने को होती है की पृथ्वी उनकी बाजु पकड़ अपनी तरफ खींच लेता है। दोनों अभी एक दूसरे के इतने करीब होते है की दोनों की सांसे एक दूसरे को मदहोश कर रही होती है।शुभ मुस्कान लिए पृथ्वी की आखों मे देखती हुई कहती है,"आपका होना ही हमारे लिए बहुत खूबसूरत तोफा है हमें ये सजावट नहीं चाहिए हुकुम सा!! बस आपकी मोहब्बत चाहिए "।

जिसे देख रौनक के साथ साथ अंकित, आकाश भी नजर घुमा लेते है। तभी रौनक कहता है भाई सा!!। पृथ्वी और शुभ एक दूसरे की आखों मे खोये हुए थे की वो रौनक की आवाज़ नहीं सुनता।

रौनक फिर कहता है, भाई सा कुछ दिक्क़त आयी है, दीक्षा..!!!.तब तक आकाश  कहता है... अंकित निचे चल भाभी सा परेशान होकर कहाँ जा रही है। तभी पृथ्वी की नजरो ..निचे जाती है ।

इधर तेजी से कनक ज़ब दीक्षा को जाते हुए देखती है तो पूछती है, जीजी क्या हुआ। दीक्षा कहती की पता नहीं, बस इतना पता है की तूलिका के साथ.... आगे कुछ बोल नहीं पायी !!! हम हॉस्पिटल जा रहे है। ऊपर से हब रौनक और अंकित देखते है की दीक्षा घबराई हुई है। तब तक वो भी निचे आ जाते है।

अंकित और आकाश कहता है, भाभी हुआ क्या?? दीक्षा कहती है हम बाद मे बतायेगे बच्चे!आप अंकिता और सौम्या को लेकर घर जाईये। तब उसकी नजर पृथ्वी और रौनक पर जाती है तो वो पृथ्वी को कहती है नमस्ते भाई सा। रौनक भी उसे नमस्ते करता है.।

पृथ्वी कहता है, क्या हुआ छोटी!!!फिर रुक कर कहता है क्या हुआ रितिका जी। रितिका कहती है पता नहीं, अतुल जी का फोन आया था और फार्महाउस पर बुलाया है हमें।जिसे सुनकर कर पृथ्वी कहता है, "यहाँ से फार्महाउस दूर है और आपदोनों को लेकर कोई रिस्क नहीं ले सकता।

फिर रौनक की तरफ देख कर कहता है, आप एक काम कीजिये सभी को लेकर पार्वती मेंशन जाइईये।लेकिन कोई आपको देख ना पाए इसलिए उस रास्ते का इस्तेमाल कीजियेगा जो हमदोनों करते है।रौनक हाँ कर देता है।

शुभ की तरफ देख कर कहता है आपको पता है ना हम किस गाड़ी मे जाते थे। शुभ हाँ मे सर हिलाते हुए कहती है, मालूम है। तो ठीक है आप इनदोनो के साथ उसमें बैठिये हम कुछ देर मे आते है।

सभी अपनी अपनी तरफ चले जाते है। तभी पृथ्वी किसी को फोन करता है। उधर की बातें सुनकर उसके भाव कठोर हो जाते है।

कनक परेशान रौनक के हाथों मे अपना हाथ रख देती है, तो रौनक कहता है, हम जानते है की आपके मन मे बहुत सवाल है। लेकिन सही वक़्त आने पर हम खुद आपके सवालों का जबाब दे देंगे। कनक कहती है, हमें कोई जल्दी नहीं है।

इधर दक्ष के फार्म हाउस मे, कुछ देर बाद दीक्षा और रितिका भागती हुई  अंदर आने लगती है तो दक्ष से दीक्षा टकरा जाती है, उसकी ऐसी घबराहट देख!!! और पीछे रितिका की हालत देख। दक्ष, दीक्षा को बाहों मे लेते हुए तेज आवाज़ मे,कहता है,"अनीश यहाँ आओ।और दीक्षा को पकड़ते हुए कहता है,"आराम से, स्वीट्स!!कहते हुए अंदर लाता है।

अनीश ज़ब पसीने मे भीगी हुई रितिका को देखता है तो जोर से कहता है,"ओह्ह्ह शिट!! इसका बीपी सूट हुआ और रितिका को बाहों मे लेकर अंदर भागता है।

पृथ्वी और शुभ को कुछ समझ नहीं आता है वो भी अंदर आते है।पृथ्वी और शुभ उन्दोनो की हालत देख, समझने की कोशिश कर रहे थे की बात क्या हुई होगी।

रितिका को अनीश लेकर सोफे पर लिटा देता है और वहाँ आयी हुई डॉक्टर से कहता है इनका बीपी सूट हुआ है आप इसे एक इंजेक्शन दे दीजिये। डॉक्टर जल्दी से उसे एक इंजेक्शन लगा देती है।

दक्ष एक ग्लास पानी दीक्षा को पिलाता है, पानी पीती हुई दीक्षा कहती है, क्या हुआ तूलिका को दक्ष बताईये और अतुल भाई कहाँ है वो तो उसके साथ गए थे।

दक्ष कहता है आईये हमारे साथ। सभी दक्ष के साथ कमरे मे आते है जहाँ तूलिका बेहोश  थी और उसे पानी चढ़ रहा होता है। अतुल के सर पर चोट आयी थी जिसमे पट्टी किया होता है।जो तूलिका के पास बैठा कर बस उसे एकटक  देख रहा होता है।

दीक्षा ये देख सीधे अतुल के पास आती है और गुस्से से कुछ कहने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखती है। दक्ष ज़ब तक उसे रोकता तब तक वो अतुल के पास जा चुकी होती है।

उसके इस तरह हाथ रखने से, मुँह खोलती की तब तक अतुल उसकी कमर पकड़ कर जोर जोर से रोने लगता है। दीक्षा का हाथ तो जैसे ऊपर ही रहा गया और मुँह बंद हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था की अभी हुआ किया।सभी पहली बार अतुल को ऐसे देख रहे होते है, दक्ष और अनीश उसके पास आने लगते है तो पृथ्वी उन्हें रोक कर इशारे से सामने देखने को कहता है। सभी सिर्फ दीक्षा और अतुल को देख रहे होते है। अतुल की दर्द का अहसास उसके इस तरह रोने से सभी को  हो रहा था।

फिर भी दोनों से रहा नहीं जाता और वो अतुल को ऐसे बिलख कर रोता देख  उसके पास आते है। दक्ष कुछ कहता, तब तक अतुल बोलने लगता है, दीक्षा को पकड़े हुए, "बचालो उसे भाभी!!बचा लो!!! मुझे उसका दर्द बर्दास्त नहीं हो रहा है। मैं बस कुछ देर के लिए उसके लिए कुछ लाने को गया था। बचा लो बहुत दर्द मे है वो। मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूँ। मर जाऊंगा उसके बिना।"आगे वो बोल नहीं पाता और रोने लगता है।

सभी को अतुल का ऐसे रोना बर्दास्त नहीं होता। दक्ष और अनीश आते है तो दीक्षा उन्हें हाथ दिखा कर रोक देती है। फिर झुक कर अतुल के सर पर हाथ फेरती हुई कहती है,"अतुल भैया!! आप और तूलिका बिल्कुल एक जैसे है!ज़ब भी उससे कुछ नहीं सम्भलता था तो वो भी मुझसे ऐसे ही लिपट कर रोने लगती थी और मैं इसी तरह उसे शांत करवाती थी। ये किसने कहा की आप नहीं संभाल पाएंगे। आप ही उसे संभालेंगे भी और उसे खड़ा भी करेंगे। फिर उसके आखों के आंसूओ को पोछती हुई कहती है।

चलिए चुप हो जाइये और फिर दक्ष को इशारा करती है। दक्ष अतुल को आराम से बाहर ले जाता है। सभी बाहर आ जाते है।

तब दीक्षा डॉक्टर से पूछती है क्या हुआ है, तूलिका को!

डॉक्टर उसकी बात सुनकर कहती है,"मेजर पैनिक अटैक आया है इनको लगता है बिता हुआ वक़्त फिर इनके आगे आया है। और ये चोट और ये घाव इन्होंने खुद ही दिया है खुद को.।मैंने इन्हें एंग्जायटी कम करने और नींद की इंजेक्शन दोनों दे दी है। जितनी लम्बी नींद लेगी उतना अच्छा होगा।

थोड़ा खुशनुमा माहौल दीजिये जिसमे ये सभी कुछ भूल जायेगे और उस माहौल मे खुद को शामिल कर ले। अभी मैं हूँ, एक बार ज़ब ये नींद से जाग जाएगी तब इनकी हालात देख कर आगे कुछ कह सकती हूँ।

दीक्षा कहती है आपका बहुत बहुत शुक्रिया डॉक्टर।नहीं कोई बात नहीं है रानी सा ये तो हमरा फर्ज है। दीक्षा मुस्कुराते हुए वहाँ से बाहर आ जाती है।

फिर दक्ष की तरफ देखती है। वो समझ जाता है की वो क्या कहना चाहती है।

दीक्षा की तरफ देखते हुए दक्ष कहने को होता है तो अतुल कहता है, " भाभी!  मैं तूलिका के साथ ही था पूरा दिन हॉस्पिटल मे,मैं बस चाहता था की वो सामान्य हो जाये तब तक उसके आस पास ही रहु। दोपहर को ज़ब वो अपने केबिन आयी तो बहुत ख़ुश थी, उसे ख़ुश देख कर मैंने कहा,'तुम कुछ देर आराम करो!!मैं तुम्हारे लिए कुछ लेकर आता हूँ।उसने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक तब तक मैं कुछ मरीजों को देख लेती हूँ "।

ज़ब कुछ देर के लिए बाहर आया तभी मेरे पास कोई जरूरी फोन आया  और मैं बात करने लगा. ज्यादा वक़्त नहीं बिता था मुश्किल से पंद्रह मिनट ही बीते थे मुझे उससे अलग हुए।

तब तक मेरे पास अचानक एक हॉस्पिटल बॉय घबराते हुए  आया और कहा,"सर जल्दी चलिए!!मैंने उसकी घबराहट देख पूछा की क्या हुआ बताओगे। वो एक सांस मे बोल गया की, सर!!वो डॉक्टर मेडम के कमरे मे एक आदमी घुस आया और उसके बाद डॉक्टर मैडम अजीब हरकत कर रही है। मैंने उससे पूछा कौन आदमी? उसने कहा मालूम नहीं सर हम ज़ब तक उसे पकड़ते वो भाग गया था।

उसकी बात सुनकर मैं तेजी से निकल गया। देखा तो वो पूरी केबिन को तोड़ रखी थी, उसके हाथ और पैरों से खुन निकल रहे थे और वो किसी के काबू मे नहीं आ रही थी। उसके हाथों मे सर्जिकल चाकू था।

ज़ब मैं उसके सामने आया तो वो तेजी से चाकू फ़ेंक कर मुझसे लिपट गयी। मैं कुछ पूछता तब तक वो मेरी बाहों मे बेहोश हो गयी।

फिर मैंने दक्ष को फोन किया और दक्ष के कहने पर इसे यहाँ ले आया, जहाँ हमारी डॉक्टर की टीम मौजूद थी।फिर अतुल चुप हो गया।

फिर दक्ष दीक्षा की तरफ देखते हुए कहता है," मैंने हॉस्पिटल की cctv की फुटेज मगवाई और उसमें  देखा तो पता चला सतीश पोदार नामक का गुड्डा और नेता है या यु कह लो की सिर्फ गुण्डा है।"

रितिका, दक्ष की बात सुनकर कहती है, "ये.... ये तो वही है दीक्षा ये वही है। उसे इस तरह से घबराते देख अनीश उसके कंधे पर हाथ रख कर कहता है, शांत!!शांत  रीती।

दीक्षा सबकी बात सुनकर सिर्फ शांत थी फिर दक्ष की तरफ देखती हुई कहती है की कुछ ऐसा है जो आप हमसे छिपा रहे है दक्ष।

दक्ष आँखे फेरता है तो दीक्षा फिर से कहती है," हमतीनो का अतीत लौट आया है। हाँ ना।

जिसे सुनकर अतुल पृथ्वी के साथ दक्ष भी हैरानी से देखते है। दीक्षा कहती है,सभी की तरफ देखते हुए। आप सभी को हैरानी क्यों हुई, क्योंकि अगर इतने सालों मे किसी को नहीं मालूम हुआ की हम कहाँ है और क्या कर रहे है। उसकी सिर्फ एक ही वजह रही थी हम सिर्फ काम से काम करते थे किसी सोशल गेंदरिंग मे हम. शामिल नहीं होते थे।

कुछ दिन पहले पहली बार हम शुभ जीजी की सगाई मे शामिल हुई थे, सम्भव है की इतने लोगों मे किसी ने, हमें या रितिका को देख लिया होगा और उनलोगों तक खबर पहुंच गयी होगी।

दक्ष, दीक्षा की बातें और सोच देख कर हैरान और ख़ुश था। उसके बगल मे बैठा हुआ पृथ्वी धीरे से कहता है, "इनमें सभी गुण रानी सा वाली है, चलिए हमारे परिवार की सूत्रधार हमें मिल गयी। हमें नाज है आपकी पसंद पर।"दक्ष कुछ कहता नहीं बस चुप होकर दीक्षा को देख रहा होता है, जो अपनी बातें बहुत समझदारी से रख रही होती है।

दीक्षा कहती है,"ये सतीश तो नहीं और ना ही रितिका के परिवार से कोई प्रजापति के यहाँ आ सकता है तो बचा कौन,"ओमकार रायचंद "!!वो आया होगा प्रजापति महल मे सगाई वाले दिन। फिर दक्ष की तरफ देखती हुई कहती है,"आपकी मुलाक़ात जरूर हुई होगी ओमकार रायचंद से!है ना दक्ष! उसकी तरफ सवाल भरी नजरों से दीक्षा देख रही होती है।

दक्ष कहता है,"रानी सा!! पहले आप अपनी बात पूरी करे फिर हम आपके एक एक सवालों के जवाब देंगे "।

दीक्षा उसकी बात सुनकर कहती है,"ठीक है फिर दक्ष!!हमें पूरा यकीन है की ओमकार रायचंद आपसे मिले होंगे और उन्होंने नहीं आपने जरूर पहचान लिया होगा। हम ये भी जानते है की सगाई वाले दिन आपने दादा सा और राजा जयचंद से कैसे बात मनवाई। क्योंकि आपको लतिका हमारे घर और खास कर छोटे देवर सा रौनक के लिए सही नहीं लगी। लेकिन आप कनक के लिए भी तैयार नहीं थे अगर आपने बगीचे मे कनक और रौनक जी को साथ नहीं देखा होता। फिर दक्ष की तरफ देखते हुए कहती है,"सही कह रहे है ना हम, राजा सा!!!

दक्ष मुस्कान लिए अपनी पलकें झपका देता है लेकिन वहाँ बैठे सभी सिर्फ हैरानी से दीक्षा की बातें सुन रहे होते है।

दीक्षा कहती है और जहाँ तक हमने उस ओमकार रायचंद को समझा है हमें यकीन है वो जरूर आपसे मिलने आया होगा और आपने उसके गूरूर को तोड़ा होगा। तब जाकर उसके डोम मे ये चाल आयी होगी। हम तीनों मे तूलिका जो कभी सबसे ज्यादा मजबूत हुआ करती उस हादसे के बाद सबसे ज्यादा कमजोर हो गयी है और उस घटिया ओमकार रायचंद ने ये वार हम तीनों मे से उस पर किया जो कमजोर था और जिस तरह से अतुल भैया ने बताया। उस हिसाब से उसका मकसद अभी बस उसे देखना था की उसकी चाल किस हद तक कामयाब होगी।

आगे वो क्या सोच रहा है, अभी बताना मुश्किल है।फिर सभी कुछ बोल कर चुप हो जाती है।

पृथ्वी उठ कर उस के सर पर हाथ फेरते हुए कहता है, हमें ख़ुशी है की आपके हाथों मे प्रजापति खानदान की डोर होगी आपकी समझदारी देख हमें यकीन हो गया। उसकी बातें सुनकर दीक्षा कहती है, धन्यवाद भाई सा जो आप ऐसा सोचते है, लेकिन अभी तक हमें आपके और इनके रिश्ते समझ मे नहीं आये है। उसकी बातें सुनकर पृथ्वी कहता है थोड़ा वक़्त रुक जाईये, आपको सबसे पहले मालूम हो जायेगा। जहाँ तक हमें आपकी समझदारी दिख रही है। ये कह कर वो शुभ के साथ बैठ जाता है।

अनीश अपने हाथ जोड़ कर कहता है,"आपके चरण कहाँ है माते!!उसकी बात सुनकर दक्ष कहता है, ये कभी नहीं सुधरेगा। अनीश उसकी बातें सुनकर कहता है, चुप कर!पहले मुझे माते के पैर छू कर आशीर्वाद लेनी है की ये शक्ति इन्होंने पायी कहाँ से, अद्भुत शक्ति है आपके पास माते।

दीक्षा चिढ़ती हुई कहती है, "अनीश भैया ये क्या कर रहे है आप "? अनीश कहता है अरे दीक्षा भाभी आपको नहीं पता की अभी हम सबके दिमाग़ मे क्या विचार चल रहे है आपको लेकर। मतलब आप तो शेरलोक होम्स से भी ज्यादा तेज सोचती हुई हर मोहरे को अपनी जगह बिठा देती है।

रितिका  उठ कर अनीश का हाथ खींचती हुई उसे बिठा कर कहती है,"दीक्षा शुरु से ही हर चीजों को देखती है और अगर कुछ ऐसी घटना उसके सामने हो जाती है तो बीती हुई कड़ीयों को ऐसे ही जोड़ कर एक सही आकलन लगाती है और फिर चीजों को सुलझाती है.। ये हर काम को भविष्य मे आने वाली घटनाओ के साथ सम्भवतः लगाती है की अगर ऐसा हुआ तो क्या करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो. क्या करना चाहिए। दूसरे शब्दों मे कहूं तो इसकी दूर दृष्टिकोण के कारण हम सभी सुरक्षित है।

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