Baixar aplicativo
77.41% RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 24: रजनीचर कोई छोटा दैत्य नही था Rajnichar was not a small monster

Capítulo 24: रजनीचर कोई छोटा दैत्य नही था Rajnichar was not a small monster

पहला कपाट का सैनिक उस चिट्ठी को लेकर दूसरे कपाट के सैनिक के पास लाकर दे दिया और इतमीनान से कहा," आप इस पत्र को महाराजा के पास पहुंचा दीजिए!." दूसरे कपाट का सैनिक उस पत्र को लेते हुए इज्जत से कहा," जो आज्ञा हो आपका!." फिर उस पत्र को लेकर तीसरे कपाट पे चल दिया, वो सैनिक उस पत्र को लेकर तीसरे कपाट के सैनिक को उस खत को देते हुए फिर से वही बात कहा," इस खत को आप महाराजा के पास पहुंचा दीजिए!." वो तीसरा कपाट का सैनिक उस पत्र को लेते हुए कहा," अवश्य जो आज्ञा हो आपका!." फिर उस खत को लेकर चौथा कपाट पे पहुंच गया, तभी चौथे कपाट का सैनिक रोकते हुए पूछा," क्या हुआ आप हमे दीजिए हम प्रवेश करा देंगे!." वो तीसरा कपाट का सैनिक उस खत को चौथा कपाट के सैनिक के हाथ में थमा दिया और इतमीनान से कहा," आप इस खत को महाराजा के पास पैठ कर दीजिए!." चौथा कपाट का सैनिक इज्जत से कहा," जो आज्ञा हो आपका !." फिर चौथा कपाट का सैनिक उस खत को लेकर महाराजा के पास चल दिए, महाराजा अपने कुर्सी पे बैठे थे और बहुत सारे दरबारी लोग दोनो तरफ से कुर्सी पे बैठे थे और बीच में पूरा खाली था, तभी वो सैनिक महाराजा के पास मौजूद हो गया और सबके बीच में खड़ा होकर अपने महाराजा को नमन किया," महाराज की जय हो, महाराज आपके लिए एक चिट्ठी आया है!." महाराजा उस सैनिक की बात सुन कर आश्चर्य से पूछे," चिट्ठी, परंतु क्यू इस चिट्ठी को कौन भेजा है!." वो सैनिक महाराजा की वाक्य सुन कर इज्जत से कहा," महराज ये चिट्ठी कौवा राज ने भेजा है अर्थात उसने कहा है की कह देना, मैं आपके इज्जाजत के वजूद इस महल में कदम नही रखूंगा!." महाराजा ये शब्द सुन कर कुछ नही कहा, तभी सैनिक के बगल एक कुर्सी पे बैठे हुए बिभष कहा," वो तो ठीक है परंतु इस चिट्ठी में ऐसा क्या लिखा है, जो इतना अपेक्षित समझा देने के लिए!." वो सैनिक बिभष को शब्द सुन कर इज्जत से कहा," महाराज इस चिट्ठी में क्या है ये मुझे भी नही, अर्थात जानने के लिए इसे खोलना परेगा!." महाराजा उस सैनिक की वाक्य सुन कर आश्चर्य से कहे," रजनीश तुम इस चिट्ठी को खोलो और पढ़ कर सुनाओ !." रजनीश महाराजा की वाक्य सुन कर अपने कुर्सी से उठा और उस सैनिक के पास चला गया जो चिट्ठी लेकर आया था, रजनीश उस खत को अपने हाथ में ले लिया और वो सैनिक वहा से निकल गया, रजनीश बहुत ज्ञानी था परंतु बिभष से थोड़ा कम ज्ञानी था, रजनीश उस खत को खोल कर पहले खुद उस पत्र को स्मृति से देखने लगा, जैसे जैसे आगे पढ़ते जा रहा था रजनीश का चेहरा लाल होते जा रहा था ये सब देख कर महाराजा आश्चर्य से पूछे," रजनीश क्या हुआ पढ़ कर सुनाओ सबको !." रजनीश पढ़ने से पहले थोड़ा से सोचा," क्या बताऊं आपको मेरी जिस्म में आग लग गई है!." तभी बिभष को लगा की रजनीश अपने मन में कुछ सोच रहा था और बिना इंतजार किए बिभष पूछ दिया," रजनीश क्या हुआ, तुम क्या सोच रहे हो, यहां पे सर्व प्रतीक्षा कर रहे है सुनने के लिए!." रजनीश बिभष की वाक्य सुन कर घबरा गया की," कैसे बताए!." फिर हिमत कर में रजनीश उस खत को जोर से पढ़ने लगा," महाराज की जय, मैं आपका कौवा राज, मैं इस महल में नही आ सकता हूं अर्थात यदि आप मुझे बुलाना भी चाहेंगे तो मैं नही आ पाऊंगा, परंतु हां आपको एक खबर देना चाहता हूं !." इतना पढ़ कर रजनीश चुप हो हो गया था, रजनीश कुछ बोल नही पा रहा था और अंदर से डर भी रहा था, रजनीश इस लिए डर रहा था की ," महाराजा कही हम्पे आक्रोश ना हो जाए!." रजनीश चुप चाप कुछ देर खड़ा रहा और सारे रजनीश को देखते रहे, सबको लग रहा था की रजनीश अब पढ़ेगा आगे परंतु नही पढ़ रहा था तभी बिभष आक्रोश होकर अपने कुर्सी से उठा और रजनीश के पास आकर रजनीश के हाथ से उस खत को छीं लिया और प्रतिघात होकर कहे," लाओ हम पढ़ते है जाओ बैठो!." रजनीश उस खत को बिभष के हाथ में थमा दिया और अपना कुर्सी पे आकर बैठ गया, बिभष उस खत को जैसे देखा और पढ़ने को सोचा तभी बिभष भी हैरान हो गया, बिभष की हैरानी देख कर महाराजा भी पूछ बैठे," बिभष ऐसा क्या लिखा है उसमे जो हर कोई पढ़ने से डर रहा है !." बिभष महाराजा की वाक्य सुन कर इतमीनान से कहा," महाराज इस खत में यही लिखा है की रजनीचर का निधन हो गई है यदि आप रजनीचर से मिलना चाहते है तो आप स्वयं नदी के किनारा पे आ सकते है !." महाराजा बिभष की मुंह से ये शब्द सुन कर बहुत ज्यादा आक्रोश हो गया और अपने कुर्सी से खड़ा हो गया, ये बात सुन कर सिर्फ महाराजा ही नहीं महाराजा के पास जितने लोग थे सारे के सारे आक्रोश हो गाय थे, महाराजा आक्रोश में आकर कहा," नही रजनीचर की मौत नही हो सकती है, रजनीचर कोई छोटा दैत्य नही था, जरूर ये गलत खबर होगी!." महाराजा की ये बात सुन कर एक दरबारी कहा," परंतु महाराज, इस खत में तो पता भी दिया है कौवा राज फिर ये त्रुटि कैसे हो सकती है!." ये बात सुन कर रजनीश भी बोल उठा," हा महाराज यदि हमे संतुष्ट होना है तो चलिए स्वयं चल कर देख लेते है, अर्थात ये भी पता चल जायेगा की कौवा राज झूट बोलता है या सत्य बोलता है!." रजनीश की वाक्य सुन कर बिभश भी इज्जत से कहा," हा महाराज रजनीश सत्य बोल रहा है, चलिए चल कर देख लेते है!." ये तीनों की वाक्य सुन कर महाराजा आश्चर्य से कहे," ठीक है में मुस्तैद हूं, जाओ और रथ को तैयार करो!." महाराजा की वाक्य सुन कर सारे दरबारी बाहर निकले और एक कतार से खड़ा हो गए, महाराजा की रथ भी तैयार करके आगे खड़ा दिया था,

to be continued...

क्या होगा कहानी का अंजाम जब महाराजा रजनीचर के पास पहुंचा और देखेगा की मृत्यु हो गई है तो, और रजनीचर और महाराजा का क्या रिश्ता है जानने के लिए पढ़े " RAMYA YUDDH "


next chapter
Load failed, please RETRY

Status de energia semanal

Rank -- Ranking de Poder
Stone -- Pedra de Poder

Capítulos de desbloqueio em lote

Índice

Opções de exibição

Fundo

Fonte

Tamanho

Comentários do capítulo

Escreva uma avaliação Status de leitura: C24
Falha ao postar. Tente novamente
  • Qualidade de Escrita
  • Estabilidade das atualizações
  • Desenvolvimento de Histórias
  • Design de Personagens
  • Antecedentes do mundo

O escore total 0.0

Resenha postada com sucesso! Leia mais resenhas
Vote com Power Stone
Rank NO.-- Ranking de Potência
Stone -- Pedra de Poder
Denunciar conteúdo impróprio
Dica de erro

Denunciar abuso

Comentários do parágrafo

Login