रुद्र के जाने के कुछ देर बाद पायल कमरे के अंदर आई। जब उसने देखा की रुद्र वहां नहीं है, तो उसने कीर्ति से पूछा, " भईया कहां चले गए ? "
कीर्ति बोली, " वो घर गया है। "
" घर क्यों ? वो तो यहां रुकने वाले थे ना ? " पायल कीर्ति के हाथ मे काफ़ी का कप थमाते हुए बोली।
कीर्ति काफी पीते हुए बोली, " रुद्र ने कब कहा की वो यहां रुकने वाला है ? "
पायल बोली, " नहीं, वो बोल नहीं रहे थे। वो सुबह से यहीं पर थे और अचानक से चले गए तो थोड़ा अजीब लग रहा है। "
कीर्ति बोली, " अरे उसके घर से कॉल आया था। कुछ अर्जेंट काम था इसीलिए वो चला गया। वो शाम तक आ जायेगा। वो सब छोड़ो तुम जाओ थोड़ा आराम कर लो। "
" ठीक है दी। अपना ख्याल रखना। " इतना कहकर पायल वहां से चली गई। अब कीर्ति अपने कमरे में अकेली थी। वो अपने आप से बाते करने लगी। " मुझे कल राजस्थान केलिए निकलना पड़ेगा। देढ़ महीने से नहीं गई हूं। ऑनलाइन फ्लाइट टिकट बुक कर देती हूं। " इतना कहकर जब उसने फोन खोल कर देखा तो फोन की बैटरी लो थी। उसने फिर से बड़बड़ाया, " साले इस मोबाइल का बैटरी अभी लो होना था। चलो कोई नहीं चार्ज कर लेती हूं। रुद्र के आने के बाद टिकट बुक करूंगी। तब तक केलिए में भी थोड़ा आराम कर लेती हूं। " इतना कहकर उसने फोन चार्जिंग पर डाला और फिर आंख बंद कर आराम करने लगी। आराम करते करते कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।
इस तरफ रुद्र अपने BMW Car पर बैठ घर की ओर जा रहा था। उसने आने से पहले अपने आदमी को काम समझा दिया था की वो एक घंटे होते ही चिमटा बदल दे और ये काम उसे हर एक घंटे के बाद करना है। वो सोच रहा था, " क्या वाकई ऐसा हुआ है या फिर मुझे घर बुलाने केलिए ये कोई प्लानिंग है ? "
यही सब सोचते सोचते रुद्र गाड़ी चला रहा था। इसी बीच अचानक से एक गाय उसके गाड़ी के सामने आ गई। जब रुद्र की नजर गाय के उपर पड़ी तो उसने हड़बड़ाते हुए अचानक से ब्रेक मार दिया। वो तो अच्छा हुआ की उसकी गाड़ी स्पीड नहीं थी और उसने सीट बेल्ट भी पहन रखी थी। वरना आज तो उसका सर स्टेरिंग से टकरा जाता और फिर वो हॉस्पिटल में पड़ा होता। जब वो गाय वहां से चली गई, तब रुद्र ने फिर से गाड़ी स्टार्ट किया और अपने घर के तरफ चल पड़ा। इस बार वो कुछ न सोचते हुए पूरा ध्यान रोड़ पर और गाड़ी चलाने पर लगाए घर की ओर जा रहा था। 10 Minutes के बाद वो अपने घर के गेट के सामने था। उसका घर पुरानी ज़माने के हवेली के जैसा था। रुद्र जब गेट के सामने पहुंचा तब गेट के पास खड़े दो आदमियों ने गेट खोल दी। फिर रुद्र गाड़ी लेकर अंदर चला गया। वो तिरछी नजर से बालकनी के तरफ देख रहा था जो की Second Floor पर था। वो देख सकता था की उसकी बड़ी बहन चित्रा उसे बालकनी से बड़े ध्यान से देख रही थी और उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी। यही देखते देखते ही वो गैरेज तक पहुंच गया। अंदर उसने गाड़ी पार्क की और फिर गाड़ी से उतर कर वो अपने घर के तरफ जाने लगा। जाते जाते वो सोच रहा था, " आखिर ये चित्रा मुझे इतने ध्यान से देख मुस्कुरा क्यों रही थी जैसे उसने किसी चीज में कामयाबी हासिल कर ली हो 🤨 कहीं वो बात झूठ तो नहीं थी ? अगर वो बात सच होती तो चित्रा ऐसे माहौल में क्यों मुस्कुराती ? में समझ गया, मुझे घर बुलाने की और कीर्ति के खिलाफ भड़काने की ये एक Planning थी। और हो न हो ये Planning चित्रा की ही होगी। इतना तेज दिमाग चित्रा के अलावा इस घर में और किसका है ही नहीं। "
यही सब सोचते सोचते वो घर के सामने पहुंच गया। हवेली का बड़ा सा दरवाज़ा जो की खुला हुआ था और उसके दोनो तरफ दो हट्टे कट्टे आदमी खड़े हुए थे। खुले दरवाज़े से जब वो हवेली के अंदर देखने लगा तब उसके दिमाग में वही बात फिर से Pinch करने लगी, " आखिर हमारा अतीत क्या है ? हमारे पूर्वज कोन है ? आखिर मेरा ये बचपन का सवाल का जवाब कब मिलेगा ? बच्चे से बड़ा हो गया लेकिन आज तक इसका राज मुझे पता नहीं चला। हे महादेव, इस सवाल का जवाब मुझे कब मिलेगा ? "
दरअसल ये सब सवाल रुद्र के दिमाग में इसलिए आते थे क्योंकि उसका हवेली अंदर से आधा पुराने ज़माने के हवेली की तरह था और आधा आज के ज़माने के Luxurious House के तरह था मतलब दोनो तरह के ये घर था। उनके घर में राजपूतों के पुराने ज़माने के महल, हवेलियों में जैसे नक्काशी की जाती थी, वैसी ही नक्काशी की गई थी। नक्काशी के साथ साथ वहां पर Luxurious Houses में जैसे Designs होती है, वैसे ही Designs बनी हुई थी। घर पर जो Furnitures थे, वो कुछ लकड़ियों के थे और कुछ आज के ज़माने के Modern Furnitures थे। रुद्र घर के अंदर आते हुए पूरे घर को ध्यान से देख रहा था कहीं उसे उसकी सवाल का जवाब मिल जाए या फिर कोई ऐसा Clue मिल जाएं जिससे उसे अपने जवाब तक पहुंचने में मदद मिलेगी। लेकिन अफसोस, वहां न उसके सवालों के जवाब थे, ना वहां उसे कोई Clue मिला। रुद्र को आते हुए देख वहां की नौकरानी राधा भागते हुए चित्रा के पास जाकर बोली, " छोटी मालकिन, रुद्र बाबू आ गए। "
जब चित्रा को रुद्र के आने की खबर मिली तो उसने बिना किसी भाव से कहा, " हां, मुझे पता है की वो यहां आया है। उसे मैने बालकनी से देख लिया था। "
राधा बोली, " ठीक है छोटी मालकिन, हम चलते हैं। " इतना कहकर राधा वहां से चली गई। चित्रा मन ही मन खुश होते हुए खुद से बोली, " रुद्र, आखिर मैंने तुम्हे आने केलिए मजबूर कर ही दिया। चलो, कम से कम मेरी Planning फेल तो नहीं हुई। " इतना कहकर वो हॉल के तरफ जाने लगी। पूरी हवेली पर ये बात फैल गई थी के की रुद्र हवेली पर आ चुका है। ये बात पता चलते ही सब हॉल पर पहुंच चुके थे। रुद्र के परिवार में उसके दादाजी विक्रम सिंह, उसकी दादी करिश्मा सिंह, उसके पापा विक्रांत सिंह, उसकी मां अनुजा सिंह, उसकी बड़ी बहन अंजना सिंह, उसके नीचे चित्रा सिंह, उसके निचे शिवांश सिंह, उसके निचे हमारे रुद्र जिस का पुरा नाम रुद्राक्ष सिंह है, उसके निचे ध्रुव सिंह और सबसे आखिर में मीरा सिंह। रुद्र के पांच भाई बहन थे। उसकी मां अनुजा उसे गले लगते हुए बोली, " रुद्र तुम आखिर आ ही गए। "
रुद्र अपने मां को अपने से दूर करते हुए बोला, " हम कैसे न आते मां ? आखिर आपने हमें झूठ जो बोला था। "
ये सुनते ही चित्रा और अनुजा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो सोचने लगे, " आखिर रुद्र को कैसे पता चला की हमने उसे झूठ बोला था ? "
आखिर क्या थी सच्चाई ? अनुजा और चित्रा ने क्या प्लानिंग किया था जिससे रुद्र मजबूर हो कर अपने घर आया था ? आखिर उन्होंने ऐसा क्या कहा था, उन्होंने क्या झूठ बोला था रुद्र को ? ये सब जाने केलिए पढ़ते रहिए मेरी ये कहानी ' काशी बनारस की खूबसूरती '