इंदर तलाक़ के बारे मे संजू के घरवालों को बताता है ।
इंदर - तलाक की डेट पक्की होने पर मैं आपको बता दूंगा।
जग्गूजी- संजू बेटा हस्बैंड वाइफ में तो नोक,झोक चलती ही रहती है।एक बार खुद को एक दूसरे को समझने का मौका दो।
संजू -अब जब हम लोग एक दूसरे के साथ खुश नहीं है तो तलाक लेना ही बेस्ट होगा।
सोमूजी - ठीक है बेटा जैसी तुम लोग की मर्जी तुम लोगों की लाइफ है।हम लोग आगे क्या बोले।
अब इंदर और संजना अपने घर चले आते हैं।
संजना के घर पर सोनी जी सोमुजी ।
क्या सच में इंदर जी हमारी संजू से तलाक ले लेंगे।
जग्गू जी - भाभी इंदर जैसा समझदार लड़का दुनिया में कोई नहीं है वह बहुत समझदार लड़का है।वो अपनी संजू को हर हाल में समझाने की कोशिश करेंगे।
सोनी जी - बेड़ा गर्ग हो उस लड़के का जिसने मेरी संजू बेटा और मेरे दामाद जी की जिंदगी में दखल किया उस लड़के को कभी नरक में भी जगह नहीं मिलेगी ।
इधर इंदर के घर पर।
संजू - क्या तलाक के पेपर रेडी है।
इंदर - यह लो तालाक के पेपर । मैंने उन पर सिग्नेचर कर दिए हैं अब तुम भी कर दो।
फिर हम कल वकील के यहां जाएंगे।ओके।
फिर संजू ऊपर की तरफ जाने लगती है ।
इन्दर - रुको संजना यह लो इस घर के कागजात ।संजू लेकिन यह तो तुम्हारे मेरे दोनों के ही नाम पर है ।
यह कागजात मैंने अब बस तुम्हारे नाम पर ही करवा दिए हैं अब यह पूरा घर तुम्हारा है।
संजू कुछ सोचते हुए कागजात ले लेती हैऔरसंजू के चेहरे पर कुछ थोड़ी सी उदासी छा जाती है।फिर् संजना ऊपर रूम में चली जाती है।
इधर इंदर सोफे पर अपना सर टीका कर बैठा सोच रहा है।कि ऐसा क्या करेंगे मेरे फ्रेंड लोग जो कि संजना मेरे पास वापस आ जाए और उस ऋषि की असलियत संजू के सामने आ जाए।
इंदर बहुत दुखी है और वो संजना के साथ बिताए हर रोमांटिक पल को याद करता है।अब सुबह संजना और इंदर ऑफिस के लिए निकल जाते हैं।इंदर अनिल के ऑफिस में सभी फ्रेंड्स को बुला लेता है।
अनिल - आज मैंने अपने फ्रेंड यानी कि संजना के बॉस से बात की है कि वह ऋषि और संजना को शहर से बाहर किसी काम के लिए साथ में भेजें।
इंदर - इससे क्या होगा।
सचिन - इससे होगा यह कि संजना भाभी ऋषि को घर के कागजात और तलाक के पेपर दिखाएंगे
प्रयाग - अच्छा फिर देखने लायक होगा ऋषि का एक्शन।
इंदर - देखो यार जो तुम लोग कर रहे हो उसमें संजना को कोई नुकसान ना पहुंचे।
यहसुनकर प्रयाग कहता है.। bro आप भाभी से बहुत ज्यादा प्यार करते हो ना।
इंदर - हां यार मैं संजना से अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूं।
प्रयाग - तो फिर कोई चिंता की बात नहीं है मैं भी उन लोगों के साथ जाऊंगा।
सचिन - तू ही क्या हम सब चलेंगे लेकिन बिना इन दोनों को बताएं।
ऋषभ - तू नहीं चलेगा क्या?
इन्दर - नहीं यार मुझसे यह सब नहीं देखा जाएगा।
सचिन - तेरा चलना तो बहुत इंपॉर्टेंट है इंदर।
इंदर - ठीक है मैं भी चलता हूं।
इधर संजना केऑफिस में ।
बॉस संजना और ऋषि को अपने केबिन में बुलाताहै।
बॉस - संजना और ऋषि तुम्हें थोड़े काम से दिल्ली जाना पड़ेगा।
संजना - ओके सर ।
ऋषि - ओके सर।
इधर इंदर के घर पर शाम को संजना अपने कपड़े पैकिंग कर रही होती हैं।
यह सब देखकर इंदर संजना से पूछता है।
इंदर - कहीं जा रही हो क्या ?
संजना - हां ऑफिस के काम से दिल्ली जाना पड़ रहा है।
इंदर - अकेली।
संजना - नहीं साथ में कुछ लोग हैं ऑफिस के।
इंदर - कुछ लोग या फिर सिर्फ ऋषि।
संजना -जब पता है तो फिर पूछते क्यों हो।
इंदर - देखो मुझे तुमसे कुछ कहने का हक तो नहीं है लेकिन अपना अच्छा बुरा तुम खुद ही जानती हो।
फिर इन्दर एक लिफाफा देता है जिसमें कुछ पैसे होते हैं ।
संजू - यह क्या है ?
इंदर - मना मत करना जब तक तलाक नहीं होता यह तुम्हारा हक है ।जब तुम्हारे पास हो और तुम्हारा काम हो जाए तो मुझे वापस कर देना।
अब संजू मना नहीं कर पाती है और एयरपोर्ट के लिए निकल जाती है ।
इधर इंदर के फ्रेंड इन्दर को फोन करते हैं।,,,,,।।
ऋषभ - हेलो इंदर चलें ।
इंदर - क्या दिल्ली वाली पहली फ्लाइट चली गई है।
ऋषभ - हां चली गई है। चलो दूसरी फ्लाइट रात में 11:00 बजे है।
इधर फ्लाइट में संजना ऋषि का हाथ पकड़े हुए हैं हैं।
संजू - ऋषि मैं तुम्हें एक बात बताना चाहती हूं।
ऋषि - हां बोलो संजू।
संजू - अब वह दिन दूर नहीं जब हम लोग एक होंगे।
ऋषि - क्यों ना हम लोग ट्राई कर ले।
संजना - ट्राई का मतलब।
ऋषि- प्यार प्यार में एक किस किस तो नॉर्मल सी बात होती है।
संजू - शरारती शादी के बाद सब कुछ करेंगे।
ऋषि मन में सोचता है तुम चलो तो दिल्ली तुम्हें वहीं में सबक सिखाऊंगा।
फिर संजना और ऋषि की फ्लाइट दिल्ली पहुंच जाती है।
वहां वो लोग एक रूम लेते हैं।ऋषि संजना से कहता है तुम इसी रुम में रुको मैं जरा ऑफिस का काम निपटा कर आता हूं।
संजना - ओके !! फिर मुझे तुम्हें एक सरप्राइज देना है।
ऋषि - ओके जी मेरे लिए सरप्राइस भी रखा है।
संजना - हां।
फिर ऋषि ऑफिस से के काम से बाहर चला जाता है।
इधर इंदर और उसके फ्रेंड की फ्लाइट भी दिल्ली पहुंच जाती है और उसी होटल में वह लोग चेक आउट करते हैं जहां संजना और ऋषि ठहरे हुए हैं।इंदर को उस होटल के सभी लोग जानते हैं।
होटल के मैनेजर - इंद्रेश जी आप अगर कुछ जरूरत थी तो हमें कॉल कर दिया होता।
ऋषभ - वह हमारा कुछ पर्सनल काम था।
मैनेजर - ओके सर आपके लिए वीआईपी रूम ठहरा दिया है।
इन्दर् - हमें सिर्फ इतना बताओ कि संजना और ऋषि के रूम का नंबर क्या है ।
मैनेज़र - sir 304 ।
सचिन - ओके तो हमें 303 रूम की चाबियां दो।
मैनेजर - ओके सर।।
फिर चारों फ्रेंड रूम में चले जाते हैं।उस होटल के रूम तो अलग हैं लेकिन बालकनी एक ही है अब संजना अपनी बालकनी से नीचे का नजारा देखती है।इधर इन्दर् भी अपने रूम में पहुंच चुका होता हैै।
संजना बालकनी से नीचे झांकते हुए -" ओह माय गॉड" कितनाऊंचा है ,यह होटल।
इंदर जो की बालकनी के दरवाजे पर खड़े होकर अपने मोबाइल में कुछ कर रहा होता है उसे संजना की यह आवाज तुरंत सुनाई दे जाती हैै।
वह छुपकर संजना को देखने की कोशिश करता है।संजना डार्क ब्लू कलर की जींस और पिंक कलर का टॉप पहनी है।इंदर उसे छुप कर देखता है तो देखता ही रह जाता है।और मन ही मन दुखी होता है ।और सोचता है कि काश ये मेरे मन का दुःख संजना समझ पाती।