मेरी दुनिया ही बदल गयी थी।इक अजीब सा पागलपन छा गया था।कुछ समझ नही आ रहा था।आखिर पहली पहली बार प्यार हुआ था मुझे। वो भी अधूरा ।क्यू प्यार इतना वदल देता है किसी को ,इक पागल पन का दौर छा गया था,मै कुछ नही देख पा रहा था।दिन बीतते गया ।मै और पागल होता गया ।बस इक ही चिज का होस था ।सिर्फ़ क्लास जॉइंन कर ने का ।जो की सिर्फ़ बहना था बस मेरी आँखे तो उसे देखने का इन्तज़ार कर ती थी ।बहुत मुस्किल हो जाता था अगर वो कभी सामने से गूजर जाती थी।अब समझ आ रहा था कैसे इस्क बेबस और मजबुर बना देती है लोगो को ।इतने दिनो मे मैने अपनी मंजिल तो निस्च्त कर ली थी ।पाना था उसे,बस और कुछ नही जिना था उसमे मुझे ,मेरी सांसे अब उसी की याद मे चल रही थी मै जी भी रहा था तो उसके आने के इन्तज़ार मे ।आखिर क्यू होती है इत्नी मुहब्बत ,और मुहब्बत उन से इतनी जबर्दस्त क्यू होती है जिनका मिलना बहुत मुस्किल होता है क्यू किसी को बफा के बदले बफा नही मिलती है अब तो बस ऐसा लगता था की उम्र कट रही है सिर्फ़ उसके इन्तजार मे ।अब तो हर पल एक बेगाना जैसे लग रहा था ।क्यू किसी को खुसी के बद्ले खुसी नही मिलती ।मै सोच रहा था ये सब आखिर प्यार मे क्यू होता है ।बहुत मुस्किल होता है प्यार मे इन्तजर कर ना ।ऐसा लगता था मेरी जिंदगी ही गैर हो गयी थी मेरे लिये,, लेकिन मेरे साथ थी उसकी परछाई जो मेरा हिम्मत बन गयी थी।बहुत कुछ सोच रहा था मै । बस इसी तरह समय बित रहा था ।मै अपनी मुह्हबत मे खुस था ।वो इन सब से बेखबर अपनी जिंदगी जी रही थी।
ऐसा नही था की हम कभी मिलते नही थे या हमारी बाते नहीं होती थी।हम सब साथ मिल ते थे क्लास वर्क कर ते थे पर इस से ज्यादा कुछ नही ।उसका एहसास ही मुझे रोमांचित कर देता था ।बस थोरी हसी मजाक हो जाया कर ती थी । इक बार सर ने एक प्रसन दिया था ,और वो उसे सोल्व कर रही थी ,बहुत ध्यान से कर ती थी वो किसी भी काम को और उसमे इक जुनून था किसी भी काम को कर ने मे।उसकी ये बाते मुझे और दिवाना बना दी थी ।इक बार वो इसी तरह कुछ कर रही थी और मै उसे देखे जा रहा था ।कित्नी हसीन लग रहो थी।अचानक वो अपनी सीर को उपर उठाई मैने तुरंत अपनी सीर को हटाया ।लेकिन सायद उसने मुझे देख लिया था ।इस तरह घुर्ते हुए ।मुझे बहुत बुरा लग रहा था जब उसने मुझे देख लिया था ।लेकिन मै तो बस उसके बारे मे सोच रहा था । इसमे मेरी क्या गलती ।इसी तरह कई दिन बित ग्ये ।
इक दिन ऐसे ही हमारे क्लास की छूटी थी ।मै अपने रुम मे ही बिस्तर पर लेटा था ,तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी । इक अपरिचित नम्बर से फ़ोन आ रहा था ।मैने नही रेसिब किया ।फिर कुछ देर बाद वही नम्बर से कॅल आया।इस बार मैने कॉल पिक किया ।उधर से इक धीमी आवज आयी। ओलिवर , मैने बोला हा कोन ?उधर से आवज आयी ,'तनिशा 'मैं थोरा सा सरप्राइज हुआ ।मैने बोला कैसी हो ,आज इस समय वो भी अचानक कोई बात है क्या,उधर से आवज आई,
नही कोई बात नही बस ऐसे ही फ़्री थी तो सोचा की कॉल करु ,मैने तुरंत जबाव दिया कोई बात नही ,और बताओ कैसी हो,
हा ठीक ही हू , बहुत धीमी आवाज थी उसकी , मैने बोला ,तनिशा ,कोई प्रोब्ल्म है तो बतओ ,उसने बोला नही ,और फिर वो बोली ठीक है कोई बात नही मै फ़ोन रख रही हू ,और मै कुछ बोलता उस से पहले ही उसने कॉल कट कर दिया । मुझे कुछ अजीब लगा । फिर भी मैने कुछ रिपलाय नही दिया।मै अपने काम मे फिर से लग गया ।अभी लगभग आधे हन्टे बीते होन्गे तभी मेरे फ़ोन की घंटी फिर से बजी । मैने फ़ोन देखा फिर से उसी का कॉल था ,इस बार उसने बिना कुछ पुछे ही बोला ,फ़्री हो क्या,मेरे मुह से भी बिना कुछ सोचे ही निकल गया,हाँ बिल्कुल बताओ क्या कर ना है ,उसने बोला मुझे कही चलना है । मैने उससे ये नही पुछा कहाँ जाना है ,मैने भी तुरंत ही बोला ,ठीक है बतओ कहाँ आना है ,उसने बोला पास वली जो शॉप है वही मिलते है ,मै भी
तुरंत तैयार हुआ और निकल परा ।लगभग मुझे वहाँ पहुचने मे 20मिंनट लग गये ।वो पहले से ही वहाँ आ गयी थी,मैने उस से बिना कुछ पुछे ही बोला बतओ कहाँ चलना है ? उसने कोई जवाब नही दिया। बस वो औटो को रुकने का इशारा कर रही थी ।कुछ देर बाद एक औटॉ आ के रकी ।हम दोनो उसमे बैठ गये ।लगभग आधे घन्टे चलने के बाद हम इक चौराहे पे पहुच्चे ।हमने वहाँ औटॉ छोरा,और उसने मुझे रुकने का इशारा किया और वो गिफ्ट शॉप के अंडर चले गयी ।कुछ देर बाद वो कुछ हाथ मे लिये वापस आयी । उसके हाथ मे कुछ बरा सा था ।मैने भी कुछ नही पुछा और उसने भी कुछ नही बतया। फिर उसने अपना फ़ोन निकला और कही बात की फिर उसने मुझेसे बोला की क्या तुम कुछ देर और वेट करो गे प्लीज । मैने बोला ओके नो प्रॉब्लम कोई बात नही ।फिर वो कही गयी,लगभग एक घन्टे तक मै वही वेट कर ता रहा लेकिन वो नही आयी ।मैने कॉल लगया उसे उसने कॉल रीसिब नही किया ।कुछ देर बाद मैने उसे देखा वो अपने हथो मे वही गिफ्त लिये वापस आ रही थी ,लेकिन इस बार उसके चेहरे पे उदासी साफ झलक रही थी ।मुझे वो कुछ लाचार सी लग रही थी । फिर भी मैने कुछ नही बोला । वो आयी और चुप चाप बैठ गयी ।मै उसे देखता रहा दोनो चुप रहे । मैने इन्तजार किया उसके कुछ बोलने का , कुछ देर बाद उसने खुद से बोला की ,अगर तुम्हारे पास टाईम हो तो हम कही चले क्या ? मैने बोला हाँ ।
उसने औटॉ वाले से बात की और हम चल दिये।वो काफी अपसेट दिख रही रही ।मै सोचा की मै कुछ पुछु ।फिर मै चुप रहना ही बेहतर समझा ।कुछ देर इसी तरह सन्नाटा रहा फिर मैने उस से पुछा आज बहुत अपसेट दिख रही हो ।वो बिल्कुल सांत रही ,जैसे उसने मेरी बातो को सुना ही ना हो ,फिर कुछ देर बाद उसने अचानक मेरी तरफ देखा ।मै भी इस बार उसकी आंखो मे देखा ।लगभग 2मिनट तक दोनो एक दुसरे को देखते रहे ।फिर उसने अचानक अपना वो गिफ्ट उठकर गारी के बाहर फेक दिया और मेरे सिने से लिपट गयी ।मेरी कुछ समझ मे कुछ नही आ रहा था की क्या हो रहा है ।मै ऑवाक था।थोरी देर तो मै ऐसे ही बैठा रहा फिर मैने अपनी हाथो को उसके पीठ पे रखा और धीरे से उसे शहलाने लगा।फिर मै उसके कन्धे पर हाथ रख के उसे अपने से दूर किया।उसकी आंखो मे आंशु थे ।मैं उस से कुछ पूछना चाहता था लेकिन मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने अपने हाथो को मेरे मुह पे रख दिया और इसारे मे ही वो अपनी गर्दन हिला के बोली नही । मै समझ गया था वो मेरे किसी प्रश्नो का जबाब नही देना चाह्ती थी ।उसकी हालत देख कर मैने कुछ पूछना सही नही समझा ।मै चुप हो के बैठ गया और खुद मे सोचने लगा । आज क्या हुआ इसे मैने आज तक इसे ऐसे नही देखा था ,मै सोच रहा था की ,क्या इतनी खुबसूरत आँखे हो जिसकी ,इक दम गोरा बदन ,सिल्की बाल,पैर हिरणी के जैसे खुबसूरत हो , जो देखने मे किसी परी से कम ना हो ,क्या उसके आंखो मे भी आंशु होते है ,क्या उसके पास भी हमलोगों के जैसा दिल होता है ,और अगर होता भी है तो क्या उसके दिलो मे दर्द और आंखो से आंशु आते है क्या ,ना ऐसा नही हो सकता ,कौन इतना बेबकूफ होगा ,जो इतनी खुबसूरत सी परी के आंखो से आंशु लाने की कोसिस करेगा । जिसे भगवान ने बनाया ही हो सिर्फ़ प्यार पाने के लिये वो किसी के नफरत का हकदार कैसे हो सकती है ,ना जरुर मै कोई सपने देख रहा था।मै किसी सपने मे थे ।ऐसा मुझे लगा , मै फिर से उसकी तरफ देखा वो अपने दोनो हाथो से से अपने मुँह को ढके थी ।मै कुछ देर तक उसे ऐसे ही देखता रहा ,लेकिन मै नही देख सकता था उसे इस तरह से ज्यादा देर तक ।जिसके चेहरे पर आज तक मैने सिर्फ़ हंसी देखी थी , जिसने आज तक अपने इस खुबसूरत से चेहरे को छुपाया नही था आज वो इसे छुपा के बैठी थी । मैने कई बार आज से पहले उसे बस इक बार छूकर देखना चाहा था ,लेकिन मुझे कभी आज तक ऐसा मौका नही मिला था ।मैने कई दिन तक उसके लिये कितने सारे ख्वाब देखा था ,सब को पुरा कर ने का आज मेरे पास पुरा मौका था ,लेकिन सच मे आज मेरा मन कुछ नही था ,मेरी कोई इच्छा नही थी आज उस से ।
उसके ढके हुए चेहरे को देख कर ,आज मेरे मन मे ना उसके लिये आकर्षण था और ना ही प्यार आ रहा था बस थी तो मेरे कुछ सवाल जिसे मै बेसब्री से जानना चाहता था ।
कुछ दुर चलने के बाद हमरी गारी रकी और वो गारी से नीचे उतरी ,उसके साथ मै भी बाहर आ गया ।सामने इक क्लब था ।
मैने उस से पुछा,येहाँ ।
उसका बस इक जवाब आया आज मै अपने पूरे होश खोनी चाह्ती हू।मै आज सब कुछ भुल जाना चाह्ती हू ।क्या तुम मेरा साथ दोगे । प्लीज । ना मत कहना प्लीज ! उसके मासूम से चेहरे को देख कर मै कुछ नही पुछ पाया।मै पूछना तो चाहता था ,लेकिन पता नही मेरे मुह बन्द हो ग्ये और बस मैने सहमती मे सिर्फ़ अपना सर हिलाया।
फिर वो बोली तो ठीक है आज बस कोई सवाल नही ,आज सिर्फ़ मस्ती ।मैने बोला ठीक है ,सायद उसे भी इस बात इहसास था की मेरे मन मे उसके लिये कुछ सवाल है और इसलिये वो अपने आप को छुपा रही थी । लेकिन भला वो मुझ से क्यू छुपा रही थी ,मै तो कोई नही था उसका बस एक साधरण सा दोस्त था मै ,उसके लिये कोई जरुरी नही थी मेरे सवालो का जवाब देना ।लेकिन वो छुपा क्यू रही थी ,कोई किसी भी बात को सिर्फ़ उसी से छुपाता है ,जिसके बारे मे वो सोचता है की कही इसे बुरा ना लगे ।क्या ,उसे ख्याल था मेरा ,क्या उसके दिल मे मै था ।
हम दोनो फिर क्लब के अंदर गए। वहाँ का माहौल कुछ अलग ही था।सच मे लोग वहाँ कोई मस्ती की कमी नही थी ।सब, गम भुला के डूबे थे अपनी पुरी मस्ती मे ।किसी को कुछ खबर नही थी ,बस सब दुबे थे अपने अपने मे ,सब कुछ से बेखबर , ऐसा लगता था आज सारे गम भुला देंगे ये ।, ऐसे लगता था की आज इनके जिंदगी की आखिरी दिन है कुछ ऐसे मस्ती कर रहे थे सब ,अपनी जिंदगी से बेखबर बस ये अपने जिंदगी के हरेक पल को पुरी मस्ती से जी रहे थे ।मै भी खो गया था कहीं उन्ही मे ।
मै बस चारो तरफ देख रहा था ,बस सब को देखे जा रहा था ,तभी मेरी नजर तनिशा पर ग्यी । वो भी पुरे मस्ती मे नाच रही थी ।उसे अपनी कोई खबर नही थी ।अचनक उसने मेरी तरफ देखा , और इक ही पल मे मेरे पास आ गयी ।उसने मेरा हाथ पकरा और अपनी तरफ जोर से खीचा । मै अचानक अपने आप को संभाल नही पाया और सीधे जा के उसकी बहो मे सिमट गया ।उसने जोर से पकर रखा था ,मैने छुराणे की कोसिस की लेकिन वो बेकार रही । फिर मैने अपने दोनो हाथ उसके गाल पे रखा ,और उसे अपने सामने किया ।उसके मुँह से बियर की बदबू आ रही थी ,तुमने ड्रिंक किया है ,हां मैने की लर्खराते जुबान से उसने बोला ,मैने फिर पुछा तुमने ड्रिंक की उसने इतने मे मेरी हाथो से दुर जाकर इक ड्रिंक ले आयी और बोली तुम भी लो । मै उसकी आंखो मे देख रहा था ,इस बार वो अपनी नजर नही चुरा रही थी , वो मेरी नजरो मे नजर डाल कर बहुत मासूमियत से बोली प्लीज!
उसकी मासूमियत भरी निगाहो मे मै डूब गया था ।मैने अपनी हाथो से उसके हाथो को पकरा और बियर की गिलास पूरी पी ली,कुछ अजीब सी कशिश थी उसकी आंखो मे ,उसके होठ , ऐसे चमक रहे थे जैसे किसी ने उसके होठो को चुम लिया हो ।इक अजीब सी आकर्षण थी उसमे । तभी उसने अपना हाथ आगे बढाया ,मैने भी कुछ बिना सोचे अपने हाथो को उसके हाथ मे डाल दिया । हल्की सी सैंगीत बज रही थी ,उसने मेरे दोनो हाथो को अपने हाथो मे पकर रखा था ।और धीरे धिरे हम संगीत की धुन पे थिरक रहे थे ,लगभग एक घन्टे तक कभी फास्ट म्यूज़िक और कभी स्लो म्यूज़िक की धुन पे हम डान्स कर ते रहे ,और इसी बिच वो कई गिलास बियर पी चुकी थी ,अब ये हम दोनो के बिच प्यार था या आकर्षण ये तो पता नही ,लेकिन जो भी था बहुत जबर्दस्त था । अब थोरे थोरे मेरे कदम भी लर्खराने लगे थे , मैने उसे बोला की अब चलते है ,मैने अभी पुरा बोला भी नही था की उसने अपनी उंगली मेरे लिप्स पे रख दी ,और बोली नही अभी नही अभी और , ये बोलते बोलते उसके कदम लर्खराने लगे थे,उसकी आँखे बन्द हो रही थी ,मेरे सिने पे उसने अपने सिर को रखा उसके हाथ मेरे गर्दन पर लिपटे थे,वो उपर आँखे कर के मुझे इक मदहोश नजरो से देख रही थी ।उसकी गरम सांसे मुझे बहुत ज्यादा रोमांचित कर रही थी , कुछ देर तक तो मै उसे ऐसे ही देखता रहा ।फिर मैने सोचा की अब हमे निकलना चाहिये ।मैने घरी देखी रात के 10बज चुके थे ,मैने सोचा हमे अब निकलना चाहिये ।
हम बाहर आये , किसी तरह मैने उसे संभाल रखा था । वो बिल्कुल भी होश मे नही थी ,ऐसा लग रहा था उसने अपने सारे गम भुला दिये है ,और अपने बीते हुए कल को पीछे छोर मेरे बहो मे सिम्टी हुई है ।मैने औटॉ को रुकने का इशारा किया ।और हम उसमे बैठ ग्ये किसी तरह मैने उसे संभाल के अंदर बैठाया ।और उसके सिर को अपने कन्धे का सहारा दे दिया।वो भी सब कुछ भुल कर आराम से सो गयी ।कुछ देर बाद हम अपने कमरे पे पहुचने वाले थे ,मैने बहुत कोसिस की उसे होश मे लाने की लेकिन मेरी हरेक कोसिस असफल हुई।उसने अपने दोनो हाथो से मेरे कन्धे को पकर रखा था।जैसे वो मेरे सिने से लिपट कर अपने आप को सब से ज्यादा सुरछित महसुश कर रही थी।मैने भी उसे ज्यादा परेशान कर ना सही नही समझा , और मैने ये फैसला किया की आज रात वो मेरे साथ ही रहे गी ।शायद इसमे उसे कोई आपत्ति हो सकती थी ,अगर उसे अपने आप पे कुछ काबू होता ।लेकिन उसने अपने आप को मेरे हवाले छोर दिया था।मुझे इस बात का इहसास भी था ,कि इस तरह पूरी रात उसे अपने साथ रखना सही नही है,लेकिन मै क्या कर ता ।कहाँ लेकर जाता मै उसे ,कैसे छोर देता मै अकेले उसे इत्नी रात को भटकने के लिये।मै भूल गया था सब कुछ जब मेरी नजर उसके प्यारी सी मासूम चेहरे पर परी तो।औटॉ रकी मै अपने कमरे के आगे था ।अन्तिम बार मैने फिर से सोचने का फैसला किया की क्या इस तरह से उसे पूरी रात अपने साथ रखना क्या सही होगा,वो भी बिना इजाजत के,कही उसे बुरा ना लगे ।फिर भी इन सारी बातो को छोर मैं उसे अपने साथ ले जाने के लिये तैयार हो गया ।अपने कन्धे का सहारा देकर मैने उसे अपने कमरे तक पहुचाया ।रात के लगभग ग्यारह बज रहे थे ।सब लोग दिन भर के थके हुए अपने अपने घरों मे आराम कर रहे थे ।धिरे से मैने अपने कमरे का दरवाजा खोला और उसे अपने कमरे मे ले गया ।उसे कुछ भी पता नही था की वो कहाँ हैं ।और मुझे इस बात की कोई खबर नही थी की मै क्या कर रहा हू ? मैने उसे अपने बेड पर लिटाया ,और मै वही बगल मे परे सोफे पर बैठ गया ।कुछ देर मै वही ऐसे ही सोफे पर बैठा रहा, फिर मै उठा और कुछ खाने के लिये बनाया।रात ज्यादा हो रही थी ,तो मैने नूडल्स बनाया,दो प्लेट मे रखा ।और फिर मैने तनिशा को जगाने की कोशिश की । लेकिन कोई फायदा नही हुआ ।काफी देर बाद जा के वो थोरा खाने को राजी हुई ।मै खाने की प्लेट ले कर आया ।उसे जगाया वो फिर से मेरे कंधे का सहारा ले कर झुक गयी,मैने देखा वो खाने की इस्थिती मे नही थी ।तो मैने उसे खुद खिलाया,फिर मैने उसे बेड पर ही लिटा दिया । फिर मै खुद वही सोफे पर बैठ के खा रहा था और मै सोच रहा था की कैसे इसके बेहोसिपन को थोरा कम किया जाए।इस से पहले मैने कभी ड्रिंक की नही थी तो मुझे इसके बारे मे कोई आइडिया नही था।मैने बैठे बैठे ही उसे ऑनलाइन सर्च किया ।फिर मै गिलास मे थोरा पानी और उसमे नीबू मिला कर उसे पिने को दे दिया और मै सोने की तैयारी कर ने लगा।मैने अपना बेड वही सोफे पर लगा लिया और उस तनिशा वही बेड पर सो रही थी ।मै अपने कपरे बदल कर वही सोफे पर लेट गया ।लेटे लेटे मेरी नजर वही सो रही तनिशा के चेहरे पर परी ,कितनी खुबसूरत लग रही थी वो ।इतना मासूम और इत्नी आकर्षक ,देख कर ही दिल भर गया था मेरा ,उसके मासूम से चेहरे मे कोई बात तो थी ,तभी तो मै बस उसके बातो मे ही खोया था । उसको देख कर मुझे मन कर रहा था की काश मै आज इसके साथ होता ।मै अपने खयालो मे ही खुस हो रहा था ।मेरे कंधे पर उसका सिर रख के सोना ,उसे अपने गोद मे उठाना ,सारी यादे मुझे बहुत रोमांचित कर रही थी।मै मन ही मन बहुत खुश हो रहा था । मेरा शरीर इतना ज्यादा रोमांचित हो रहा था की सब कुछ सोच कर ही मेरे मन मे और शरीर मे कुछ अजीब सा परिवर्तन हो रहा था ।मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की ये क्या हो रहा है ।बस मै उसे महसूस कर रहा था ।उसे बस महसूस कर के मेरे रोम रोम रोमांचित हो रहे थे ।सोच रहा था बस इक बार उसके जाम से भरे हुए आकर्षक होठो को चूम लूं ।मै तो बस खुली आंखो से इक जीवन्त सपने देख रहा था ।और अक्सर जो सपने बहुत प्यारे होते है उनका पुरा होना लगभग मुस्किल ही होता है।लेकिन वो कहते है ना की किसी को पुरे दिल से चाहो तो पूरी कायेनाथ उसे मिलाने मे लग जाती है ।बस सायद वही होने वाला था ।और बोलते है ना को अगर कुछ होने वाला हो तो उसका आभास थोरा बहुत पहले से होने लगता है ।सायद एसा ही कुछ होने वाला था मेरे साथ ।आचनक मेरा ध्यान उसके पास परी गिलास पर गया। हल्की हल्की बाहर बारिश हो रही थी जिसके कारन अंदर थोरी ठण्ड हो रही थी ।तनिशा आराम से कम्बल ओढ़ के सो रही थी ।और मै ऐसे ही चादर लपेटे सो रहा था ।बहुत मुस्किल से अंदर गर्मी आयी थी ,उठने का मन नही कर रहा था ।फिर भी क्या मन मे आया सोचा की देख लू , उसने पिया की नही ।मैने पढा था की नीबू पानी पीने से थोरा हन्गोवर कम हो जाएगा । इसलिये अगर पी लेती तो थोरा होश मे आ जाती । मै ये सोच रहा था तभी इक हल्की सी आवाज़ आयी, पानी ! मैने सुनने की कोसिस की तनिशा की आवाज़ थी।उसे पानी पिन था ।मैने बोला हाँ ,पानी ! मै सब कुछ भूल गया दौर के चला गया पानी लाने को ।पानी ले के आया और उसे दिया ,वो बस इक घूँट पानी पी और अपने हाथो से भरी हुई गिलास को मेरे सामने बढा दिया।
ये देख कर मेरा दिमाग एक दम खराब ही हो गया ।कितनी सेक्सी लग रही थी उसकी भिन्गी हुई होठ ।बस इक बार जो पी लेता मै उसे । मै बस उसे देख के सोच रहा था और वो अपने हाथो मे ग्लास लिये ही सो गई थी।बाल उसके सर के चारो तरफ बिखरे परे थे ।उसके काले बलो के बिच भिन्गे हुए होठ , बस वैसे ही अपनी छटा बिखेर रहे थे जैसे सुनहरे काले बादल के बिच कोई तारा अपनी चमक बिखेर रहा हो ।
तभी उसने अपनी करवट बदली और मेरा ध्यान भंग हुआ । अपने आप को समझा कर सोचा की अब जा के सो जाता हूँ। तभी मेरा ध्यान फिर से उस ग्लास पर परी । मैने आवज लगाई, तनिशा ! उसने उधर मुरे ही धीमे स्वर मे बोली हाँ! , शायद वो भी जाग रही थी ।मैने बोला ,
ये ग्लास मे नीबू पानी है ,पी लो ।
वो धीमे से मेरी तरफ मुरी, उसके बाल उसके होठों को ढकने की कोशिस कर रही थी ,अपने हाथो से उसने अपने बलों को हटाया और बहुत धीमी सी आवाज़ मे बोली की दो!
मुझे कुछ पता तो नही की उसके दिमाग मे क्या चल रहा था ?
मै ग्लास उठा कर उसके तरफ बढाया ,
पता नही उसके पास इत्नी एनर्जी कहाँ से आयी , उसने तेजी से मेरे शर्ट के कॉलर को पकर कर अपनी तरफ खीच लिया ,मेरी समझ मे कुछ नही आया ।बस मेरे होठ और उसके होठ के बिच इक उंगली भर की दुरी थी , उसकी गरम सासो मे मै खो रहा था और धिरे धिरे उसकी आँखे बन्द हो रही थी ।
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