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85.71% जिंदगी 1 / Chapter 6: बीते लम्हे 6

章 6: बीते लम्हे 6

उसने औटॉ वाले से बात की और हम चल दिये।वो काफी अपसेट दिख रही रही ।मै सोचा की मै कुछ पुछु ।फिर मै चुप रहना ही बेहतर समझा ।कुछ देर इसी तरह सन्नाटा रहा फिर मैने उस से पुछा आज बहुत अपसेट दिख रही हो ।वो बिल्कुल सांत रही ,जैसे उसने मेरी बातो को सुना ही ना हो ,फिर कुछ देर बाद उसने अचानक मेरी तरफ देखा ।मै भी इस बार उसकी आंखो मे देखा ।लगभग 2मिनट तक दोनो एक दुसरे को देखते रहे ।फिर उसने अचानक अपना वो गिफ्ट उठकर गारी के बाहर फेक दिया और मेरे सिने से लिपट गयी ।मेरी कुछ समझ मे कुछ नही आ रहा था की क्या हो रहा है ।मै ऑवाक था।थोरी देर तो मै ऐसे ही बैठा रहा फिर मैने अपनी हाथो को उसके पीठ पे रखा और धीरे से उसे शहलाने लगा।फिर मै उसके कन्धे पर हाथ रख के उसे अपने से दूर किया।उसकी आंखो मे आंशु थे ।मैं उस से कुछ पूछना चाहता था लेकिन मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने अपने हाथो को मेरे मुह पे रख दिया और इसारे मे ही वो अपनी गर्दन हिला के बोली नही । मै समझ गया था वो मेरे किसी प्रश्नो का जबाब नही देना चाह्ती थी ।उसकी हालत देख कर मैने कुछ पूछना सही नही समझा ।मै चुप हो के बैठ गया और खुद मे सोचने लगा । आज क्या हुआ इसे मैने आज तक इसे ऐसे नही देखा था ,मै सोच रहा था की ,क्या इतनी खुबसूरत आँखे हो जिसकी ,इक दम गोरा बदन ,सिल्की बाल,पैर हिरणी के जैसे खुबसूरत हो , जो देखने मे किसी परी से कम ना हो ,क्या उसके आंखो मे भी आंशु होते है ,क्या उसके पास भी हमलोगों के जैसा दिल होता है ,और अगर होता भी है तो क्या उसके दिलो मे दर्द और आंखो से आंशु आते है क्या ,ना ऐसा नही हो सकता ,कौन इतना बेबकूफ होगा ,जो इतनी खुबसूरत सी परी के आंखो से आंशु लाने की कोसिस करेगा । जिसे भगवान ने बनाया ही हो सिर्फ़ प्यार पाने के लिये वो किसी के नफरत का हकदार कैसे हो सकती है ,ना जरुर मै कोई सपने देख रहा था।मै किसी सपने मे थे ।ऐसा मुझे लगा , मै फिर से उसकी तरफ देखा वो अपने दोनो हाथो से से अपने मुँह को ढके थी ।मै कुछ देर तक उसे ऐसे ही देखता रहा ,लेकिन मै नही देख सकता था उसे इस तरह से ज्यादा देर तक ।जिसके चेहरे पर आज तक मैने सिर्फ़ हंसी देखी थी , जिसने आज तक अपने इस खुबसूरत से चेहरे को छुपाया नही था आज वो इसे छुपा के बैठी थी । मैने कई बार आज से पहले उसे बस इक बार छूकर देखना चाहा था ,लेकिन मुझे कभी आज तक ऐसा मौका नही मिला था ।मैने कई दिन तक उसके लिये कितने सारे ख्वाब देखा था ,सब को पुरा कर ने का आज मेरे पास पुरा मौका था ,लेकिन सच मे आज मेरा मन कुछ नही था ,मेरी कोई इच्छा नही थी आज उस से ।

उसके ढके हुए चेहरे को देख कर ,आज मेरे मन मे ना उसके लिये आकर्षण था और ना ही प्यार आ रहा था बस थी तो मेरे कुछ सवाल जिसे मै बेसब्री से जानना चाहता था ।

कुछ दुर चलने के बाद हमरी गारी रकी और वो गारी से नीचे उतरी ,उसके साथ मै भी बाहर आ गया ।सामने इक क्लब था ।

मैने उस से पुछा,येहाँ ।

उसका बस इक जवाब आया आज मै अपने पूरे होश खोनी चाह्ती हू।मै आज सब कुछ भुल जाना चाह्ती हू ।क्या तुम मेरा साथ दोगे । प्लीज । ना मत कहना प्लीज ! उसके मासूम से चेहरे को देख कर मै कुछ नही पुछ पाया।मै पूछना तो चाहता था ,लेकिन पता नही मेरे मुह बन्द हो ग्ये और बस मैने सहमती मे सिर्फ़ अपना सर हिलाया।

फिर वो बोली तो ठीक है आज बस कोई सवाल नही ,आज सिर्फ़ मस्ती ।मैने बोला ठीक है ,सायद उसे भी इस बात इहसास था की मेरे मन मे उसके लिये कुछ सवाल है और इसलिये वो अपने आप को छुपा रही थी । लेकिन भला वो मुझ से क्यू छुपा रही थी ,मै तो कोई नही था उसका बस एक साधरण सा दोस्त था मै ,उसके लिये कोई जरुरी नही थी मेरे सवालो का जवाब देना ।लेकिन वो छुपा क्यू रही थी ,कोई किसी भी बात को सिर्फ़ उसी से छुपाता है ,जिसके बारे मे वो सोचता है की कही इसे बुरा ना लगे ।क्या ,उसे ख्याल था मेरा ,क्या उसके दिल मे मै था ।

हम दोनो फिर क्लब के अंदर गए। वहाँ का माहौल कुछ अलग ही था।सच मे लोग वहाँ कोई मस्ती की कमी नही थी ।सब, गम भुला के डूबे थे अपनी पुरी मस्ती मे ।किसी को कुछ खबर नही थी ,बस सब दुबे थे अपने अपने मे ,सब कुछ से बेखबर , ऐसा लगता था आज सारे गम भुला देंगे ये ।, ऐसे लगता था की आज इनके जिंदगी की आखिरी दिन है कुछ ऐसे मस्ती कर रहे थे सब ,अपनी जिंदगी से बेखबर बस ये अपने जिंदगी के हरेक पल को पुरी मस्ती से जी रहे थे ।मै भी खो गया था कहीं उन्ही मे ।

मै बस चारो तरफ देख रहा था ,बस सब को देखे जा रहा था ,तभी मेरी नजर तनिशा पर ग्यी । वो भी पुरे मस्ती मे नाच रही थी ।उसे अपनी कोई खबर नही थी ।अचनक उसने मेरी तरफ देखा , और इक ही पल मे मेरे पास आ गयी ।उसने मेरा हाथ पकरा और अपनी तरफ जोर से खीचा । मै अचानक अपने आप को संभाल नही पाया और सीधे जा के उसकी बहो मे सिमट गया ।उसने जोर से पकर रखा था ,मैने छुराणे की कोसिस की लेकिन वो बेकार रही । फिर मैने अपने दोनो हाथ उसके गाल पे रखा ,और उसे अपने सामने किया ।उसके मुँह से बियर की बदबू आ रही थी ,तुमने ड्रिंक किया है ,हां मैने की लर्खराते जुबान से उसने बोला ,मैने फिर पुछा तुमने ड्रिंक की उसने इतने मे मेरी हाथो से दुर जाकर इक ड्रिंक ले आयी और बोली तुम भी लो । मै उसकी आंखो मे देख रहा था ,इस बार वो अपनी नजर नही चुरा रही थी , वो मेरी नजरो मे नजर डाल कर बहुत मासूमियत से बोली प्लीज!

उसकी मासूमियत भरी निगाहो मे मै डूब गया था ।मैने अपनी हाथो से उसके हाथो को पकरा और बियर की गिलास पूरी पी ली,कुछ अजीब सी कशिश थी उसकी आंखो मे ,उसके होठ , ऐसे चमक रहे थे जैसे किसी ने उसके होठो को चुम लिया हो ।इक अजीब सी आकर्षण थी उसमे । तभी उसने अपना हाथ आगे बढाया ,मैने भी कुछ बिना सोचे अपने हाथो को उसके हाथ मे डाल दिया । हल्की सी सैंगीत बज रही थी ,उसने मेरे दोनो हाथो को अपने हाथो मे पकर रखा था ।और धीरे धिरे हम संगीत की धुन पे थिरक रहे थे ,लगभग एक घन्टे तक कभी फास्ट म्यूज़िक और कभी स्लो म्यूज़िक की धुन पे हम डान्स कर ते रहे ,और इसी बिच वो कई गिलास बियर पी चुकी थी ,अब ये हम दोनो के बिच प्यार था या आकर्षण ये तो पता नही ,लेकिन जो भी था बहुत जबर्दस्त था । अब थोरे थोरे मेरे कदम भी लर्खराने लगे थे , मैने उसे बोला की अब चलते है ,मैने अभी पुरा बोला भी नही था की उसने अपनी उंगली मेरे लिप्स पे रख दी ,और बोली नही अभी नही अभी और , ये बोलते बोलते उसके कदम लर्खराने लगे थे,उसकी आँखे बन्द हो रही थी ,मेरे सिने पे उसने अपने सिर को रखा उसके हाथ मेरे गर्दन पर लिपटे थे,वो उपर आँखे कर के मुझे इक मदहोश नजरो से देख रही थी ।उसकी गरम सांसे मुझे बहुत ज्यादा रोमांचित कर रही थी , कुछ देर तक तो मै उसे ऐसे ही देखता रहा ।फिर मैने सोचा की अब हमे निकलना चाहिये ।मैने घरी देखी रात के 10बज चुके थे ,मैने सोचा हमे अब निकलना चाहिये ।


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