अब आगे।
[रिया अपने पापा के पास आकर उनके सीने से लग जाती हैं। आशीष जी भी रिया को हग कर लेते है।]
"पापा, पता है मैंने आपको बहुत मिस किया!
(रिया ने हग करते हुए कहा।)
" मैने भी अपनी प्रिंसेस को बहुत याद किया। "
(आशीष जी ने अलग होते हुए कहा।)
"अब यह बता तेरी मम्मी कहाँ है? कही दिख नही रही!
(आशीष जी ने रिया से पूछा।)
" मम्मी, पड़ोस वाली ऑन्टी के घर गयी है। आप यहाँ बैठिये, मै आपके लिए पानी लेकर आती हूँ।
(रिया ने कहा और पानी लेने किचन मे चली गई।रिया पानी लेकिन आशीष जी के पास आयी।)
[आशीष जी ने पानी पि लिया और ग्लास रिया को दे दिया। राघव अपने लैपटॉप पर ऑफिस का काम करने लगा]
"पापा, कल से मेरा कॉलेज शुरू होने वाला है, तो कल मुझे गर्ल्स हॉस्टल जाना है।
(रिया ने आशीष जी से कहा।)
[रिया की बात सुनकर आशीष जी उदास हो जाते है। क्योकि...रिया का कॉलेज घर से बहुत दूर है। रिया रामनाथपुर के "जनहित गर्ल्स हॉस्टल" मे रहती हैं।]
(जनहित गर्ल्स हॉस्टल वार्तमान मे रामनाथपुर मे स्थित है, हॉस्टल का उल्लेख सिर्फ इस कहानी के लिए रखा गया है।)
[रिया दिवाली की छुट्टियों मे ही घर आती थी। अब दिवाली की छुट्टिया खत्म हो गयी थी, तो रिया हॉस्टल जाना चाहती थी। आशीष जी और राघव रिया की बात सुन दुखी हो गए।]
"पापा, आप ऐसे दुखी हो जाओगे तो मै कैसे जा पाऊँगी?
(रिया आशीष जी के पास बैठते हुए कहा।)
" बेटी, तुम हमारी प्यारी बेटी हो! जब तुम घर मे रहती हो तो घर स्वर्ग जैसा लगता हैं, लेकिन जब तुम हमारे पास नही होती तो घर सुना सुना सा लगता हैं रिया।"
(आशीष जी ने रिया का चेहरा हाथ मे लेकर कहा।)
"हाँ रिया, पापा सही कह रहे है। तु कल चली जायेगी तो मुझे भी अच्छा नही लगेगा। और मम्मी... मम्मी तो तुझसे बहुत प्यार करती हैं रिया। तेरा चले जाना उनको भी अच्छा नही लगेगा।
(राघव ने रिया को देख, दुखी होकर कहा)
" अरे अरे.. आप दोनो इतने इमोशनल क्यो हो रहे हो? मै शहर छोड़ कर नही जा रही हूँ। मै यही हूँ, रामनाथपुर मे। मेरा हॉस्टल भी यही है। अच्छा तो मुझे भी नही लग रहा,पर मेरा कॉलेज स्टार्ट हो रहा है, इसलिए मुझे जाना होगा। और रही बात आपकी... तो वो मै हर संडे को घर आती ही रहूँगी। और इसलिए,अब आप अपना दिल छोटा ना कीजिये, प्लीज़ पापा। राघव भैय्या प्लीज़!
(रिया ने आशीष जी और राघव की ओर देखते हुए कहा।)
[दोनो, रिया की बात मान लेते है और एक मुस्कान के साथ रिया को हग कर लेते है। कुछ सेकण्ड बाद तीनो अलग हुये।]
"पापा, अब मै पैकिंग कर लेती हूँ। कल टाइम नही मिलेगा पैकिंग का! ठीक है?
(रिया ने आशीष जी से कहा।)
[रिया अपने कमरे मे चली गई। उसने अलमारी खोली, और अपने कपड़े निकाल कर बेड पर रख दिये। रिया ने कॉलेज यूनिफॉर्म जो छत पर सुख रहा था,उसे लाने रिया छत पर चली गयी। कुछ देर बाद यूनिफॉर्म लेकर नीचे कमरे मे आयी और पैकिंग कर दी। रिया ने अपनी सारी पैकिंग करने के बाद किचन मे चली गयी, उसे बहुत भूक लग रही थी। रिया ने प्लेट मे खाना लिया और नीचे हॉल मे आकर सोफे पर बैठ गयी।उसने TV ON किया। आज हमेशा की तरह रिया ने म्युजिक चैनल लगाया और खाना खाने लगी।]
........
[नीलम रिया के घर पहुची, पीछे से सुमन भी आ जाती हैं।]
"अरे नीलम बेटा.. तुम कब आयी?
(सुमन ने आते हुए मुस्कुराकर कहा।)
" नमस्ते ऑन्टी जी, मै जस्ट अभी आयी हूँ।
(नीलम ने सम्मानपूर्वक कहा।)
"रिया से मिलने आयी हो?
(सुमन ने पूछा।)
" हाँ ऑन्टी जी।
(नीलम ने जवाब दिया।
"तो बेटा, बाहर क्यों खड़ी हो? अंदर आओ।
(सुमन ने नीलम से कहा।)
[नीलम घर के अंदर आ जाती है।]
" रिया, देख तेरी सहेली आयी है।
(सुमन ने रिया से कहा।)
[रिया जो अभी तक सिर्फ TV पर नज़रे गड़ाये बैठी थी, उसने पलट कर देखा।]
"अरे नीलम.. तु कब आयी? मेरा तो ध्यान ही नही रहा।
(रिया ने नीलम को देख कर कहा।)
" ध्यान तो तब रहेगा न, जब तु TV से नजरे हटायगी! जब देखो तब TV मे गाने देखती रहती हैं।
(सुमन ने रिया ताना मारते हुए कहा।)
[नीलम को सुमन की बात से हँसी आ रही थी पर, उसने अपनी हँसी रोक कर रखी। रिया ने अपना खाना खत्म किया और प्लेट किचन मे रख कर वापस नीलम के पास आयी।]
"नीलम, चल; मेरे कमरे मे चल कर बातें करते है!
(रिया ने नीलम से कहा।)
[दोनों कमरे मे आती हैं।]
" वैसे.. रिया तूने कल की पैकिंग कर ली है न?
(नीलम ने बेड पर बैठते हुए पूछा।)
"हाँ, मैंने पैकिंग कर ली। तूने की या नही?
(रिया ने नीलम से पूछा।)
" मैंने भी पैकिंग कर ली। कल कॉलेज का 1st डे है। और सेकण्ड सेमिस्टर शुरू होगा। मै तो बहुत एक्साइटेड हूँ, कॉलेज के लिए।
(नीलम ने उत्सुकता से कहा।)
"वैसे रिया एक बात पूछूँ?
(नीलम ने कहा।)
" हाँ पूछ न!
(रिया ने बेड पर बैठते हुए कहा।)
"अभी आंटी जी कह रही थी की, तु TV पर गाने सुनती है?
(नीलम ने सवाल किया।)
हाँ, तो...?
(रिया ने कहा।)
[रिया को नीलम का सवाल अजीब लगा। उसे यह समझ नही आ रहा था की, नीलम ने उसे यह आम सवाल क्यो किया। नीलम ने आगे बोलते हुए कहा।]
" पर तु गाने ही क्यो सुनती है।
(नीलम ने पूछा।)
"क्योकि, मुझे गाने सुनना पसंद है। और आजकल बहुत ही अच्छे गाने सुनने को भी मिल रहे है। लेकिन नीलम तु, क्यु पूछ रही है?
(रिया ने जवाब दिया फिर सवाल किया।)
" क्युकी, मुझे ऐसा लगता है की, गाने तो वो लोग सुनते हैं, जिनको किसी से प्यार हुआ होता है।
(नीलम ने रिया के कन्धे पर हाथ रखते हुए कहा। फिर कुछ देर रुक कर उसने रिया से पूछा।)
"एक मिनिट... रिया! कही तुझे भी तो किसी से प्यार तो नही हो गया न!
(नीलम ने मस्ती मे पूछा।)
" ऐसा कुछ नही है नीलम। तु न ज्यादा ही सोच रही हैं। प्यार शब्द तो मेरी लाइफ की डिशनरी मे भी नही है नीलम।
(रिया ने जवाब दिया।)
"ओह!! तो रिया अगर ऐसा है न, तो अपनी लाइफ की डिशनरी मे " प्यार" लिख ले। क्योकि, मुझे ऐसा लगता है की, तेरी लाइफ मे कोई ऐसा आने वाला है, जिसे तुझसे प्यार करेगा। तेरा ख्याल रखेगा।
[नीलम की बात सुन कर रिया को फिर से... उस सपने वाले लड़के की याद आयी। उसने अपनी आँखे बन्द की। रिया ने आँखे बन्द करके अपने मन मे कहा।]
"आज तक मै सिर्फ तुम्हे महसूस कर रही थी। पर अब ऐसा लगता हैं की तुम्हे अब मेरे पास आना ही होगा। तुम कौन हो? कहाँ हो? अगर तुम असल जिंदगी मे हो तो सामने क्यों नही आ रहे हो? इन सब सवालों का जवाब मै अभी भी नही जान पायी हूँ। मै दुनिया को झुठ बोल सकती हूँ की, मुझे किसी से प्यार नही है। लेकिन मै खुद से कभी झुठ नही बोल सकती। मेरा तुमसे क्या नाता है? मै इसका जवाब चाहती हूँ डियर! मुझे तुमसे मिलना है। और मुझे यकीन है की मेरे सभी सवालों का जवाब तुमसे ही मिलेगा। अब सिर्फ तुम्हारा ही इंतज़ार है। प्लीज़! अब आ भी जाओ।
[ जैसे ही रिया ने अपनी मन की बात खुद से कही। तुरंत उसके आँखों मे वो लड़का दिखाई पडा। जो मुस्कुरा रहा था। रिया को झटका लगा, उसने अपनी आँखे खोल दी। रिया को ऐसे रिएक्ट करते देख नीलम बेड से खड़ी हुई , और रिया से कहा।]
"रिया.. क्या हुआ?
(नीलम ने रिया के गाल पर हाथ रख कर पूछा।)
" अरे बाप रे! तुझे तो बहुत पसीना आ रहा है रिया। क्या हुआ?
(नीलम ने देखा की रिया के माथे पर पसीना आ रहा है। नीलम ने अपने दुपट्टे से उसका पसीना पोछा।)
" कुछ नही, वो मै कुछ सोच रही थी, तो सोचते सोचते मै कही खो गयी थी!
(रिया ने अपना फोन साइड मे रखते हुए कहा।)
"पागल है क्या रिया तु? ऐसे आँखे बन्द करके कौन सोचता है?
(नीलम ने उसे थोड़ा सख्त हो कर कहा। नीलम ने आगे बोलते हुए कहा।)
" रिया ऐसा नही करते। क्युकी जो इंसान आँखे बन्द करके सोचता है तो अपने विचारों मे ही रह जाता है। और एक बार ख्यालो मे खो गया तो जल्दी होश मे नही आता। वैसे एक बात बता की, तु ऐसा क्या सोच रही थी, जिसमे इतना खो गयी?
(नीलम ने रिया की बात जानने के तौर पर पूछा।)
"अरे कुछ नही नीलम। मै बस वो, कल के बारे में सोच रही थी। कल जब मै वापस हॉस्टल जाऊंगी तो मेरे पैरेंट्स कितना दुखी होंगे मेरे जाने से! यही सो रही थी। ज्यादा टेंशन की बात नही है।
" ओह तो यह बात है। अरे तो तु अपने मम्मी पापा से बोल सकती हैं न की, तु हर सन्डे को आती रहेगी।
(नीलम ने आह भरते हुए रिया से कहा।)
"हाँ, मैंने उनको बता दिया है की, मेरी ज्यादा चिंता ना करे।
(रिया ने मुस्कुरा कर जवाब दिया।)
"
ओके, रिया अब मै चलती हूँ। मम्मी मेरा वेट कर रही हैं।
(नीलम ने रिया से कहा।)
[नीलम ने रिया को हग किया, फिर वहा से अपने घर चली गई। रिया ने गहरी साँस ली, और अपने घर के बाकी कामों मे लग गयी।]
.........
[रामनाथपुर शहर मे बसी एक बस्ती मे काफी चहल पहल मची हुई थी। वहा के घर मिट्टी और पत्थर से बने हुए थे, और कुछ घर झोपड़ी जैसे बने हुए थे। बस्ती की गलिया भी ज्यादा बड़ी नही थी। बस्ती की गली मे कुछ लोगो का शोर सुनाई दे रहा था। कुछ लोग चाय की दुकान के बाहर बैठे हुए बतिया रहे थे।]
"अरे भाई तुमने सुना... बिरजू ने किसी शहरी लड़की को छेड़ा है
(एक आदमी ने चाय पीते हुए कहा।)
" हाँ भाई, मैंने भी सुना है। भाई की करे, लड़का है ही ऐसा। इससे पहले भी काफी लड़कियों को छेड चुका है वो!
(दूसरे आदमी ने सिगरेट पीते हुए कहा।)
"लेकिन यह तो गलत बात है न, किसी भी लड़की को छेड़ना अच्छी बात नही होती। बड़ा ही बेशर्म किस्म का लड़का है। काश उसके खिलाफ कोई बोल पाता।
[चाय पी रहे आदमी की बात सुन कर सिगरेट पी रहा आदमी थोड़ा मुस्कुराया। उसको मुस्कुराता देख पहला आदमी बोला।]
" क्या भाई, ऐसी बात पर तुम मुस्करा रहे हो?
(पहले आदमी ने तपाक से कहा।)
"भाई, मै तो इसलिए मुस्कुरा रहा हूँ, क्योकि तुमने अभी बोला न की काश उस लड़के के खिलाफ कोई बोलने वाला होता!
(दूसरे आदमी ने सिगरेट को बुझाते हुए कहा।)
" हाँ तो?
(पहले आदमी ने कहा।)
"तो मै बता दु भाई की, उस लड़के के खिलाफ बोलने वाला तो ऑलरेडी है, बस्ती मे। बहुत दमदार लड़का है वो। मैंने तो यहाँ तक सुना है की उसने उस लोफ़र बिरजू को पिट दिया, जिसने उस शहरी लड़की के साथ छेड़खानी की थी।
(दूसरे आदमी ने मुस्कुरा कर कहा।)
" क्या..? ऐसा कौन सा लड़का है जिसमे इतनी डेरिंग है? वैसे नाम क्या है उसका? तुम्हे कुछ पता है?
(दूसरा आदमी एक झटके से खडा हुआ। वो आदमी हैरानी से उस आदमी को देख रहा था। पहले आदमी ने आश्चर्य से पूछा।)
"हाँ। बिल्कुल, मैं उसका नाम जानता हूँ।
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{क्या है उस लड़के का नाम, जिसने एक लड़की के लिए बिरजू को पिट दिया?}
[आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहे "तु मेरा हिरो" सिर्फ "पॉकेट नोवेल" पर।]