ऐसे ही लील बड़ा हो गया। सात साल बाद कल लील शहर पड़ने जा रहा है। लील अब अठारा की उमर का हो गया है। "मम्मी आज मैं बहुत खुश हूं।" लील खुश है क्योंकि वो कल से एक नई जगह पढ़ने जा रहा है। "मम्मी तुम रोने क्यों लग गई।" तेरे पापा घर पर नहीं है और कल तू शहर भी जा रहा है।
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मुझे यही चिंता है तू कैसे अकेले जायेगा?" "मम्मी मै जाता ही नहीं हूं।" लील थोड़ा मायूस हो गया। "बेटा पड़ना जरूरी है। लील को मम्मी ने प्यार से समझाते हुए सर पर हाथ फेरते हुए कहा। "मैं किसीको तेरे साथ भेज दूं? जो तुझे शहर छोड़ देगा।" "मम्मी अब मैं बड़ा हो गया हूं। मै अकेले जा सकता हूं।"
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लील ने अपनी मम्मी को मनाने की कोशिश की। "ठीक है मैं समझ गई, रात हो रही है अब सो जा कल सुबह जल्दी उठकर तुझे बस भी पकड़नी है।" लील की मम्मी उसके पास बैठी रही जब तक लील सो नहीं गया। अगला दिन लील और उसकी मम्मी सुबह बस के इंतजार में खड़े हैं। चारों तरफ अभी अंधेरा है। पां पां पां। तभी बस आ गई और लील बस मे चढ़ गया। "लील बेटा ध्यान से जाना।" "ठीक है मम्मी मै चलता हूं लेकिन चिंता मत करना मै जल्द ही लोट आऊंगा।"
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लील ने बस मे चढ़ते हुए कहा। बस शहर की तरफ चली गई। शाम तक बस शहर पहुंच गई। लील बस से उतरकर सबसे पहले अपने कमरे की तरफ जाने की सोचा जो उसे कॉलेज की तरफ से मिला था। लील अपने कमरे की तरफ चला। "ये शहर तो बहुत बड़ा है इसकी बिल्डिंग कितनी ऊंची और रंगीन हैं।"
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लील हैरानी मे ही था। एक लड़का रोहन से आकर टकरा गया। लील गिर गया। "भाई कहां देख कर चल रहा है?" लील ने उस लडके को कहा। लील गुस्से मे उठा, लेकिन वो लड़का अब वहां नहीं था। "लगता है भाग गया। अगली बार मिला तब बताउंगा।" लील कपड़े झाड़क कमरे की तरफ जाने लगा।
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लील अपने एड्रेस पर पहुंच गया। "एड्रेस तो यहीं कहीं का बता रहा है। मेरा कमरा यहीं कहीं इसी बिल्डिंग मे है।" लील गेट के अंदर आ गया। "पहले नीचे कमरे से देखना शुरू करता हूं। यहां दरवाजे के ऊपर A1 लिखा हुआ है और मेरा क्या है? A1 अच्छा मेरे वाले का ये नाम है। क्या?
ये तो मैच कर गया यही मेरा कमरा है।" लील का ग्राउंड फ्लोर पर ही था। लील ने चाबी से ताला खोला और अंदर आ गया। "ये कमरा तो शुरू होते ही खतम हो गया।" अटपटे ढंग से लील ने कहा।
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"ये इतना बड़ा भी नहीं है जितना ये बाहर से दिख रहा था। मगर मुझे काम तो चलाना ही है। अब इस कमरे की थोड़ी सफाई कर लेता हूं यहां धूल बोहोत है।" लील अपने कमरे में सब सेट करके रख रहा है। रात हो गई कमरे की सफाई करके लील बेड पर लेट गया। " जल्दी खाना बनाता हूं और फिर सो जाता हूं।" कल मेरा कॉलेज मे पहला दिन कैसा होगा? जैसा भी होगा मगर बड़िया ही होगा।"
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रात काफी हो चुकी थी लील अब सो गया। ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग। ट्रिंगगगगग। लील के फोन का अलार्म बजने लगा। ट्रिंग ट्रिंग। लील नींद से उठ गया। लील ने टाइम की तरफ देखा तो साढे आठ हो चूके थे। लील जल्दी जल्दी कॉलेज के लिए तैयार हो गया। "आज पहला दिन है और मुझे देर से नहीं पहोंचना है।" लील अपना बैग पहन कर कोलेज निकल गया। "मै जा तो रहा हूं लेकिन कोलेज किस तरफ है?"
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लील को रास्ते के बगल मे एक बोर्ड दिखा। लील उस बोर्ड की तरफ बड़ा। "यहां से कालेज दो किलोमीटर दूरी पर है। अगर मै तेज चलता हूं तो आराम से वहां नो बजे की क्लास तक पहुंच जाऊंगा।" तभी एक बस आई। "ये बस भी उसी तरफ जा रही है जहां मै जा रहा हूं। इससे मे जल्दी कॉलेज पहुंच जाऊंगा।"
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लील बस से थोड़ी समय मे कॉलेज पहुंच गया। बस से उतरते ही लील अपनी क्लास के लिए दौड़ गया। लील दौड़ कर ही एक कमरे से दूसरे कमरे मे जा रहा था। नीचे के सारे कमरे देखने के बाद लील दूसरे फ्लोर के लिए सीढियों मे दौड़ गया। "रूम नंबर नाइन मे मेरी क्लास है। जिसके लिए सिर्फ अभी पांच मिनट हैं।" सीढियां चढ़ कर रूम नंबर नाइन लील को बगल मे ही मिल गया।
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,लील थक कर क्लास के बाहर खड़ा हो गया। एक लड़की अचानक से आकर लील से टकरा गई। दोनो क्लास के दरवाजे पर गिर गए। जिन्हे देख कर पूरी क्लास के बच्चे हंस पड़े। लील जल्दी उठा और खाली बेंच ढूंढ कर क्लास मे बैठ गया। लड़की भी उठकर लील के पिछले बेंच पर जाकर बैठ गई। प्रोफेसर आया और पड़ना शुरू कर दिया। लील ने लड़की की तरफ मुड़ कर एक स्माइल दी। लड़की लील को लगातार घूर रही थी। " ये मुझे घूर क्यों रही है।" लील थोड़ा डरा था उसके घूरने से ओर डर गया।