मूर्ति के बारहवीं की परीक्षा का परिणाम अत्यंत अच्छा रहा। उसका सपना अब सच्चाई मे बदलने वाला था। डॉक्टर बनने का सपना तो हर कोई देखता है मगर उस सपने के रास्ते में पैसो का एक ऊंचा दीवार है जिसे पार करना अक्सर मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए कठिन होता है। लेकिन हौसला अगर बुलंद हैं तो रास्ते भी दिख जाते हैं। मूर्ति ने AIMPT का प्रवेश परीक्षा दिया और अव्वल अंको से उत्तीर्ण हुई मगर दुर्भाग्यवश मेडिकल कॉलेज की शुल्क और वहा रिश्वत की प्रथा के चलते उसने अपने कदम पीछे खींच लिए। उसके पिता कह रहे थे कि वो जैसे तैसे सारा पैसा ला देंगे पर मूर्ति को ये मंज़ूर नहीं था के उसके पिता उसकी वजह से कर्जे मे डूबे। उसने कुछ दिनों तक खुद को बिल्कुल ही पृथक कर लिया था दुनिया से और अपने पिता माता से क्योंकि उसे कहीं ना कहीं ये लग गया था कि अब शायद उसका सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
किसी फरिश्ते की तरह उसकी एक सहेली एकदिन घर आई और मूर्ति को उदास देख कहा, तुझे क्या हुआ है डॉक्टराइन? तो मूर्ति ने कहा के मज़ाक ना कर मेरे साथ!
तब उसने कहा के मज़ाक तो तू खुद कर रही है खुद के साथ. मूर्ति थोड़े गुस्से में आकर पूछती है कि, "क्या मतलब है तेरा? मेरा दिमाग मत खराब कर!" तब उसने कहा के, देख डॉक्टर बनना है ना तो ज़रूरी थोड़े है कि MBBS की पढ़ाई ही करनी पड़ेगी? ऐसे तो बहुत है जैसे दाँत के चिकित्सक, जैविक चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, मनरोग विशेषज्ञ आदि। उनका श्रेणीकरण MBBS के दायरे में नहीं आता लेकिन वो भी डॉक्टर ही है। मूर्ति को ये बात पहले तो सही नहीं लगी क्योंकि उसे MBBS की उपाधि चाहिए थी। उस वक़्त तो वह कुछ भी नहीं बोली लेकिन बाद में सोचा कि सही तो बात है। मूर्ति ने बस ज़िद ठान ली थी MBBS करने की जिसके आगे उसे कुछ भी नहीं नज़र आ रहा था।
फिर, वो पुनः ठान लेती है और आगे मनरोग एवं मनोवैज्ञानिक की पढ़ाई के लिए खुद को तैयार कर लेती है। उस तरफ रोहिणी ने भी प्रवेश परीक्षा दिया पर उसका दाँत के विभाग मे हुआ और दोनों सहेलियाँ अलग अलग कॉलेज में दाखिल हुई। कुछ दिनों बाद, रोहिणी के पिता का स्थानांतरण महाराष्ट्र के लातूर शहर में हुआ जिसके पश्चात दोनों बिल्कुल ही अलग हो गए। मूर्ति एक बार फिर से अकेली पड़ गयी। मेडिकल कॉलेज में शुरू मे तो उसने लोगों से कम बात की क्योंकि वो थोड़ी चुपचाप सी रहती थी। आसानी से दोस्ती नहीं करती थी लेकिन एक बार ही जाये तो निभाती थी। मुश्किल से 6 महीने हुए थे और वहां उसे सब जानने लगे। और उसके सहपाठी उससे सहायता लेने आते थे। उसके सहपाठियों मे दो तीन लड़की ऐसे थे जो उससे बेहद प्यार करते थे। उन तीनो ने उससे अपना प्रेम प्रस्ताव रखा पर मूर्ति के लबों पर एक ही जवाब होता था, 'प्यार का इजहार करना जितना आसान है, निभाना उतना ही मुश्किल। मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा पर मैं इस वक़्त खुद के ज़िन्दगी को प्यार के संकोच मे नही डालना चाहती हूं, जब सही समय आएगा तब अपनेआप हो जाएगा. और वैसे भी प्यार तो हो जाता है, एक अलग ही एहसास जो मैं इस समय महसूस ही नहीं कर रही.'
उसके लाख मना करने के बाद भी वो लड़के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से उसके साथ चलते गए। प्यार वाला रिश्ता तो संभव नहीं था पर वो सब उसके अच्छे दोस्त बन गए थे और सब साथ ही मज़े करते।
कॉलेज के कुछ लोग तो यहां तक सोचते थे के शायद मूर्ति उन लड़को को आपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रही है और इन्हे घुमा रही है अपने सुंदरता के प्रेम जाल मे इन्हे लपेट रही है।
एक शाम जब मूर्ति अकेली घर आने के लिए कॉलेज से निकली तब निकास द्वार पर खड़े कुछ अवारा लड़कों ने उसे छेड़ना चाहा। मूर्ति के ऊपर उनकी नज़रें तो पहले से ही थी पर ऐसा पहली बार हुआ था कि मूर्ति अकेली निकल रही है वर्ना कोई ना कोई तो साथ होता ही था।
मौका मिलते ही वो लोग शुरू हो गए। शुरुआत हुई कुछ अश्लील टिप्पणियों से, जिन्हे पहले तो मूर्ति ने अनसुना किया लेकिन वो पीछे पीछे चलने लगे तो उनके शब्द और भी घटिया होती गयी। एक पल को मूर्ति ने अपना आपा खो दिया और पीछे पलट कर उनका सामना किया। उसने कुछ खास नहीं कहा क्योकि उस वक़्त उनका मुह लगना बेवकूफी होती। उसने तुरंत पुलिस को फोन किया और 5 मिनट मे वो आए। जैसे ही पुलिस आई वो लड़के भागने की कोशिश करने लगे लेकिन भाग नहीं पाए और दबोच लिए गए। एक रात के लिए ये लोग कारावास मे रहेंगे। मूर्ति ने सारी कानूनी कार्रवाई कर के आ गयी। रात को जब सारे दोस्त आपस मे बात कर रहे थे तो मूर्ति ने शाम वाली बात बतायी। तीनो ने तब कुछ भी नहीं कहा और हंसी मज़ाक मे बात टाल दिया। अगले दिन तीनो कॉलेज नहीं आए, मूर्ति ने फोन किया पर उन्होने बहाना बना दिया के घूमने गए हैं।
उस दिन शाम को निकलते समय मूर्ति को वही लड़के दिखे लेकिन बुरी तरह से पिटे हुए। और वो उससे माफ़ी मांग रहे थे। मूर्ति को हल्का सा शक हुआ क्योकि पुलिसवाले इतना नहीं मरते किसी को ऐसे ही।
मूर्ति जब शाम को घर लौटी तब बात हुई और मूर्ति ने उनसे सख्ती से पूछा तो उन तीनो ने बताया के उन तीनों ने उसे शाम को थोड़ा समझाया और वो अब से आसपास नहीं दिखेंगे। मूर्ति ने उन तीनो को सुना दिया क्योकि ये गलत था।।
मूर्ति हर तरह से उस वक़्त सुरक्षित थी।
— ตอนใหม่กำลังมาในเร็วๆ นี้ — เขียนรีวิว