दूसरे भाई और किंगलन ने खुद को अन्य महिलाओं के लिए छोड़ दिया था। केवल वह एक ही बचा था!
एक आखिरी हताशा भरी आह भरते हुए हुओ बाईचैन ने अपने कदम तेजी से बढ़ाए और कुछ मज़ा करने के लिए रवाना हो गया।
लिन रुक्सी ने लिन शियू की ओझल होती छाया को देखा। उसके प्रति नफरत की आग उसके चेहरे पर नाराज़गी के रूप में साफ झलक रही थी। क्या लिन शियू वास्तव में गर्भवती थी? क्या बच्चे का पिता फू किंगलन था या उसका सम्बंध किसी अन्य व्यक्ति से था?
"बहन क्युईयर, क्या हुआ? क्या आप कल भाई मोहन के साथ बार में नहीं गयी थी? फिर भाई मोहन टैंग मोर के साथ क्यों वहाँ से निकले थे?"
लू क्युईयर का चेहरा बिल्कुल पीला पड़ गया था। गू मोहन वास्तव में उसे कल बार ले कर नहीं गया था। जैसे ही उसने बोलना शुरू किया तभी वह उसे उसी पल छोड़ कर चला गया था और वह वापस नहीं लौटा था।
"इसके अलावा, सीईओ वान ने क्यों कहा कि स्टार ऑफ द ओशन डीएचए के अधिकारी द्वारा टैंग मोर को दिया गया था? हम तीनों के पास कुछ भी नहीं था क्या यह स्पष्ट रूप से पक्षपात नहीं था? हम अपना चेहरा अब कैसे इस व्यवसाय के लोगो को दिखाएगें?"
"रूक्सी, वे शब्द सीईओ वान द्वारा नहीं कहे गए थे। वह भाई मोहन के थे जिन्होंने उन्हें यह कहने का आदेश दिया था।"
"क्या?" लिन रुक्सी हैरान थी।
जब टैंग मोर ने वहाँ सभी पर हमला किया था तब लू क्युईयर गू मोहन के पीछे ही खड़ी थी। तब गू मोहन ने वान एन के कान में सावधानीपूर्वक निर्देश दिए थे जिसे क्युईयर ने सुन लिया था।
जब भी टैंग मोर की किसी भी खतरे के साथ मुलाकात होती थी तब वह अपने पंख फैलाकर हर कीमत पर उसकी रक्षा करता था।
टैंग मोर के बारे में जानबूझ कर सोचते हुए लू क्युईयर सोच रही थी कि उसका रवैया गू मोहन के प्रति जिद्दी था| वह उसे नखरे दिखा रही थी जो कि स्पष्ट रूप से एक ऐसी महिला होने का सबूत था जिसे एक आदमी द्वारा प्यार में बिगाड़ दिया गया था। लू क्युईयर का दिल बहुत दर्द में था| उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसे एक लाख सुइयों चुभा दी गईं हो। इसने उसे कहाँ रखा था?
एक आलीशान कमरे में।
गू मोहन ने अपने पैरों से दरवाजा खोला और टैंग मोर को आलीशान बिस्तर पर फेंक दिया। उसका शरीर चादरों में उलझ गया और उसने अपने लम्बे और मर्दाना शरीर को उसके ऊपर दबाया साथ ही उसके दोनों हाथ उसके शारीरिक उभारों से खेलने लगे।
टैंग मोर गुस्से में जल रही थी और उसने इसी गुस्से में लात मारी और उसे लापरवाही से खरोंचा जबकि गू ने उसके नीचे संघर्ष करती मोर की ताकत पर कोई ध्यान नहीं दिया। वह एक ही बार में सभी चीजों को सुलझा लेना चाहती थी। अपनी मुट्ठी को बंद करने के बाद उसने आखिरकार एक जगह पा ली और अपने पैर का इस्तेमाल करके गू के सुडौल पैरो को लात मारी। इसी दौरान वह अपनी कर्कश आवाज़ में चिल्लाई, "तू.. कमीने! मैं तुमसे नफरत करती हूँ। मैं तुम्हें देखना नहीं चाहती।"
गू मोहन ने उसके क्रूर हमलों को रोकने की कोशिश नहीं की और उससे मार और लाते खाना जारी रखा। उसकी काली पतलून पर कई निशान बन चुके थे। उसका चेहरा गहरा हो गया और उसने आखिरकार जवाब दिया, "टैंग मोर, तुम मुझे मारते रहने की हिम्मत रखती हो?"
मेरी हिम्मत क्यों नहीं होगी?
टैंग मोर ने उसकी मुट्ठी और अधिक मजबूती से जकड़ी और उसे पहले से ज़्यादा जोर से मुक्का मारा।
हालांकि उसकी छोटी मुट्ठी केवल उसकी हथेलियों पर ही जाकर लगी। यह बिना किसी प्रभाव के रूई के द्वारा मारा जाना था। नरम बिस्तर पर उसे जकड़ते हुए गू ने अपनी भौंहें सिकोड़ी और उसके होंठों को अपने होंठों से ढँक लिया।
आह!
टैंग मोर की चमकीली आँखें फैल गईं। उसने कभी उम्मीद नहीं की थी कि वह अचानक उसे चूम लेगा। इस दौरान उसका सुंदर चेहरा उसकी दृष्टि के सामने था और वह केवल उसकी वे घनी और घुंघराली पलकें ही देख सकती थी जो उनके गालों को कोमलता से छू रही थी। वे एक महिला की तुलना में भी ज़्यादा सुंदर थी।
इस तरह की स्थिति से सच में एक व्यक्ति का असली रंग दिखाई देता था । परंतु कोई इतना बुरा कैसे हो सकता था।
उसने अपने होठों से उसके होठों को दूर करने के लिए कठिन संघर्ष किया वह उसे चूमना नहीं चाहती थी। "आह! गू मोहन, मुझसे दूर हटो!" उसके होंठों को खुला देखकर उसने इस अवसर का लाभ उठाया और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी। जिस क्षण उसने अपने कामुक होठों से मोर को छूआ वह ऐसे कराहा जैसे उसने मोर को अंदर से जीत लिया था| उसके अंदर की मिठास को चखते हुए गू की जीभ जंगली और निर्मम हो गयी थी।
उसने कल रात भी उसे उकसाया था। उसने इस छोटी सी जंगली बिल्ली की प्रसिध्दि को बढ़ाने के लिए कितनी कोशिश की थी। न तो वह आज्ञाकारी थी और साथ ही इसके बदले उसने उसे काट भी लिया था। उसने उसे उत्तेजित किया और वह अब गुस्से में था।
यहाँ तक कि बार में भी उसने हुओ बाईचैन को पीने के लिए बुलाया था। हालाँकि तब मोर का छोटा नाजुक चेहरे की अंतहीन झलक उसके दिमाग में उसे छेड़ने के लिए बार बार आ रही थी। वह बस उसे पकड़ कर तब तक चूमना चाहता था जब तक उसे बाकि कुछ भी और याद ना रहें ।
इस क्षण उसकी जीभ का ऊपरी सिरा दर्द में था और मानो एक धातु की सुई उसके मुँह में चली गई थी। इस छोटी जंगली बिल्ली ने उसकी जीभ को इतने बुरे तरीके से काटा था कि उसमें से खून बह रहा था। पर फिर भी गू मोहन रुका नहीं बल्कि इसके बजाय वह और भी अधिक अधीर हो गया था।
और तभी उस पल उसे अचानक कड़वाहट का स्वाद आया।
उसका शरीर अकड़ गया और उसने अपनी आँखें सहज रूप से खोली और देखा कि मोर का नाजुक चेहरा खामोश आँसुओं से भरा हुआ था। वह बिना कोई आवाज़ किए बहुत बुरी तरह से रो रही थी ।