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26.3% Taboo Incest sex stories / Chapter 1091: चुदक्कड़ दीदी का ससुराल

Capítulo 1091: चुदक्कड़ दीदी का ससुराल

चूदक्कड दीदी का ससुराल

मेरा नाम वरुण हे और मै 19साल का हूं मेरी बहन का नाम मुस्कान हे उसकी उम्र 35साल हे पर लगता नहीं है कि इतनी होगी आप सोच रहे होंगे कि बहन इतनी बड़ी ऑर भाई इतना छोटा तो आपको बता दू की में सबसे छोटा हूं और में अपने बाप की गलती से पैदा हो गया था ।

तो अब में अपनी कहानी पर आता हूं (कहानी में मै उह आह् नहीं लिखूंगा क्योंकि कहानी बहुत लंबी हो जाएगी)

मेरे घर वालो ने मेरी बहन को सील बंद टाईट माल को जल्दी रवाना कर दिया था जब मेरा पता भी नहीं था मतलब जब में पैदा भी नहीं हुआ था ।

उसकी मेरे जीजा ने सील भी तोड़ी उह आह करवाया खूब मेहनत की और एक बेटा चूत में से निकाल लिया उसने।

अब आते हे कहानी पर मेरी बहन के घर में मेरी चूदक्कड बहन के ससुर ,देवर और देवरानी , एक बेटा मेरी बहन का जो की अभी 18का हे और उसकी देवरानी ने भी जल्दी जल्दी में चूत से बेटा निकाल लिया पर उससे पहले एक बेटी निकल गई ।

एक दिन में अपनी बहन के घर गया मैने आगे से बताया नहीं था किसी को सरप्राइज देने के चक्कर में पर ना बताना मुझे उल्टा पड़ गया ,हुआ कुछ यूं की जब में घर में गया तब दोपहर का टाइम था जब लगभग लोग सोते जो रात को चुदाई करते हे, मैं अपनी बहन के कमरे में गया तो मैने देख की मेरी बहन पूरी नंगी पड़ी थी कमरे में ,फिर मैने देर ना करते हुए फोन निकाला और कुछ तस्वीरें ले ली और एक वीडियो भी बना लिया मेरी नंगी बहन का आखिर बहन हे वह मेरी मेरा है है वीडियो बनाने का ।

फिर मैने दीदी को पहले चादर ओढ़ाई फिर उठाने लगा वह नहीं उठी फिर मुझे याद आया कि दीदी नींद की गोलियां खा लेती है कभी कभी, फिर मेरा दिमाग घूम गया जब मैने अपनी दीदी की फूली हुई बिना बालों वाली गोरी चूत को देखा मैने धीरे से दरवाजा बन्द कर दिया ओर दीदी कि चूत को सूंघने लगा ,सूंघने से पता चला कि दीदी आज नहाई नहीं हे या फिर शायद अभी सोने के पहले चुदाई की हे मेरा तो लंड अब बस के बाहर था में दीदी की चूत चाटने लगा था यह मेरा पहला चूत चटाई का एक्सपीरियंस था इसके पहले मैने अपनी दूसरी बहन कि सिर्फ गलती से चूत देख ली थी ।

फिर लगा कि दीदी को होश आ रहा है तो मैने लिंग को चूत पर रगड़ा और सारा माल दीदी के पेट पर गिरा दिया हाथ से हिला के और कमरे से बाहर चला गया इतने में मुझे दीदी की भतीजी ने देख लिया कमरे से बाहर आते और बोली-" मामाजी क्या हाल चाल आपके?"वह मुस्कुराई और मेरा जवाब सुने बिना ही चली गई

में अपनी दीदी के चूत के अंश यानी कि उनके बेटे के कमरे में गया वह टीवी देख रहा था मुझे देखकर खुश हुआ क्योंकि मेरे दूसरे भाई ज्यादा नहीं आते थे मुस्कु दीदी के घर दूर होने के कारण ।

इतने में पास ही के रूम से दीदी की देवरानी आ गई मै उसे देखता ही रह गया वह थी ही इतनी मादक ,एकदम परफेक्ट बूब्स बड़े बड़े,गांड तो पूछो ही मत ऐसी थी जैसे रोज मरवाती हो , वह भी बहुत खुश हुई मुझे देखकर उसने झट्ट से मुझे गले लगा लिया मुझसे रहा नहीं गया मेरा हाथ उसकी गान्ड पर चला गया उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी मैने छोड़ दिया उसको जब मेने उसकी गान्ड को फील किया तो पता लगा कि उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी हे।

मुझे पानी चाय दिया गया और इतने में मेरी दीदी का चूत का टुकड़ा (ऋषभ)नीचे चला गया अब में और दीदी की देवरानी अकेले थे कमरे में उसने इतने में पूछा कि-"अपनी दीदी से मिले क्या वह कमरे में हे ?" फिर मैने कहा "गया था पर...." इतने में वह बोल पड़ी की -"समझ गई कि क्या हुआ हे तुम्हारी दीदी को नंगा सोने की आदत हे तुम उसे नंगा देखकर बाहर आ गए ,तुमने उसे जगाया क्यों नहीं ,क्या फर्क पड़ता है बहन हे तुम्हारी",इतने में मै शरमाने का नाटक करने लगा।

इतने में वह बोली कि शरमाते क्यों हो चलो मेरे साथ में शर्म ख़तम करवाती हूं फिर मैने देखा कि दीदी की भतीजी (जया) सीढ़ियों पे से सब सुन रही थी और मुझे देख मुस्कुराई, हम दीदी के कमरे की ओर चल दिए में बाहर खड़ा था और वह परफेक्ट ओरत(मंजू) अंदर गई ऑर दीदी को उठाया और दीदी के उठते ही उसने दरवाजा खोल मुझे अंदर बुला लिया दीदी सिर्फ चड्डी ही पहन पाई मैने देखा कि मेरा मुठ दीदी के पेट पर से गायब था ,दीदी शरमाने लगी,इतने में मंजू बोली कि तुम्हारे बेटे जैसा हे इससे क्या शर्माना फिर भी दीदी ने नजर नीचे कर ली।

मै बाहर जाने लगा इतने में दीदी ने कपडे पहनते हुए बोली "घर में सब केसे है" फिर मैने सब के हाल चाल बताए पे दीदी को नंगा देखकर मेरे हाल चाल बिगड़ गए थे , और दीदी को भी पता था क्योंकि सामने दिख रहा था मेरा तना हुआ लंड। दीदी बार बार देख रही थी।

अब वह साली मंजू बाहर आ गई में भी पीछे पीछे चला आया थोड़ी देर बाद दीदी बाहर आई ऑर हम बाते करने लगे ।

रात हुई जीजाजी और दीदी के ससुरजी भी आ गए हमने खाना खाते वक्त बातचीत की ,बता दू की मेरी दीदी के देवर आजकल कुछ दिन से बाहर थे मतलब मैने सोचा मंजू तो खुली कुतिया हे अभी ।

मेरी दीदी ने मेरा बिस्तर जया के कमरे में लगा दिया क्योंकि ऋषभ के कमरे में जगह कम थी, मैं अन्दर ही अन्दर खुश था ।

जब में सोने लगा मैने देखा कि जया ने एक हॉट सी नाइटी पहनी हे जो कि उसकी गान्ड की दरार में घुस रही थी मेरा लंड तन्ना गया जया ने नोटिस कर लिया और दरवाजा बंद कर दिया उसने और आकर मेरे पलंग पर बैठ गई हम बाते करने लगे ।

जया मुझसे खुलने लगी और उसने पूछा "आज क्या देखा मेरी बड़ी मम्मी के कमरे में ???" मै चुप हो गया ,वह बोली कि "क्या देखा होगा,हम जो रोज देखते हैं वहीं देखा होगा" मेरा दिमाग घूम गया यह सुनकर,फिर उसने बताया कि पहले दीदी दरवाजा बन्द रखती थी तो कई बात नींद देरी से खुलती थी।

इतने में जय बोली कि कपडे निकाल दो ऑर सो जाओ में शर्मा रहा था फिर वह बोली "हमारे यहां सब बिना कपड़ों के ही सोते हे "में चोक गया ,उसने बताया कि कपडे पहन कर सोने से कई कई सारी बीमारियां होती है। मैं कहा मोका गवाने वाला था यह मेरा पहली बार था जो में किसी लड़की के सामने कपड़े उतार रहा था ,पेंट शर्ट निकाली ,बनियान थी नहीं अब बची थी चड्डी ,अब में शरमा रहा था इतने में जया ने खींच दी और निकाल दी, निकालते वक़्त वह नीचे बैठ गई और मेरा तना हुआ लंड उसकी आंख में लग गया।

मैने उसे उठाया वह मेरे गले लग गई मैने फील किया कि उसने अंदर कुछ नहीं पहना है,मैने मोका देख उसकी नाइटी का नाड़ा खोल दिया ,वा अब नंगी थी, वह बिल्कुल नहीं शरमाई फिर में उसकी चूत पर हाथ फेरा ,उसकी चूत पानी छोड़ रही थी।

अब वह गरम हो गई और उसने मेरा लंड चूसा मैने चूत चाटी बहुत मजा आया फिर मैने धीरे धीरे से उसकी चूत में लंड डाला ,धीरे धीरे धक्के लगाने लगा उसे मजा आ रहा था , मैं फारिक हुआ जल्द ही क्योंकि यह मेरा पहली बार था ।

वह भी खुश थी फिर उसे पूछा कितने दिन यही रहोगे मैने उसे सोचकर जवाब दिया कि "जबतक सबको ना चोद लू इस घर में", वह खुश हुई मेरे इरादे सुनकर।

फिर बोली थोड़ी देर बाद करेंगे अब उसके पहले चलो कुछ ब्लू फिल्म देखे ,में फोन लेने चल दिया पर उसने मना कर दिया फोन का ,वह मेरा हाथ पकड़कर बाहर ले आई दोनों नंगे थे , मै शर्मा रहा था वह बोली "कोई फर्क नहीं पड़ता यहां रात में सब नंगे ही रहते है बस चुदाई नहीं करता कोई मेरी ऑर ना ही एक दूसरे की बस अपनी अपनी ओरतों से खुश है सब "।

हम अपनी बहन के कमरे के पास पहुंचे देखा खिड़की के पर्दे नहीं लगे थे, और शायद दरवाजा भी खुला था पर हम खिड़की में थे ,देखा कि मेरी दीदी जीजाजी का लंड 5इंच का चूस रही थी ,फिर उसने चुदवाया पर दीदी को शांति नहीं मिली थी ,दीदी लंड को चूसे जा रही थी इतने में जीजा मेरी बहन को अधूरी छोड़ सो गया ।

अब दीदी भी से गई ।में ऑर जाता फिर तेयार थे ।

हम आगे कुछ हलचल दिखाई दी मंजू के कमरे की तरफ से हम चल दिए देखा ली ऋषभ अपना लंड हिला रहा था कमरे के बाहर से कुछ डर बाद वह चला गया अपना वीर्य दीवार पर छोड़ के।

जया झट से गई और दीवार को चाट लिया सारा वीर्य पी गई और मुझे किस करने लगी,बोली "मेरी फेवरेट ड्रिंक हे यह रोज पिती हूं",फिर देखा मंजू अपनी चूत में ककड़ी डाल सो रही थी ,जया अपनी मां की ऐसे देख मेरी और मुस्कुरा दी।

बोली"यह तो रोज का सीन हे और जब पापा होते है तब भी वह एक ही बार करते हे तो मम्मी को ककड़ी , खीरा,बैंगन जैसी लंबी सब्जियां और खासकर केले बाहुत पसंद है"

अब हम वापस चल दिए मैने देख की दीदी सोई नहीं थी उसने एक प्लास्टिक का बड़ा सा लंड अपनी चूत में डाल रखा हे और आगे पीछे हो रही है जया बोली"यह भी रोज का हे ,चलो तुम मेरी चूत मार लो अब नहीं रहा जा रहा"।

मैने सुबह होने तक दो बार जया को बजाया अलग अलग तरीकों से ।

सुबह हुई मंजू आई हमें उठाने उसने बड़े ही प्यार से हम दोनों को एक दूसरे से अलग किया और मेरे अंडो को दबा दिया जोर से में चीखकर उठ पड़ा साथ ही जया की चूत में भी एक चिमटी काट दी ,अब दोनों उठ गए ।

जया उठकर अपनी मम्मी को गालियां देने लगी मंजू बोली "साली छिनाल एक तो तेरी चूत चुदवाने का इंतजाम किया ऊपर से गाली देती है ,रुक तू केसे तेरी चूत सुखाती हूं और तू होने वाले बेहेनचोद भाई अब ईस्ट से तू मेरे साथ सोएगा "।

फिर मंजू मुस्कुराने लगी और धीरे से ज्या से पूछा "किसी थी पहली चुदाई तेरी???" मै चोंक गया यह सुनकर झट से बोला "चूत तो बिल्कुल भी पहली बार जैसी टाईट नहीं आई " ,मंजू बोली "साली रण्डी ज्या चूत में ककड़ी बैंगन डाल डालकर के ली ना चूत बडी पड़ गया चेन और ऊपर से रात को मेरा नकली लंड डालकर सोती थी" मंजू गुस्सा होती हुई चली गई।

फिर हमने साथ नाश्ता किया उसके पहले ज्या ने मुझे चड्डी नहीं पहनने से थी उसने बोला "दिखने दो तुम्हारी बहन को लंड अपने भाई का " ।

मैने चड्डी नहीं पहनी थी मेरा लन्ड कड़क था दोनों मा बेटी मुझे ही घूर रही थी ।

अब मैने और जया ने दीदी को चोदने का प्लान बनाया दोपहर में जब दीदी नींद की गोली लेकर सोती हैं तब ,जया ने हमारे प्लान में अपनी मम्मी को भी एड कर लिया दोपहर में सब हमारे मुताबिक ही हुआ दीदी। सो गई नंगी अब मंजू आई काम निपटा कर ज्या ओर में तो दीदी के रूम में ही थे मंजू ने कहा " यह साली बहुत इतराती हे मुझसे काम करवाती हे और यह दोपरहर में चूत फैला के सोती है, एक काम करो इसके मुंह में लंड दो पहले ", मैने ऐसा ही किया।

दीदी की नींद खुल गई वह बोली "मेरे चोदु भाई क्या सोचा था में सो रही हूं आज मैने दवाई नहीं ली थी अच्छा हुआ",दीदी मंजू की और देखकर बोली "साली तू मुझे चुद्वाएगी वह भी मेरे भाई से रुक तू , ऐ साली कुतिया मंजू नंगी हो तुझे बताती हूं",मंजू नंगी हो गई साथ में जया फ़्री में नंगी हो गई वैसे भी आज वह नहीं चुदने वाली थी उस तड़पाना जो था आज,अब मैने दीदी के कहने पर मंजू की गांड चाटी ऑर फिर लंड मंजू की गांड में डाला ,शायद पहली बार था उसका खूब चीलाई चिखाई रोई पर दीदी तो दीदी थी, उसने जया से अपनी चूत चाटने बोला और जया को खींच कर अपनी चूत पर कर लिया।

मंजू ख़ामोश थी में रुका दीदी के पीछे से एक लात मारी मेरी गांड पे मंजू झुकी हुई थी ऑर मेरा लन्ड मंजू की गांड में था में मंजू के ऊपर गिर गया पूरा लन्ड गांड में चला गया मंजू की वह रोने चिल्लाने लगी इतने में आवाज सुन ऋषभ आ गया रूम में सब कुछ देखकर उसकी आंख गांड दोनों फट गई।हेल्लो दोस्तों आपके लिए हाज़िर हे मेरी कहानी चुदक्कड़ दीदी का ससुराल का दूसरा पार्ट पहला आप मेरे नाम पर क्लिक करके देख सकते हे।

अब ऋषभ भी कमरे में आ गया था दीदी, जया, मंजू और मेरी सबकी फटके गले में आ गई थी, मंजू की गांड तो मैने फसाद ही दी थी और आंखे ऋषभ को देखकर फट गई मैं अभी भी धक्के लगा रहा था, मुझे देखकर दीदी को गुस्सा आ रहा था और मंजू को दर्द के साथ मज़ा वह ऋषभ से बोली "आ बेटा ऋषभ आजा अपनी आंटी की अपना मैन मिल्क पिला" मंजू ने मुस्कुराते हुए बोला पर ऋषभ नहीं आया वह बोला "मै केसे अपनी आंटी, दीदी को चोद सकता हूँ?"।

मंजू बोली "मां को भी" और मुस्कुराने लगी ऋषभ ने मना कर दिया पर मंजू कहा मानने वाली थी वह बोली "क्या मैं तेरी इस रंडिघर की रानी माँ को बता दू की तू केसे रोज़ रात को मेरी ब्लू फ़िल्म देख देखकर मुठ मारता है, रोज़ तू एक बार अपना माल दीवार पर और अपनी चड्डी में छोड़ता है और मुझसे धुलवाता हे बोल दू?"

ऋषभ अब माफी मांगने लगा दीदी ने उसे बुलाया और कहा "तू इस रंडी का मुंह चोद" उसने ऐसा ही किया और फट से नंगा हो गया और लंड मंजू के मुंह में दे दिया मंजू की अब गांड कर साथ-साथ मुंह की भी चुदाई हो रही थी दीदी ने अब दोनों को स्वाप करने को बोला लंड मंजू की गांड से निकाला वह कराहने लगी मेरे लन्ड पर थोड़ा-सा खून लगा था अब ऋषभ मंजू की गांड पर आ गया पर मंजू मेरा लंड मुंह में नहीं ले रही खून के कारण तो ऋषभ ने एक ज़ोर का धक्का मारा मंजू का मुंह खुल गया मैने अपना लन्ड उसके मुंह में डाल दिया वह चिल्लाए जा रही थी वैसे तो ऋषभ का लंड मेरे मुकाबले छोटा था पर वह लंड बाहर निकाल-निकाल जे धक्के मार रहा था।

अब दीदी ने जया को फिर से अपनी ओर खींचा और वह घोड़ी बन गई और जया को गांड चाटने को कहा जया ना नुकुर करने लगी तो दीदी बोली "देख साली रंडी की औलाद ज़्यादा नाटक मत कर मुझे पता है तेरी कल ही सील टूटी साली दोनों के लोड एकसाथ तेरी चूत गांड में डलवा दूंगी"

इतना सुनकर जया घबरा गई और दीदी कि गांड चाटने लगी दीदी को इसमें मज़ा आ रहा था, मैं मंजू के मुंह में ही झड़ दिया वह सारा माल गटक गई अब ऋषभ भी झड गया था मंजू की गांड में।

और ऋषभ दीदी के पास लेट गया मंजू वहीं नीचे ढेर हो गई थोड़ी डर बाद मेरा लंड फिर तनने लगा दीदी बोली "तेरा तो फिर खड़ा हो गया चल मार ले इस रंडी मंजू की गांड" मंजू अब घबराने लगीं।

मै बोला "दीदी कितनी सजा दोगी बिचारी को अब रहने दो" दीदी बोली "चल इसकी जगह इसकी बेटी की गांड मार" जया सहम गई यह सुनकर मैं बोला "दीदी क्या तुमने गांड-गांड लगा रखा है अब नहीं मैं जया की चूत मारूंगा"।

जया के चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी थी मैने जया को ऊंचा उठाया और एक ही झटके में पूरा के पूरा लन्ड उसकी चूत में उतार दिया जया चिल्ला उठी पर मैं नहीं रुका मैं धक्के लगाए जा रहा था जया चिल्ला रही थी शायद झूट भी हो उसका चिल्लाना।

कुछ देर में मैं फारिग हो गया मैने सारा माल जया के मुंह में छोड़ दिया।

अब हम सब ऐसे ही कब सो गए पता ही नहीं चला शाम के खाने का टाइम हो गया था कोई नहीं उठा।

अब दीदी के ससुरजी (रामलाल) ने धीरे से दरवाज़ा खोला बिना आवाज़ किए इतने में पता नहीं केसे मंजू की नींद खुल गई वह फट से खड़ी हो गई और पास पडी साड़ी को सिर पर डालने लगी अब क्या उसने सब तो देख लिया था पर वह शायद उसे भी अपनी चुदाई गैंग में शामिल करना चाहती थी उसने बिना ब्लाउस पेटीकोट के साड़ी ओढ़ ली और बोला "ससुरजी आप?"

रामलाल बोला "हाँ मैं यह सब क्या हो रहा है?" मंजू शरमाते हुए बोली "जी कुछ नहीं हम तो बस सो रहे थे" मंजू की पतली-सी साड़ी के अंदर से सब दिखाई दे रहा था रामलाल का लन्ड तन गया था उसके पेंट में तम्बू बन गया था।

रामलाल बोला "चलो खाना बनाओ और उन्हें भी उठाओ" उसे पता तो था कि क्या हुआ हे पर वह अनजान बन रहा था कभी-कभी रामलाल मेरी दीदी को जब वह सोती तो चोरी छिपे देखता था और टच भी करता बस कभी उसकी हिम्मत नहीं हुई चोदने कि उसने यह बाद ने बताया मुझे।

मंजू ऐसे ही चल पड़ी बिना चड्डी ब्लाउस पेटीकोट के उसके ससुर के आगे हो गई वह थोड़ी लंगड़ा रही थी तो रामलाल बोला "मंजू क्या हुआ ऐसे क्यों चल रही हो?" मंजू बोली "कुछ नहीं ससुरजी बस ऐसे ही" रामलाल बोला "ऐसे ही कोई थोड़े ही लांगडाता है यह तभी होता है जब कोई बेरहमी से गांड मार दे पकड़ के, तुम्हारी सास भी दो दिन तक इसे ही लंगड़ा रही थी जब मैने उसकी गांड मारी थी तब पहली बार"।

मंजू रामलाल की तरफ़ देखकर हंस लगी और बोली "ससुरजी आप चिंता ना करे कुछ नहीं हुआ है और हुए भी होता तो आप क्या कर लेते?"

रामलाल को गुस्सा आने लगा उसने बोला "मंजू अगर आज तुमने गांड मरवाई होगी ना तो फिर देखना" कहकर अपना लंड पैंट बाहर निकाल लिया और बोला "यह बदला लेगा फिर" मंजू सेहेम गई और बोली "ससुरजी आपको क्या मुझपे विश्वास नहीं है आज मेने गांड नहीं मरवाई" रामलाल बोला "नहीं चलो मुझे देखने दो तो ही मैं मानूंगा" इतने में फट से रामलाल ने मंजू की साड़ी उतार दी और नीचे बैठकर गांड देखने लगा और बोला "बहू साली छिनाल गंडमारी देख तेरी गांड से यह माल रिस रहा है अब बोल दे की तेरा माल निकलता है गांड से और बोलती हे गांड नहीं मरवाई, मैं चाल देखकर बता दू की कौन कितनी बार ठुकी है"।

मंजू बोली "तो बताओ मेरे प्यारे ससुर की जया कितनी बार ठूकी है?" रामलाल बोला "एक से दो बार पर उसने अभी तक गांड नहीं मरवाई"

मंजू चौंक गई और बोली "मुस्कान का बताओ" वह बोला उसने चूत तो पता नहीं कितनी बार मरवाई और पता नहीं कितनो से मरवाई पर गांड नहीं मरवाई"।

मै कितनो शब्द सुनकर चौंक गया मैं सोचने लगा कि दीदी जीजा के अलावा भी किसी और से चुदवाई हुई हे?

अब रामलाल ने अपनी प्यारी बहू को नीचे झुकाया और अपना लन्ड उसके मुंह में देने लगे रामलाल का लन्ड भी मुझसे छोटा था शायद उनके यहाँ छोटे लंड की खानदानी बीमारी थी शायद जीजा का 5इंच का ऋषभ का 5.5का और रामलाल का 5 का था बस मंजू के पति का ही बाक़ी देखना बकी था।

मंजू अब रामलाल का लन्ड चूस चुकी थी अब रामलाल उसे चोदना चाहता था पर उसने गांड मारने की सोची बोला "चल छिनाल गांड आगे कर" तो मंजू बोली ससुरजी आओ भले ही मेरे मुंह में खाली कर दो मैं ख़ुशी खुशी सारा माल पी जाऊंगी पर अब गांड नहीं मराई जाएगी ऋषभ ने और वरुण सूज दी है"तो रामलाल को तरस आया और वह मंजू के मुंह में लन्ड आगे पीछे करने लगा और बोला" एक शर्त है मेरी रंडी अगर मैं आज तेरी गांड ना मारू तो"

मंजू ने लंड को बिना मुंह से बाहर निकाले पूछा "क्या है अब?"

रामलाल बोला "आज से तू जबतक तेरा पति नहीं आ जाता तबतक नंगी ही रहेगी एक कपड़ा भी नहीं पहनोगी"

मंजू ने पूछा "पर केसे? घर में जेठ जी भी है उनके सामने केसे?"

रामलाल बोला "क्या वह नहीं चोदता तुझे?"

मंजू ने मना कर दिया फिर रामलाल बोला "कुछ भी कर अब तू मुझे नहीं पता मेरी सज़ा पूरी कर"

इतने में मेरी संस्कारी दीदी आ गई और बोली "क्या चल रहा है ससुरजी क्या सजा दी इसको ज़रा मुझे भी बताओ?"

रामलाल बोला "इसे मैने जबतक इसका पति नहीं आता तबतक बिना कपड़ों के रहने की सजा दी हे क्योंकि इसने मुझसे गांड नहीं मरवाई"

दीदी ने बोला "बहुत अच्छी सजा हे ससुरजी उसके लिए इस रंडी ने मेरी गांड मरवाने की कोशिश की थी थोड़ी देर पहले वह भी मेरे ही भाई से तो मैने साली इसी की गांड मरवा दी मेरे भाई और बेटे से" और दीदी हसने लगी।

मै भी अब बाहर आ गया मैंने दीदी को बोला "दीदी आपने इन दोनों माँ बेटी को मुझसे चुदने दिया पर आप कब आओगी?"

दीदी उसी वक़्त साड़ी ऊपर करके खड़ी हो गई गांड दिखते हुए और बोली "ले मेरी गांड ले-ले ले" तो मैने भी लंड निकाल लिया था पर दीदी बोली "मै थोड़ी देने वाली जो तू लंड निकाल रहा है।"

"मेरी गान्ड तो ससुरजी मारेंगे उनका लंड छोटा है सबसे देखना तू और में अपनी गांड़ मरवाने का वीडियो भी बनवाऊंगी वह भी मेरे बेटे से देखना तू।"

अब शाम हुई हमने सबने कपड़े पहने पर मंजू उसकी सजा पूरी कर रही थी वह नंगी ही उसके कमरे में आराम कर रही थी।

जीजाजी आ गए थे शाम को और हमारा कोई प्लान ही तेयार नहीं था क्या करना है मंजू को केसे ठोके।

आज दीदी ने जीजाजी को रात में दूध में वियाग्रा कि 2-3गोलियाँ मिलाकर दे दी और कुछ देर बाद दीदी मेरे पास आई और हम दोनों मंजू के कमरे में गए वहा पर बेड पर मंजू ओर जया सो रहे थे वह दोनों नंगी थी दोनों की चूत चमक रही थी जैसे कोई हीरा हो।

दीदी ने उन दोनों को उठाया और दीदी ने उन्हें बताया कि उनका पीरियड आ गया और उन्होंने जीजाजी को दो तीन वियाग्रा की गोली दे दी है।

हम चारो ने प्लान बनाया और दीदी चली गई उनके कमरे में।

क्योंकि जीजाजी दीदी के पीरियड में चुदाई नहीं करते और ना ही कंडोम पहनते है।

हम तीनो मैं मंजू और जया तीनो दीदी के होने वाले कारनामे खिड़की से देख रहे थे।

मंजू और जया दोनों नंगी थी पर मैने एक टीशर्ट और लोअर पहन रखा थी।

जीजाजी ने अपना 5इंच का लंड पेंट से बाहर निकाला तभी दिदी कम्बल अपने ऊपर खींचती हुई बोली "आपके लिए एक खुश खबरी हे" तो जीजाजी बोले "क्या है बताओ जल्दी मेरा लंड फटा जा रहा है चुदाई को" दीदी ने कहा "मेरे पीरियड्स चालू हो गए है" जीजा गुस्सा होने लगे और बोले "तुमसे गोली नहीं ली गई पीरियड आगे बढ़ाने की" और गुस्सा होने लगे और थोड़ा झगड़ा होने लगा दीदी उन्हें उकसाने लगी झगड़ने को और इतना बढ़ गया झगड़ा को जीजाजी अब किसी मैं भी लन्ड दे सकते थे।

दीदी ने मौका देखते हुए कहा "ज्यादा शोक है तो जाओ मंजू को चोद लो वह भी तुम्हारी ही तरह चूत लिए बैठी तुम्हारे भाई को तो कोई फ़िक्र है नहीं है बिचारी की।"

जीजाजी को शुरू में बुरा लगा फिर दीदी बोली "क्या हुआ?" तो वह बोली कि "मै केसे चोद दू मंजू को और तो और वह मुझसे क्यों चूदवाएगी?"

दीदी बोली "तुम कोशिश तो करो मैने आज ही उसे चूत मसलते देखा था वह अभी किसी का भी लन्ड ले लेने की हालत में है"।

"तुम चलो मेरे साथ मैं तुम्हे चूत दिलवाती हू" ऐसा कहकर दीदी बिस्तर से उठ गई पर जीजाजी अभी भी सोच में थे।

अब प्लान के मुताबिक मंजू को अपनी चूत में नकली लंड डालकर सोना है और जया को चुदाई के बीच में आना है।

मंजू ने फट्ट से ऐसा ही किया वह पलंग पर लन्ड दाले सो रही थी दीदी जीजाजी को लेकर उसके कमरे में आ गई और बोली कि "देखो कैसे पड़ी है लंड डाले" , जीजाजी को भी आश्चर्य हुआ इस बात का। अब दीदी ने जीजाजी का पेंट निकाल दिया और हथियार तेयार करने लगी वैसे दीदी ने अभी तक लन्ड नहीं चूसा था किसी का।

दादी ने लन्ड की चमड़ी पीछे की और जीजाजी को नकली लन्ड निकाल असली डालने को कहा।

जीजाजी घबरा रहे थे पर दीदी के दबाव के कारण वह मंजू पर टूट पड़े और उसका नकली लन्ड निकाल असली डाल दिया।

और कुछ देर ऐसे ही मंजू के ऊपर पड़े रहे फिर धक्के देना चालू किया मंजू की आँख खुल गई थी और वह चुदाई का मज़ा लेने लगी।

फिर चुदाई के बाद जीजाजी एक तरफ़ हुए जब मंजू बोली "जेठ जी आप, आप केसे मुझे चोद सकते है आपको शर्म नहीं आईं?"

तो जीजाजी बोले "यह नकली लन्ड चोद सकता है तो मैं क्यों नहीं" बात तो सही थी अब मंजू बोली "फिर ठीक है पर रोज़ चोदना पड़ेगा" जीजाजी ने हा कर दी।

इतने में मंजू दीदी को देखकर बोली "जेठ जी आपकी बीवी को साथ लेकर चोदने आए हो" उसने भी जीजाजी ने हाँ कर दी।

मंजू ने जीजाजी के मुरझाए हुए लंड को फट् से मुंह में भर लिया जलदी है लन्ड फिर से तन्ना गया और जीजाजी मंजू पर सवार हो गए।

अब जया की बारी थी वह बेझिझक कमरे में जा पहुँची ओर मंजू को आवाज़ दी पर नजारा देख चोंकने का नाटक करने लगी और बोली "यह क्या हो रहा है?" जीजाजी मंजू के ऊपर से उतरते इससे पहले दीदी उठी ओर दो तीन झापट जया को मार दिए और बोली "दिखते नहीं दो प्यासे लोग प्यास बुझा रहे है, चल निकल छिनाल यह से" यह सुनकर जया जाने लगी पर जया को दीदी की मार के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था।

जया जानें लगी कमरे से पर इतने में दीदी ने उसके बाल पकड़े ओर ज़ोर से उसे मंजू के पास फेंक दिया जया अब तो रही थी दीदी बोली "दिखते नहीं दो प्यासे लोग प्यास बुझा रहे है, चल निकल छिनाल यह से" यह सुनकर जया जाने लगी पर जया को दीदी की मार के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था।

जया जानें लगी कमरे से पर इतने में दीदी ने उसके बाल पकड़े ओर ज़ोर से उसे मंजू के पास फेंक दिया जया अब तो रही थी दीदी बोली "चलो इसकी भी चूत मारो नहीं तो यह किसी को बता देगी" जीजाजी मंजू के ऊपर से अभी भी नहीं उतरे थे वह मंजू के उपर ही थे, मंजू यह सब देख मुस्कुरा रही थी आख़िर यह प्लान उसी का तो था।

अब दीदी ने जया के कपड़े फाड़ दिए और उसे नंगा कर दिया जीजाजी का लन्ड पकड़कर दीदी ने जया की चूत में लगा दिया पर जीजाजी यह नहीं करना चाहते थे तो मंजू आकर उनके ऊपर से धक्का देने लगी लन्ड पूरा चूत में चला गया।

जया भी मज़ा लेने लगी थी अब मेरी बारी थी चुदाई मैं शामिल होने की।

मैं ज़ोर से कमरे के दरवाजे को धक्का देते हुए अन्दर चला गया और में प्लान के अनुसार चोंक गया और बाहर जाना लगा तो जीजाजी दीदी को बोले की "अब इसको भी मंजू से चुदवा दो नहीं तो क्या भरोसा क्या करे" दीदी बोली "थोड़ी शर्म तो करते तुम, भाई है वह मेरा" तक जीजाजी बोले "वाह री छिनाल जया मेरे भाई की बेटी नहीं है क्या और मंजू को है फिर?"

फिर दीदी बोली "ठीक है चल मंजू बनजा मेरे भाई की कुतिया" अब मंजू घोड़ी बन गई।

मैने अभी तक कपड़े नहीं उतारे थे तो जीजाजी बोले "आए साले साहब चोदिए मंजू को" मैं वहीं खड़ा था तो जीजाजी ने दीदी को मेरे कपड़े उतारने को कहा।

दीदी ने मेरे कपड़े उतारे ओर मैं मंजू की और बढ़ा और उसके ऊपर जाकर मैने जानबूझकर मंजू की गांड में लंड उतार दिया वह चिल्लाने लगी और हाथ पैर मारने लगी।

जीजाजी बोले "आराम से गांड मैं क्यों डाल दिया बिचारी की?" मैं बोला "वह जीजाजी पहली बार था ना तो मुझे याद नहीं था कोनसा छेद है"।

दीदी मेरे पास आती ओर मेरा लन्ड पकड़कर उसने मंजू की चूत पर रगड़ ओर फिर मेरी ओर इशारा किया ज़ोर का झटका मारने का पर दीदी ने फट से लन्ड को मंजू की गांड पर रख दिया। अब मंजू ज़ोर जोर से चिंखने चिल्लाने लगी ओर दीदी को गालियाँ देने लगी।

कुछ देर में जीजाजी झड गए और मैं भी मंजू की गांड मैं झड गया था।

सभी सो गए।

सुबह मंजू उठी और उसने सबको उठाया तभी जया नहीं उठी थी तो मंजू ने रात की गांड मरवाने के गुस्से को जया पर उतारा फिर भी वह नहीं उठी तो मंजू उसके उपर खड़ी हुई और उनसे जया के ऊपर मुत की धार छोड़ दी।

जया समझ आ गया उसने आँख खोलकर देखा और ज़ोर से अपनी माँ धक्का दे दिया और मंजू नीचे गिर गई और रोने लगी।

दीदी आ गई कमरे में दीदी ने जल्दी उठकर खाना तेयार कर दिया था मंजू को हमने सुला दिया था जीजाजी तेयार होकर चले गए।

दीदी के ससुरजी आ गए इतने में और बोले कि "केसी रही रात की चुदाई?" तो मंजू बोली "मेरी तो गांड ही फाड़ दी इस वरुण ने तो"।

दीदी मुस्कुराई और बोली चलो नाश्ता कर लो।

इस वक़्त मैं मंजू और जया जो की अभी ही नहाकर आईं है हम तीनो नंगे ही खड़े थे।

हम सबने टेबल पर बैठकर नाश्ता किया और दीदी किचन मैं चली गई ओर मैं मंजू और उसके ससुरजी तीनो दीदी के कमरे में चले गए चुदाई करने।

अब कुछ ही देर में ऋषभ आ गया दीदी ने उसे नाश्ता कराया और हमारे पास भेज दिया।

वह आया तब हम लोग नंगे बैठे बात कर रहे थे पीछे से जाय भी आ गई हम सबने ख़ूब बाते की।

अब दीदी आ गई कमरे में उसके आने के पहले हमने बातो के नाम पर दीदी को गंडमारी बनाने का प्लान बना लिया था।

दीदी की इच्छा के अनुसार हमने कमरे में जगह-जगह कैमरा फिट कर दिया था और दीदी की गांड चुदाई को स्पेशल बनाने के लिए हमने कमरे में सब इंतज़ाम किया।

जैसे ही दीदी आयी कमरे में दीदी को उसके ससुरजी ने दबोच लिया सभी कैमरे चालू थे उस वक़्त दीदी का रेप सीन बन रहा था।

दीदी के नंगे ससुर में ओर ऋषभ थे अभी तो रील में बाक़ी मंजू और जया कैमरे के पीछे थी।

हम तीनो ने दीदी को दबोच लिया और दीदी के बोबे दबाने लगे दीदी गालिया दे रही थी हम लोगों को पर हम दीदी के कपड़े फाड़ रहे थे।

कुछ ही वक़्त में दीदी के सारे कपड़े फट गए दीदी नंगी हो गई दीदी की चूत से पेंटी हटते ही देखा कि दीदी की चूत पर पीरियड ला खून लगा था।

दीदी मिन्नते कर रही थी ना चोदने की दीदी को कैमरा देखकर पता चल गया था कि यह सब उनकी गांड खोलने के लिए है तो वह भी फ़िल्म बनाने के लिए री रही थी।

अब मैने और ऋषभ ने दीदी को उल्टा कर सुला दिया और दोनों ने एक-एक टांग चोड़ी कर पकड़ लिया अब दीदी का ससुर उसका छोटा-सा लन्ड लेकर दीदी कि गांड पर घिसने लगा इतने में जया आ धमकी कैमरा के सामने और उसने अपने दादाजी के लन्ड पर थूक लगा दिया अपने मुंह में लेकर और उसने दीदी कि गांड भी चाटकर गीली कर दी।

जया अब एक तरफ़ हो गई अब दीदी के ससुरजी अपना लन्ड दीदी की गांड में घुसाने लगे पर फिर रुक गए तो दीदी गुस्सा होकर बोली "साले बुड्ढे डालना है तो डाल वरना दूसरे से डलवा दे, मादरचोद"।

यह सुनकर दीदी के ससुर को गुस्सा आ गया और उसने एक ज़ोर का शॉट मारा और दीदी की गांड चौड़ी पर इसका उल्टा हो गया दीदी ने कोई आवाज़ ही नहीं करी।

हम सब चौंक गए। दीदी बोली "इसकी लंबी स्टोरी है" ऋषभ को बोला कि थोड़ा-सा सीन कट कर दे और बोली "बुड्ढे और ज़ोर लगा अब एक ही बार में पूरा डालना वीडियो में सब असली लगना चाहिए"।

ऋषभ ने सीन कट करके फिर कैमरा चालू कर दिया सब उसी सीन वली पोजिशन में आ गए और बुड्ढे ने एक ही शॉट के लन्ड उतार दिया और दीदी ख़ूब चिल्लाई अब बुड्ढे का खाली हो गया था अब मेरी बारी आनी थी उसके पहले ही दीदी बोली "गांड में खुजली हों रही है तुम दोनों में से कोई आओ यह बुद्ध तो मंजू के है लायक है।"

अब मैने ज़ोर जोर से दीदी कि गांड मारी पर फिर भी दीदी एक्टिंग ही कर रही थी मेरे बाद ऋषभ ने दीदी की गांड का मज़ा लिया।

अब वीडियो बन्द कर दिया

अब हमने दीदी से पूछा गांड इतनी ढीली हुई है तो उसने बताया कि......अब हमने दीदी से पूछा गांड इतनी ढीली हुई है तो उसने बताया कि "मेरा पति तो कभी गांड मारता भी नहीं है जो ससुराल मै खुलेगी मै बता दूंगी पर मेरे पति के सामने ओर देवरजी को भी आ जाने दो फिर"।

इतने में रामलाल बोला "ठीक है मत बता अभी पर तू आज ही बताएगी रुक तू" दीदी बोली "नहीं सब घर में रहेंगे तब" बुड्ढा बोला "भोसड़ की रंडी मंजू का पति आएगा आज ही और तू उसी से चुद्वाएगी आज रात।" दीदी बोली "मेरे तो पीरियड है मुझे दिक्कत नहीं" ओर मुस्कुराई।

रामलाल ने कहा "कोई बात नहीं गांड तो है।" ओर दोनों हंसने लगे।

अब हम लोगों ने मंजू के पति यानी की दीदी के देवर को चुदाई मै शामिल करने का प्लान बनाया।

रात को वह घर आया और प्लान के मुताबिक हमने उनके कमरे में दीदी कि ब्लू फिल्म से भरा कैमरा रख दिया और उसे टीवी से कनेक्ट कर दिया जो भी कैमरा मै देखा जाता वह सब टीवी में चलता।

दीदी का देवर कमरे में आया और उसने कैमरा पड़ा देखा तो उसे चालू कर लिया उसमे फूल आवाज में दीदी की पोर्न चालू हो गई वह सब देखकर भौंचक्का रह गया मानो उसके तो पैरों तले जमीन खिसक गई हो पर वह दीदी की फिल्म देख कम और उसकी बीवी की फिल्म देख ज्यादा चौंक गया था और साथ ही उसकी बेटी जया भी थी।

वह घबरा सा गया और हम सबको ढूंढने लगा पर हम दीदी के कमरे में थे वह आया और देखा कि सब नंगे थे मंजू अपने ससुर के गोद में बैठी थी।

मंजू नंगी ही अपने पति के पास चली गई वह हम सबसे पूछने लगा "क्या हो रहा है इस घर में" तो दीदी बोली "देखो देवर जी आप तो रहते हो हमेशा बाहर पता नहीं कितनी के साथ चुदाई की है और रही बार आपके भैया की तो उनका लन्ड मेरी चूत को प्यासा ही छोड़ देता है तो हम करे तो क्या करे" वह सोचने लगा और बोला "कोई बात नहीं पर बात बाहर नहीं जाने पाए घर की बात घर में" दीदी बोली "आपको इसी बात को डर है ना कि आपकी बीवी को दूसरों ने चोदा तो आप मेरी चुद चोद लो" वह बोला "वह तो मै चोदूंगा ही उसमे कोई पूछने वाली बात है" फिर हमने दीदी के देवर को सारी बात बताई और उसने जया ओर दीदी कि खूब चुदाई की फिर भी दीदी ने गांड ही मरवाई जबकि मंजू की रामलाल, ऋषभ और मैने एकसाथ चुदाई की।

अब शामको जीजाजी आने वाले थे उन्हे रामलाल और दीदी की ढीली गांड़ और उनके भाई के बारे में बताना था।

अब शाम को जीजाजी आ गए उन्होंने देखा ओर चौंक गए क्योंकि हम सब खाना कहा रहे थे वह भी नंगे क्योंकि उसमे उनका बाप और भाई भी था वह भी नंगा।

जया उठकर गई जीजाजी के पास ओर उन्हे समझाकर सारी बात बताई और उनसे वादा करवाया की वह दीदी को कुछ नहीं कहेंगे उनकी ढीली गांड के बारे में।

जीजाजी नहीं मानते इसलिए मंजू बोली "देखो जेठजी हम लोगों की तो लंड से पूर्ति हो जाएगी हम चोदने के लिए ऋषभ, ससुरजी, मेरे पति और वरुण भी है पर आपका क्या होगा अगर आपने कुछ भी उल्टा सीधा किया तो"।

जीजाजी मंजू का मुंह देख रहे थे। जीजाजी ने अकेले ही कपड़े पहन रखे थे।

मंजू बोली "चूत को तरस जाएंगे जेठजी आप"।

जीजाजी बोले "वैसे भी मुझे इस रंडी की गांड से कोई मतलब नहीं मै तो कोई मारता ही नहीं इसकी गांड भले ही यह कुछ भी करे पर उसकी चूत की सील तो मैने ही खोली थी यह पक्का है" यह सुनकर दीदी मुस्कुराने लगी।

जीजाजी बोले "पूरी चादर खून से खराब कर दी थी इस रंडी ने"।

दीदी बोली "यह बात तो सही है चूत तो मैने इन्हीं से पहली बार मरवाई थी पर गांड नहीं और मैने अपने ससुराल में कभी किसी दूसरे मर्द से नहीं चुदवाया।"

अब मैने दीदी से कहा "अब बताओ अपनी स्टोरी।"

दीदी बोली "उनकी गांड फाड़ने मै कईयों का योगदान है"

अब आगे की स्टोरी दीदी की जुबानी।

मै जब शादी के पहले हॉस्टल में पढ़ती थी तबकी बात है हमारी एक गैंग थी जिसमे हम चार लड़कियां थी और चारों चाहती थी कि हम अपनी सील सुहागरात पर ही तुड़वाए पर एक फ्रेंड की सील किसी लड़के ने पहले ही तोड़ दी थी।

एक दिन हॉस्टल मै रैगिंग हो रही थी हम भी बुलाया गया हम चारों फर्स्ट ईयर में थे इसलिए खासकर हम लोगों की ही रैगिंग थी हम सिर्फ 5लड़कियां थी हॉस्टल मै फर्स्ट ईयर की।

जब हम उस रैगिंग वाले कमरे में गई तब तो वह पर सब ठीक था पर हमारे जाते ही दरवाजा अंदर से बन्द हो गया और सभी सेकंड ओर थर्ड ईयर की लड़कियां अपने कपड़े उतारने लगी।

हमारी आंखें फट रही थी हम शर्म आ रही थी वह लड़कियां हमारे पास आयी ओर हम पांचों पर पांच लड़कियां टूट पड़ी और उन्होंने हमारे कपड़े उतारे और चेक कर लिया की हम सब सील पैक थी ओर उन्हे देखकर भी लग रहा था कि वह सब भी सील लगी हुई है।

उनने जान लिया कि सिर्फ एक की ही सील टूटी हुई है।

अब उनमें से एक बोली "अब तुम्हारी रैगिंग होगी चुदाई होगी"।

हम सब घबरा गई।

हमारे वक्त मे जिस लड़की की सील टूटी हो उसे ससुराल वाले गलत समझते थे इसलिए उन लडकियो ने भी सील नहीं तुड़वाई थी।

उन सभी लड़कियों ने अब नकली लंड पहन लिया और हमारी तरफ आने लगी।

वह 20से भी ज्यादा लड़कियां थी सबने 6-7 इंच के लन्ड पहने थे।

हमारी गांड जो कि फटने वाली थी फटे जा रही थी।

उनमें से एक जिसकी बात सब मान भी रही थी

वह बोली चूत वाली की चूत मारो बाकी को हमारा प्यार दिखाओ।

वह सब हम पर टूट पड़ी मेरी एक दोस्त जिसकी चूत फटचुकी थी उसे दो तीन लड़कियां चाटने लगी और वैसे बाकी लड़कियां हम 4पर थी और मेरे ऊपर 5-6 लन्ड वाली लड़कियां थी मुझे किस कर रही थी चाट रही थी।

उनमें से एक मुझसे बोली "चल इस लंड को मुंह में लेकर चाट और थूक लगाकर गीला कर वरना दर्द हो तो मत बोलना"।

अब में बारी बारी से सबके लंड को गीला कर रही थी मुझे शक था कि मेरी चूत फटेगी पर में गलत थी उन लड़कियों ने मुझे घुटने के बल किया और एक मेरे आगे आ गई उसने अपना लन्ड निकाल दिया और मुझे उसकी चूत चाटने को कहा मैने ना नुकुर किया तो मुझे पता ही चला कब किसी ने मेरी गान्ड मे बिना थूक तेल के लन्ड घुसा दिया में जोरों से चिल्ला रही थी मेरा मुंह बंद ही नहीं हो रहा था। अब जिसने मेरी गान्ड मे लन्ड डाला था वह बोली "और मत चूस चूत को अब हम सब बिना थूक के है तेरी गांड पेलेंगे।"

मै रोने लगी थी अब मै उस लड़की कि चूत चाटे जा रही थी सुरूड सुरुड की आवाज आ रही थी।

चूंकि मेरा बाकी लड़कियों को डेमो दिखा दिया गया था और उन सबके साथ सेक्स मेरे बाद किया गया था।

बाकी चारों मै से एक की तो सील टूटी थी इसलिए वह

लन्ड वाली लड़कियां उसकी चूत और गांड दोनों मार रही थी पर बाक लड़कियों में से एक ने मेरा डेमो देखने के बाद भी ना निकुर की तो उसकी गांड और चूत दोनों फाड़ दी बल्कि उनकी गांड में दो लौड़े ओर एक चूत में और लडकियो की चूत उस चूसना पड़ रही थी, उसकी तो गलत पतली हो गई थी वह तो अच्छा हुआ की वह लड़की मॉडर्न सोच वाली फैमिली से थी जैसे कि मुस्लिम वरना पता नहीं उसका क्या हाल होता शादी के बाद अगर उसकी चूत गांड ढीली निकलती तो।

बाकी 2लड़कियां उन लडकियो में घुल मिल गई थीं।

कुछ देर उन सबने मेरी गांड मारी मेरी गांड का खुला हुआ सुराख साफ दिखाई दे रहा था।

सबसे गांड मरवाने के बाद में वही पड़ी रही रात भर।

और जब सुबह उठी तो मुझसे चला भी नहीं जा रहा था।

और उस लड़की कि जिसकी चूत गांड की धज्जियां उड़ी थी वह अभी भी से रही थी मै उसे है देखे जा रही थी।

उस कमरे में हम 5ओर उन लंड वाली लड़कियों में से सिर्फ 2ही थी अब।

उन्होंने हम सबको उठाया और फटी चूत गांड वाली को उठाया ओर दवाई दी उस दिन हम कॉलेज नहीं गई और ना ही हम में से कोई टट्टी कर पाई।

उस लड़की ने जिसका कमरा था उसने बताया कि यहां पर ऐसे ही सबका स्वागत होता है, पर अच्छा है कि यह एक ही बार होता है, पर ऐसी महफ़िल तो रोज होती है पर अब जिसका मन हो वह आओ ओर जिसका ना हो वह मत आओ बस आज आखिरी है, वैसे ऐसी महफ़िल को कोई मना नहीं कर पाता तुम भी कोई नहीं कर पाओगे।

उसने बताया कि उन सबमें से एक उस हॉस्टल की वार्डन भी थी, उस वार्डन को तीन साल हुए थे आए ओर वह लड़कियां भी उस वार्डन के साथ ही आयि थी इस हॉस्टल मे।

और जिस लड़की ने हमे यह बताया उसके साथ बैठी लड़की ही वार्डन थी और वह ज्यादा उम्र कि नहीं थी।

वार्डन बोली कि "जब ने था पहली बार आती थी तब मेरी पहली पोस्टिंग थी यहां पर, यहां फाइनल ईयर में मेरी कुछ फ्रेंड्स थी तब मेरी पोस्टिंग हुई थी उन सबने मुझे बुलाया पहली रात को ऑर उन्होंने मेरी चूत गांड मुह सब सुजा दिया था क्योंकि उनका फेयरवेल था उस रात जिस रात मै आयो थी, वह सब चली गई अगले दिन और फिर कुछ दिन बाद यह लड़कियां आईं तो मैने फैसला किया किया की जबतक कोई परेशान ना करे किसी की चूत की सील नहीं तोड़ेंगे गांड फोड़ेंगे।"

अब वह मुस्कुरा रही थी।

मै बोली "तो मतलब यह आपके सामने दूसरा बैच है?"

उसने हा कहा।

और बोली "जिन लड़कियों ने तुम्हारी गांड मारी वह तीसरे और दूसरे ईयर में है और जब मै आईं थी तो उनका भी स्वागत ऐसे ही हुआ था और अब उन्हें मजा आता है।"

दूसरी लड़की बोली "पहली बार इस छिनाल वार्डन ने हम सबकी गांड मारी थी अकेली ने"। और हंसने लगी फिर बोली "और दूसरी रात को हम सबने इस वार्डन कि गांड चूत सब सुजा डाला था तभी से हम सब ऐसे ही स्वागत करते है।"

वह दोनों चली गई

गांड सूझ गई थी हम सबकी।

शाम तक सब ठीक हो गई किसी को कोई दर्द नहीं था।

रात को वह सब लड़कियां आईं हमारे पास और साथ मै हमारे लिए भी एक एक लंड लाई थी उनके जैसा।

और उनमें से एक लंड मुझे भी दिया गया और हमे बुलाया गया आज हम अपनी मर्ज़ी से बिना किसी के दबाव में उस कमरे में चली गई जैसे ही हम अंदर गई अंदर नजारा ही कुछ अलग था वह सारी लड़कियां नंगी थी और नाच रही थी लंड पहने पार्टी चल रही थी।

उन लड़कियों ने हमारा स्वागत किया आज पर कल जैसा नहीं। और वार्डन बोली "कपड़े उतार दो अपने इनकी यहां जरूरत नहीं।"

मैने सबसे पहले उतारे ओर मैने लन्ड पहन लिया।

वार्डन बोली अब को तुम चाहो कर सकती है अब तुम लोग भी हमारी इस ग्रुप की मेंबर हो।

तो मैने सबसे पहले वार्डन को दबोचा ओर हम पांचों के प्लान के हिसाब से हमने वार्डन की गांड चूत सुजा दी नकली लन्ड घुसा घुसाकर पहले तो क्योंकि यह उसी का तरीका था वेलकम का और में वार्डन से बोली "यह हमारी तरफ से आपको रिटर्न वेलकम गिफ्ट वार्डन मैडम।" तो वह भी कुछ नहीं बोली और हंसने लगी।

अब दूसरी लड़कियां हमारे पास आती ओर एक लड़की मेरी चूत पर आ गई और चूसने चाटने लगी।

एक लडकी को मैने अपने मुंह पर बिठा लिया और उसकी चूत चाटने लगी।

मुझे मजा सा आ रहा था इससे पहले मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया था मै तो जैसे जन्नत में थी।

अब एक लड़की ने मुझे गांड मरवाने का पूछा तो मै उसे मना नहीं कर पाई वह फट से मेरे पास आ गई मैने लन्ड पे थूक लगाया और घोड़ी बन गई पर वह लड़की लंड मेरी गांड मै डालने की जगह गांड को चाटने लग गई थी कुछ देर चाटने के बाद उसने मेरी गांड पर ढेर सारा थूकलगाकर लन्ड डाल दिया अब मुझे पहले जितना दर्द तो नहीं हो रहा था बल्कि मजा आ रहा था।

मै मजा ले रही थी। मै अब झड चुकी थी और बाकी सब भी ढेर हो चुकी थी।

बहुत मज़ा आया था आज तो।

उन सब लड़कियों ने बोला कि "हम ज्वाइन करना चाहती हो तो कर सकती हो कोई जबरदस्ती नहीं है, हमारे ग्रुप का नाम गंडमरी गर्ल्स ग्रुप है।"

मैने तो फट्ट से हां कर दी।

बाकियों ने भी मेरे साथ हां कर दी।

अब हमारा रोज का था यह तो।

मै तो कभी नहीं चूकती रोज एक दो से गांड मरवाती। कुछ ही दिनों में मै पूरा का पूरा हाथ अपनी गांड मे डलवाने लग गई। ऐसे ही तीन साल तक में रोज गांड मरवाती रही।

मेरी गांड में पूरा हाथ तक चला जाता था।

इसी कारण से ही मेरा फिगर इतना फिट था बोबे छोटे और गांड बड़ी।

यहीं थी मेरी गांड फटने की कहानी।

दीदी की ऐसी बातें सुनकर मेरा लन्ड फ़िरसे सलामी देने लगा तो मैने जया को पकड़ लिया और बोला "जया, अब तो तेरा भी फिगर दीदी की तरह ही फिट करना पड़ेगा।

मेरे साथ ही दीदी के ससुर ओर जीजाजी और दीदी के देवर ने भी हामी भर दी।

दीदी का देवर बोला "यह दोनों तो हो गई है परफेक्ट रांड और जया अब तेरी बारी तू भी मुस्कान कि तरफ ही अपना फिगर बना।"

दीदी बोली "देवर जी आप तो भाभी भूल ही गए सीधा मुस्कान पर आ गए।"

वह बोला "अब तो तुम हमारी जानेमन लन्ड की रानी हो अब कहैकी भाभी।"

दीदी मुस्कुराई।

अब जया बोली "पापा, दादाजी, बड़े पप्पा आप फिकर मत करो मै अपना फिगर इस छिनाल फटी गांड की मुस्कान और इस रंडी मंजू से भी ज्यादा अच्छा बनाऊंगी चाहे मुझे दो दो हाथ ही क्यों ना डलवाने पड़े अपनी गांड मे।"

दीदी बोली "चल चल रहने दे अभी तो मुहूर्त भी नहीं हुआ तेरी गांड का और मुझसे कंपीटिशन की बात करती है।"

इतने में डोरबेल भी और सब घबरा गए सभी कपडे ढूंढने लगे सब उथल पुथल हो रहा था किसी के कपड़े नहीं थे वह पर और घंटी बार बार बार रही थी।

सभी सोच रहे थे कि रात की 11बजे कोन होगा।

तो दीदी ने दरवाजे में से झांक कर देखा तो...यह पार्ट 4 है इस कहानी का आप बाकी के पार्ट भी पढ़े आगे आने वाले भी। और मजा लेते रहिए

इतने में डोरबेल भी और सब घबरा गए सभी कपडे ढूँढने लगे सब उथल पुथल हो रहा था किसी के पास कपड़े नहीं थे और घंटी बार-बार बजे जा रही थी।

सभी सोच रहे थे कि रात की 11बजे कौन होगा।

तो दीदी ने दरवाजे में से झांक कर देखा तो दीदी नंगी ही देखने चली गई और उन्होंने दरवाजे के दूरबीन से देखा तो पड़ोस की एक लड़की थी जो कि घर में अकेली ही रहती थी।

अब जीजाजी ने जबतक कपड़े पहन लिए थे और हम सब पास एक तरफ छुपकर देखने लगे।

अब जैसे ही दरवाजा खुला वह अंदर आ गई और जोर से हम आवाज दी और बोली "बाहर आ जाओ सब मत छुपो मैं सब जानती हूँ तुम लोगों के बारे में मुझे पता है कि तुम लोग सब बिना कपड़ों के छिपे है, चलो बाहर आओ।"

तो मैं फट से बिना देर किए जाने लगा में एक बार सबकी तरफ देखा तो सभी की आंखें फटी हुई थी और शायद गांड भी फट रही थी।

मै जाने लगा तो दीदी मुझे रोकने लगी तो मैं बोला "साली अकेली है कहा जाएगी और क्या कर लेगी ज्यादा नाटक करेगी तो गांड मार देंगे।"

मै बाहर आ गया तो मुझे देखकर वह शरमा-सी रही थी।

पर वह शर्म दबा रही थी।

वह बोली "बाकी लोग कहा है इस रंडीघर के?"

सब बाहर आ गए वैसे भी सब नंगे ही थे।

मैने उससे पूछा "क्यों आईं हो यहाँ? चुदने?" उसने सर को ना में हिलाया और बोली "गांड मराने, तुझे क्या मतलब", अब मुझे गुस्सा आ रहा था उस पर तो मैं उसके ऊपर टूट पड़ा और मैने उसके कपड़े फाड़ने चालू कर दिए।

दीदी ने ओर मंजू ने मेरा साथ दिया और जीजाजी ओर उनका भाई रुकने को कर रहा था पर मैं कपड़े फाड़ रहा था पर मुझे आश्चर्य हुआ कि दीदी और मंजू मेरा साथ क्यों दे रही थी।

मैने पूछा तो उन्होंने बताया कि "यह रोज हमारे घर में कैमरा से नजर रखती" चूंकि उसका घर ऐसा था कि उसके घर से मंजू और दीदी दोनों के कमरे में देखा जा सकता था।

दीदी बोली कि "उसे मैने एक दो बार देख तो था पर इतना ध्यान नहीं दिया मुझे तो मंजू ने बताया, अच्छा हुआ यह आ गई।"

मंजू बोली "यह रोज हमारे घर में झांककर चूत खुजलाती थी पर मैने इसे कुछ नहीं कहा क्योंकि बिचारी अकेली है ना, मैने इसे एक दो बार चूत खुजाते भी देखा है, पर इसने शायद हमारी वीडियो बना रखी थी तो मैने वीडियो वायरल होने के डर से इसे कुछ नहीं कहा।"

मैनें अब उसके बाल पकड़े और ऋषभ को उसका कैमरा और लैपटॉप लाने को कहा।

वह अब हंसने लागी और बोली इतना भी जुल्म मत करो एक तो में आगे से तुम लोगों के पास चुदवाने आईं और ऊपर से तुम लोग मेरे साथ कैसा बर्ताव कर रहे हो। "

मैने उसकी बात सुनकर उसके बाल छोड़ दिए।

वह अब कुछ-कुछ नंगी ही थी बस उसकी ब्रा और पैंटी उसके शरीर पर थी बाकी तो सब हमने फाड़ दिए।

ऋषभ उसका फोन, कैमरा और लैपटॉप ले आया।

मैने उसे चेक किया पर मुझे कुछ नहीं मिला तो मैं खुश हुआ मैंने सोचा कुछ नहीं है।

अब मैं उसके पास गया और मैं उसे जोर से किस करने लगा और धीरे से उसकी पैंटी सरका दी और उसको गरम करने लगा मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा।

अब वह गरम हो गई थी जोर-जोर से अपने होंठों को काट रही थी और सिसकारियाँ से पूरा घर गूंज रहा था।

अब मैं उठा और उसको जमीन पर ही लेटा दिया मुझे लगा जैसे उसका पहली बार हो, बड़ी टाइट चूत लग रही थी।

जीजाजी और उनका भाई और रामलाल हमारी फिल्म देख रहे थे क्योंकि उन सबके लन्ड मुरझाए हुए थे चुदाई ही इतनी की थी उन लोगों ने सिर्फ ऋषभ था जिसका लन्ड तेयार हुआ।

ऋषभ ने भी पास ही जया को लिटा दिया और उसे मुंह में लन्ड दे दिया वह उसका लॉलीपॉप चूस रही थी।

सब थके हुए थे तो कोई चुदाई नहीं करना चाहता था।

अब मैंने उस लड़की का नाम पूछा तो उसने मनीषा बताया।

दिखने में तो अच्छी थी वह फिगर भी मस्त था जया से तो बहुत अच्छी थी दिखने में वह।

अब मैने लन्ड उसके मुंह में दिया पर एक बार मुंह में लेने के बाद वह नहीं ले पाई उसका मुंह बिगड़ गया तो दीदी उठी और बोली "रंडी साली चुदने तो आ गई अब लंड भी ले मुंह मे" मैं ही उसके उपर से उठ गया और लन्ड चूत पर आ गया और घिसने लगा वह तिलमिला उठी।

अब मैने जोर का झटका दिया उसकी चूत में पर लंड आध भी नहीं गया और वह चीखने चिल्लाने लगी।

दीदी और मंजू दीदी हमारे पास आ गई और मनीषा की सील टूटने की फिल्म देखने लगी।

दीदी ने मुझे बताया कि चूत से खून भी निकल रहा है।

मैने उससे पूछा "मनीषा, मेरी रंडी रानी पहली बार है तेरा?"

उसने हाँ में सर हिला दिया।

अब मैं उसके दर्द को नहीं देख पाया और जोर का एक और शॉट मारा तो लंड फिर भी नहीं गया अंदर।

मनीषा को दर्द हो रहा था वह चिल्लाए जा रही थी और सभी लोग उसके मज़े ले रहे थे।

फिर एक ओर जोर का शॉट ओर पूरा लंड अंदर और खून बाहर टिपका।

कुछ देर तक मैं धीरे-धीरे आगे पीछे होता रहा।

मनीषा की चूत टाईट होने के कारण उनसे मुझे ज्लदी ही झड़ा दिया भी उसकी चूत भर दी अपने माल से।

मंजू से यह देखा नहीं गया वह सीधी आई और उसने खून से लथपथ लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

मैरा लन्ड मंजू के मुंह का स्पर्श पाकर फट से सलामी देने लगा अब मैं फिर से मनीषा की चूत मारने लगा जैसे ही मैने लंड डाला मनीषा को शुरू में दर्द हुआ फिर कुछ देर आगे पीछे करने के बाद उसे अच्छा लगने लगा।

उसकी दर्द भरी आहे अब सिसकारियाँ मैं बदल गई थी।

वह भी गांड उठा-उठा के मेरा साथ दे रही थी।

40-45मिनट चुदाई के बाद मैं फिर खाली हो गया और एक तरफ बैठ गया। मनीषा अभी भी फर्श पर ही पड़ी थी जैसे कोई गुडिया हो।

उसके मुंह पर संतुष्टि को भाव साफ नजर आ रहा था।

अभी तक जया को ऋषभ एक बार ओर एक बाद दीदी को गांड मार चुका था चूंकि दीदी के पीरियड्स थे दीदी की किसी ने भी चूत नहीं मारी थी अभी तक दीदी कि चुदाई के नाम पर गांड ही ठुक रही थी पर दीदी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था भले ही कितनी भी गांड मारो, उनकी गांड तो मरवा-मरवा के कुआ बन गई थीं।

अब मनीषा को चूत का दर्द महसूस होने लगा था उसके चेहरे पर दर्द दिख रहा था साफ साफ। अब उसे हमने सोफे पर बिठा दिया।

उसकी चूत सुजी हुई लग रही थी।

अब दीदी ने उसे पूछा "चुद ली, मिली शांति, अब बता सब कुछ केसे तेरे दिमाग़ मैं आया?"

मनीषा बोली "मै आप लोगों को चुदाई करते हुए बहुत दिन से देख रही हूँ, खासकर दीदी आपको।" ऐसा कहते हुए वह शरमा गई तो दीदी बोली "साली छिनाल, चुद भी गई फिर भी शरमा रही है, चल ही-ही करना बन्द कर ओर आगे बता।"

मनीषा बोली "आप लोगों की मैने सारी कहानी देखी और देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, मेरी चूत में खुजली होने लगी और मैं आ धमकी आपके पास चुदने।"

मंजू बोली "आ गया मजा, हो गई चूत ठंडी चल निकल अपने घर हमारा मजा कम करने आ गई।" मंजू गुस्से में बोली।

मनीषा का मुंह उतार-सा गया था।

दीदी बोली "तुझे क्या हुआ अब तुझे क्या तकलीफ हो गई इस बिचारी से?"

मंजू ने कहा "देखो दीदी यह तुम्हारा भाई इस पर लट्टू हो रहा है तुम्हे दिखता नहीं इस छिनाल का रवैया।"

दीदी को अब समझ आया मामला।

ऐसा एहसास लग तो मुझे भी रहा था कि मनीषा से प्यार हो गया जैसे।

कोई दिक्कत भी नहीं थी मुझे वैसे भी एक सील बन्द माल मिला था मुझे और वह सबसे दिखने में भी अच्छी थी जया और मंजू तो उसके सामने पानी भर्ती ऐसा उसका फिगर था।

दीदी ने कहा "कर लेने दो इन लोगों को भी मज़ा।"

मंजू को दीदी ने समझा दिया।

हम सब अलग-अलग कमरों में जाकर सो गए।

मै मनीषा के साथ सोफे पर ही सो गया।

अगले दिन सुबह मेरी 7बजे आँख खुली तो देखा कि मनीषा मेरे पास ही पड़ी थी और दीदी उठ चुकी थी मंजू उसके ससुर ओर जेठ के बीच में नंगी पड़ी थी और उसका पति जा चुका था कहीं काम से बाहर।

एक तरफ दूसरे कमरे में जया और ऋषभ सोए पड़े थे पर उनके कमरे से एक अजीब-सी चुदाई की खुशबू आ रही थी जैसे वह अभी ही चुदाई करके सोए हो।

दीदी को ढूँढते हुए में किचन में गया तो दीदी वहाँ नंगी ही खाना बना रही थी।

मुझे देखते ही दीदी बोली "तुझे बड़ा पसंद आ गई है वह मनीषा, क्या विचार है उसके बारे में तेरा?"

तो मैं बोला "अभी उसकी चौड़ी तो कर देने दो फिर विचार करेंगे।" मैं हंसता हुआ वहाँ से बाहर आ गया।

मैने मनीषा को देखा और देखता ही रह गया वह बहुत ही प्यारी लग रही थी सोते हुए। अब मैने उसे उठाने का निश्चय किया। मैं उसके पास गया और उसकी चूत पर मुंह लगाकर चाटने लगा वह धीरे-धीरे नींद से बाहर आने लगी और गरम भी ही रही थी।

अब वह पूरी तरह से उठ चुकी थी और अपने हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी उसे मजा आ रहा था।

अब मैं ऊपर आया उसे मैने एक जोरदार किस किया और उसके ऊपर होंठ को जोर से काट लिया वह सहम उठी मेरे इस हरकत से।

अब मैने उसे "गुड मॉर्निंग" बोला और लंड उसके सामने कर दिया वह भी "गुड मॉर्निंग" बोलते हुए लंड को चूसने लगी।

वह अब बहुत ही गरम हो चुकी थी चुदवाने को बेताब थी।

वह बेकाबू हो रही थी, मैने भी मौका देखते हुए उससे बोला "मै एक ही शर्त पर तुझे चोदूंगा।"

उसने बोला "क्या शर्त है आपकी, मुझे मंजूर है।"

मैनें बोला "शर्त के पहले ही मंजूर, गजब है, पर पहले सुन लो शर्त।"

उसने बोला "ऐसा क्या है?"

तो मैने कहा "तुझे गांड मरवानी पड़ेगी मुझसे वह भी मेरे साथ सुहागरात पर, बोल मंजूर है।" वह बोली "पर कैसे?"

उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैने क्या कहा।

अब मैं बोला "मेरी रण्डी बनेगी, मुझसे शादी करेगी मनीषा।"

उसके आँख में आंसू आ गए। मैं आंसू पोंछते हुए बोला "क्या हुआ, क्यों रो रही हो", वह बोली "यह तो खुशी के आंसू है, मैं केसे मना कर सकती हूँ आपको।"

दीदी और उसका बुड्ढा सब सुन रहे थे तो दीदी हंसते हुए बोली "क्या करेगा पहले सुहागरात मनाएगा या शादी करेगा?"

मै बोला "जैसे आप बोलो!"

दीदी ने कहा "पहले जो तेरा बड़ा भाई है उसकी बीवी आने दे और पहले तू उसके साथ सुहागरात मना फिर इसके साथ मना लेना।"

इतने में मंजू ओर जीजाजी आ गए उन्हे शादी की खुशखबरी मिल गई।

जीजाजी बोले "पहले हमें चेक तो करने दो की दुल्हन सुहागरात के लिए फिट है या नहीं।"

सब हंसने लगते है जीजाजी की बातें सुनकर।

इतने में ऋषभ और जया भी आ गए उन्हे भी दीदी ने सब बात बताई।

दीदी बोली "सब कर लेना पर कोई भी मनीषा की गांड मत मारना, सुहागरात पर चाहिए होगी ना मेरे भाई को, जव सब औरतें सुहागरात को कमरे के दरवाजे पर कान लगाकर सुनेगी तो उन्हे क्या सुनाएंगे।"

सभी ने हाँ कर दी गांड ना मारने पर।

जीजाजी बोले "कल रात को जया को गांड मरवाने का भूत चढ़ा था ना वह उतरा या नहीं?"

यह सुनते ही जया फट से आगे आकर झुक गई और गांड दिखाने लगी।

जीजाजी बोले "सुहागरात की प्रैक्टिस कर लो साले साहब।"

मै उठा और पहले मंजू को नीचे बिठाया और उसके मुंह में छोटा-सा लंड दिया और उसे कुछ देर में बड़ा करके निकाला फिर दीदी को बोला कि "दीदी आपने तो इन दोनों मा बेटी से खूब गांड चटवाई अब आपकी बारी चलो चाटो इस रंडी की गांड।"

दीदी मेरी तरफ तिरछी नजर करते हुए गांड की तरफ बढ़ गई। मनीषा उठी और जया की चूत पर आ गई ऋषभ मनीषा की चूत को चाटने लगा और कुछ-कुछ देर में गांड पर भी जीभ फिरा रहा था इसलिए मनीषा उचक रही थी बार बार।

मंजू क्या करती ऋषभ के लन्ड पर जा बैठी और अपने ससुर और जेठ के लंड को एकसाथ चूसे जा रही थी कभी जेठ का तो कभी ससुर का लंड मुंह में भरती ऐसे ही दोनों को उसने एकसाथ अपने मुंह में खाली करवा लिया।

और ऋषभ को मंजू ने अपनी चूत में खाली करवा लिया।

ऋषभ मनीषा की चूत पर से हट गया और मैने जया को खींच लिया अपनी और अब मैने उसे नीचे की और झुका दिया और देखा कि दीदी ने गांड को थूक लगा-लगा कर चिकना कर दिया था अंदर तक थूक था।

थूक बाहर टपक रहा था जया की गांड़ से।

अब मैने गांड़ के छेद पर रखा अपना लंड ओर घिसने लगा धीरे-धीरे मैने मोका देखा और पहले तो मैने। जया को कहा कि तीन गिनते ही डाल दूंगा तेयार रहना, सभी लोग गिनती कर रहे थे एक गीना मुझे पता था कि जया डर के मारे गांड टाईट कर लेगी इसलिए मैने दो गिनने के पहले ही लन्ड डाल दिया।

जया चिल्ला उठी चिकनाहट के कारण जया की गांड़ में एक ही बार में पूरा लन्ड चला गया वह चिल्ला रही थी।

मै जोर-जोर से ठोकने लगा जया की गांड को अब कुछ देर गांड चोदने के बाद में अंदर ही झड़ गया मैने लंड निकाला तो उसपर थोड़ा खून और थोड़ी टट्टी लगी थी।

मैने वैसे ही लंड को जया की चूत में डाल दिया और चूत पर लन्ड पोंछ दिया और दीदी को चाटने को कहा।

दीदी ने शायद लंड नहीं देखा था टट्टी लगा हुआ पर मंजू, मनीषा, ऋषभ, रामलाल और जीजाजी को पता था।

दीदी के मुंह में पहले मैने लंड दे दिया और बोला "चलो इसको साफ करो पहले" दीदी चूस रही थी लंड को बिना मन से तो मैंने दीदी से पूछा तो दीदी बोली "बड़ा अजीब-सा टेस्ट आ रहा है साली ने पाद दिया लगता है।"

मै हंसने लगा ओर बोला "चलो अब इसकी चूत साफ करो।"

दीदी ने बिना कुछ देखे सोचे की जया की चूत चाटकर साफ़ कर दी।

अब हम सब नहा धोकर फ्रेश होकर आ गए मनीषा भी यही थी। हम दोनों ने एकसाथ शावर लिया और आ गए वैसे भी कोई कपड़े तो पहनने थे नहीं।

हम सब साथ बैठकर खाना खाने लगे।

इतने में फोन बजा दीदी ने बात की और उनके होश उड़ गए।

दीदी का चेहरा उतर गया दीदी ने फोन रखा और हमारे पास आ गई।

मैने पूछ "क्या हुआ?"

तो दीदी ने जवाब दिया।यह पार्ट 4 है इस कहानी का आप बाकी के पार्ट भी पढ़े आगे आने वाले भी। और मजा लेते रहिए

इतने में डोरबेल भी और सब घबरा गए सभी कपडे ढूँढने लगे सब उथल पुथल हो रहा था किसी के पास कपड़े नहीं थे और घंटी बार-बार बजे जा रही थी।

सभी सोच रहे थे कि रात की 11बजे कौन होगा।

तो दीदी ने दरवाजे में से झांक कर देखा तो दीदी नंगी ही देखने चली गई और उन्होंने दरवाजे के दूरबीन से देखा तो पड़ोस की एक लड़की थी जो कि घर में अकेली ही रहती थी।

अब जीजाजी ने जबतक कपड़े पहन लिए थे और हम सब पास एक तरफ छुपकर देखने लगे।

अब जैसे ही दरवाजा खुला वह अंदर आ गई और जोर से हम आवाज दी और बोली "बाहर आ जाओ सब मत छुपो मैं सब जानती हूँ तुम लोगों के बारे में मुझे पता है कि तुम लोग सब बिना कपड़ों के छिपे है, चलो बाहर आओ।"

तो मैं फट से बिना देर किए जाने लगा में एक बार सबकी तरफ देखा तो सभी की आंखें फटी हुई थी और शायद गांड भी फट रही थी।

मै जाने लगा तो दीदी मुझे रोकने लगी तो मैं बोला "साली अकेली है कहा जाएगी और क्या कर लेगी ज्यादा नाटक करेगी तो गांड मार देंगे।"

मै बाहर आ गया तो मुझे देखकर वह शरमा-सी रही थी।

पर वह शर्म दबा रही थी।

वह बोली "बाकी लोग कहा है इस रंडीघर के?"

सब बाहर आ गए वैसे भी सब नंगे ही थे।

मैने उससे पूछा "क्यों आईं हो यहाँ? चुदने?" उसने सर को ना में हिलाया और बोली "गांड मराने, तुझे क्या मतलब", अब मुझे गुस्सा आ रहा था उस पर तो मैं उसके ऊपर टूट पड़ा और मैने उसके कपड़े फाड़ने चालू कर दिए।

दीदी ने ओर मंजू ने मेरा साथ दिया और जीजाजी ओर उनका भाई रुकने को कर रहा था पर मैं कपड़े फाड़ रहा था पर मुझे आश्चर्य हुआ कि दीदी और मंजू मेरा साथ क्यों दे रही थी।

मैने पूछा तो उन्होंने बताया कि "यह रोज हमारे घर में कैमरा से नजर रखती" चूंकि उसका घर ऐसा था कि उसके घर से मंजू और दीदी दोनों के कमरे में देखा जा सकता था।

दीदी बोली कि "उसे मैने एक दो बार देख तो था पर इतना ध्यान नहीं दिया मुझे तो मंजू ने बताया, अच्छा हुआ यह आ गई।"

मंजू बोली "यह रोज हमारे घर में झांककर चूत खुजलाती थी पर मैने इसे कुछ नहीं कहा क्योंकि बिचारी अकेली है ना, मैने इसे एक दो बार चूत खुजाते भी देखा है, पर इसने शायद हमारी वीडियो बना रखी थी तो मैने वीडियो वायरल होने के डर से इसे कुछ नहीं कहा।"

मैनें अब उसके बाल पकड़े और ऋषभ को उसका कैमरा और लैपटॉप लाने को कहा।

वह अब हंसने लागी और बोली इतना भी जुल्म मत करो एक तो में आगे से तुम लोगों के पास चुदवाने आईं और ऊपर से तुम लोग मेरे साथ कैसा बर्ताव कर रहे हो। "

मैने उसकी बात सुनकर उसके बाल छोड़ दिए।

वह अब कुछ-कुछ नंगी ही थी बस उसकी ब्रा और पैंटी उसके शरीर पर थी बाकी तो सब हमने फाड़ दिए।

ऋषभ उसका फोन, कैमरा और लैपटॉप ले आया।

मैने उसे चेक किया पर मुझे कुछ नहीं मिला तो मैं खुश हुआ मैंने सोचा कुछ नहीं है।

अब मैं उसके पास गया और मैं उसे जोर से किस करने लगा और धीरे से उसकी पैंटी सरका दी और उसको गरम करने लगा मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा।

अब वह गरम हो गई थी जोर-जोर से अपने होंठों को काट रही थी और सिसकारियाँ से पूरा घर गूंज रहा था।

अब मैं उठा और उसको जमीन पर ही लेटा दिया मुझे लगा जैसे उसका पहली बार हो, बड़ी टाइट चूत लग रही थी।

जीजाजी और उनका भाई और रामलाल हमारी फिल्म देख रहे थे क्योंकि उन सबके लन्ड मुरझाए हुए थे चुदाई ही इतनी की थी उन लोगों ने सिर्फ ऋषभ था जिसका लन्ड तेयार हुआ।

ऋषभ ने भी पास ही जया को लिटा दिया और उसे मुंह में लन्ड दे दिया वह उसका लॉलीपॉप चूस रही थी।

सब थके हुए थे तो कोई चुदाई नहीं करना चाहता था।

अब मैंने उस लड़की का नाम पूछा तो उसने मनीषा बताया।

दिखने में तो अच्छी थी वह फिगर भी मस्त था जया से तो बहुत अच्छी थी दिखने में वह।

अब मैने लन्ड उसके मुंह में दिया पर एक बार मुंह में लेने के बाद वह नहीं ले पाई उसका मुंह बिगड़ गया तो दीदी उठी और बोली "रंडी साली चुदने तो आ गई अब लंड भी ले मुंह मे" मैं ही उसके उपर से उठ गया और लन्ड चूत पर आ गया और घिसने लगा वह तिलमिला उठी।

अब मैने जोर का झटका दिया उसकी चूत में पर लंड आध भी नहीं गया और वह चीखने चिल्लाने लगी।

दीदी और मंजू दीदी हमारे पास आ गई और मनीषा की सील टूटने की फिल्म देखने लगी।

दीदी ने मुझे बताया कि चूत से खून भी निकल रहा है।

मैने उससे पूछा "मनीषा, मेरी रंडी रानी पहली बार है तेरा?"

उसने हाँ में सर हिला दिया।

अब मैं उसके दर्द को नहीं देख पाया और जोर का एक और शॉट मारा तो लंड फिर भी नहीं गया अंदर।

मनीषा को दर्द हो रहा था वह चिल्लाए जा रही थी और सभी लोग उसके मज़े ले रहे थे।

फिर एक ओर जोर का शॉट ओर पूरा लंड अंदर और खून बाहर टिपका।

कुछ देर तक मैं धीरे-धीरे आगे पीछे होता रहा।

मनीषा की चूत टाईट होने के कारण उनसे मुझे ज्लदी ही झड़ा दिया भी उसकी चूत भर दी अपने माल से।

मंजू से यह देखा नहीं गया वह सीधी आई और उसने खून से लथपथ लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

मैरा लन्ड मंजू के मुंह का स्पर्श पाकर फट से सलामी देने लगा अब मैं फिर से मनीषा की चूत मारने लगा जैसे ही मैने लंड डाला मनीषा को शुरू में दर्द हुआ फिर कुछ देर आगे पीछे करने के बाद उसे अच्छा लगने लगा।

उसकी दर्द भरी आहे अब सिसकारियाँ मैं बदल गई थी।

वह भी गांड उठा-उठा के मेरा साथ दे रही थी।

40-45मिनट चुदाई के बाद मैं फिर खाली हो गया और एक तरफ बैठ गया। मनीषा अभी भी फर्श पर ही पड़ी थी जैसे कोई गुडिया हो।

उसके मुंह पर संतुष्टि को भाव साफ नजर आ रहा था।

अभी तक जया को ऋषभ एक बार ओर एक बाद दीदी को गांड मार चुका था चूंकि दीदी के पीरियड्स थे दीदी की किसी ने भी चूत नहीं मारी थी अभी तक दीदी कि चुदाई के नाम पर गांड ही ठुक रही थी पर दीदी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था भले ही कितनी भी गांड मारो, उनकी गांड तो मरवा-मरवा के कुआ बन गई थीं।

अब मनीषा को चूत का दर्द महसूस होने लगा था उसके चेहरे पर दर्द दिख रहा था साफ साफ। अब उसे हमने सोफे पर बिठा दिया।

उसकी चूत सुजी हुई लग रही थी।

अब दीदी ने उसे पूछा "चुद ली, मिली शांति, अब बता सब कुछ केसे तेरे दिमाग़ मैं आया?"

मनीषा बोली "मै आप लोगों को चुदाई करते हुए बहुत दिन से देख रही हूँ, खासकर दीदी आपको।" ऐसा कहते हुए वह शरमा गई तो दीदी बोली "साली छिनाल, चुद भी गई फिर भी शरमा रही है, चल ही-ही करना बन्द कर ओर आगे बता।"

मनीषा बोली "आप लोगों की मैने सारी कहानी देखी और देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, मेरी चूत में खुजली होने लगी और मैं आ धमकी आपके पास चुदने।"

मंजू बोली "आ गया मजा, हो गई चूत ठंडी चल निकल अपने घर हमारा मजा कम करने आ गई।" मंजू गुस्से में बोली।

मनीषा का मुंह उतार-सा गया था।

दीदी बोली "तुझे क्या हुआ अब तुझे क्या तकलीफ हो गई इस बिचारी से?"

मंजू ने कहा "देखो दीदी यह तुम्हारा भाई इस पर लट्टू हो रहा है तुम्हे दिखता नहीं इस छिनाल का रवैया।"

दीदी को अब समझ आया मामला।

ऐसा एहसास लग तो मुझे भी रहा था कि मनीषा से प्यार हो गया जैसे।

कोई दिक्कत भी नहीं थी मुझे वैसे भी एक सील बन्द माल मिला था मुझे और वह सबसे दिखने में भी अच्छी थी जया और मंजू तो उसके सामने पानी भर्ती ऐसा उसका फिगर था।

दीदी ने कहा "कर लेने दो इन लोगों को भी मज़ा।"

मंजू को दीदी ने समझा दिया।

हम सब अलग-अलग कमरों में जाकर सो गए।

मै मनीषा के साथ सोफे पर ही सो गया।

अगले दिन सुबह मेरी 7बजे आँख खुली तो देखा कि मनीषा मेरे पास ही पड़ी थी और दीदी उठ चुकी थी मंजू उसके ससुर ओर जेठ के बीच में नंगी पड़ी थी और उसका पति जा चुका था कहीं काम से बाहर।

एक तरफ दूसरे कमरे में जया और ऋषभ सोए पड़े थे पर उनके कमरे से एक अजीब-सी चुदाई की खुशबू आ रही थी जैसे वह अभी ही चुदाई करके सोए हो।

दीदी को ढूँढते हुए में किचन में गया तो दीदी वहाँ नंगी ही खाना बना रही थी।

मुझे देखते ही दीदी बोली "तुझे बड़ा पसंद आ गई है वह मनीषा, क्या विचार है उसके बारे में तेरा?"

तो मैं बोला "अभी उसकी चौड़ी तो कर देने दो फिर विचार करेंगे।" मैं हंसता हुआ वहाँ से बाहर आ गया।

मैने मनीषा को देखा और देखता ही रह गया वह बहुत ही प्यारी लग रही थी सोते हुए। अब मैने उसे उठाने का निश्चय किया। मैं उसके पास गया और उसकी चूत पर मुंह लगाकर चाटने लगा वह धीरे-धीरे नींद से बाहर आने लगी और गरम भी ही रही थी।

अब वह पूरी तरह से उठ चुकी थी और अपने हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी उसे मजा आ रहा था।

अब मैं ऊपर आया उसे मैने एक जोरदार किस किया और उसके ऊपर होंठ को जोर से काट लिया वह सहम उठी मेरे इस हरकत से।

अब मैने उसे "गुड मॉर्निंग" बोला और लंड उसके सामने कर दिया वह भी "गुड मॉर्निंग" बोलते हुए लंड को चूसने लगी।

वह अब बहुत ही गरम हो चुकी थी चुदवाने को बेताब थी।

वह बेकाबू हो रही थी, मैने भी मौका देखते हुए उससे बोला "मै एक ही शर्त पर तुझे चोदूंगा।"

उसने बोला "क्या शर्त है आपकी, मुझे मंजूर है।"

मैनें बोला "शर्त के पहले ही मंजूर, गजब है, पर पहले सुन लो शर्त।"

उसने बोला "ऐसा क्या है?"

तो मैने कहा "तुझे गांड मरवानी पड़ेगी मुझसे वह भी मेरे साथ सुहागरात पर, बोल मंजूर है।" वह बोली "पर कैसे?"

उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैने क्या कहा।

अब मैं बोला "मेरी रण्डी बनेगी, मुझसे शादी करेगी मनीषा।"

उसके आँख में आंसू आ गए। मैं आंसू पोंछते हुए बोला "क्या हुआ, क्यों रो रही हो", वह बोली "यह तो खुशी के आंसू है, मैं केसे मना कर सकती हूँ आपको।"

दीदी और उसका बुड्ढा सब सुन रहे थे तो दीदी हंसते हुए बोली "क्या करेगा पहले सुहागरात मनाएगा या शादी करेगा?"

मै बोला "जैसे आप बोलो!"

दीदी ने कहा "पहले जो तेरा बड़ा भाई है उसकी बीवी आने दे और पहले तू उसके साथ सुहागरात मना फिर इसके साथ मना लेना।"

इतने में मंजू ओर जीजाजी आ गए उन्हे शादी की खुशखबरी मिल गई।

जीजाजी बोले "पहले हमें चेक तो करने दो की दुल्हन सुहागरात के लिए फिट है या नहीं।"

सब हंसने लगते है जीजाजी की बातें सुनकर।

इतने में ऋषभ और जया भी आ गए उन्हे भी दीदी ने सब बात बताई।

दीदी बोली "सब कर लेना पर कोई भी मनीषा की गांड मत मारना, सुहागरात पर चाहिए होगी ना मेरे भाई को, जव सब औरतें सुहागरात को कमरे के दरवाजे पर कान लगाकर सुनेगी तो उन्हे क्या सुनाएंगे।"

सभी ने हाँ कर दी गांड ना मारने पर।

जीजाजी बोले "कल रात को जया को गांड मरवाने का भूत चढ़ा था ना वह उतरा या नहीं?"

यह सुनते ही जया फट से आगे आकर झुक गई और गांड दिखाने लगी।

जीजाजी बोले "सुहागरात की प्रैक्टिस कर लो साले साहब।"

मै उठा और पहले मंजू को नीचे बिठाया और उसके मुंह में छोटा-सा लंड दिया और उसे कुछ देर में बड़ा करके निकाला फिर दीदी को बोला कि "दीदी आपने तो इन दोनों मा बेटी से खूब गांड चटवाई अब आपकी बारी चलो चाटो इस रंडी की गांड।"

दीदी मेरी तरफ तिरछी नजर करते हुए गांड की तरफ बढ़ गई। मनीषा उठी और जया की चूत पर आ गई ऋषभ मनीषा की चूत को चाटने लगा और कुछ-कुछ देर में गांड पर भी जीभ फिरा रहा था इसलिए मनीषा उचक रही थी बार बार।

मंजू क्या करती ऋषभ के लन्ड पर जा बैठी और अपने ससुर और जेठ के लंड को एकसाथ चूसे जा रही थी कभी जेठ का तो कभी ससुर का लंड मुंह में भरती ऐसे ही दोनों को उसने एकसाथ अपने मुंह में खाली करवा लिया।

और ऋषभ को मंजू ने अपनी चूत में खाली करवा लिया।

ऋषभ मनीषा की चूत पर से हट गया और मैने जया को खींच लिया अपनी और अब मैने उसे नीचे की और झुका दिया और देखा कि दीदी ने गांड को थूक लगा-लगा कर चिकना कर दिया था अंदर तक थूक था।

थूक बाहर टपक रहा था जया की गांड़ से।

अब मैने गांड़ के छेद पर रखा अपना लंड ओर घिसने लगा धीरे-धीरे मैने मोका देखा और पहले तो मैने। जया को कहा कि तीन गिनते ही डाल दूंगा तेयार रहना, सभी लोग गिनती कर रहे थे एक गीना मुझे पता था कि जया डर के मारे गांड टाईट कर लेगी इसलिए मैने दो गिनने के पहले ही लन्ड डाल दिया।

जया चिल्ला उठी चिकनाहट के कारण जया की गांड़ में एक ही बार में पूरा लन्ड चला गया वह चिल्ला रही थी।

मै जोर-जोर से ठोकने लगा जया की गांड को अब कुछ देर गांड चोदने के बाद में अंदर ही झड़ गया मैने लंड निकाला तो उसपर थोड़ा खून और थोड़ी टट्टी लगी थी।

मैने वैसे ही लंड को जया की चूत में डाल दिया और चूत पर लन्ड पोंछ दिया और दीदी को चाटने को कहा।

दीदी ने शायद लंड नहीं देखा था टट्टी लगा हुआ पर मंजू, मनीषा, ऋषभ, रामलाल और जीजाजी को पता था।

दीदी के मुंह में पहले मैने लंड दे दिया और बोला "चलो इसको साफ करो पहले" दीदी चूस रही थी लंड को बिना मन से तो मैंने दीदी से पूछा तो दीदी बोली "बड़ा अजीब-सा टेस्ट आ रहा है साली ने पाद दिया लगता है।"

मै हंसने लगा ओर बोला "चलो अब इसकी चूत साफ करो।"

दीदी ने बिना कुछ देखे सोचे की जया की चूत चाटकर साफ़ कर दी।

अब हम सब नहा धोकर फ्रेश होकर आ गए मनीषा भी यही थी। हम दोनों ने एकसाथ शावर लिया और आ गए वैसे भी कोई कपड़े तो पहनने थे नहीं।

हम सब साथ बैठकर खाना खाने लगे।

इतने में फोन बजा दीदी ने बात की और उनके होश उड़ गए।

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