२१ - ०५ - २०२१
४:०० ( प्रातः )
हिमाचल प्रदेश ( सिरमौर )
जा रहा हूं .....
मुझे खेद है आपके सवालों का जवाब मैं ना दे पाऊंगा ....शायद देना ही नहीं है मुझे और क्या लिंखुं समझ नहीं आता ।
मेरी फिक्र मत करना ,
शायद अब ज़्यादा होगी आप सबको ।
उस आखिरी खत को.....
मोड़ते वक्त आंखों में आसूं नहीं बस इतना था ,
कि जाते जाते भी वो प्यार जता गया और मैं बुरे वक्त में उसका साथ भी नहीं ।
अमित कहते हैं सब उसे दिल से हर्ष उसका नाम नहीं पहचान थी सबके दिलों की यारों एक वही जां थी ।
खुश होते जिससे सब उन कर्मों से कभी पीछे नहीं हटता है , आंखों में आसूं आ जाएं चाहे किसी के भी , अपनी ज़िन्दगी का एहम हिस्सा उसे समझ बैठता है ।
कोई मंजिल ना है उसकी ना ही कोई ठिकाना ,
हर दिन को वो अपनी नई ज़िन्दगी समझता है ।
छोटी - छोटी आंखें हैं ,
बड़े बड़े सपने ,
लेहजा बेढंग उसिकी तरह ,
जनाब एक जैसा दिखना पसंद नहीं करते ।
ना ही रहना हर दिन कुछ नया।
क्या कहूं वो सबके दिल पर राज करता था है और रहेगा चाहे जहां भी इस पल होगा ,
ना जाने कैसे अकेला हो गया और सब छोड़ गया
और ना जाने कहां हमसे दूर चला गया ।
मैं भी ढूंढ रही हूं उसके हि कुछ ख्वाबों को पूरा करने की कोशिश कर रही हूं ।
मैं .....
प्रियंका और ब्लड कैंसर था मुझे अब नहीं है शायद इसकी वजह भी वही है ,
मेरे हर गम को उसने अपना बना , मुझपर सब लूटा दिया ,
देखो आज उसी ने हि सब दे मुझे , खुद अकेला हो सबसे दूर हो गया ।
वो अपनी ज़िन्दगी से हार रहा था कभी कुछ बतलाया नहीं ,
सिर्फ मेरी ज़िन्दगी की फिक्र उसे सताती रही ....
मैं मतलबी उससे अपना मतलब निकालती रही ,
क्या करूं सपने थे , कुछ बनना था ,
ये ना पता था ,
उसका सपना बस मुझे ही पना था ।
( २ )
आज आप सभी को एक कविता लिखनी है ,
गुरु जी topic क्या होगा ।
जो दिल करे वही लिख डालो और क्या ।
सर sex पर लिखें क्या ,
अरे कहा ना जो मरजी ।
शाम तक का समय है रात ७:३० आप सभी को उसे सबके सामने पड़ना है ।
हो जाओ शुरू सब जाओ .....
मैं उसे धूंडने पहाड़ों पर आईं हूं , बड़ी किस्मत वाली हूं की ग्रुप मिल गया और इनके बोरिंग से कंपटीशन ,
ख़ैर ,
जिसके लिए आईं हूं उसे शौक है लिखने का ,
और आज मैं उसी की एक पोएट्री ओढ़ने वाली हूं ,
जानती हूं ये ग़लत है लेकिन अब सब सही है ।