Baixar aplicativo
79.24% गीता ज्ञान सागर / Chapter 42: गीता माहात्म्य - अध्याय 8

Capítulo 42: गीता माहात्म्य - अध्याय 8

श्रीमद भगवद गीता

आठवें अध्याय का माहात्म्य

भगवान शिव कहते हैं:- हे देवी ! अब आठवें अध्याय का माहात्म्य सुनो, उसके सुनने से तुम्हें बड़ी प्रसन्नता होगी, लक्ष्मीजी के पूछने पर भगवान विष्णु ने उन्हें इस प्रकार आठवें अध्याय का माहात्म्य बतलाया था।

श्री भगवान बोलेः- दक्षिण में आमर्दकपुर नामक एक प्रसिद्ध नगर है, वहाँ भाव शर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था, जिसने वेश्या को पत्नी बना कर रखा था, वह मांस खाता था, मदिरा पीता, श्रेष्ठ पुरुषों का धन चुराता, परायी स्त्री से व्यभिचार करता और शिकार खेलने में दिलचस्पी रखता था, वह बड़े भयानक स्वभाव का था और और मन में बड़े-बड़े हौंसले रखता था, एक दिन मदिरा पीने वालों का समाज जुटा था, उसमें भाव शर्मा ने भर पेट ताड़ी पी, खूब गले तक उसे चढ़ाया, अतः अजीर्ण से अत्यन्त पीड़ित होकर वह पापात्मा काल-वश मर गया और बहुत बड़ा ताड़ का वृक्ष हुआ।

उसकी घनी और ठंडी छाया का आश्रय लेकर ब्रह्म-राक्षस भाव को प्राप्त हुए कोई पति-पत्नी वहाँ रहा करते थे, उनके पूर्व जन्म की घटना इस प्रकार है, एक कुशीबल नामक ब्राह्मण था, जो वेद-वेदांग के तत्त्वों का ज्ञाता, सम्पूर्ण शास्त्रों के अर्थ का विशेषज्ञ और सदाचारी था, उसकी स्त्री का नाम कुमति था, वह बड़े खोटे विचार की थी, वह ब्राह्मण विद्वान होने पर भी अत्यन्त लोभ-वश अपनी स्त्री के साथ प्रतिदिन भैंस, काल-पुरुष और घोड़े आदि दानों को ग्रहण किया करता था, परन्तु दूसरे ब्राह्मणों को दान में मिली हुई कौड़ी भी नहीं देता था, वे ही दोनों पति-पत्नी काल-वश मृत्यु को प्राप्त होकर ब्रह्म-राक्षस हुए, वे भूख और प्यास से पीड़ित हो इस पृथ्वी पर घूमते हुए उसी ताड वृक्ष के पास आये और उसके मूल भाग में विश्राम करने लगे।

पत्नी ने पति से पूछाः- 'नाथ! हम लोगों का यह महान दुःख कैसे दूर होगा? ब्रह्म-राक्षस-योनि से किस प्रकार हम दोनों की मुक्ति होगी?

ब्राह्मण ने कहाः- "ब्रह्मविद्या के उपदेश, आध्यात्म तत्व के विचार और कर्म विधि के ज्ञान बिना किस प्रकार संकट से छुटकारा मिल सकता है?

पत्नी ने पूछाः- "किं तद् ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम" (पुरुषोत्तम ! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है और कर्म कौन सा है?) उसकी पत्नी इतना कहते ही जो आश्चर्य की घटना घटित हुई, उसको सुनो, उपर्युक्त वाक्य गीता के आठवें अध्याय का आधा श्लोक था, उसके श्रवण से वह वृक्ष उस समय ताड के रूप को त्यागकर भाव शर्मा नामक ब्राह्मण हो गया, तत्काल ज्ञान होने से विशुद्ध-चित्त होकर वह पाप के चोले से मुक्त हो गया तथा उस आधे श्लोक के ही माहात्म्य से वे पति-पत्नी भी मुक्त हो गये, उनके मुख से दैवात् ही आठवें अध्याय का आधा श्लोक निकल पड़ा था।

तदनन्तर आकाश से एक दिव्य विमान आया और वे दोनों पति-पत्नी उस विमान पर आरूढ़ होकर स्वर्गलोक को चले गये, वहाँ का यह सारा वृत्तान्त अत्यन्त आश्चर्यजनक था, उसके बाद उस बुद्धिमान ब्राह्मण भाव शर्मा ने आदर-पूर्वक उस आधे श्लोक को लिखा और भगवान जनार्दन की आराधना करने की इच्छा से वह मुक्ति दायिनी काशीपुरी में चला गया, वहाँ उस उदार बुद्धिवाले ब्राह्मण ने भारी तपस्या आरम्भ की, उसी समय क्षीरसागर की कन्या भगवती लक्ष्मी ने हाथ जोड़कर देवताओं के भी देवता जगत्पति जनार्दन से पूछाः "हे नाथ ! आप सहसा नींद त्याग कर खड़े क्यों हो गये?"

श्री भगवान बोलेः- हे देवी! काशीपुरी में भागीरथी के तट पर बुद्धिमान ब्राह्मण भाव शर्मा मेरे भक्ति-रस से परिपूर्ण होकर अत्यन्त कठोर तपस्या कर रहा है, वह अपनी इन्द्रियों के वश में करके गीता के आठवें अध्याय के आधे श्लोक का जप करता है, मैं उसकी तपस्या से बहुत संतुष्ट हूँ, बहुत देर से उसकी तपस्या के अनुरूप फल का विचार का रहा था, प्रिये ! इस समय वह फल देने को मैं उत्कण्ठति हूँ।

पार्वती जी ने पूछाः- भगवन! श्रीहरि सदा प्रसन्न होने पर भी जिसके लिए चिन्तित हो उठे थे, उस भगवद् भक्त भाव शर्मा ने कौन-सा फल प्राप्त किया?

श्री महादेवजी बोलेः- हे देवी! द्विजश्रेष्ठ भाव शर्मा प्रसन्न हुए भगवान विष्णु के प्रसाद को पाकर आत्यन्तिक सुख (मोक्ष) को प्राप्त हुआ तथा उसके अन्य वंशज भी, जो नरक यातना में पड़े थे, उसी के शुद्ध कर्म से भगवद्धाम को प्राप्त हुए, पार्वती! यह आठवें अध्याय का माहात्म्य थोड़े में ही तुम्हे बताया है, इस पर सदा विचार करना चाहिए।


next chapter
Load failed, please RETRY

Status de energia semanal

Rank -- Ranking de Poder
Stone -- Pedra de Poder

Capítulos de desbloqueio em lote

Índice

Opções de exibição

Fundo

Fonte

Tamanho

Comentários do capítulo

Escreva uma avaliação Status de leitura: C42
Falha ao postar. Tente novamente
  • Qualidade de Escrita
  • Estabilidade das atualizações
  • Desenvolvimento de Histórias
  • Design de Personagens
  • Antecedentes do mundo

O escore total 0.0

Resenha postada com sucesso! Leia mais resenhas
Vote com Power Stone
Rank NO.-- Ranking de Potência
Stone -- Pedra de Poder
Denunciar conteúdo impróprio
Dica de erro

Denunciar abuso

Comentários do parágrafo

Login