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33.33% ISHQ...THE LOVE STORY / Chapter 2: कौन था वो?

Capítulo 2: कौन था वो?

अब आगे। 

सुबह 7 बजे

[रिया सुबह बेड से उठ गयी। उसने अंगडाईया ली। रिया को कल रात का सपना याद आ जाता हैं। रिया मंद मंद मुस्कुराने लगी। उसे सपने वाले लड़के की बातें याद आने लगती हैं। उस लड़के की एक एक बात जो उसने रिया के लिए कही थी। उन बातों से रिया का दिल धड़कने लगा।]

"कौन हो तुम?और कहाँ हो? मुझे तुम हर रात सपने मे दिखते हो", लेकिन क्यु?...क्यु आते हो मेरे सपनो मे? आखिर, क्या कनेक्शन है तुम्हारा और मेरा? 

(रिया ने अपने दिल पर हाथ रख कर, सपने को याद करते हुए खुद से कहा।) 

[रिया खुद से बातें किये जा रही थी। सपने वाले लड़के की मिठी, प्यारी बाते रिया के दिमाग से जा ही नही रही थी। लेकिन रिया को क्या पता, उसकी जिंदगी मे कोई आने वाला था, जिसकी उम्मीद पूजा हमेशा करती हैं। रिया हमेशा चाहती हैं, की उसको ऐसा साथी मिले जो, रिया का जिंदगी भर साथ निभाए। रिया इन सब बातों से बिल्कुल अंजान थी। क्युकी अब रिया की जिंदगी मे नया मोड आने वाला था और उसका इंतज़ार भी खत्म होने वाला था।]

"उठ गयी मेरी बेटी! 

(सुमन ने अंदर आते हुए कहा।) 

"हाँ माँ। 

(रिया ने मुस्कुराकर कहा।) 

" चल अब जल्दी से ब्रश कर लो, और नाश्ता भी कर लो। 

(सुमन जी ने रिया से कहा।) 

' ठीक है माँ। 

(रिया ने बेड से उठते हुए कहा।) 

[सुमन कमरे से चली जाती है। रिया बेडशीट ठीक कर लेती है और वॉशरूम मे जाती हैं। आशीष जी अखबार पढ़ रहे है। सुमन उनके लिए चाय लेकर आती हैं। ]

"लीजिये आपकी चाय। 

(सुमन ने आशीष जी को चाय देते हुए कहती हैं।) 

" रिया उठ गयी या अभी भी सो रही हैं? 

(आशीष जी ने सुमन से पूछा।) 

उठ गयी है वो। 

(सुमन कहती हैं।) 

[ आशीष जी चाय के बाद अपने कमरे मे जाते है। तभी उनका फोन बजता है। हॉस्पिटल से कॉल आया था। आशीष जी कॉल रिसीव करके बात करने लगते है। हॉस्पिटल के वार्ड मे एक सीरियस पेशन्ट आता है।]

सुबह 9 बजे। 

शिव हॉस्पिटल। 

[हॉस्पिटल मे एक औरत रो रही हैं, उनके पति उनको संभाल रहे है। ]

"अंजली शांत हो जाओ। कुछ नही होगा हमारे बच्चे को। 

(सुरेश जी अंजली को संभालते हुए कहते है।) 

" नर्स, डॉक्टर साब कब आ रहे है? प्लीज़ उनको जल्दी से बुलाईये! 

(सुरेश जी ने नर्स से कहा।) 

"वो आ जायेंगे , तब तक आप उनका इंतज़ार कीजिये। आप यहाँ बैठिये। 

(नर्स सुरेश जी को कहकर चली जाती।) 

..... 

अवस्थी का घर। 

[आशीष जी हॉस्पिटल जाने के लिए रेडी हो रहे है। वे जल्दी से रेडी होते है और अपना बैग लेकर सीढ़ियों से नीचे हॉल मे आते है। राघव सोफे पर बैठा है, उसकी नजर आशीष जी पर पड़ती है।]

पापा, कहाँ जा रहे है आप? 

(राघव आशीष के पास आकर पूछता है।) 

" बेटा मै हॉस्पिटल जा रहा हूँ। एक अर्जन्ट पेशंट केस आया है, मुझे जल्दी जाना होगा बेटा। 

"हॉस्पिटल जा रहे है? पर पापा आज तो भाईदूज है।

(राघव ने आशीष जी से सवाल किया।) 

" राघव बेटा, मेरे लिए भाईदूज का किसी इंसान की से ज्यादा महत्व नही है। मै एक डॉक्टर हूँ राघव, और मुझे अपना काम करना है। अगर आज मै हॉस्पिटल नही गया तो किसी की जिंदगी नही बच पायेगी। इसलिए मुझे मत रोको। बाय राघव। 

(आशीष जी ने राघव को समझाते हुए कहा।) 

[आशीष जी जल्दी से अपनी कार मे बैठ कर चले जाते है। रिया रेडी होकर नीचे आती हैं। उसे आशीष जी कही नजर नही आते।]

"पापा? यह पापा कहाँ चले गए? भैय्या, पापा कहाँ है? 

(रिया ने राघव से पूछा।) 

" रिया, पापा अभी हॉस्पिटल गए है। उन्होंने बताया की कोई गंभीर मरीज आया है। 

  (राघव ने कहा।) 

ओह, अच्छा। 

(रिया ने रिस्पोंस दिया।) 

"अरे बाप रे...10 बज रहे है। मुझे तो आज शॉपिंग के लिए जाना है, फ्रेंड्स के साथ। 

(रिया ने घडी मे टाइम देखते हुए रिएक्ट किया।) 

[रिया जल्दी से कमरे मे गयी और रेडी हो गयी। उसने अपने बाल सुखाये और बाल बना कर। थोड़ा मेक अप किया। उसने अपना फोन लिया और नीचे हॉल मे आयी। रिया किचन मे सुमन के पास आयी।]

"माँ, मै जा रही हूँ शॉपिंग के लिए। 

(रिया ने सुमन से कहा।) 

"अच्छा जा रही हैं तो खाना भी खा कर जा बेटा।" 

(सुमन ने रिया से कहा।) 

"माँ मै बहुत जल्दी मे हूँ, मुझे शॉपिंग से जल्दी घर आना भी है। 

(रिया मे जल्दबाज़ी मे कहा।) 

[रिया ने सुमन के पैर छुये और उनको बाय बोलकर घर से बाहर आयी। रिया ने कार का दरवाजा खोला और सीट पर बैठ गयी। उसने सीट बेल्ट बांध लिया। पूजा ने पहले नीलम (रिया की बेस्ट फ्रेंड) को कॉल किया।]

"हाँ नीलम, मै घर से निकल रही हूँ। तु रेडी है न? 

(रिया ने नीलम से कॉल पर पूछा।) 

हाँ, मै तो बिल्कुल रेडी हूँ। तु मेरे घर आजा, फिर दोनो साथ मिलकर शॉपिंग के लिए चलेंगे। 

(नीलम ने अपने बाल सवारते हुए कहा।) 

" ओके वेट! मै अभी आती हूँ। 

(रिया ने इतना कहकर कॉल कट कर दिया। रिया ने कार स्टार्ट की और चली गयी।) 

[रिया हाइवे रोड से कार चला रही थी। रिया को फिर से उस सपने वाले लड़के की याद आ गयी। उसका दिल फिर धड़क उठा। रिया को अजीब सी बेचैनी होने लगी। रिया ने रोड के साइड कार रोक दी।]

"यह क्या हो रहा है मुझे? फिर से मुझे वो लड़का याद क्यो आ रहा है? 

(रिया ने अपने दिल पर हाथ रखा, जो अजीब से बेचैनी के साथ धड़क रहा था। रिया ने खुद से कहा।) 

[रिया का दिल इस तरह से धड़क रहा था, मानो जैसे वो किसी मुसीबत हो। पर रिया को यह नही पता था की, अब उसकी ज़िंदगी मे कुछ ऐसा होने वाला था, जो कभी नही हुआ था। रिया जो अभी खुद के लिए जी रही थी, बहुत जल्द वो किसी और के लिए भी जीने वाली थी। रिया ने कार मे रखी पानी की बोतल उठाई और पानी पी लिया। रिया को थोड़ी राहत मिली, उसने दोबारा कार स्टार्ट की और आगे बढ़ गयी।]

[कुछ देर बाद रिया ने नीलम के घर आगे बने चौराहे पर कार रोक दी। उसने नीलम को कॉल करके बाहर बुला लिया। कुछ देर बाद नीलम भी आ गयी। नीलम, रिया के ड्राइविंग सीट के साइड वाली सीट पर बैठ गयी। दोनो कार से मार्केट एरिया मे पहुँच गयी। रिया ने एक बहुत बड़े शॉपिंग मॉल के आगे कार को पार्क किया। दोनो कार से बाहर आयी। ]

ओह नो!! इतनी ज्यादा लोगो की भीड़! पहले तो इतनी भीड़ नही थी। आज कैसे हो गयी? 

(रिया ने मॉल की ओर देख कर कहा।) 

"अरे पागल , दिवाली त्योहार का सीजन चल रहा है तो भीड़ तो होगी ही न। 

(नीलम ने रिया को बताया।) 

[दोनो शॉपिंग मॉल मे एंटर करते है और शॉपिंग वार्ड मे शॉपिंग करने लग जाती हैं। ]

_____________________________________________

{हैलो दोस्तो कैसा लगा आपको इस कहानी का नया भाग? मुझे कॉमेंट करके ज़रूर बताये। धन्यवाद। }


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